Re: hindibhasha - 12 5 विषयों में नए संदेश - सार-संग्रह

19 views
Skip to first unread message

rakesh kumar

unread,
Nov 13, 2009, 11:02:05 PM11/13/09
to hindibhasha.समूह, hindibhasha संग्रह सदस्य
priya mitron
Bandemaataram kinchit muslim fatwon ki vajah se apna mahatva nahin kho sakata hai. muslim bandhuon ko chaahiye ki in baaton mein samay gavan kar muslim samaj ke anya mahatvapoorna samasyaaon ka samaadhaan karein.
rakesh shukla
gorakhpur


 
2009/11/13 hindibhasha.समूह <nor...@googlegroups.com>

Hindi Language Forum - Hindi Bhasha
http://groups.google.com/group/hindibhasha?hl=hi

hindi...@googlegroups.com

 आज के विषय:

 * Bandemataram some facts - 6 संदेश, 6 लेखक
 http://groups.google.com/group/hindibhasha/t/d94e5635067f000d?hl=hi
* हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन - 2 संदेश, 1 लेखक
 http://groups.google.com/group/hindibhasha/t/5d0dce3874e1dd16?hl=hi
* Hindi translation - 1 संदेश, 1 लेखक
 http://groups.google.com/group/hindibhasha/t/9d35b96bd1102672?hl=hi
* मज़हब नही सिखाता आपस मे बेर रखाना ... - 2 संदेश, 2 लेखक
 http://groups.google.com/group/hindibhasha/t/cc012674e4cc1727?hl=hi
* article required on manavaadhikaar - 1 संदेश, 1 लेखक
 http://groups.google.com/group/hindibhasha/t/c8a4d705ee73973a?hl=hi

==============================================================================
 विषय: Bandemataram some facts
http://groups.google.com/group/hindibhasha/t/d94e5635067f000d?hl=hi
==============================================================================

6 == का == 1
दिनांक: बुध 11 नव 2009 06:57
 Dr Mandhata Singh  से:


  भाई यह सब राजनीति का खेल है। मजहब, भाषा या धर्म को हथियार बनाकर सत्ता
हथियाने के ये हथकंडे देश को रसातल में पहुंचा देंगे।

2009/11/9 Shailesh Bharatwasi <bharat...@gmail.com>

> ise bhi dekhen-
> http://baithak.hindyugm.com/2009/11/kya-vandemataram-rashtra-geet-hai.html
>
> 2009/11/9 manisha upadhyay <upadhyaym...@gmail.com>
>
>> vande matram kii sahi jankari tatha jan gan man ke bare mein jankari
>> dene ke liye mein aapki tahe dil se shukragujar hu , aasha hi nahi
>> apitu purana vishvas hai kii aap bhavishya mein aisi jankari denge ,
>> mein ek international vidyalaya mein shikshika hu aur is prakar kii
>> jankari pana chAhti hu taki bharat ka sunhara paksh apne chatro ko
>> dikha saku ,punah :VANDE MATARAM ' SMT.MANISHA RAMESHKUMAR UPADHYAY ,
>>
>> On 11/8/09, ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com> wrote:
>> > लाख फ़तवे जारी हो जाएँ वन्दे मातरम् हिन्दुस्तानियोँ के दिल में हमेशा
>> रहेगा।
>>
>> >
>> > कुलदीप जी इस जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। कृपया इस जानकारी को
>> > विकिपीडिया पर भी डाल दें अथवा अनुमति दें तो मैं डाल दूँगा।
>> > वन्दे मातरम्
>> >
>> > ७-११-०९ को, Kuldip Gupta <kuldi...@hotmail.com> ने लिखा:
>> > >
>> > > भारत शायद भूमण्डल का एक अकेला राष्ट्र होगा जिसके दो दो राष्ट्रीय गीत
>> हैं।
>> > > “जन
>> > > गण मन” अधिकारिक या Official तौर पर एवं “बन्दे मातरम्” सम्मानित तौर पर।
>> इस
>> > > विडम्बना
>> > > के पीछे एक लम्बा एवं विवादित इतिहास है।
>> > >
>> > > “जन गण मन” स्व: रवीन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित है।यह गीत 1911 में
>> सर्वप्रथम
>> > > कांग्रेस के अधिवेशन में सम्राट जार्ज पंचम की उपस्थिति में गाया गया था।
>> > > गुरुदेव के
>> > > कथनानुसार उन्होंने इस गीत के माध्यम से दैवी शक्ति का आह्वान किया था
>> एवं
>> > > सम्राट जार्ज
>> > > इस गीत के अधिनायक नहीं थे। इस समारोह के पश्चात इस गीत का कभी भी कोई
>> > > राष्ट्रीय महत्व
>> > > नहीं रहा।
>> > >
>> > > बन्दे मातरम सन् 1870 में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने ग्राम प्रवास के
>> दौरान
>> > > लिखा
>> > > था।बाद में सन् 1882 में आनन्द मठ नामक उपन्यास में इसे गूंथ कर छापा
>> गया।
>> > >
>> > > सन् 1923 तक बन्दे मातरम् भारतीय आकांक्षाओं एवं अस्मिता का प्रतीक चिन्ह
>> > > रहा।प्रायः
>> > > सभी राजनैतिक पार्टियों की सभाओं में यह गीत गाया जाता था।
>> > >
>> > > सन् 1905 के बंग भंग के खिलाफ छिड़ा आन्दोलन सम्भवतः ब्रिटिश भारत में
>> पहला जन
>> > > आन्दोलन
>> > > था। इस आन्दोलन में हिन्दु व मुस्लिम दोनों वर्गों ने पूरे जोश के साथ
>> हिस्सा
>> > > लिया
>> > > था। इस आन्दोलन का प्रेरणा गीत दोनो वर्गों के लिये “बन्दे मातरम्” ही
>> था।
>> > >
>> > > सन् 1923 में पहली बार काकीनाड़ा में हो रहे कांग्रेस सम्मेलन में मौलाना
>> अहमद
>> > > अली
>> > > ने इस गीत का विरोध किया। मूल विरोध का विषय था कि इस्लाम खुदा के अलावा
>> किसी
>> > > की वन्दना
>> > > करने की इजाजत नहीं देता और इस गीत में मातृभुमि की वन्दना की गयी थी।
>> बाद में
>> > > क्षेपक
>> > > के और पर में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनन्द मठ की
>> पृष्ठभुमि
>> > > (मुस्लिम
>> > > जमींदारों के खिलाफ) के कारण इस गीत को इस्लाम विरोधी करार देकर मुद्दा
>> बनाया
>> > > गया।
>> > >
>> > > ये दोनों मुद्दे तथ्यों से परे सिर्फ अलगाव वादी राजनीति से प्रेरित
>> थे।खिलाफत
>> > > आन्दोलन,जो कि समग्र रूप से इस्लाम परक था, की सारी बैठकें “बन्देमातरम्”
>> गीत
>> > > से ही
>> > > शुरु होती थी। तत्कालीन सारे मुस्लिम नेता यथा अली बन्धु,जिन्ना इस गीत
>> के
>> > > सम्मान में
>> > > खड़े होते थे।
>> > >
>> > > “बन्देमातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में आनन्द मठ उपन्यास के
>> > > पृष्ठभुमि
>> > > की भुमिका अर्थहीन थी। इबादत या वन्दना का मुद्दा हास्यास्पद था। इस विषय
>> में
>> > > मौलाना
>> > > अहमद रजा का 1944 में प्रकाशित लेख उल्लेखनीय है। उन्होंने लिखा था
>> “”“हमारे
>> > > कुछ मुस्लिम
>> > > भाई जिन्दगी के कुछ साधारण तथ्य(जन्मभूमि का मातृभूमि रुप)  को इबादत या
>> बुत
>> > > परस्ती का नाम देकर,नकारने का प्रयास
>> > > कर रहें हैं।माता पिता के चरण स्पर्श,नेताओं के दीवार पर चित्र टांगना
>> आदरसूचक
>> > > हैं,
>> > > इसे बुतपरस्ती की संज्ञा देना गलत है।मेरा निवेदन है कि इस गीत को एक
>> पावन गीत
>> > > के रुप
>> > > में ग्रहण करें न कि बुतपरस्ती के रुप में।””
>> > >
>> > > वाममार्गी इतिहासकार मजुमदार ने भी स्वीकार करते हुये कहा था कि “ सन्
>> 1905 से
>> > > 1947 तक बन्देमातरम् भारतीय राष्ट्रभक्तों का प्रेरणा गीत एवं हार्दिक
>> > > अभिव्यक्ति थी।
>> > > अंग्रेज पुलिसकर्मी की लाठी खाते हुये या फांसी के तख्ते पर यही गीत उनके
>> > > होंठों पर
>> > > था।”
>> > >
>> > > Government
>> > > of India act 1935 के तहत 1937 में जब चुनाव हुये 11 राज्यों में
>> कांग्रेस
>> > > की सरकार गथित हुयी। मुस्लिम्स लीग ने एक बार फिर बन्देमातरम् के विवाद
>> को
>> > > उठाया।इस
>> > > बार कांग्रेस ने गुत्थी सुलझाने हेतु तीन व्यक्तियों,यथा नेहरू जी,सुभाष
>> बोस
>> > > एवं जिन्ना,
>> > > की एक समिति गठित की। इस समिति ने तुष्टीकरण स्वरुप इस गीत को खण्डित कर
>> प्रथम
>> > > दो पदों
>> > > को ग्रहण किया।  अगले वर्ष पहली बार 1938 के
>> > > कांग्रेसी अधिवेशन में सिर्फ पहले दो पदों को ही गाया गया।
>> > >
>> > > अब मुस्लिम लीग ने और भी कड़ा रुख अपनाते हुये मांग की कि  "बन्देमातरम्
>> गीत
>> > > को
>> > > सम्पूर्ण रुप से कांग्रेस पार्टी त्यागे,आनन्दमठ से इस गीत का निष्कासन
>> करे एवं
>> > > उर्दू
>> > > को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा आदि।” अब यह मुद्दा अलगाव वादी राजनीति का
>> अंग बन
>> > > चुका
>> > > था। फिर भी जमीनी हकीकत यह थी कि बन्देमातरम् ही सभी स्वतन्त्रता
>> सेनानियों का
>> > > प्रेरणा
>> > > गीत था।
>> > >
>> > > स्वाधीनता के पश्चात भारत के सभी शीर्षस्थ नेता बन्देमातरम् को ही
>> राष्ट्रीय
>> > > गीत
>> > > के रुप में देखना चाहते थे।
>> > >
>> > > गांधी जी ने नेता 28अगस्त 1947 को कहा था कि बन्देमातरम् को लयबद्ध कर
>> > > राष्ट्रीय
>> > > गीत का दर्जा दिया जाये।
>> > >
>> > > गान्धी जी ने “जन गण मन” के सन्दर्भ में कहा था कि यह एक धार्मिक गीत है।
>> > >
>> > > महर्षि अरविन्द: बन्देमातरम् राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है अतएव इसे स्वतः
>> ही
>> > > राष्ट्रगीत
>> > > की संज्ञा प्राप्त होती है।
>> > >
>> > > नेहरू जी की अकेले की मुस्लिम तुष्टी करण की भावना ने बन्देमातरम् को
>> दोयम
>> > > स्थान
>> > > दिला ““जन गण मन”” को राष्ट्रीय गीत का स्थान दिलवाया
>> > >
>> > > बन्देमातरम् को मात्र एक गीत कह नकारना भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के
>> इतिहास
>> > > को अनदेखा करना है।यह गीत
>> > > हमारी भारत वर्ष की राष्ट्रीय धरोहर है। इसके खिलाफ फतवा जारी करना एक
>> भीषण
>> > > अलगाव वादी
>> > > प्रक्रिया की परिचायक
>> > > है।पुनश्च: बन्देमातरम् ,वन्देमातरम् की तुलना में अधिक सही है। क्योंकि
>> यह गीत
>> > > बंग्ला में लिखा गया था व बंग्ला लिपि में "व" अक्षर है ही नहीं।Kuldip
>> Gupta
>> > > BLOGS AT: http://kuldipgupta.blogspot.com/
>> > >
>> > > and at : http://kuldipgupta.rediffiland.com/iland/kuldipgupta.html
>> > >
>> > >
>> > > Aerocom Private Limited
>> > > S3/49 Mancheswar Industrial Estate
>> > >
>> > > Bhubaneswar 751010
>> > >
>> > > India
>> > >
>> > > Tel. 091 674 2585324
>> > >
>> > > 9337102459
>> > >
>> > > Fax 091 0674 2586332
>> > >
>> > >
>> > >
>> > > _________________________________________________________________
>> > > New Windows 7: Simplify what you do everyday. Find the right PC for
>> you.
>> > > http://windows.microsoft.com/shop
>> > > >
>> > >
>> >
>> >
>> > --
>> > Shrish Benjwal Sharma (श्रीश बेंजवाल शर्मा)
>> > ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
>> > If u can't beat them, join them.
>> >
>> > ePandit: http://epandit.blogspot.com/
>> >
>> > >
>> >
>>
>>
>>
>
> >
>


--
Dr. Mandhata Singh
From Kolkata (INDIA)
These are my sites. ...........
http://apnamat.blogspot.com
http://aajkaitihas.blogspot.com
अपनी भाषा को पहचान दें, हिंदी का प्रसार करें।।
Want to write in hindi. Try it please.....
http://kaulonline.com/uninagari/inscript/
http://lipik.in/hindi.html
THANKS




6 == का == 2
दिनांक: रवि 8 नव 2009 10:12
 Dinesh R Saroj  से:


कुलदीप जी, इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आपका बहुत धन्यवाद....

कोई कितना भी कहे परन्तु जनमानस के भावनाओं को नहीं बदल सकता....

~~~~~~~~~~~~~~
- दिनेश सरोज

http://learncomputersinhindi.blogspot.com/
http://merirachanaein.blogspot.com/
http://dineshsaroj.blogspot.com/


७ नवम्बर २००९ ६:४५ PM को, Kuldip Gupta <kuldi...@hotmail.com> ने लिखा:

>  भारत शायद भूमण्डल का एक अकेला राष्ट्र होगा जिसके दो दो राष्ट्रीय गीत हैं।
> “जन गण मन” अधिकारिक या Official तौर पर एवं “बन्दे मातरम्” सम्मानित तौर पर।
> इस विडम्बना के पीछे एक लम्बा एवं विवादित इतिहास है।
>
> “जन गण मन” स्व: रवीन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित है।यह गीत 1911 में सर्वप्रथम
> कांग्रेस के अधिवेशन में सम्राट जार्ज पंचम की उपस्थिति में गाया गया था।
> गुरुदेव के कथनानुसार उन्होंने इस गीत के माध्यम से दैवी शक्ति का आह्वान किया
> था एवं सम्राट जार्ज इस गीत के अधिनायक नहीं थे। इस समारोह के पश्चात इस गीत का
> कभी भी कोई राष्ट्रीय महत्व नहीं रहा।
>
> बन्दे मातरम सन् 1870 में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने ग्राम प्रवास के
> दौरान लिखा था।बाद में सन् 1882 में आनन्द मठ नामक उपन्यास में इसे गूंथ कर
> छापा गया।
>
> सन् 1923 तक बन्दे मातरम् भारतीय आकांक्षाओं एवं अस्मिता का प्रतीक चिन्ह
> रहा।प्रायः सभी राजनैतिक पार्टियों की सभाओं में यह गीत गाया जाता था।
>
> सन् 1905 के बंग भंग के खिलाफ छिड़ा आन्दोलन सम्भवतः ब्रिटिश भारत में पहला जन
> आन्दोलन था। इस आन्दोलन में हिन्दु व मुस्लिम दोनों वर्गों ने पूरे जोश के साथ
> हिस्सा लिया था। इस आन्दोलन का प्रेरणा गीत दोनो वर्गों के लिये “बन्दे मातरम्”
> ही था।
>
> सन् 1923 में पहली बार काकीनाड़ा में हो रहे कांग्रेस सम्मेलन में मौलाना अहमद
> अली ने इस गीत का विरोध किया। मूल विरोध का विषय था कि इस्लाम खुदा के अलावा
> किसी की वन्दना करने की इजाजत नहीं देता और इस गीत में मातृभुमि की वन्दना की
> गयी थी। बाद में क्षेपक के और पर में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास
> आनन्द मठ की पृष्ठभुमि (मुस्लिम जमींदारों के खिलाफ) के कारण इस गीत को इस्लाम
> विरोधी करार देकर मुद्दा बनाया गया।
>
> ये दोनों मुद्दे तथ्यों से परे सिर्फ अलगाव वादी राजनीति से प्रेरित थे।खिलाफत
> आन्दोलन,जो कि समग्र रूप से इस्लाम परक था, की सारी बैठकें “बन्देमातरम्” गीत
> से ही शुरु होती थी। तत्कालीन सारे मुस्लिम नेता यथा अली बन्धु,जिन्ना इस गीत
> के सम्मान में खड़े होते थे।
>
> “बन्देमातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में आनन्द मठ उपन्यास के
> पृष्ठभुमि की भुमिका अर्थहीन थी। इबादत या वन्दना का मुद्दा हास्यास्पद था। इस
> विषय में मौलाना अहमद रजा का 1944 में प्रकाशित लेख उल्लेखनीय है। उन्होंने
> लिखा था “”“हमारे कुछ मुस्लिम भाई जिन्दगी के कुछ साधारण तथ्य(जन्मभूमि का
> मातृभूमि रुप)  को इबादत या बुत परस्ती का नाम देकर,नकारने का प्रयास कर रहें
> हैं।माता पिता के चरण स्पर्श,नेताओं के दीवार पर चित्र टांगना आदरसूचक हैं, इसे
> बुतपरस्ती की संज्ञा देना गलत है।मेरा निवेदन है कि इस गीत को एक पावन गीत के
> रुप में ग्रहण करें न कि बुतपरस्ती के रुप में।””
>
> वाममार्गी इतिहासकार मजुमदार ने भी स्वीकार करते हुये कहा था कि “ सन् 1905 से
> 1947 तक बन्देमातरम् भारतीय राष्ट्रभक्तों का प्रेरणा गीत एवं हार्दिक
> अभिव्यक्ति थी। अंग्रेज पुलिसकर्मी की लाठी खाते हुये या फांसी के तख्ते पर यही
> गीत उनके होंठों पर था।”
>
> Government of India act 1935 के तहत 1937 में जब चुनाव हुये 11 राज्यों में
> कांग्रेस की सरकार गथित हुयी। मुस्लिम्स लीग ने एक बार फिर बन्देमातरम् के
> विवाद को उठाया।इस बार कांग्रेस ने गुत्थी सुलझाने हेतु तीन व्यक्तियों,यथा
> नेहरू जी,सुभाष बोस एवं जिन्ना, की एक समिति गठित की। इस समिति ने तुष्टीकरण
> स्वरुप इस गीत को खण्डित कर प्रथम दो पदों को ग्रहण किया।  अगले वर्ष पहली बार
> 1938 के कांग्रेसी अधिवेशन में सिर्फ पहले दो पदों को ही गाया गया।
>
> अब मुस्लिम लीग ने और भी कड़ा रुख अपनाते हुये मांग की कि  "बन्देमातरम् गीत
> को सम्पूर्ण रुप से कांग्रेस पार्टी त्यागे,आनन्दमठ से इस गीत का निष्कासन करे
> एवं उर्दू को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा आदि।” अब यह मुद्दा अलगाव वादी राजनीति
> का अंग बन चुका था। फिर भी जमीनी हकीकत यह थी कि बन्देमातरम् ही सभी
> स्वतन्त्रता सेनानियों का प्रेरणा गीत था।
>
> स्वाधीनता के पश्चात भारत के सभी शीर्षस्थ नेता बन्देमातरम् को ही राष्ट्रीय
> गीत के रुप में देखना चाहते थे।
>
> गांधी जी ने नेता 28अगस्त 1947 को कहा था कि बन्देमातरम् को लयबद्ध कर
> राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया जाये।
>
> गान्धी जी ने “जन गण मन” के सन्दर्भ में कहा था कि यह एक धार्मिक गीत है।
>
> महर्षि अरविन्द: बन्देमातरम् राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है अतएव इसे स्वतः ही
> राष्ट्रगीत की संज्ञा प्राप्त होती है।
>
> नेहरू जी की अकेले की मुस्लिम तुष्टी करण की भावना ने बन्देमातरम् को दोयम
> स्थान दिला ““जन गण मन”” को राष्ट्रीय गीत का स्थान दिलवाया
>
> बन्देमातरम् को मात्र एक गीत कह नकारना भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास
> को अनदेखा करना है।यह गीत हमारी भारत वर्ष की राष्ट्रीय धरोहर है। इसके खिलाफ
> फतवा जारी करना एक भीषण अलगाव वादी प्रक्रिया की परिचायक है।
> पुनश्च: बन्देमातरम् ,वन्देमातरम् की तुलना में अधिक सही है। क्योंकि यह गीत
> बंग्ला में लिखा गया था व बंग्ला लिपि में "व" अक्षर है ही नहीं।Kuldip
> Gupta
> BLOGS AT: http://kuldipgupta.blogspot.com/
> and at : http://kuldipgupta.rediffiland.com/iland/kuldipgupta.html
>
> Aerocom Private Limited
> S3/49 Mancheswar Industrial Estate
> Bhubaneswar 751010
> India
> Tel. 091 674 2585324
> 9337102459
> Fax 091 0674 2586332
>
>
>
> ------------------------------
> New Windows 7: Simplify what you do everyday. Find the right PC for you.<http://windows.microsoft.com/shop>
> >
>




6 == का == 3
दिनांक: रवि 8 नव 2009 05:22
 Mansoorali Hashmi  से:


स्वागत योग्य , स्वीकार्य, सुन्दर लेख, मार्ग दर्शन के लिए धन्यवाद.

2009/11/8 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>

> लाख फ़तवे जारी हो जाएँ वन्दे मातरम् हिन्दुस्तानियोँ के दिल में हमेशा रहेगा।
>
> कुलदीप जी इस जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। कृपया इस जानकारी को
> विकिपीडिया पर भी डाल दें अथवा अनुमति दें तो मैं डाल दूँगा।
> वन्दे मातरम्
>
> ७-११-०९ को, Kuldip Gupta <kuldi...@hotmail.com> ने लिखा:
> >
> > भारत शायद भूमण्डल का एक अकेला राष्ट्र होगा जिसके दो दो राष्ट्रीय गीत हैं।
> > “जन
> > गण मन” अधिकारिक या Official तौर पर एवं “बन्दे मातरम्” सम्मानित तौर पर। इस
> > विडम्बना
> > के पीछे एक लम्बा एवं विवादित इतिहास है।
> >
> > “जन गण मन” स्व: रवीन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित है।यह गीत 1911 में
> सर्वप्रथम
> > कांग्रेस के अधिवेशन में सम्राट जार्ज पंचम की उपस्थिति में गाया गया था।
> > गुरुदेव के
> > कथनानुसार उन्होंने इस गीत के माध्यम से दैवी शक्ति का आह्वान किया था एवं
> > सम्राट जार्ज
> > इस गीत के अधिनायक नहीं थे। इस समारोह के पश्चात इस गीत का कभी भी कोई
> > राष्ट्रीय महत्व
> > नहीं रहा।
> >
> > बन्दे मातरम सन् 1870 में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने ग्राम प्रवास के
> दौरान
> > लिखा
> > था।बाद में सन् 1882 में आनन्द मठ नामक उपन्यास में इसे गूंथ कर छापा गया।
> >
> > सन् 1923 तक बन्दे मातरम् भारतीय आकांक्षाओं एवं अस्मिता का प्रतीक चिन्ह
> > रहा।प्रायः
> > सभी राजनैतिक पार्टियों की सभाओं में यह गीत गाया जाता था।
> >
> > सन् 1905 के बंग भंग के खिलाफ छिड़ा आन्दोलन सम्भवतः ब्रिटिश भारत में पहला
> जन
> > आन्दोलन
> > था। इस आन्दोलन में हिन्दु व मुस्लिम दोनों वर्गों ने पूरे जोश के साथ
> हिस्सा
> > लिया
> > था। इस आन्दोलन का प्रेरणा गीत दोनो वर्गों के लिये “बन्दे मातरम्” ही था।
> >
> > सन् 1923 में पहली बार काकीनाड़ा में हो रहे कांग्रेस सम्मेलन में मौलाना
> अहमद
> > अली
> > ने इस गीत का विरोध किया। मूल विरोध का विषय था कि इस्लाम खुदा के अलावा
> किसी
> > की वन्दना
> > करने की इजाजत नहीं देता और इस गीत में मातृभुमि की वन्दना की गयी थी। बाद
> में
> > क्षेपक
> > के और पर में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनन्द मठ की पृष्ठभुमि
> > (मुस्लिम
> > जमींदारों के खिलाफ) के कारण इस गीत को इस्लाम विरोधी करार देकर मुद्दा
> बनाया
> > गया।
> >
> > ये दोनों मुद्दे तथ्यों से परे सिर्फ अलगाव वादी राजनीति से प्रेरित
> थे।खिलाफत
> > आन्दोलन,जो कि समग्र रूप से इस्लाम परक था, की सारी बैठकें “बन्देमातरम्”
> गीत
> > से ही
> > शुरु होती थी। तत्कालीन सारे मुस्लिम नेता यथा अली बन्धु,जिन्ना इस गीत के
> > सम्मान में
> > खड़े होते थे।
> >
> > “बन्देमातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में आनन्द मठ उपन्यास के
> > पृष्ठभुमि
> > की भुमिका अर्थहीन थी। इबादत या वन्दना का मुद्दा हास्यास्पद था। इस विषय
> में
> > मौलाना
> > अहमद रजा का 1944 में प्रकाशित लेख उल्लेखनीय है। उन्होंने लिखा था “”“हमारे
> > कुछ मुस्लिम
> > भाई जिन्दगी के कुछ साधारण तथ्य(जन्मभूमि का मातृभूमि रुप)  को इबादत या बुत
> > परस्ती का नाम देकर,नकारने का प्रयास
> > कर रहें हैं।माता पिता के चरण स्पर्श,नेताओं के दीवार पर चित्र टांगना
> आदरसूचक
> > हैं,
> > इसे बुतपरस्ती की संज्ञा देना गलत है।मेरा निवेदन है कि इस गीत को एक पावन
> गीत
> > के रुप
> > में ग्रहण करें न कि बुतपरस्ती के रुप में।””
> >
> > वाममार्गी इतिहासकार मजुमदार ने भी स्वीकार करते हुये कहा था कि “ सन् 1905
> से
> > 1947 तक बन्देमातरम् भारतीय राष्ट्रभक्तों का प्रेरणा गीत एवं हार्दिक
> > अभिव्यक्ति थी।
> > अंग्रेज पुलिसकर्मी की लाठी खाते हुये या फांसी के तख्ते पर यही गीत उनके
> > होंठों पर
> > था।”
> >
> > Government
> > of India act 1935 के तहत 1937 में जब चुनाव हुये 11 राज्यों में कांग्रेस
> > की सरकार गथित हुयी। मुस्लिम्स लीग ने एक बार फिर बन्देमातरम् के विवाद को
> > उठाया।इस
> > बार कांग्रेस ने गुत्थी सुलझाने हेतु तीन व्यक्तियों,यथा नेहरू जी,सुभाष बोस
> > एवं जिन्ना,
> > की एक समिति गठित की। इस समिति ने तुष्टीकरण स्वरुप इस गीत को खण्डित कर
> प्रथम
> > दो पदों
> > को ग्रहण किया।  अगले वर्ष पहली बार 1938 के
> > कांग्रेसी अधिवेशन में सिर्फ पहले दो पदों को ही गाया गया।
> >
> > अब मुस्लिम लीग ने और भी कड़ा रुख अपनाते हुये मांग की कि  "बन्देमातरम् गीत
> > को
> > सम्पूर्ण रुप से कांग्रेस पार्टी त्यागे,आनन्दमठ से इस गीत का निष्कासन करे
> एवं
> > उर्दू
> > को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा आदि।” अब यह मुद्दा अलगाव वादी राजनीति का अंग
> बन
> > चुका
> > था। फिर भी जमीनी हकीकत यह थी कि बन्देमातरम् ही सभी स्वतन्त्रता सेनानियों
> का
> > प्रेरणा
> > गीत था।
> >
> > स्वाधीनता के पश्चात भारत के सभी शीर्षस्थ नेता बन्देमातरम् को ही राष्ट्रीय
> > गीत
> > के रुप में देखना चाहते थे।
> >
> > गांधी जी ने नेता 28अगस्त 1947 को कहा था कि बन्देमातरम् को लयबद्ध कर
> > राष्ट्रीय
> > गीत का दर्जा दिया जाये।
> >
> > गान्धी जी ने “जन गण मन” के सन्दर्भ में कहा था कि यह एक धार्मिक गीत है।
> >
> > महर्षि अरविन्द: बन्देमातरम् राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है अतएव इसे स्वतः ही
> > राष्ट्रगीत
> > की संज्ञा प्राप्त होती है।
> >
> > नेहरू जी की अकेले की मुस्लिम तुष्टी करण की भावना ने बन्देमातरम् को दोयम
> > स्थान
> > दिला ““जन गण मन”” को राष्ट्रीय गीत का स्थान दिलवाया
> >
> > बन्देमातरम् को मात्र एक गीत कह नकारना भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के
> इतिहास
> > को अनदेखा करना है।यह गीत
> > हमारी भारत वर्ष की राष्ट्रीय धरोहर है। इसके खिलाफ फतवा जारी करना एक भीषण
> > अलगाव वादी
> > प्रक्रिया की परिचायक
> > है।पुनश्च: बन्देमातरम् ,वन्देमातरम् की तुलना में अधिक सही है। क्योंकि यह
> गीत
> > बंग्ला में लिखा गया था व बंग्ला लिपि में "व" अक्षर है ही नहीं।Kuldip
> Gupta
> > BLOGS AT: http://kuldipgupta.blogspot.com/
> >
> > and at : http://kuldipgupta.rediffiland.com/iland/kuldipgupta.html
> >
> >
> > Aerocom Private Limited
> > S3/49 Mancheswar Industrial Estate
> >
> > Bhubaneswar 751010
> >
> > India
> >
> > Tel. 091 674 2585324
> >
> > 9337102459
> >
> > Fax 091 0674 2586332
> >
> >
> >
> > _________________________________________________________________
> > New Windows 7: Simplify what you do everyday. Find the right PC for you.
> > http://windows.microsoft.com/shop
> > >
> >
>
>
> --
> Shrish Benjwal Sharma (श्रीश बेंजवाल शर्मा)
> ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
> If u can't beat them, join them.
>
> ePandit: http://epandit.blogspot.com/
>
> >
>




6 == का == 4
दिनांक: शनि 7 नव 2009 05:37
 Gaurav Gautam  से:


bahut khoob Kudip Gupta ji.

jai hind!~

2009/11/7 Kuldip Gupta <kuldi...@hotmail.com>

>  भारत शायद भूमण्डल का एक अकेला राष्ट्र होगा जिसके दो दो राष्ट्रीय गीत हैं।
> “जन गण मन” अधिकारिक या Official तौर पर एवं “बन्दे मातरम्” सम्मानित तौर पर।
> इस विडम्बना के पीछे एक लम्बा एवं विवादित इतिहास है।
>
> “जन गण मन” स्व: रवीन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित है।यह गीत 1911 में सर्वप्रथम
> कांग्रेस के अधिवेशन में सम्राट जार्ज पंचम की उपस्थिति में गाया गया था।
> गुरुदेव के कथनानुसार उन्होंने इस गीत के माध्यम से दैवी शक्ति का आह्वान किया
> था एवं सम्राट जार्ज इस गीत के अधिनायक नहीं थे। इस समारोह के पश्चात इस गीत का
> कभी भी कोई राष्ट्रीय महत्व नहीं रहा।
>
> बन्दे मातरम सन् 1870 में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने ग्राम प्रवास के
> दौरान लिखा था।बाद में सन् 1882 में आनन्द मठ नामक उपन्यास में इसे गूंथ कर
> छापा गया।
>
> सन् 1923 तक बन्दे मातरम् भारतीय आकांक्षाओं एवं अस्मिता का प्रतीक चिन्ह
> रहा।प्रायः सभी राजनैतिक पार्टियों की सभाओं में यह गीत गाया जाता था।
>
> सन् 1905 के बंग भंग के खिलाफ छिड़ा आन्दोलन सम्भवतः ब्रिटिश भारत में पहला जन
> आन्दोलन था। इस आन्दोलन में हिन्दु व मुस्लिम दोनों वर्गों ने पूरे जोश के साथ
> हिस्सा लिया था। इस आन्दोलन का प्रेरणा गीत दोनो वर्गों के लिये “बन्दे मातरम्”
> ही था।
>
> सन् 1923 में पहली बार काकीनाड़ा में हो रहे कांग्रेस सम्मेलन में मौलाना अहमद
> अली ने इस गीत का विरोध किया। मूल विरोध का विषय था कि इस्लाम खुदा के अलावा
> किसी की वन्दना करने की इजाजत नहीं देता और इस गीत में मातृभुमि की वन्दना की
> गयी थी। बाद में क्षेपक के और पर में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास
> आनन्द मठ की पृष्ठभुमि (मुस्लिम जमींदारों के खिलाफ) के कारण इस गीत को इस्लाम
> विरोधी करार देकर मुद्दा बनाया गया।
>
> ये दोनों मुद्दे तथ्यों से परे सिर्फ अलगाव वादी राजनीति से प्रेरित थे।खिलाफत
> आन्दोलन,जो कि समग्र रूप से इस्लाम परक था, की सारी बैठकें “बन्देमातरम्” गीत
> से ही शुरु होती थी। तत्कालीन सारे मुस्लिम नेता यथा अली बन्धु,जिन्ना इस गीत
> के सम्मान में खड़े होते थे।
>
> “बन्देमातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में आनन्द मठ उपन्यास के
> पृष्ठभुमि की भुमिका अर्थहीन थी। इबादत या वन्दना का मुद्दा हास्यास्पद था। इस
> विषय में मौलाना अहमद रजा का 1944 में प्रकाशित लेख उल्लेखनीय है। उन्होंने
> लिखा था “”“हमारे कुछ मुस्लिम भाई जिन्दगी के कुछ साधारण तथ्य(जन्मभूमि का
> मातृभूमि रुप)  को इबादत या बुत परस्ती का नाम देकर,नकारने का प्रयास कर रहें
> हैं।माता पिता के चरण स्पर्श,नेताओं के दीवार पर चित्र टांगना आदरसूचक हैं, इसे
> बुतपरस्ती की संज्ञा देना गलत है।मेरा निवेदन है कि इस गीत को एक पावन गीत के
> रुप में ग्रहण करें न कि बुतपरस्ती के रुप में।””
>
> वाममार्गी इतिहासकार मजुमदार ने भी स्वीकार करते हुये कहा था कि “ सन् 1905 से
> 1947 तक बन्देमातरम् भारतीय राष्ट्रभक्तों का प्रेरणा गीत एवं हार्दिक
> अभिव्यक्ति थी। अंग्रेज पुलिसकर्मी की लाठी खाते हुये या फांसी के तख्ते पर यही
> गीत उनके होंठों पर था।”
>
> Government of India act 1935 के तहत 1937 में जब चुनाव हुये 11 राज्यों में
> कांग्रेस की सरकार गथित हुयी। मुस्लिम्स लीग ने एक बार फिर बन्देमातरम् के
> विवाद को उठाया।इस बार कांग्रेस ने गुत्थी सुलझाने हेतु तीन व्यक्तियों,यथा
> नेहरू जी,सुभाष बोस एवं जिन्ना, की एक समिति गठित की। इस समिति ने तुष्टीकरण
> स्वरुप इस गीत को खण्डित कर प्रथम दो पदों को ग्रहण किया।  अगले वर्ष पहली बार
> 1938 के कांग्रेसी अधिवेशन में सिर्फ पहले दो पदों को ही गाया गया।
>
> अब मुस्लिम लीग ने और भी कड़ा रुख अपनाते हुये मांग की कि  "बन्देमातरम् गीत
> को सम्पूर्ण रुप से कांग्रेस पार्टी त्यागे,आनन्दमठ से इस गीत का निष्कासन करे
> एवं उर्दू को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा आदि।” अब यह मुद्दा अलगाव वादी राजनीति
> का अंग बन चुका था। फिर भी जमीनी हकीकत यह थी कि बन्देमातरम् ही सभी
> स्वतन्त्रता सेनानियों का प्रेरणा गीत था।
>
> स्वाधीनता के पश्चात भारत के सभी शीर्षस्थ नेता बन्देमातरम् को ही राष्ट्रीय
> गीत के रुप में देखना चाहते थे।
>
> गांधी जी ने नेता 28अगस्त 1947 को कहा था कि बन्देमातरम् को लयबद्ध कर
> राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया जाये।
>
> गान्धी जी ने “जन गण मन” के सन्दर्भ में कहा था कि यह एक धार्मिक गीत है।
>
> महर्षि अरविन्द: बन्देमातरम् राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है अतएव इसे स्वतः ही
> राष्ट्रगीत की संज्ञा प्राप्त होती है।
>
> नेहरू जी की अकेले की मुस्लिम तुष्टी करण की भावना ने बन्देमातरम् को दोयम
> स्थान दिला ““जन गण मन”” को राष्ट्रीय गीत का स्थान दिलवाया
>
> बन्देमातरम् को मात्र एक गीत कह नकारना भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास
> को अनदेखा करना है।यह गीत हमारी भारत वर्ष की राष्ट्रीय धरोहर है। इसके खिलाफ
> फतवा जारी करना एक भीषण अलगाव वादी प्रक्रिया की परिचायक है।
> पुनश्च: बन्देमातरम् ,वन्देमातरम् की तुलना में अधिक सही है। क्योंकि यह गीत
> बंग्ला में लिखा गया था व बंग्ला लिपि में "व" अक्षर है ही नहीं।Kuldip
> Gupta
> BLOGS AT: http://kuldipgupta.blogspot.com/
> and at : http://kuldipgupta.rediffiland.com/iland/kuldipgupta.html
>
> Aerocom Private Limited
> S3/49 Mancheswar Industrial Estate
> Bhubaneswar 751010
> India
> Tel. 091 674 2585324
> 9337102459
> Fax 091 0674 2586332
>
>
>
> ------------------------------
> New Windows 7: Simplify what you do everyday. Find the right PC for you.<http://windows.microsoft.com/shop>
> >
>




6 == का == 5
दिनांक: शनि 7 नव 2009 05:47
 Sumit Sharma  से:


Very Good Dear, Keep it up.......

2009/11/7 Kuldip Gupta <kuldi...@hotmail.com>

>  भारत शायद भूमण्डल का एक अकेला राष्ट्र होगा जिसके दो दो राष्ट्रीय गीत हैं।
> “जन गण मन” अधिकारिक या Official तौर पर एवं “बन्दे मातरम्” सम्मानित तौर पर।
> इस विडम्बना के पीछे एक लम्बा एवं विवादित इतिहास है।
>
> “जन गण मन” स्व: रवीन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित है।यह गीत 1911 में सर्वप्रथम
> कांग्रेस के अधिवेशन में सम्राट जार्ज पंचम की उपस्थिति में गाया गया था।
> गुरुदेव के कथनानुसार उन्होंने इस गीत के माध्यम से दैवी शक्ति का आह्वान किया
> था एवं सम्राट जार्ज इस गीत के अधिनायक नहीं थे। इस समारोह के पश्चात इस गीत का
> कभी भी कोई राष्ट्रीय महत्व नहीं रहा।
>
> बन्दे मातरम सन् 1870 में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने ग्राम प्रवास के
> दौरान लिखा था।बाद में सन् 1882 में आनन्द मठ नामक उपन्यास में इसे गूंथ कर
> छापा गया।
>
> सन् 1923 तक बन्दे मातरम् भारतीय आकांक्षाओं एवं अस्मिता का प्रतीक चिन्ह
> रहा।प्रायः सभी राजनैतिक पार्टियों की सभाओं में यह गीत गाया जाता था।
>
> सन् 1905 के बंग भंग के खिलाफ छिड़ा आन्दोलन सम्भवतः ब्रिटिश भारत में पहला जन
> आन्दोलन था। इस आन्दोलन में हिन्दु व मुस्लिम दोनों वर्गों ने पूरे जोश के साथ
> हिस्सा लिया था। इस आन्दोलन का प्रेरणा गीत दोनो वर्गों के लिये “बन्दे मातरम्”
> ही था।
>
> सन् 1923 में पहली बार काकीनाड़ा में हो रहे कांग्रेस सम्मेलन में मौलाना अहमद
> अली ने इस गीत का विरोध किया। मूल विरोध का विषय था कि इस्लाम खुदा के अलावा
> किसी की वन्दना करने की इजाजत नहीं देता और इस गीत में मातृभुमि की वन्दना की
> गयी थी। बाद में क्षेपक के और पर में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास
> आनन्द मठ की पृष्ठभुमि (मुस्लिम जमींदारों के खिलाफ) के कारण इस गीत को इस्लाम
> विरोधी करार देकर मुद्दा बनाया गया।
>
> ये दोनों मुद्दे तथ्यों से परे सिर्फ अलगाव वादी राजनीति से प्रेरित थे।खिलाफत
> आन्दोलन,जो कि समग्र रूप से इस्लाम परक था, की सारी बैठकें “बन्देमातरम्” गीत
> से ही शुरु होती थी। तत्कालीन सारे मुस्लिम नेता यथा अली बन्धु,जिन्ना इस गीत
> के सम्मान में खड़े होते थे।
>
> “बन्देमातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में आनन्द मठ उपन्यास के
> पृष्ठभुमि की भुमिका अर्थहीन थी। इबादत या वन्दना का मुद्दा हास्यास्पद था। इस
> विषय में मौलाना अहमद रजा का 1944 में प्रकाशित लेख उल्लेखनीय है। उन्होंने
> लिखा था “”“हमारे कुछ मुस्लिम भाई जिन्दगी के कुछ साधारण तथ्य(जन्मभूमि का
> मातृभूमि रुप)  को इबादत या बुत परस्ती का नाम देकर,नकारने का प्रयास कर रहें
> हैं।माता पिता के चरण स्पर्श,नेताओं के दीवार पर चित्र टांगना आदरसूचक हैं, इसे
> बुतपरस्ती की संज्ञा देना गलत है।मेरा निवेदन है कि इस गीत को एक पावन गीत के
> रुप में ग्रहण करें न कि बुतपरस्ती के रुप में।””
>
> वाममार्गी इतिहासकार मजुमदार ने भी स्वीकार करते हुये कहा था कि “ सन् 1905 से
> 1947 तक बन्देमातरम् भारतीय राष्ट्रभक्तों का प्रेरणा गीत एवं हार्दिक
> अभिव्यक्ति थी। अंग्रेज पुलिसकर्मी की लाठी खाते हुये या फांसी के तख्ते पर यही
> गीत उनके होंठों पर था।”
>
> Government of India act 1935 के तहत 1937 में जब चुनाव हुये 11 राज्यों में
> कांग्रेस की सरकार गथित हुयी। मुस्लिम्स लीग ने एक बार फिर बन्देमातरम् के
> विवाद को उठाया।इस बार कांग्रेस ने गुत्थी सुलझाने हेतु तीन व्यक्तियों,यथा
> नेहरू जी,सुभाष बोस एवं जिन्ना, की एक समिति गठित की। इस समिति ने तुष्टीकरण
> स्वरुप इस गीत को खण्डित कर प्रथम दो पदों को ग्रहण किया।  अगले वर्ष पहली बार
> 1938 के कांग्रेसी अधिवेशन में सिर्फ पहले दो पदों को ही गाया गया।
>
> अब मुस्लिम लीग ने और भी कड़ा रुख अपनाते हुये मांग की कि  "बन्देमातरम् गीत
> को सम्पूर्ण रुप से कांग्रेस पार्टी त्यागे,आनन्दमठ से इस गीत का निष्कासन करे
> एवं उर्दू को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा आदि।” अब यह मुद्दा अलगाव वादी राजनीति
> का अंग बन चुका था। फिर भी जमीनी हकीकत यह थी कि बन्देमातरम् ही सभी
> स्वतन्त्रता सेनानियों का प्रेरणा गीत था।
>
> स्वाधीनता के पश्चात भारत के सभी शीर्षस्थ नेता बन्देमातरम् को ही राष्ट्रीय
> गीत के रुप में देखना चाहते थे।
>
> गांधी जी ने नेता 28अगस्त 1947 को कहा था कि बन्देमातरम् को लयबद्ध कर
> राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया जाये।
>
> गान्धी जी ने “जन गण मन” के सन्दर्भ में कहा था कि यह एक धार्मिक गीत है।
>
> महर्षि अरविन्द: बन्देमातरम् राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है अतएव इसे स्वतः ही
> राष्ट्रगीत की संज्ञा प्राप्त होती है।
>
> नेहरू जी की अकेले की मुस्लिम तुष्टी करण की भावना ने बन्देमातरम् को दोयम
> स्थान दिला ““जन गण मन”” को राष्ट्रीय गीत का स्थान दिलवाया
>
> बन्देमातरम् को मात्र एक गीत कह नकारना भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास
> को अनदेखा करना है।यह गीत हमारी भारत वर्ष की राष्ट्रीय धरोहर है। इसके खिलाफ
> फतवा जारी करना एक भीषण अलगाव वादी प्रक्रिया की परिचायक है।
> पुनश्च: बन्देमातरम् ,वन्देमातरम् की तुलना में अधिक सही है। क्योंकि यह गीत
> बंग्ला में लिखा गया था व बंग्ला लिपि में "व" अक्षर है ही नहीं।Kuldip
> Gupta
> BLOGS AT: http://kuldipgupta.blogspot.com/
> and at : http://kuldipgupta.rediffiland.com/iland/kuldipgupta.html
>
> Aerocom Private Limited
> S3/49 Mancheswar Industrial Estate
> Bhubaneswar 751010
> India
> Tel. 091 674 2585324
> 9337102459
> Fax 091 0674 2586332
>
>
>
> ------------------------------
> New Windows 7: Simplify what you do everyday. Find the right PC for you.<http://windows.microsoft.com/shop>
> >
>




6 == का == 6
दिनांक: शनि 7 नव 2009 22:51
 Bhanu Pratap Singh  से:


Vandematram

On 07/11/2009, Kuldip Gupta <kuldi...@hotmail.com> wrote:
>
> भारत शायद भूमण्डल का एक अकेला राष्ट्र होगा जिसके दो दो राष्ट्रीय गीत हैं।
> “जन
> गण मन” अधिकारिक या Official तौर पर एवं “बन्दे मातरम्” सम्मानित तौर पर। इस
> विडम्बना
> के पीछे एक लम्बा एवं विवादित इतिहास है।
>
> “जन गण मन” स्व: रवीन्द्र नाथ ठाकुर द्वारा रचित है।यह गीत 1911 में सर्वप्रथम
> कांग्रेस के अधिवेशन में सम्राट जार्ज पंचम की उपस्थिति में गाया गया था।
> गुरुदेव के
> कथनानुसार उन्होंने इस गीत के माध्यम से दैवी शक्ति का आह्वान किया था एवं
> सम्राट जार्ज
> इस गीत के अधिनायक नहीं थे। इस समारोह के पश्चात इस गीत का कभी भी कोई
> राष्ट्रीय महत्व
> नहीं रहा।
>
> बन्दे मातरम सन् 1870 में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने ग्राम प्रवास के दौरान
> लिखा
> था।बाद में सन् 1882 में आनन्द मठ नामक उपन्यास में इसे गूंथ कर छापा गया।
>
> सन् 1923 तक बन्दे मातरम् भारतीय आकांक्षाओं एवं अस्मिता का प्रतीक चिन्ह
> रहा।प्रायः
> सभी राजनैतिक पार्टियों की सभाओं में यह गीत गाया जाता था।
>
> सन् 1905 के बंग भंग के खिलाफ छिड़ा आन्दोलन सम्भवतः ब्रिटिश भारत में पहला जन
> आन्दोलन
> था। इस आन्दोलन में हिन्दु व मुस्लिम दोनों वर्गों ने पूरे जोश के साथ हिस्सा
> लिया
> था। इस आन्दोलन का प्रेरणा गीत दोनो वर्गों के लिये “बन्दे मातरम्” ही था।
>
> सन् 1923 में पहली बार काकीनाड़ा में हो रहे कांग्रेस सम्मेलन में मौलाना अहमद
> अली
> ने इस गीत का विरोध किया। मूल विरोध का विषय था कि इस्लाम खुदा के अलावा किसी
> की वन्दना
> करने की इजाजत नहीं देता और इस गीत में मातृभुमि की वन्दना की गयी थी। बाद में
> क्षेपक
> के और पर में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनन्द मठ की पृष्ठभुमि
> (मुस्लिम
> जमींदारों के खिलाफ) के कारण इस गीत को इस्लाम विरोधी करार देकर मुद्दा बनाया
> गया।
>
> ये दोनों मुद्दे तथ्यों से परे सिर्फ अलगाव वादी राजनीति से प्रेरित थे।खिलाफत
> आन्दोलन,जो कि समग्र रूप से इस्लाम परक था, की सारी बैठकें “बन्देमातरम्” गीत
> से ही
> शुरु होती थी। तत्कालीन सारे मुस्लिम नेता यथा अली बन्धु,जिन्ना इस गीत के
> सम्मान में
> खड़े होते थे।
>
> “बन्देमातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व के सन्दर्भ में आनन्द मठ उपन्यास के
> पृष्ठभुमि
> की भुमिका अर्थहीन थी। इबादत या वन्दना का मुद्दा हास्यास्पद था। इस विषय में
> मौलाना
> अहमद रजा का 1944 में प्रकाशित लेख उल्लेखनीय है। उन्होंने लिखा था “”“हमारे
> कुछ मुस्लिम
> भाई जिन्दगी के कुछ साधारण तथ्य(जन्मभूमि का मातृभूमि रुप)  को इबादत या बुत
> परस्ती का नाम देकर,नकारने का प्रयास
> कर रहें हैं।माता पिता के चरण स्पर्श,नेताओं के दीवार पर चित्र टांगना आदरसूचक
> हैं,
> इसे बुतपरस्ती की संज्ञा देना गलत है।मेरा निवेदन है कि इस गीत को एक पावन गीत
> के रुप
> में ग्रहण करें न कि बुतपरस्ती के रुप में।””
>
> वाममार्गी इतिहासकार मजुमदार ने भी स्वीकार करते हुये कहा था कि “ सन् 1905 से
> 1947 तक बन्देमातरम् भारतीय राष्ट्रभक्तों का प्रेरणा गीत एवं हार्दिक
> अभिव्यक्ति थी।
> अंग्रेज पुलिसकर्मी की लाठी खाते हुये या फांसी के तख्ते पर यही गीत उनके
> होंठों पर
> था।”
>
> Government
> of India act 1935 के तहत 1937 में जब चुनाव हुये 11 राज्यों में कांग्रेस
> की सरकार गथित हुयी। मुस्लिम्स लीग ने एक बार फिर बन्देमातरम् के विवाद को
> उठाया।इस
> बार कांग्रेस ने गुत्थी सुलझाने हेतु तीन व्यक्तियों,यथा नेहरू जी,सुभाष बोस
> एवं जिन्ना,
> की एक समिति गठित की। इस समिति ने तुष्टीकरण स्वरुप इस गीत को खण्डित कर प्रथम
> दो पदों
> को ग्रहण किया।  अगले वर्ष पहली बार 1938 के
> कांग्रेसी अधिवेशन में सिर्फ पहले दो पदों को ही गाया गया।
>
> अब मुस्लिम लीग ने और भी कड़ा रुख अपनाते हुये मांग की कि  "बन्देमातरम् गीत
> को
> सम्पूर्ण रुप से कांग्रेस पार्टी त्यागे,आनन्दमठ से इस गीत का निष्कासन करे एवं
> उर्दू
> को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा आदि।” अब यह मुद्दा अलगाव वादी राजनीति का अंग बन
> चुका
> था। फिर भी जमीनी हकीकत यह थी कि बन्देमातरम् ही सभी स्वतन्त्रता सेनानियों का
> प्रेरणा
> गीत था।
>
> स्वाधीनता के पश्चात भारत के सभी शीर्षस्थ नेता बन्देमातरम् को ही राष्ट्रीय
> गीत
> के रुप में देखना चाहते थे।
>
> गांधी जी ने नेता 28अगस्त 1947 को कहा था कि बन्देमातरम् को लयबद्ध कर
> राष्ट्रीय
> गीत का दर्जा दिया जाये।
>
> गान्धी जी ने “जन गण मन” के सन्दर्भ में कहा था कि यह एक धार्मिक गीत है।
>
> महर्षि अरविन्द: बन्देमातरम् राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है अतएव इसे स्वतः ही
> राष्ट्रगीत
> की संज्ञा प्राप्त होती है।
>
> नेहरू जी की अकेले की मुस्लिम तुष्टी करण की भावना ने बन्देमातरम् को दोयम
> स्थान
> दिला ““जन गण मन”” को राष्ट्रीय गीत का स्थान दिलवाया
>
> बन्देमातरम् को मात्र एक गीत कह नकारना भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास
> को अनदेखा करना है।यह गीत
> हमारी भारत वर्ष की राष्ट्रीय धरोहर है। इसके खिलाफ फतवा जारी करना एक भीषण
> अलगाव वादी
> प्रक्रिया की परिचायक
> है।पुनश्च: बन्देमातरम् ,वन्देमातरम् की तुलना में अधिक सही है। क्योंकि यह गीत
> बंग्ला में लिखा गया था व बंग्ला लिपि में "व" अक्षर है ही नहीं।Kuldip Gupta
> BLOGS AT: http://kuldipgupta.blogspot.com/
>
> and at : http://kuldipgupta.rediffiland.com/iland/kuldipgupta.html
>
>
> Aerocom Private Limited
> S3/49 Mancheswar Industrial Estate
>
> Bhubaneswar 751010
>
> India
>
> Tel. 091 674 2585324
>
> 9337102459
>
> Fax 091 0674 2586332
>
>
>
> _________________________________________________________________
> New Windows 7: Simplify what you do everyday. Find the right PC for you.
> http://windows.microsoft.com/shop
> >
>


--
with regards
Dr. Bhanu Pratap Singh
MIG/A- 107, Shastripuram,
Sikandra-Bodla Road, Agra- 282007
 UP, INDIA- 282007
09412652233, 09927100220
blog-http://www.bhanuhindustan.blogspot.com





==============================================================================
 विषय: हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन
http://groups.google.com/group/hindibhasha/t/5d0dce3874e1dd16?hl=hi
==============================================================================

2 == का == 1
दिनांक: बुध 11 नव 2009 13:34
 Dinesh R Saroj  से:


हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन*
राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है।* - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।

*हिंदी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है।* - बाबूराम
सक्सेना।

*समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो
सकती है।* - (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर।

*हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है।* - शंकरराव कप्पीकेरी।

*अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा
थी, न कि उर्दू।* -रामचंद्र शुक्ल।

*राष्ट्रभाषा हिंदी का किसी क्षेत्रीय भाषा से कोई संघर्ष नहीं है।* - अनंत
गोपाल शेवड़े।

*दक्षिण की हिंदी विरोधी नीति वास्तव में दक्षिण की नहीं, बल्कि कुछ अंग्रेजी
भक्तों की नीति है।* - के.सी. सारंगमठ।

*हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है।* - वी. कृष्णस्वामी अय्यर।

*राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिंदी ही जोड़ सकती है।* - बालकृष्ण शर्मा *नवीन*।

*विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना
सांस्कृतिक दासता है।* - वाल्टर चेनिंग।

*हिंदी को तुरंत शिक्षा का माध्यम बनाइये।* - बेरिस कल्यएव।

*अंग्रेजी सर पर ढोना डूब मरने के बराबर है।* - सम्पूर्णानंद।

*एखन जतोगुलि भाषा भारते प्रचलित आछे ताहार मध्ये भाषा सर्वत्रइ प्रचलित।* -
केशवचंद्र सेन।

*देश को एक सूत्र में बाँधे रखने के लिए एक भाषा की आवश्यकता है।* - सेठ
गोविंददास।

*इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी
को समझते हैं।* - राहुल सांकृत्यायन।

*समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या
हिंदुस्तानी है।* -सर जार्ज ग्रियर्सन।

*मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर
फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर।* - चंद्रबली पांडेय।

*भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है।* - नलिनविलोचन शर्मा।

*जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने
लगी।* - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

*यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है।* -
शिवनंदन सहाय।

*प्रत्येक नगर प्रत्येक मोहल्ले में और प्रत्येक गाँव में एक पुस्तकालय होने की
आवश्यकता है।* - (राजा) कीर्त्यानंद सिंह।

*अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई।* -
भवानीदयाल संन्यासी।

*यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो
जाये?* - चंद्रशेखर मिश्र।

*साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है।* -
महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।

*जो साहित्य केवल स्वप्नलोक की ओर ले जाये, वास्तविक जीवन को उपकृत करने में
असमर्थ हो, वह नितांत महत्वहीन है।* - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

*भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है।* - टी. माधवराव।

*हिंदी हिंद की, हिंदियों की भाषा है।* - र. रा. दिवाकर।

*यह संदेह निर्मूल है कि हिंदीवाले उर्दू का नाश चाहते हैं।* - राजेन्द्र
प्रसाद।

*उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है।* - मुहम्मद हुसैन *आजाद*।

*समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा साहित्य
है।* - जनार्दनप्रसाद झा *द्विज*।

*मजहब को यह मौका न मिलना चाहिए कि वह हमारे साहित्यिक, सामाजिक, सभी क्षेत्रों
में टाँग अड़ाए।* - राहुल सांकृत्यायन।

*शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है।* -
शिवप्रसाद सितारेहिंद।

*हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम
नहीं है।* - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह।

*वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती है जो जनता का ठीक-ठीक प्रतिनिधित्व कर सके।
* - पीर मुहम्मद मूनिस।

*भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे उखाड़ने का
जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।* - शिवपूजन सहाय।

*चक्कवै दिली के अथक्क अकबर सोऊ, नरहर पालकी को आपने कँधा करै।* - बेनी कवि।

*यह निर्विवाद है कि हिंदुओं को उर्दू भाषा से कभी द्वेष नहीं रहा।* - ब्रजनंदन
दास।

*देहात का विरला ही कोई मुसलमान प्रचलित उर्दू भाषा के दस प्रतिशत शब्दों को
समझ पाता है।* - साँवलिया बिहारीलाल वर्मा।

*हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से
प्रकाशित हो रही है।* - छविनाथ पांडेय।

*देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है।* - रविशंकर
शुक्ल।

*हमारी नागरी दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक लिपि है।* - राहुल सांकृत्यायन।

*नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है।* - गोपाललाल खत्री।

*साहित्य का स्रोत जनता का जीवन है।* - गणेशशंकर विद्यार्थी।

*अंग्रेजी से भारत की रक्षा नहीं हो सकती।* - पं. कृ. पिल्लयार।

*उसी दिन मेरा जीवन सफल होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ शुद्ध हिंदी
में वार्तालाप करूँगा।* - शारदाचरण मित्र।

*हिंदी के ऊपर आघात पहुँचाना हमारे प्राणधर्म पर आघात पहुँचाना है।* -
जगन्नाथप्रसाद मिश्र।

*हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है।* -
देवव्रत शास्त्री।

*हिंदी और नागरी का प्रचार तथा विकास कोई भी रोक नहीं सकता*। - गोविन्दवल्लभ
पंत।

*भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है।* - रविशंकर शुक्ल।

*किसी साहित्य की नकल पर कोई साहित्य तैयार नहीं होता।* - सूर्यकांत त्रिपाठी *
निराला*।

*हार सरोज हिए है लसै मम ऐसी गुनागरी नागरी होय।* - ठाकुर त्रिभुवननाथ सिंह।

*भाषा ही से हृदयभाव जाना जाता है। शून्य किंतु प्रत्यक्ष हुआ सा दिखलाता
है।*- माधव शुक्ल।

*संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।* - डॉ. फादर कामिल बुल्के।

*भाषा विचार की पोशाक है।* - डॉ. जानसन।

*रामचरित मानस हिंदी साहित्य का कोहनूर है।* - यशोदानंदन अखौरी।

*साहित्य के हर पथ पर हमारा कारवाँ तेजी से बढ़ता जा रहा है।* - रामवृक्ष
बेनीपुरी।

*कवि संमेलन हिंदी प्रचार के बहुत उपयोगी साधन हैं।* - श्रीनारायण चतुर्वेदी।

*हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द
का बहिष्कार नहीं किया।* - राजेंद्रप्रसाद।

*देवनागरी अक्षरों का कलात्मक सौंदर्य नष्ट करना कहाँ की बुद्धिमानी है?* -
शिवपूजन सहाय।

*जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत
नहीं हो सकता।* - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।

*कविता कामिनि भाल में हिंदी बिंदी रूप, प्रकट अग्रवन में भई ब्रज के निकट
अनूप।* - राधाचरण गोस्वामी।

*हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है।* - शारदाचरण मित्र।

*हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।* - कमलापति त्रिपाठी।

*मैं उर्दू को हिंदी की एक शैली मात्र मानता।* - मनोरंजन प्रसाद।

*हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व
सँभालना है।* - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।

*नागरीप्रचारिणी सभा, काशी की हीरकजयंती के पावन अवसर पर उपस्थित न हो सकने का
मुझे बड़ा खेद है।* - (प्रो.) तान युन् शान।

*राष्ट्रभाषा हिंदी हो जाने पर भी हमारे व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर विदेशी
भाषा का प्रभुत्व अत्यंत गर्हित बात है।* - कमलापति त्रिपाठी।

*सभ्य संसार के सारे विषय हमारे साहित्य में आ जाने की ओर हमारी सतत् चेष्टा
रहनी चाहिए।* - श्रीधर पाठक।

*भारतवर्ष के लिए हिंदी भाषा ही सर्वसाधरण की भाषा होने के उपयुक्त है।* -
शारदाचरण मित्र।

*हिंदी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा है।* -
धीरेन्द्र वर्मा।

*जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी
के प्रेमी कहे जा सकते हैं।* - सेठ गोविंददास।

*कविता सुखी और उत्तम मनुष्यों के उत्तम और सुखमय क्षणों का उद्गार है।* -
शेली।

*भाषा की समस्या का समाधान सांप्रदायिक दृष्टि से करना गलत है।* -
लक्ष्मीनारायण *सुधांशु*।

*भारतीय साहित्य और संस्कृति को हिंदी की देन बड़ी महत्त्वपूर्ण है।* -
सम्पूर्णानन्द।

*हिंदी के पुराने साहित्य का पुनरुद्धार प्रत्येक साहित्यिक का पुनीत कर्तव्य
है।* - पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल।

*परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें।* - हरगोविंद सिंह।

*अहिंदी भाषा-भाषी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी-फूटी हिंदी बोलकर अपना काम
चला लेते हैं।* - अनंतशयनम् आयंगार।

*वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।* - मैथिलीशरण गुप्त।

*दाहिनी हो पूर्ण करती है अभिलाषा पूज्य हिंदी भाषा हंसवाहिनी का अवतार है।* -
अज्ञात।

*वास्तविक महान् व्यक्ति तीन बातों द्वारा जाना जाता है- योजना में उदारता, उसे
पूरा करने में मनुष्यता और सफलता में संयम।* - बिस्मार्क।

*हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और उसका दृश्यरूप या उसकी लिपि सर्वगुणकारी नागरी
ही है।* - गोपाललाल खत्री।

*कविता मानवता की उच्चतम अनुभूति की अभिव्यक्ति है।* - हजारी प्रसाद द्विवेदी।

*हिंदी ही के द्वारा अखिल भारत का राष्ट्रनैतिक ऐक्य सुदृढ़ हो सकता है।* -
भूदेव मुखर्जी।

*हिंदी का शिक्षण भारत में अनिवार्य ही होगा।* - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।

*हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित है।* - नन्ददुलारे वाजपेयी।

अकबर की सभा में सूर के *जसुदा बार-बार यह भाखै* पद पर बड़ा स्मरणीय विचार हुआ
था।*- राधाचरण गोस्वामी।

* *देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है।* - सुधाकर द्विवेदी।

*हिंदी साहित्य धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इस चतु:पुरुषार्थ का साधक अतएव
जनोपयोगी।*- (डॉ.) भगवानदास।

*हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की
अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।* - मैथिलीशरण गुप्त।

*वाणी, सभ्यता और देश की रक्षा करना सच्चा धर्म यज्ञ है।* - ठाकुरदत्त शर्मा।

*निष्काम कर्म ही सर्वोत्तम कार्य है, जो तृप्ति प्रदाता है और व्यक्ति और समाज
की शक्ति बढ़ाता है।* - पंडित सुधाकर पांडेय।

*अब हिंदी ही माँ भारती हो गई है- वह सबकी आराध्य है, सबकी संपत्ति है।* -
रविशंकर शुक्ल।

*बच्चों को विदेशी लिपि की शिक्षा देना उनको राष्ट्र के सच्चे प्रेम से वंचित
करना है।* - भवानीदयाल संन्यासी।

*यहाँ (दिल्ली) के खुशबयानों ने मताहिद (गिनी चुनी) जबानों से अच्छे अच्छे लफ्ज
निकाले और बाजे इबारतों और अल्फाज में तसर्रूफ (परिवर्तन) करके एक नई जवान पैदा
की जिसका नाम उर्दू रखा है।* - दरियाये लताफत।

*भाषा और राष्ट्र में बड़ा घनिष्ट संबंध है।* - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

*अगर उर्दूवालों की नीति हिंदी के बहिष्कार की न होती तो आज लिपि के सिवा दोनों
में कोई भेद न पाया जाता।* - देशरत्न डॉ. राजेंद्रप्रसाद।

*हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र और जाति की उन्नति।* - रामवृक्ष
बेनीपुरी।

*बाजारवाली बोली विश्वविद्यालयों में काम नहीं दे सकती।* - संपूर्णानंद।

*भारतेंदु का साहित्य मातृमंदिर की अर्चना का साहित्य है।* - बदरीनाथ शर्मा।

*तलवार के बल से न कोई भाषा चलाई जा सकती है न मिटाई।* - शिवपूजन सहाय।

*अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिये ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का
अधिकतम भाग पहले से ही जानता समझता है।* - महात्मा गाँधी।

*हिंदी को राजभाषा करने के बाद पूरे पंद्रह वर्ष तक अंग्रेजी का प्रयोग करना
पीछे कदम हटाना है।*- राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन।

*भाषा राष्ट्रीय शरीर की आत्मा है।* - स्वामी भवानीदयाल संन्यासी।

*हिंदी के राष्ट्रभाषा होने से जहाँ हमें हर्षोल्लास है, वहीं हमारा
उत्तरदायित्व भी बहुत बढ़ गया है।*- मथुरा प्रसाद दीक्षित।

*भारतवर्ष में सभी विद्याएँ सम्मिलित परिवार के समान पारस्परिक सद्भाव लेकर
रहती आई हैं।*- रवींद्रनाथ ठाकुर।

*इतिहास को देखते हुए किसी को यह कहने का अधिकारी नहीं कि हिंदी का साहित्य
जायसी के पहले का नहीं मिलता।* - (डॉ.) काशीप्रसाद जायसवाल।

*संप्रति जितनी भाषाएं भारत में प्रचलित हैं उनमें से हिंदी भाषा प्राय:
सर्वत्र व्यवहृत होती है।* - केशवचंद्र सेन।

*हिंदी ने राष्ट्रभाषा के पद पर सिंहानसारूढ़ होने पर अपने ऊपर एक गौरवमय एवं
गुरुतर उत्तरदायित्व लिया है।* - गोविंदबल्लभ पंत।

*हिंदी जिस दिन राजभाषा स्वीकृत की गई उसी दिन से सारा राजकाज हिंदी में चल
सकता था।* - सेठ गोविंददास।

*हिंदी भाषी प्रदेश की जनता से वोट लेना और उनकी भाषा तथा साहित्य को गालियाँ
देना कुछ नेताओं का दैनिक व्यवसाय है।* - (डॉ.) रामविलास शर्मा।

*जब एक बार यह निश्चय कर लिया गया कि सन् १९६५ से सब काम हिंदी में होगा, तब
उसे अवश्य कार्यान्वित करना चाहिए।* - सेठ गोविंददास।

*साहित्यसेवा और धर्मसाधना पर्यायवायी है।* - (म. म.) सत्यनारायण शर्मा।

*जिसका मन चाहे वह हिंदी भाषा से हमारा दूर का संबंध बताये, मगर हम बिहारी तो
हिंदी को ही अपनी भाषा, मातृभाषा मानते आए हैं।* - शिवनंदन सहाय।

*उर्दू का ढाँचा हिंदी है, लेकिन सत्तर पचहत्तर फीसदी उधार के शब्दों से उर्दू
दाँ तक तंग आ गए हैं।* - राहुल सांकृत्यायन।

*मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी
भारती।* - मैथिलीशरण गुप्त।

*गद्य जीवनसंग्राम की भाषा है। इसमें बहुत कार

Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages