मुडिया लिपि

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Neeraj Sharmaa

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Nov 26, 2007, 6:45:25 AM11/26/07
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समूह में कोई मुडिया लिपि के बारे में जानने वाला है या सीकर राजस्‍थान का रहने वाला हो और मुडिया लिपि का सेंम्‍पल उपलब्‍ध करवा सके तो कृपया अपना संदेश छोडे।
 
 

जीतू | Jitu

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Nov 26, 2007, 7:14:30 AM11/26/07
to Chit...@googlegroups.com
मैने मुड़िया लिपि सीखी थी, जब मै कानपुर मे गोवर्धन साड़ी वालों के यहाँ काम किया करता था। बाकायदा मैने मुड़िया मे एकाउन्ट बनाए थे, चिट्ठी पत्री भी करता था। मुड़िया लिपि का प्रयोग अक्सर व्यापारी खाते बनाने के लिए करते थे, ताकि गोपनीयता बनी रहे और इंकम टैक्स के पल्ले कुछ भी ना पड़े। इस लिपि मे बस एक ही खामी थी, इसमे मात्राए स्वयं समझनी पड़ती थी। उदाहरण के लिए :
 
राम अजमेर गया 
या
राम आज मर गया
 
दोनो एक ही तरीके से लिखा जाता है।
 
देखता हूँ, अगर कंही कुछ कागज पत्री पड़ी हो तो।
-जीतू

अनुनाद

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Nov 26, 2007, 8:21:53 AM11/26/07
to Chithakar
यदि इस लिपि के बारे में जानकारी को समवेत प्रयास से एकत्र करके इसका
दस्तावेजीकरण कर दिया जाय तो इसको अमर बनाया जा सकता है। अन्यथा कौन
जाने यह कब मृत, लुप्त या अप्राप्य हो जाय?

Neeraj Sharmaa

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Nov 27, 2007, 2:01:48 AM11/27/07
to Chit...@googlegroups.com
जीतूभाई आपसे निवेदन है कि इस संबंध में आप जितनी अधिक जानकारी व सेम्‍पल एकत्र कर सकें एवं उनके मेल मुझे भिजवा सके कृपया  कीजिये शायद आपका यह प्रयास हिन्‍दी के लिये बहुत बडा योगदान साबित हो जाये।
 
नीरज शर्मा

 
On 11/26/07, Neeraj Sharmaa <shrin...@gmail.com> wrote:

sanjay | जोग लिखी

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Nov 27, 2007, 3:58:53 AM11/27/07
to Chithakar
मेरे दादाजी इसके जानकार थे. यह देवनागरी में ही लिखी जाती थी/है.
मात्राए नहीं लगाई जाती है, इसलिए इसे पढ़ना जटील था/है. अब इसके दस्तावेज
मेरे पास नहीं बचे है. हाँ अगली बार राजस्थान जाना हुआ तो पुराने
दस्तावेज छान कर देखना पड़ेगा, तब तक मेरी ओर से कोई योगदान सम्भव नहीं.

Neeraj Sharmaa

unread,
Nov 27, 2007, 4:05:30 AM11/27/07
to Chit...@googlegroups.com
आप राजस्‍थान के किस जिले के निवासी हैं क्‍या किसी के संपर्क नम्‍बर दे सकते है।

Hariram

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Nov 27, 2007, 6:57:48 AM11/27/07
to Chithakar
जीतू भाई एवं नीरज भाई,

कुछ प्राचीन राजे-रजवाड़ों के जमाने के जारी किए गए, मकान-जमीन के पट्टे-
दस्तावेजों की प्रतियाँ तो मिल गईं हैं, जो मुड़िया लिपि में (विशेष
कपड़े जैसे कागज पर तथा चमड़े के बने कागज पर किसी विशेष स्याही से) लिखे
गए हैं। व्यापारियों के बही-खातों में मुड़िया लिपि का परवर्ती रूप
प्रयोग किया जाता हैं। कुछ और प्राचीन दस्तावेज मिल सकें तो बेहतर होगा।

मुड़िया( या मुळिया या मूल) लिपि क्या ब्राह्मी के बाद देवनागरी के
आरम्भिक काल की लिपि थी? संस्कृत की 'आक्षरिक' स्वरूपवाली वर्तमान
देवनागरी का विकास क्या इसके बाद में हुआ? इस विषय पर अभी शोध किया जाना
है।

हरिराम

हरिराम
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