किसी
भी देश का
भविष्य बालकों
पर निर्भर
करता है | जो
दम्पति सुविचारी,
सदाचारी एवं पवित्रात्मा
हैं तथा
शास्त्रोक्त
नियमों के
पालन में तत्पर
हैं ऐसे
दम्पति के घर
में दिव्य आत्माएँ
जन्म लेती हैं
| ऐसी संतानों
में बचपन से
ही सुसंस्कार,
सदगुणों के
प्रति आकर्षण
एवं दिव्यता
देखी जाती है | वर्त्तमान
में देश के
सामने बालकों
में
संस्कारों की
कमी यह एक
प्रमुख
समस्या है,
जिससे उबरने
ले हेतु संतानप्राप्ति
के इच्छुक
दम्पति को ब्रह्मज्ञानी
संतों-महापुरुषों
के दर्शन-सत्संग
का लाभ लेकर
स्वयं सुविचारी,
सदाचारी बनना
चाहिए, साथ ही
उत्तम संतानप्राप्ति
के नियमों को
भी जान लेना
चाहिए |
वास्तव
में पत्थर,
पानी, खनिज
देश की सच्ची
सम्पत्ति
नहीं हैं
अपितु ॠषि-परम्परा
के पवित्र
संस्कारों से
सम्पन्न तेजस्वी
बालक ही देश
की सच्ची
सम्पत्ति हैं
लेकिन मनुष्य
धन-सम्पत्ति
बढ़ाने में
जितना ध्यान
देता है उतना
संतान पैदा
करने में नहीं
देता | यदि
शास्त्रोक्त
रीति से शुभ मुहूर्त
में गर्भाधान
कर संतानप्राप्ति
की जाय तो वह
परिवार व देश
का नाम रोशन
करनेवाली
सिद्ध होगी |
गर्भाधान के
लिए 20 फरवरी 2008
तक ग्रहदशा
बहुत ही
अनुकूल है |
इसके प्रभाव
से उच्च आत्माएँ
पृथ्वी पर
आयेंगी |
उत्त्म संतानप्राप्ति
के लिए
सर्वप्रथम
पति-पत्नी का
तन-मन स्वस्थ होना
चाहिए | वर्ष
में केवल एक
ही बार
संतानोत्पत्ति
हेतु समागम
करना हितकारी
है |
रवि |
सोम |
मंगल |
बुध |
गुरु |
शुक्र |
शनि |
8 से 9 |
10.30 se 12 |
7.30 से 9 |
7.30 से 10 |
12 से 1.30 |
9 से 10.30 |
9 से 12 |
1.30 से 5 |
1.30 से 4 |
10.30 से 1.30 |
3 से 4.30 |
3 से 4 |
12 से 3.30 |
अहिरसि आयुरसि
सर्वतः प्रतिष्ठासि
धाता त्वां
दधातु
विधाता त्वां
दधातु ब्रह्मवर्चसा
भवेति |
ब्रह्मा
बृहस्पतिर्विष्णुः
सोम सूर्यस्तथाऽश्विनौ
| भगोऽथ मित्रावरुणौ
वीरं ददतु
मे सुतम् ||
हे
गर्भ ! तुम
सूर्य के समान
हो | तुम मेरी
आयु हो, तुम सब
प्रकार से
मेरी
प्रतिष्ठा हो
| धाता
(सबके पोषक
ईश्वर) तुम्हारी
रक्षा करें,
विधाता (विश्व
के निर्माता
ब्रह्मा) तुम्हारी
रक्षा करें |
तुम ब्रह्मतेज
से युक्त होओ |
ब्रह्मा,
बृहस्पति,
विष्णु, सोम,
सूर्य, अश्विनीकुमार
और मित्रावरुण
जो दिव्य शक्तिरूप
हैं, वे मुझे
वीर पुत्र
प्रदान करें |
चरक
संहिता, शारीरस्थान
: 8.8