ग्रेटर नोएडा, संवाददाता : यमुना एक्सप्रेस वे आवासीय योजना के भूखंड
हस्तांतरण को लेकर प्राधिकरण व रजिस्ट्री विभाग के बीच अभी सहमति नहीं बन
पाई है। हालाकि शुक्रवार को प्राधिकरण व रजिस्ट्री विभाग के बीच हुई बैठक
काफी सकारात्मक रही। प्राधिकरण अध्यक्ष ललित श्रीवास्तव ने दावा किया कि
आठ दिन के अंदर मामला पूरी तरह से सुलझ जाएगा।
यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण ने भूखंड हस्तांतरण के लिए नई नीति बनाई
थी। प्राधिकरण ने ढाई प्रतिशत शुल्क के साथ भूखंड हस्तानांतरण खोल दिया
था। लेकिन इस पर रजिस्ट्री विभाग ने यह कहकर अड़ंगा लगा दिया कि प्रथम
आवंटी को भूखंड की रजिस्ट्री होने तक दूसरी पार्टी के नाम उसे ट्रांसफर
नहीं किया जा सकता। अगर प्राधिकरण ऐसा करता है, तो इससे सरकार को राजस्व
का भारी नुकसान होगा। वहीं प्राधिकरण का कहना है कि नोएडा व ग्रेटर नोएडा
के शुरूआत दौर में भूखंड हस्तांतरण की सुविधा दी। जो काफी लंबे समय 2003
तक जारी रही थी। उसी नियम को यमुना प्राधिकरण भी अपना रहा है। प्राधिकरण
अध्यक्ष ललित श्रीवास्तव ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस वे अभी शुरूआती दौर
में है। शहर को बसाने के लिए आवंटियों को सुविधा देनी होगी। हस्तानांतरण
खुलने से न केवल धोखाधड़ी पर रोक लग सकेगी। बल्कि जरूरतमंद लोग भूखंड लेकर
उस पर रहने के लिए शीघ्र मकानों का निर्माण करेंगे। उन्होंने दावा किया
कि रजिस्ट्री विभाग के साथ अब तक हुई सभी बैठक काफी सकारात्मक हुई है।
इसलिए अगले आठ दिन में यह मामला पूरी तरह से सुलझ जाएगा। उन्होंने कहा कि
इस तरह के नियम पर विचार किया जा रहा है। जिससे रजिस्ट्री विभाग को भी
राजस्व की हानि न हो।
ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण की प्लाट ट्रांसफर पॉलिसी में एक नहीं कई
रोड़ा लग गए हैं। प्राधिकरण चाहता है कि कुल प्लाट की कीमत का ढाई फीसदी
शुल्क जमा हो जाए तो प्लाट को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसमें स्टांप
विभाग को एतराज है कि इससे प्रदेश सरकार को घाटा होगा। इसलिए प्राधिकरण
शासन से बात कर रहा है और कानूनी राय भी लेने में जुटा है, ताकि बाद में
कोई विवाद न हो। मानकर चला जा रहा है कि इसमें कोई न कोई ऐसा हल निकाल
लिया जाएगा, जो सभी को मान्य होगा। साथ ही आवंटी को कोई दिक्कत नहीं
होगी।
यमुना प्राधिकरण ने एक साथ 21 हजार प्लाटों की योजना का ड्रॉ करके तगड़ा
जुआ खेला है। चंूकि 21 हजार प्लाटों में एक पूरा शहर बसता है। प्राधिकरण
को जनसुविधाएं भी समय पर मुहैया करानी है। प्राधिकरण ने
300,500,1000,2000 और 4000 वर्ग मीटर के प्लाट दिए हैं। ग्रेटर नोएडा परी
चौक से यमुना हाइवे पर करीब 20 से लेकर 25 किलोमीटर दूर सेक्टर-18 और 20
में प्लाट हैं। बड़े प्लाट हाइवे के किनारे हैं और छोटे प्लाट हाइवे से
दूर हैं। प्लाटों की कीमत 4750 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। योजना सफल होने
के पीछे अहम कारण यही रहा कि एनसीआर में इतनी कम कीमत पर जमीन मिलनी संभव
नहीं है।
प्राधिकरण के सूत्र बताते हैं कि इतनी भारी संख्या में प्लाटों की स्कीम
का मतलब है कि बाजार में प्लाटों की खरीद फरोख्त खूब होगी। कहीं किसी के
साथ बेइमानी न हो और जो खरीददार हो, उसके लिए सहुलियत हो तो प्राधिकरण ने
पहले कहा कि अगर कोई एकमुश्त भुगतान करना चाहता है तो उसे कुल कीमत में
से दो फीसदी की छूट मिल जाएगी। इस निर्णय का लोगों को स्वागत किया।
इसके बाद दूसरा अहम निर्णय था कि अगर कोई प्लाट खरीदना चाहता है तो वह
कुल कीमत का ढाई फीसदी प्राधिकरण में जमा कर दें, तो प्लाट को ट्रांसफर
कर दिया जाएगा। इससे खरीददार और बेचने वालों को काफी राहत मिली। इसके साथ
ही ठंडे पड़े प्रॉपर्टी के बाजार में गर्मी आ गई। चंूकि निर्णय लीक से
हटकर था, इसलिए स्टांप विभाग ने आपत्ति की कि किसी भी जमीन की खरीद
फरोख्त तभी हो सकती है कि उसकी रजिस्ट्री की जा जाए। हालांकि प्राधिकरण
ने दलील दी कि प्लाट की रजिस्ट्री में चार साल का समय है। यह व्यवस्था
रजिस्ट्री से पहले की है। अब शासन से भी इस मुद्दे पर बात की जा रही है।
साथ ही कानूनी प्रक्रिया का भी पता किया जा रहा है। बताया जाता है कि एक
सप्ताह में कुछ न कुछ निर्णय हो ही जाएगा।