ठ्ठ राजकिशोर, नई दिल्ली उप्र चुनाव से पहले राज्य को चार हिस्सों में बांटने की सियासत अब उबाल मार रही है। नवंबर में ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बड़ा सियासी ट्रंप कार्ड खेलने की तैयारी कर रहीं मायावती के इस दांव की काट के लिए कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के बंटवारे की पैरवी कर उल्टे मायावती को विधानसभा में यह प्रस्ताव लाने की चुनौती दे दी है। कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा कि मायावती सरकार अगर उत्तर प्रदेश को चार भागों में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा में ला रही है तो कांग्रेस भी चाहती है कि बुंदेलखंड जैसे राज्य बनें। दरअसल, कांग्रेस इस मुद्दे पर हरकत में मायावती की सक्रियता देखकर आई है। मुख्यमंत्री मायावती ने 21 नवंबर से लेखानुदान लाने के नाम पर विधानसभा का सत्र बुलाया है। इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि उत्तर प्रदेश को पूर्वी, मध्य, पश्चिम और बुंदेलखंड में बांटने का प्रस्ताव बसपा सरकार ला सकती है। ठीक चुनाव से पहले बसपा के इस तरह के प्रस्ताव के सियासी मायने साफ हैं। कांग्रेस इस मामले में मायावती को बढ़त नहीं लेने देना चाहती। सूत्रों के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हरित प्रदेश में बांटने की पैरवी करते रहे राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह से भी कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की बातचीत हुई है। अजित सिंह का तो यह पुराना मुद्दा ही रहा है और वह इसका फायदा किसी भी कीमत में बसपा के खाते में नहीं जाने देना चाहते। कांग्रेस-रालोद गठबंधन लगभग तय ही हो चुका है। अजित सिंह राज्य के पुनर्गठन की मांग कर रहे हैं, जिसका कांग्रेस ने भी सियासी हवा देखते हुए समर्थन कर दिया है। दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश के सियासी बंटवारे के संकेत देते हुए कहा कि हम हमेशा से छोटे राज्यों के समर्थन में हैं। लेकिन इस पर सियासत नहीं होनी चाहिए। हमारा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि सही तरीके से गठन के लिए द्वितीय राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया जाए। इस बारे में उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रस्ताव आने पर हम अपने प्रदेश के नेताओं से बात कर फैसला करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व शीर्ष स्तर पर मायावती का प्रस्ताव आने पर समर्थन का मन बना चुका है। कांग्रेस का समर्थन इसलिए भी अहम है, क्योंकि मायावती के लिए यह प्रस्ताव विधानसभा में प्रचंड बहुमत यानी दो तिहाई मतों से पारित कराना बगैर कांग्रेस के संभव नहीं होगा। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हमेशा से छोटे राज्यों का विरोध करते रहे हैं। बसपा के भी खुद 45 विधायकों के टिकट कट रहे हैं, उनमें से भी ज्यादातर के बागी होने के पूरे आसार हैं। ऐसे में कांग्रेस के 22 और रालोद के 10 विधायकों का समर्थन बहुमत को मजबूत करेगा।