[World Of Sai Group] श्री साईं लीलाएं - योगी का आत्मसमर्पण
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साईं का हनी
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Aug 31, 2014, 2:30:02 PM8/31/14
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ॐ सांई राम
कल हमने पढ़ा था..सबका रखवाला साईं
श्री साईं लीलाएं योगी का आत्मसमर्पण एक बार चाँदोरकर के साथ एक सज्जन साईं बाबा से मिलने के लिए शिरडी आये थे| उन्होंनेयोग साधना के अतिरिक्त अनेक ग्रंथों का भी अध्ययन किया था, लेकिन उन्हें जरा भीव्यावहारिक ज्ञान नहीं था| पलमात्र भी वे समाधि लगाने में सफल नहीं हो पाते थे| उनके समाधि साधने में बाधा आती थी| उन्होंने विचार किया कि यदि साईं बाबा उन परकृपा कर देंगे तो उनकी समाधि लगाने के समय आने वाली बाधा समाप्त हो जाएगी| अपने इसीउद्देश्य से वे चाँदोरकर के साथ शिरडी आये थे| चाँदोरकर के साथ जब वे साईंबाबा के दर्शन करने के लिए मस्जिद पहुंचे तो उस समय साईं बाबा जुआर की बासी रोटी औरकच्ची प्याज खा रहे थे| यह देखकर वह सज्जन सोचने लगे कि जो व्यक्ति कच्ची प्याज केसंग बासी रोटी खाता हो, वह मेरी समस्या को कैसे दूर कर सकेगा? साईं बाबा तोअंतर्यामी थे| किसके मन में क्या विचार पैदा हो रहे हैं, यह उनसे छिपा न था| बाबाउन सज्जन के मन की बात जानकर नाना चाँदोरकर से बोले - "नाना ! जो प्याज को हजम करनेकी ताकत रखता है, प्याज भी उसी को खाना चाहिए, दूसरे को नहीं|" वह सज्जन जोस्वयं को योगी समझते थे, बाबा के शब्दों को सुनकर अवाकू रह गये और उसी पल बाबा केश्रीचरणों में नतमस्तक हो गये| बाबा ने उसकी सारी समस्यायें जान लीं और उसे उनकासमाधान भी बता दिया| बाद में वे सज्जन बाबा के दर्शन कर जब वापस लौटने लगेतो बाबा ने उन्हें आशीर्वाद और ऊदी प्रसाद के साथ विदा किया|
कल चर्चा करेंगे... सर्प विष-निवारक था
ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।