यह सही है कि जो पुश्तैनी संपत्ति है अर्थात संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति है उस की वसीयत नहीं की जा सकती है। लेकिन किसी भी संपत्ति को पुश्तैनी कहने वाले को ही यह साबित करना पड़ेगा कि वह संपत्ति पुश्तैनी संपत्ति है।यह साबित कर देने पर वसीयत बेमानी हो जाएगी।
आप अपने मुकदमे में सही चल रहे हैं। किसी भी वसीयत को फर्जी साबित करने के लिए उस की मूल प्रति की जाँच होना आवश्यक है। जिस के कब्जे में वह वसीयत है उसे ला कर पेश करनी पड़ेगी। अन्यथा वह वसीयत का लाभ नहीं ले सकता। आप के मामले में वसीयत पर अंगूठा है जो मरने के बाद भी लगाया जा सकता है। इस बात को भी ध्यान में रखना पड़ेगा। लेकिन वसीयत का एक मात्र गवाह यदि यह बयान देता है कि उस के हस्ताक्षर बाद में कराये गये थे तो वसीयत फिर भी बेमानी साबित हो जाएगी। क्यों कि वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर कम से कम दो गवाहों के सामने होने चाहिए।
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दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
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