बेनामी संपत्ति

109 views
Skip to first unread message

दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Sep 12, 2010, 11:53:38 AM9/12/10
to हिन्दी विधि चर्चा समूह
श्री बी एम शाह एडवोकेट ने मुझे तीसरा खंबा पर एक प्रश्न भेजा है---
brother akele pattedar ho par sampatti sayukt ho to kya bhumi use
milegi
भाई अकेले पट्टेदार हों पर संपत्ति संयुक्त हो तो क्या भूमि उसे मिलेगी?
एक तो यह कि यह प्रश्न अधूरा है और स्पष्ट नहीं है। किसी भी प्रश्न को
हमें स्पष्ट रूप में रखना चाहिए, जिस से उत्तर देने वाले को समस्या नहीं
हो। दूसरे, तीसरा खंबा पर कानूनी सलाह के मंच का उपयोग साधारण पाठक करें
तो अच्छा है। हम जो लोग वकील हैं या किसी भी प्रकार से विधि के व्यवसाय
या काम से जुड़े हैं बहस के लिए, हिन्दी विधि चर्चा समूह का प्रयोग कर
सकते हैं। यहाँ कोई भी एक सदस्य प्रश्न रख सकता है वह प्रश्न सभी सदस्यों
को ई-मेल के माध्यम से मिल जाएगा तब कोई भी सदस्य उस प्रश्न का उत्तर दे
सकता है। उत्तर भी अनेक नए प्रश्न उत्पन्न कर सकता है। तब सभी सदस्य अपनी
राय रख सकते हैं।
इस प्रश्न पर मेरी राय यह है कि यदि संपत्ति संयुक्त है और वह परिवार के
किसी सदस्य के नाम है तो ऐसी संपत्ति बेनामी संपत्ति कहलाएगी। अब बेनामी
संपत्ति के संबंध में कानून यह है कि यदि किसी संपत्ति के स्वामित्व के
दस्तावेज किसी व्यक्ति विशेष के नाम हैं तो वह उसी की संपत्ति मानी
जाएगी। लेकिन उस में यह अपवाद है कि कोई संपत्ति किसी भी व्यक्ति के नाम
से परिवार के उपयोग या लाभ के लिए खरीदी गई है तो उस संपत्ति को संयुक्त
संपत्ति माना जाएगा। लेकिन इस तथ्य को कि कोई संपत्ति संयुक्त संपत्ति है
साक्ष्य से उस पक्ष को साबित करना पड़ेगा जो व्यक्ति यह दावा करता है कि
संपत्ति संयुक्त है।

shekhawat

unread,
Sep 12, 2010, 1:12:33 PM9/12/10
to हिन्दी विधि चर्चा समूह
मै दिनेश जी की राय से पूर्णतया सहमत हूं। यदि वादी यह साबित करने में
सफल रहता है कि सम्पत्ति संयुक्त परिवार की आय से खरीदी गयी है तो निश्चय
ही न्यायालय ऐसे मामले में वादी के पक्ष में निर्णय करेंगा। जहाँ तक
बेनामी सम्पत्ति को साबित किये जाने का प्रश्न है इसमें वर्तमान में
सम्पत्ति पर सभी सहदायियों का कब्जा होना, पट्टा प्राप्त करते समय
प्रतिफल राशि का भुगतान वादी/वादीगण द्वारा किया जाना, पट्टा अकेले भाई
के नाम से प्राप्त किये जाने के पीछे मात्र भाई का सबसे बड़ा होना आदि-आदि
को साबित करके किया जा सकता है। इसके अलावा सम्पत्ति के उपयोग में किये
जाने वाले भुगतान की रसीदों यथा बिजली, पानी आदि के मूल बिल वादीगण के
कब्जे में हो तो यह भी वाद को साबित करने में सहायक होगें। केवल पिता
द्वारा प्रतिफल राशि अदा कर पुत्र के नाम से सम्पत्ति क्रय किये जाने
मात्र से सम्पत्ति को बेनामी घोषित नहीं करवाया जा सकता।

दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Sep 12, 2010, 1:20:00 PM9/12/10
to vidhic...@googlegroups.com
शेखावत जी, जानकारी बढ़ाने के लिए धन्यवाद। जरा इस समूह के सदस्यों की संख्या भी बढनी चाहिए और संवाद भी।
--
दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
क्लिक करें, ब्लाग पढ़ें ...  अनवरत    तीसरा खंबा

Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages