defence of 125 crpc

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Bal Mukund Shan

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Feb 1, 2011, 9:43:28 AM2/1/11
to vidhic...@googlegroups.com, bmshah....@gmail.com

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                                        9826310378]9039338388]07805266174

दिनेशराय द्विवेदी

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Feb 1, 2011, 10:28:58 AM2/1/11
to vidhic...@googlegroups.com
बाल मुकुन्द जी
आप ने अपने संदेश को कृतिदेव फोंट में टाइप कर के यहाँ पेस्ट कर दिया है। लेकिन कम्प्यूटर इस फोंट की भाषा नहीं जानता। वह इसे अंग्रेजी समझता है। इस तरह आप के इस संदेश को कोई भी नहीं पढ़ पा रहा है।  मैं इस का फोंट यूनिकोड मंगल में बदल कर आप का संदेश यहाँ पुनः रख रहा हूँ।


आदरणीय समस्त विधि सलाहकार गण नमस्कार,

 

    एक मेरे पास मामला हैजिसमे मैं पति की ओर से अधिवक्ता हूं इस मामले मे विचारण न्यायालय द्वारा 1200@-रूपया प्रतिमाह भरणपोषण की राशि देने का आदेश पारित हुआ है जिस आदेश के विरूद्ध मेरे  मुवक्किल द्वारा अपील@निगरानी की गयी है। चूकि मेरा मुवक्किल अपने पत्नी को रखना चाहता है परन्तु उसकी पत्नी उसके साथ नही जाना चाहती है मेरा मुवक्किल जो पति है बेरोजगार है तथा कमाई का कोई जरिया उसके पास नही है अक्सर बिमार रहता है काफी अनुनय विनय अपने पत्नी से अपने साथ रहने के लिये कर चुका है परन्तु उसकी पत्नी कहती है की हम तुम्हारे साथ नही जायेगे हम तुमसे आदेश हुआ 1200@- रूपये लेगे यदि तुम पैसा नही दोगे तो तुम्हे जेल भेजवायेगे तुम्हारा बाप परेसान होकर पैसा देगा ही मेरा मुवक्किल परेसान है प्रकरण अन्तिम तर्क मे नियत है कृप्या सही सलाह दिजिये जिससे मेरा मुवक्किल सफल हो सके क्योकि वह अपने पत्नी को रखना चाहता है परन्तु उसका भरण पोसण देने मे सक्षम नही है मेरे मुवक्किल के पक्ष मे जो भी साइटेसन हो उनका भी हवाला अपने सहयोग मे प्रदान करे ।

                             बाल मुकुन्द साह एडवोकेट
                             जिला न्यायालय, सिंगरौली, मध्य प्रदेश
                             मोबाइल नं.   9826310378, 9039338388, 07805266174



2011/2/1 Bal Mukund Shan <bmshah....@gmail.com>



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दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
क्लिक करें, ब्लाग पढ़ें ...  अनवरत    तीसरा खंबा

राकेश शेखावत Rakesh शेखावत Shekhawat

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Feb 1, 2011, 9:01:27 PM2/1/11
to vidhic...@googlegroups.com

बाल मुकुन्द जी,
 साधारणतया भारतीय न्यायालय भरण-पोषण के आदेश के समय इस अवधारणा से काम करते है कि शादी की है तो भरण-पोषण तो देना ही होगा लेकिन पत्नी का अपने पति के घर को बिना कोई युक्तियुक्त कारण के छोड़ देना निश्चय ही भरण-पोषण के लिए मना करने का अच्छा आधार है। इसके लिए नीचे कुछ न्यायिक दृष्टान्त आपके लिए दे रहा हू:-
ROHTASH SINGH Vs. SMT. RAMENDRI AND ORS.-Supreme Court
( 2000 AIR 952, 2000( 2 )SCR 58, 2000( 3 )SCC 180, 2000( 2 )SCALE194 , 2000( 2 )JT 553)
Partha Pratim Basak vs Arundhuti Basak -Calcutta High Court
2007 (4) CHN 1032 (Link http://indiankanoon.org/doc/1322679/1)
SLP (Crl) No. 8854    Of   2009  POONAM Vs. MAHENDER KUMAR, date of decision (SC) 16-11-2009



2011/2/1 दिनेशराय द्विवेदी <drdwi...@gmail.com>



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राकेश शेखावत

7/86 विद्याधरनगर, जयपुर(राजस्थान)
मेरे चिठ्ठे
http://rajasthanlawyer.blogspot.com/
http://importantjudgement.blogspot.com/

दिनेशराय द्विवेदी

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Feb 1, 2011, 9:31:36 PM2/1/11
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धन्यवाद,
राकेश जी!
बालमुकुंद जी और दूसरे साथी इन न्यायिक दृष्टांतों से अवश्य लाभान्वित होंगे।
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