बाल मुकुंद जी,
नमस्कार!
चूंकि इस महिला ने जिस व्यक्ति से विवाह किया था वह पहले से विवाहित था और उस ने अपनी पूर्व पत्नी से विवाह विच्छेद नहीं किया था। इस तरह यह विवाह प्रारंभ से ही शून्य था और इस महिला को पत्नी का दर्जा प्राप्त नहीं था। हालांकि भारत में अनेक जातियों में इस तरह के विवाह को मान्यता मिल जाती है और इस तरह साथ रहने वाली स्त्री को पत्नी के समान ही अधिकार प्राप्त हो जाते हैं यदि वह स्त्री उस व्यक्ति के साथ लंबे समय तक साथ रही हो और समाज में दोनों पति-पत्नी के रूप में जाने गए हों। लेकिन कानून के अनुसार यह एक प्रकार का लिव-इन-संबंध ही है।
सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में
D.Velusamy vs D.Patchaiammal के मामले में दिए गए निर्णय में इस तरह के संबंध को मान्यता दी है। इस तरह के सम्बंध में रहने वाली स्त्री घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत भरण पोषण के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती है। इस के अतिरिक्त भारतीय दंड संहिता की धारा 493 के अंतर्गत भी किसी पुरुष द्वारा अपने पूर्व में विवाहित होना छुपा कर तथा यह प्रदर्शित कर के कि वह उस स्त्री का विधिपूर्वक विवाहित पति है स्त्री को साथ रखता है और सहवास करता है तो दंडनीय अपराध है जिसमें अधिकतम दस वर्ष तक के कारावास की सजा है। यह स्त्री उस पुरुष पर दबाव बनाने के लिए 493 भा.दं.सं. के अंतर्गत भी न्यायालय को परिवाद प्रस्तुत कर सकती है।
आप ऊपर मुकदमे के उनवान पर क्लिक करेंगे तो आप को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मिल जाएगा।
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दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
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