राजस्व निरिक्छ्क के वरसाना को निरस्त कर रखेल के पूर्व पति की संतन की
पत्नी के पक्छ मे नमत्र्ण कर
दिया जिसकी अपील अनुविबिगीय अदिकारी की यहाँ की गए उनुने पूर्व मे दिए गए
सक्छ की विव्च्न्ना कर यह
अदेस दिया की वसीयत सदिग्ग्द है अत हिनू उत्रदिकर की अनुसार अंतरं किया
जाये जिसे तसिल दर के यहाँ
वापस भेज दिया ,इस अदेस की कोइ अपील नही की गयी ,तसल दर ने एस अदेस के
विपरीत फिर वसीहत के
अधर पर नम्त्र्ण करने का निर्णय लिया ,जिसकी अपील फिर अनुविभागीय अधिकारी
के यहाँ की गयी ,अब
दूसरे अधिकारी एस पद पर थे उन्हों ने तसिल दर के फैसले मे बदलाव नहीं
किया ,जिसकी अपील कमिश्नर के
यहाँ की गयी ,जिम वे ये लिखते हुए अपील ख़ारिज कर दी की वसीयत वसीयत को
फर्जी व संदिग्ध घोषित
करने का अधिकार राजस्व नायालय को नहीं है .उसके लिये सक्छम नायालय से
उपचार प्रप्त किया जा सकता
है .इसके बाद बवाहर नायालय मे वसीयत को फर्जी घोषित करने व उतरा धिकारी
घोषित करने का वाद लगाया
गया इसमे लगभग १३ वार्स राजस्व नायालय मे लगे .अब प्रकरण अबधि बाधित नहीं
है इसका कोई न्याय
द्र्स्तंत चाहिए की राजस्व नायालय मे की गयी सद्भाविक कार्य वही मे लगा
समय लिम्तेसन से निकल जाये
गा व कमिश्नर के फैसले दिनक से वाद हेतुक मन जाये गा
माननीय विद्ववान कानून विद मार्ग दर्सन करे
श्रवण द्विवेदी अधिवक्ता