विदेह ३८१ म अंक ०१ नवम्बर २०२३ (वर्ष १६ मास १९१ अंक ३८१) http://www.videha.co.in/index.htm पर
ऐ अंकमे अछि:-
१.१.गजेन्द्र ठाकुर- नूतन अंक सम्पादकीय
१.२.विदेह ई-लर्निङ्ग
१.३.अंक ३८० पर टिप्पणी २.गद्य खण्ड
२.१.परमानन्द लाल कर्ण- गीता सार
२.२.योगानन्द झा- बदलि रहल अछि सभ किछुःपाठकीय प्रतिक्रिया
२.३.लालदेव कामत-जुवराजजीक 'परिचय' एक अनुशीलन, लघु कथा- चिकनठोपा, हमरा बिनु जगत सुन्ना छै: पाठकीय प्रतिक्रिया, स्वनाम धन्य शिरोमणी, पाठकीय प्रतिक्रिया, उपन्यास बनाम वायोग्राफी, दिनकर जीक उत्कर्ष, मिथिला विभूति : खुशी लाल बाबू
२.४.निर्मला कर्ण- अग्नि शिखा (खेप-३०)
२.५.कुमार मनोज कश्यप- लघुकथा-संवेदना
२.६.रबीन्द्र नारायण मिश्र-ठेहा परक मौलाएल गाछ (उपन्यास)- धारावाहिक
२.७.किशन कारीगर-मिथिला मैथिली के नाम पर दललपनी आ चलकपनी
२.८.कुंदन कर्ण- बीहनि कथा- निर्णय
२.९.रामचन्द्र राय- नशामुक्त गाम
२.१०.रामेश्वर प्रसाद मंडल- दिव्य दृष्टि 'क बहुचर्चित लेखक लालदेव कामत
२.११.डा० गंगाधर कुँवर "हर्ष"- भावना आ प्रेरणा
२.१२.नन्द विलास राय- मोंछमे घी उर्फ परिश्रम
३.पद्य खण्ड
३.१.आशीष अनचिन्हार- दूटा गजल
३.२.जगदानन्द झा 'मनु'- दू टा गजल
३.३.राज किशोर मिश्र-जनसंख्या-विस्फोट
३.४.रामानन्द मण्डल-डोम के चान!/ धर्म युद्ध!/ हम बिहार छी/ हो भासा विग्यानी/ कि हम आजाद छी?
३.५.प्रमोद झा 'गोकुल'- आङ उघार छी हम