[Uma Mahadev] भगवान गणेश के जन्म की पूरी कथा

5 views
Skip to first unread message

Uma Mahadev Group

unread,
Dec 28, 2012, 10:16:15 PM12/28/12
to umamaha...@googlegroups.com

ॐ नमः शिवाय

 

भगवान गणेश के जन्म की पूरी कथा


गणेश जी के जन्म की कहानी बहुत रोमांचक है। बहुत बहुत साल पहले जब पृथ्वी पर राक्षसों का आतंक बढ़ गया था, तब महादेव शिव देवों की सहायता करने शिवलोक से दूर गए हुए थे। माता पार्वती, शिव भगवान की धर्मपत्नी, शिवलोक में अकेली थीं। जब पार्वतीजी को स्नान करने की इच्छा हुई तो उन्हें घर के सुरक्षा की चिंता हुई।

वैसे तो शिवलोक में शिव जी की आज्ञा के बिना कोई पंख भी नहीं मार सकता था, पर उन्हें डर था कि शिव जी की अनुपस्थिति में कोई अनाधृकित प्रवेश ना कर जाए। अतः उन्होंने सुरक्षा के तौर पर अपनी शक्ति से (माता पार्वती को माता शक्ति भी कहा जाता है) एक बालक का निर्माण किया, और उनका नाम रखा गणेश। उन्होंने गणेश जी को प्रचंड शक्तियों से नियुक्त कर दिया और घर में किसी के भी प्रवेश करने से रोकने के कड़े निर्देश दिये। इसी के साथ माता पार्वती अपने स्नान प्रक्रिया में व्यस्त हो गईं और गणेश जी अपनी पहरेदारी में लग गए।

इधर राक्षसों पर देवों का पलड़ा भारी पड़ रहा था। शिव जी युद्ध में विजयी हुए और खुशी-खुशी शिवलोक की तरफ चल पड़े। घर पहुँचकर सर्वप्रथम उन्होंने पार्वति माता को अपने विजय का समाचार सुनाने की इच्छा की। परन्तु शिव जी के प्रभुत्व से अनजान गणेश जी ने उन्हें घर में प्रवेश करने से रोक दिया। अपने ही घर में प्रवेश करने के लिए रोके जाने पर शिव जी के क्रोध का ठिकाना ना रहा। उन्होंने गणेश जी का सर धड़ से अलग कर दिया और घर के अंदर प्रवेश कर गए।

जब पार्वती जी को यह कहानी सुनाई उन्हें गणेश जी के मृत होने का समाचार सुनकर बड़ा रोष आया। उन्होंने शिव जी को अपने ही पुत्र का वध करने की दुहाई दी और उनसे गणेश जी को तुरन्त पुनर्जिवित करने का अनुरोध किया। रूठी पार्वती माता को मनाने के अलावा शिव जी के पास कोई दूसरा रास्ता भी ना था।

शिव जी ने कहा कि गणेश जी का सर पुनः धड़ से तो नहीं जोड़ा जा सकता, परन्तु एक जीवित प्राणी का सर स्थापित जरूर किया  जा सकता है। शिव जी के सेवक जंगल में ऐसे प्राणी को ढूँढने निकले जो उत्तर दिशा की तरफ सर रख कर सो रहा हो। ऐसा ही एक हाथी जंगल में उत्तर दिशा की तरफ मुख किए सो रहा था। शिव जी के सेवक उसे उठा कर ले आए।

शिव जी ने हाथी का सर सूँड़-समेत गणेश जी के शरीर से जोड़ दिया और इस प्रकार गणेश जी के शरीर में पुनः प्राणों का संचार हुआ। इतना ही नहीं, शिव जी ने यह भी उद्घोष्ना की कि पृथ्वीवासी किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पहले गणेश भगवान की अराधना करेंगे और शुभारंभ के आशीर्वाद की लालसा करेंगे।
Visit Us at :-

For Daily SAI SANDESH By E-mail:-

For Daily Sai Sandesh On Your Mobile
(Only in India)
if your number is not in DND.
 
Type ON WORLDOFSAIGROUP
In your create message box
and send it to
 
SMS Channels are temporarily paused due to rise in bulk SMS costs.
We apologize for the inconvenience.


--
Posted By Uma Mahadev Group to Uma Mahadev on 12/29/2012 08:46:00 AM
Reply all
Reply to author
Forward
0 new messages