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शनिवार 24 अगस्त 2013 प्रस्तुतकर्ता :- उमा महादेव ग्रुप
ॐ नमः शिवाय
शिव का धाम कैलाश मानसरोवर
धर्मयात्रा में इस बार हम आपको दर्शन करा रहे हैं कैलाश मानसरोवर
के। मानसरोवर वही पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। पौराणिक
कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभु का धाम है।
यही वह पावन जगह है, जहाँ शिव-शंभु विराजते हैं।कैलाश पर्वत, 22,028 फीट ऊँचा एक पत्थर का पिरामिड, जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा
करने, शिव-शंभु की आराधना करने, हजारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक
यहाँ एकत्रित होते हैं, जिससे इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफी बढ़
जाती है। मान्यता
है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी
प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों
का समागम होता है, जो ‘ॐ’
की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी
जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की
तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम,
पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना
जाता है।
पौराणिक
मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के
करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहाँ प्रभु शिव
उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते
हैं। यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के सभी तीर्थ स्थानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’
की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर
आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। वहीं जैन धर्म के पहले तीर्थंकर
ने भी यहीं निर्वाण लिया। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी
यहाँ ध्यान किया था।
मानसरोवर
झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है।
प्राचीनकाल से विभिन्न धर्मों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान
से जुड़े विभिन्न मत और लोककथाएँ केवल एक ही सत्य को प्रदर्शित करती हैं,
जो है सभी धर्मों की एकता। मानसरोवर दर्शन ऐसा
माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों
तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है।
बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके
फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार
करने में सक्षम हैं।
--
Posted By उमा महादेव ग्रुप to Uma Mahadev on 8/24/2013 08:52:00 am
उमा महादेव ग्रुप
unread,
Aug 23, 2013, 11:23:06 PM8/23/13
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Posted By उमा महादेव ग्रुप to Uma Mahadev on 8/24/2013 08:53:00 am