@ तीसरा विश्व युद्ध जारी है :* डा. अमिताभ शुक्लदूसरे विश्व युद्ध में हुए नुकसान के पश्चात चिंतकों ,विचारकों द्वारा दो प्रकार के अनुमान व्यक्त किए गए थे । प्रथम : यह अनुमान कि , तीसरा विश्व युद्ध नहीं होगा , और दूसरा यह कि ,यदि होगा तो " रासायनिक युद्ध " होगा । यह दोनों ही अनुमान मेरी दृष्टि में वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर " कोरोना त्रासदी " के साथ ही खंडित हो चुके हैं ।" कोरोना " तीसरा " विश्व युद्ध " ही था यह मेरी स्पष्ट राय थी और बाद में यही विचार अमेरिका के तीन बार पुलितजर पुरस्कार प्राप्त एक ख्याति प्राप्त पत्रकार द्वारा व्यक्त किए गए थे और भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी किसी संदर्भ में यह राय व्यक्त की थी।दरअसल , अतीत में जिस प्रकार प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों की कल्पना नहीं की गई होगी उस प्रकार ही तीसरे विश्व युद्ध और एक नए रूप में घटितकोरोना रूपी तीसरे विश्व युद्ध की भी कल्पना नहीं की गई थी .वस्तुत: जिस प्रकार से वैज्ञानिक आविष्कारों का विकास होता है और निरंतर शोध और पूंजी निवेश द्वारा नए आविष्कार जन्म लेते हैं उनकी कल्पना विश्व को नहीं होती है। वैसे ही जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय प्रयुक्त और हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों की कल्पना उनके प्रयोग के पूर्व तक नहीं की गई थी ।कोरोना को मैने तीसरे विश्व युद्ध के नए रूप में होने के कारण " विश्व व्यापार युद्ध " की संज्ञा दी थी और जो तथ्य और विश्लेषण सामने आए उनसे इस बात की पुष्टि भी हुई कि , किस तरह विश्व में व्यापार हुआ , त्रासदी का जन्म कैसे और किन उद्देश्यों से हुआ और इसमें किनके द्वारा अकूत पूंजी निवेश किया गया था.इसके बाद विश्व के शक्ति संतुलन की दिशा में भी परिवर्तन हुआ और विश्व व्यापार के ढांचे में भी .और इसके बाद यह सिलसिला रुका नहीं है।दूसरे सामान्य शब्दों में यह नए स्वरूप हैं जिनमें सामान्य व्यक्ति तीसरे विश्व युद्ध के विषय में सोच ही रहा था या सोच ही रहा है जबकि , तीसरा विश्व युद्ध प्रारंभ हो कर चल ही रहा है और उसके प्रभावों से प्रभावित अधिकांश विश्व को इसकी प्रतीति भी नहीं हो रही है।युद्ध के नए ,नए रूपों की अपेक्षा सामरिक दृष्टि से तीन वर्षों से जारी " रूस _ यूक्रेन युद्ध " भी इस प्रकार का एक भिन्न उदाहरण है जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विश्व की महाशक्तिया और अनेक देश सम्मिलित हैं और विश्लेषण से ज्ञात होता है कि , भारत सहित अधिकांश विश्व इससे प्रभावित हुआ है।और इस युद्ध के मूल में " व्यापारिक हित " हैं और महाशक्तियों के आर्थिक हित.दूसरा ताजा उदाहरण " इजरायल _ ईरान युद्ध " है जिसके अदृश्य मूल में भी व्यापारिक हित ही हैं और महाशक्तियों के हित होने से वह दृश्य और अदृश्य रूप से इसमें शामिल हैं।वास्तव में अब प्रति दिन ही " विश्व युद्ध " है , इनके दुष्प्रभावों से विश्व की बहुसंख्यक जनता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुई है , हो रही है और होती रहेगी चूंकि , यह अदृश्य विश्व युद्ध नए ,नए रूपों में लंबे समय तक जारी रहेगा और इसकी पूर्णाहुति या समापन होगा अथवा नहीं ? अथवा किस रूप में ? इसका अनुमान लगाना कठिन है।* * * * *
Bio weapons variants ।
Yes , v correct । This is intension & meaning which is reality ।
Ok । Wait । As u r waiting for third w w by using weapons ,Rockets etc ।
I can't wait hence I considered corona as we ।।।
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