इस कोश की भूमिका में चर्चित शब्द-क्रम के सम्बन्ध में निम्नलिखित टिप्पणियाँ विशेष रूप से ध्यातव्य हैं -
(1) प्रचलित हिन्दी कोशों में शब्द-क्रम-सम्बन्धी जिस भ्रामक स्थिति को अपनाया गया है, उससे विदेशी हिन्दी-अध्येताओं को अधिक उलझन होती है, क्योंकि वे अपनी भाषा के कोशों में विद्यमान शुद्ध शब्द-क्रम के अभ्यस्त होते हैं । (पृ॰ तेरह, अन्तिम पैरा)
(2) अनुस्वार एक प्रकार की विशेष ध्वनि का चिह्न है जो स्वर से युक्त होकर और वर्णमाला के अन्तिम आठ व्यंजनों (य, र, ल, व, श, ष, स, ह) में से ही किसी के ठीक पहले आ सकती है । (पृ॰ पन्द्रह, अनुच्छेद 3)
(3) हिन्दी वर्णमाला में अनुस्वार का स्थान सुनिश्चित है - स्वरों के बाद और व्यंजनों से पहले । 'विशिष्ट हिन्दी शब्दकोश' में तदनुसार ही उसका स्थान है । ... अंश, अऋण और अतएव का कोशीय क्रम होना चाहिए - अऋण, अंश, अतएव । (पृ॰ पन्द्रह, अनुच्छेद 3)
(4) इन भ्रमित कोशकारों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि 'बन्दर' लिखो या 'बंदर', शब्दकोश में उसकी प्रविष्टि का स्थान तो एक ही रहना चाहिए । (पृ॰ सोलह, पैरा 2, अनुच्छेद 5)
(5) यह तो हास्यास्पद स्थिति ही है कि 'मङ्गल', 'चञ्चल', 'ठण्डा', 'सुन्दर', 'सम्पादक' को अशुद्ध कहा जाए और उनके स्थान पर क्रमशः 'मंगल', 'चंचल', 'ठंडा', 'सुंदर', 'संपादक' को शुद्ध । (पृ॰ सोलह, पैरा 3, अनुच्छेद 5)
(6) 'चन्द्रबिन्दु' से युक्त अनुनासिक स्वर हिन्दी भाषा की अपनी विशेषता है । यह संस्कृत इत्यादि से प्राप्त ध्वनि नहीं है । (पृ॰ सोलह, अनुच्छेद 6)
(7) अनेक पूर्वप्रकाशित कोशों में चन्द्रबिन्दु, अनुस्वार और पंचम वर्ण की बिन्दी में कोई भेद न करने से शब्द-क्रम अशुद्ध हो गया है । (पृ॰ सोलह, अनुच्छेद 6)
(8) 'अ' के बाद आनेवाले द्वितीय वर्ण के क्रम में 'ह' तक के शब्द हो जाने पर 'अँ' वाले शब्द रखे गए हैं, जैसे 'अँकटा', 'अँकटी', इत्यादि शब्द 'अहोरि-बहोरि' तथा अह्रीक के बाद हैं । इसी प्रकार 'आँ', ... 'औँ' के विषय में समझना चाहिए । (पृ॰ सोलह, अनुच्छेद 6)
--- नारायण प्रसाद
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१. प्रोग्राम को शाटन के लिए शब्दसूची देने से पहले किसी इंसान को सभी बिंदी वाले शब्दो का विश्लेषण करना पड़ेगा, और यथोचित बिंदी को बदलके चंद्रबिंदु बनाना पड़ेगा। बृहत् हिंदी कोश में ऐसा ही किया गया है, लेकिन ये विधि पूरी तरह से ऑटोमैटिक नहीं है।
मेरे विचार से यदि उस हिन्दी कोश में मात्राओं के साथ जितने चन्द्रबिन्दु वाले शब्द हैं उन्हेँ प्रोग्राम को दे दिया जाय तो प्रोग्राम का एक उपयोगी संस्करण तैयार हो जायेगा जिसको समय समय पर सुविधानुसार परिष्कृत किया जा सकेगा.
2013/10/6 Anubhav Chattoraj <anubhav....@gmail.com>
नारायण जी ने जिन टिप्पनियों पर ध्यान दिलाया है, वो सब बिंदी से ही संबंधित हैं। कोश में कई अन्य विषयों पर टिप्पणियाँ भी हैं:
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३. अनुनासिक को दर्शाने के लिए। आम तौर पर यदि कोई मात्रा शिरोरेखा के ऊपर जाए, तब उसके साथ चंद्रबिंदु के स्थान पर बिंदी का प्रयोग ही किया जाता है। उदाहरण: खींच, में, हैं,इत्यादि।
.....
सिर्फ़ नुक्ते और बिंदी को ठीक करने के साथ में, किसी वृहद् शब्दकोश से सारे इनपुट शब्दों की जाँच करके पहले ठीक किया जा सकता है, और सही पाए गए शब्दों को ही सॉर्ट किया जा सकता है, बाकी शब्दों को नज़रअंदाज़ किया या हटाया जा सकता है।
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यह जोक मारा था, या ताना कह लीजिए।
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आप तो प्रूफ़रीडिंग करने निकल गए हैं, जब इतना सब कुछ कर रहे हैं तो क्यों नहीं, पूरा अनुवाद का ही सॉफ़्टवेयर तैयार कर देते हैं? गूगल अनुवाद शत प्रतिशत सही अनुवाद नहीं करता है ना।
मुझे नहीं चाहिए होगा बिंदी से चन्द्रबिन्दु का परिवर्तन। गूगल अनुवाद बिन्दी ही लगाता है इसलिए मैं बिन्दी वाले शब्दों को ही क्लायंट को देने लगा हूँ। अब अगर किसी एक सॉर्टेड पाठ में चन्द्रबिन्दु दिखा तो क्लायंट कनफ़्यूज़ हो जाएगा, या फिर मुझसे कहेगा सारे पाठों में चन्द्रबिन्दु ही लगा कर दिया करो जिससे मेरा काम बढ़ेगा।
यह उदाहरण था कि अलग अलग लोगों की अलग-अलग दरकार हो सकती है। सॉर्टिंग प्रोग्राम को इनपुट पाठ में किसी भी परिवर्तन या नज़रअंदाज़ करने का अधिकार नहीं होता है, उसे सिर्फ़ इनपुट पाठ को क्रमबद्ध भर करना होता है।
धन्यवाद।
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रावत
On 10/7/2013 10:50 AM, Vineet Chaitanya wrote:
१. प्रोग्राम को शाटन के लिए शब्दसूची देने से पहले किसी इंसान को सभी बिंदी वाले शब्दो
का विश्लेषण करना पड़ेगा, और यथोचित बिंदी को बदलके चंद्रबिंदु बनाना पड़ेगा। बृहत् हिंदी
कोश में ऐसा ही किया गया है, लेकिन ये विधि पूरी तरह से ऑटोमैटिक नहीं है।
मेरे विचार से यदि उस हिन्दी कोश में मात्राओं के साथ जितने चन्द्रबिन्दु वाले शब्द हैं उन्हेँ
प्रोग्राम को दे दिया जाय तो प्रोग्राम का एक उपयोगी संस्करण तैयार हो जायेगा जिसको
समय समय पर सुविधानुसार परिष्कृत किया जा सकेगा.
2013/10/6 Anubhav Chattoraj <anubhav....@gmail.com
<mailto:anubhav.chattoraj@gmail.com>>
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प्रत्येक शब्द मेँ प्रथम अक्षर के बाद आने वाले द्वितीय, तृतीय आदि अक्षरोँ का क्रम भी उपर्युक्त प्रकार से ही होगा।
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