नारायण जी,
किसी संख्या को शब्दों में व्यक्त किया जाय और उसमें कई बार सौ आये, इससे सारा मजा बिगड़ जाता है। इसलिये आप जिस विधि के उपयोग से इस समस्या के समाधान की बात कर रहे हैं, उसको मैं 'अतर्कसंगत' मान रहा हूँ। ( टू हण्ड्रेड सेवेन्टी-फाइव थाउजैण्ड सिक्स हण्ड्रेड फोर्टी) इसमे दो बार हण्ड्रेड आता है जिससे समझने में असुविधा होती है।
बात यह है कि भारतीय पद्धति में संख्या-गुणांक का नाम (हजार, लाख आदि) सौ-गुना होने के बाद बदल जाते है जबकि पाश्चात्य पद्धत्ति में ये हजार-गुना होने के बाद बदलते हैं। ( मिलियन, बिलियन, ट्रिलियन आदि) इस कारण भारतीय पद्धति में गुणांक-संज्ञाओं की पुनरावृत्ति नहीं होती (सौ तक तो सब संख्याओं के अलग-अलग नाम हैं ही) जबकि पाश्चात्य पद्धत्ति में पुनरावृत्ति होती है।
मिलियन मिलियन कहना कामचलाऊ तरीका है।
दूसरी बात यह है कि व्यावहारिक दृष्टि से २१ अंक आवश्यकता से अधिक हैं क्योंकि १४० अंकों वाली या १००० अंको वाली संख्या को शब्दों में बदलने का कोई अर्थ नहीं है। उनको वैज्ञानिक रीति से (1.345E78) संख्या के रूप में ही लिखना अधिक अर्थपूर्ण है।
मैंने इन छोटी संख्याओं के उदाहरण केवल तकनीक समझाने के लिए प्रस्तुत किये थे, २१ अंक से ऊपर वाली संख्याओं को अक्षरों में व्यक्त करने के लिए ।
GDP को इतना हजार करोड़ वगैरह के रूप में प्रयोग किया जाता है, यहाँ तक कि इतना-इतना लाख करोड़ के रूप में भी; यद्यपि इसे सीधे करोड़ के ऊपर अरब, खरब, नील, शंख आदि का प्रयोग करके व्यक्त किया जा सकता है ।
नारायण जी,
6,57,48,90,50,321
657489050321
6,57,48,90,50,321 ( यह संख्या २१ से अधिक अंकों वाली है। इसको शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते। )
मैने २१ अंक तक की संख्याओं को हिन्दी शब्दों में परिवर्तित करने का एक