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मैंने आज तक किसी के मुँह से "हिंदी" शब्द सुना ही नहीं । सभी लोग "हिन्दी" (अर्थात् नकार का स्पष्ट उच्चारण सहित) ही बोलते हैं । यदि "हिंदी" में प्रयुक्त अनुस्वार का ठीक-ठीक उच्चारण करेंगे तो यह "हिङ्दी" जैसा सुनाई देना चाहिए । परन्तु ऐसा उच्चारण कोई नहीं करता । इसलिए "हिंदी" वर्तनी को ही मैं अशुद्ध समझता हूँ ।
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'हिन्दी' शब्द मध्यकालीन पश्चिमी आक्रांताओं के साथ या उनके उच्चारण के तरीके की वजह से प्रचलन में आया है। सुलभ संदर्भ के लिए pondicherryuniversity.blogspot.in से उद्धृत कर रहा हूँ-
हिन्दी’ वस्तुत: फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है-हिन्दी का या हिंद से सम्बन्धित।
हिन्दी शब्द की निष्पत्ति ‘सिन्धु’ (सिंध) से हुई है क्योंकि ईरानी भाषा में "स" को "ह" बोला जाता है।
इस प्रकार ‘हिन्दी’ शब्द वास्तव में ‘सिन्धु’ शब्द का प्रतिरूप है। कालांतर में ‘हिंद’ शब्द सम्पूर्ण भारत का पर्याय बनकर उभरा ।
इसी ‘हिंद’ से ‘हिन्दी’ शब्द बना।
हालांकि, केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा जारी "देवनागरी लिपि तथा हिंदी वर्तनी का मानकीकरण" पुस्तिका में सर्वत्र 'हिंदी' शब्द ही काम में लिया गया है। पुस्तिका में इनसान को इंसान, इनतहा को इंतहा लिखने आदि से तो मना किया गया है, लेकिन "हिन्दी" शब्द पर कोई चर्चा नहीं है।
हिन्दी सही है।जहाँ पर न् का ज़ुबान से किया गया स्पष्ट उच्चारण आए वहाँ पर आधा न लिखा जाता है, जैसे हन्स (पक्षी)जहाँ पर न् का स्पष्ट उच्चारण न आकर सिर्फ़ नाक से एक ध्वनि जैसी आए वहाँ पर ं लिखा जाता है, जैसे हंसना(laugh)
--रावत
2013/1/17 Hariraam <hari...@gmail.com>
हिंदी या हिन्दीमें से ध्वनि-विज्ञान-सम्मत 'हिन्दी' की सही वर्तनी क्या होनी चाहिए?इस बारे में विद्वानों से अपने तर्क व मत देने का अनुरोध है।--
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हरिराम
प्रगत भारत <http://hariraama.blogspot.com>
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व्याकरणानुसार केवल 'हिन्दी' ही एकमात्र सही है व स्वयं मैं सदा इसका ही प्रयोग करती हूँ। किन्तु यह ध्यान दिलाया जाना अनिवार्य है महात्मा गाँधी अ. हि. विश्वविद्यालय द्वारा जो मानकीकरण की योजना चल रही है उसे डॉ रामप्रकाश सक्सेना (नागपुर विश्वविद्यालय) देखते हैं और वे ऐसे प्रत्येक तर्क को निरस्त कर देते हैं, यह कहते हुए कि संस्कृत का व्याकरण आप हिन्दी पर क्यों लागू करती/करते हैं।मेरी उनसे कई घंटों लंबी बहसें हुई हैं कि हिन्दी के शब्द व लिपि सब ही संस्कृत से आयत्त है तो नियम भी तो वही चलेंगे।यह प्रत्येक भाषा के साथ होता है। किन्तु उनके अपने हजार तर्क हैं और अब उनके अनुसार जारी करवाए जा रहे मानकीकरण को ही अंतिम मान कर तदनुसार अपनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
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जिस तरह के मानकीकरण की बात अब सदस्यजन करने लगे हैं, उसे पाने का एकमात्र उपाय एक नया हिंदी कोश बनाना है. ऐसा कोश बन भी गया तो कौन किस संदर्भ में क्या लिखेगा, यह उस पर छोड़ देना होगा.
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अरविंद
2013/1/18 (Dr.) Kavita Vachaknavee <kavita.va...@gmail.com>व्याकरणानुसार केवल 'हिन्दी' ही एकमात्र सही है व स्वयं मैं सदा इसका ही प्रयोग करती हूँ। किन्तु यह ध्यान दिलाया जाना अनिवार्य है महात्मा गाँधी अ. हि. विश्वविद्यालय द्वारा जो मानकीकरण की योजना चल रही है उसे डॉ रामप्रकाश सक्सेना (नागपुर विश्वविद्यालय) देखते हैं और वे ऐसे प्रत्येक तर्क को निरस्त कर देते हैं, यह कहते हुए कि संस्कृत का व्याकरण आप हिन्दी पर क्यों लागू करती/करते हैं।मेरी उनसे कई घंटों लंबी बहसें हुई हैं कि हिन्दी के शब्द व लिपि सब ही संस्कृत से आयत्त है तो नियम भी तो वही चलेंगे।यह प्रत्येक भाषा के साथ होता है। किन्तु उनके अपने हजार तर्क हैं और अब उनके अनुसार जारी करवाए जा रहे मानकीकरण को ही अंतिम मान कर तदनुसार अपनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
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