क्या क्वार्क एक्सप्रेस और एडोब फ़ोटोशॉप में अब युनिकोड समर्थन है? यदि
नहीं तो कब तक होने की संभावना है या किस कारण ये नहीं हो पा रहा?
रजनीश भाई,
क्वार्क पर यूनिकोड सपोर्ट के संदर्भ में कृपया इस प्रेस विज्ञप्ति को देखें। मुझे बहुत ज्यादा समझ में नहीं आया। तकनीकी निरक्षर हूं
कृपया इसे देखें- Quark to Demonstrate Support for Unicode
Quark Inc. today announced it will showcase the Unicode and OpenType support that will be available in QuarkXPress 7 at TypoTechnica, the international typography conference for font technology developers, application developers, and designers.
यही बहुत बड़े दुख की बात है अभी भी प्रिंट मीडिया और सरकारी कार्यलयों
में युनिकोड के बारे में जानकारी लगभग शून्य है। इसे फैलाने के लिए बहुत
बड़ा अभियान चलाया जाना चाहिए।
Quark India Pvt Ltd.
Gyan Prakash (VP Sales- Asia, Middle East & Africa)
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हैरानी है कि हिंदी प्रिंट मीडिया में कुछ लोग खुद ब्लॉग तो युनिकोड में
लिखते हैं (यानि वे युनिकोड के बारे में जानते हैं), लेकिन प्रिंट के
मामले में उनके विचार से युनिकोड की कोई इतनी ज़बरदस्त मांग नहीं हैं। मैं
ये आज तक समझ नहीं पाया हूँ। हिंदी मीडिया में अंग्रेज़ी शब्दों नामों के
लिए भी केवल देवनागरी का प्रयोग हिंदी पाठकों को अनपढ़ ही रख रहा है।
मेरे ख्याल में हिंदी मीडिया में जब तब थोड़ी रोमन लिपी का प्रयोग हिंदी
वालों की छवि को भी बेहतर बनाएगा और अंग्रेज़ी समाचार पत्र पढ़ने वालों का
ध्यान भी आकर्षित करेगा। लेकिन जब तक क्वार्क एक्सप्रेस जैसे साफ़्टवेयर
हिंदी युनिकोड समर्थित नहीं होंगे, ये वैसे भी संभव नहीं। लेकिन कम से कम
मीडिया की ओर से प्रबल मांग तो होनी चाहिए जो नहीं है। समझ नहीं आता कैसे
काम चला रहे हैं वे लोग।
रजनीश भाई,
हिन्दी मीडियावालों से आपका तात्पर्य अगर पत्रकारों से है तो उनकी तादाद भी अत्यल्प है जो ब्लागिंग और यूनिकोड के बारे में जानते हैं। क्वार्क के सात यूनिकोड जोड़ने का मामला भी प्रबंधन से जुड़ा है। आईटी और प्रोडक्शन से जुड़े लोग जब तक इसके लाभ प्रबंधन को नहीं समझाएंगे, काम नहीं बनेगा। इसके लिए तो यूनिकोड को बढ़ावा देने वाले जो अंतरराष्ट्रीय संगठन, फोरम वगैरह हैं उन्हें आगे आकर इन लोगों के लिए कोई सेमिनार, प्रचार अभियान जैसी मुहिम शुरू करनी होगी। इससे उत्पाद और उत्पादन लागत का गणित उन्हें समझाना पड़ेगा। एक दूसरे से अलग दिखने के प्रयास के चलते हिन्दी मीडिया में हजारों तरह के फांट प्रचलित हैं। इस मामले में यूनिकोड क्या मदद करेगा अर्थात यूनिकोड में भी कई तरह के फांट प्रयोग किए जा सकते हैं या नहीं यह महत्वपूर्ण है।
हां तो तरह तरह के युनिकोड फ़ांट बनाने में क्या दिक्कत है? जब इतने सारे
आस्की फ़ांट बन सकते हैं तो युनिकोड फ़ांट भी बन सकते हैं, कम से कम
देवनागरी के लिए।
1. देवनागरी आदि भारतीय लिपियों के सभी पूर्णाक्षरों/संयुक्ताक्षरों के glyph बनाकर OT fonts में शामिल कर लिया जाए। किन्तु दुर्भाग्य से आज तक कोई भी देवनागरी के समस्त पूर्णाक्षरों की सूची बनाना तो दूर, कुल संख्या तक की गणना नहीं कर पाया है।