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पंडितजी संस्कृत 2003 फॉण्ट और जगह तो काम कर जाता है लेकिन यहाँ संदेशों में सीधे लिखने पर शृ का ही उपयोग करना होगा
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श ् र = श्र लिखा है, या
श ृ = शृ लिखा है,
तो वो विभिन्न ही दिख पाएँगे। आप कैसे कह रहे हैं फ़ॉण्ट बदलने से श्र शृ दिखने लगेगा, या
इसका उल्टा?
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रावत
On 9/12/2011 7:49 PM India Time, _ePandit | ई-पण्डित_ wrote:
> नहीं जी आप चाहें तो ब्राउजर का देवनागरी हेतु ़डिफॉल्ट फॉण्ट भी संस्कृत २००३ कर सकते हैं।
>
> फायरफॉक्स में इसके लिये Options में Content टैब में जायें। वहाँ Font & Colors नामक
> फ्रेम में Advanced बटन पर क्लिक करें। अब एक डायलॉग बॉक्स खुलेगा, इसमें सबसे ऊपर
> Fonts for नामक ड्रॉपडाउन मैन्यू में Devanagari चुन लें। नीचे जहाँ जहाँ Mangal है
> उसकी जगह Sanskrit 2003 चुन लें।
>
> गूगल क्रोम में इसके लिये ऍड्रैस बार में chrome://settings/fonts डालें। यहाँ
> Standard Font में Sanskrit 2003 चुन लें। क्रोम में लैंग्वेज स्पैसिफिक डिफॉल्ट फॉण्ट
> चुनने की सुविधा नहीं है।
>
> अब आपके ब्राउजर में सभी वेबपन्नों पर हिन्दी इसी फॉण्ट में दिखेगी। हालाँकि मैं डिफॉल्ट
> फॉण्ट मंगल ही रखता हूँ, कारण ये है कि मंगल छोटे फॉण्ट साइज में भी स्पष्ट पढ़ा जा
> सकता है जबकि अपराजिता, संस्कृत २००३ आदि फॉण्ट ज्यादा छोटे आकार में स्पष्ट नहीं पढ़ने
> में आते।
>
> १२ सितम्बर २०११ ७:३६ अपराह्न को, Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com
> <mailto:vinodj...@gmail.com>> ने लिखा:
>
> पंडितजी संस्कृत 2003 फॉण्ट और जगह तो काम कर जाता है लेकिन यहाँ संदेशों में सीधे
> लिखने पर शृ का ही उपयोग करना होगा
> क्योंकि लगभग सभी ब्राउजर मंगल और एरियल यूनीकोड का ही समर्थन करते हैं।
>
>
> 2011/9/12 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com
> <mailto:sharma...@gmail.com>>
>
> मित्रों इस पर पहले भी कई बार बात हो चुकी है। शृंगार, शृंखला ही सही शब्द
> होता है श्रृंगार, श्रृंखला नहीं। यह हिन्दी में प्रचलित एक आम अशुद्धि है।
>
> यह अशुद्धि शायद इसलिये चली होगी कि श्रृ तथा शृ (सही रूप में) एक जैसे दिखते हैं।
>
> शृंगार का शृ, श के साथ ऋ की मात्रा (ृ) लगाकर ही बनता है यानि शृ = श + ृ
>
> बात यह है कि मंगल सहित विण्डोज़ के यूनिकोड फॉण्ट शृ को सही पारम्परिक रूप
> में नहीं दिखाते। इसके लिये आप संस्कृत २००३ नामक यूनिकोड फॉण्ट इंस्टाल करें।
> वह शृ को सही रूप में दिखायेगा।
>
> http://hi.wikipedia.org/wiki/संस्कृत_२००३
>
> शृ के सही रूप और श्रृ में अन्तर होता है कि नीचे पैर में र वाला तिरछा डंडा
> नहीं होता। आप उपर्युक्त फॉण्ट इंस्टाल करके उसे चुनकर शृ लिखें, वह सही रूप में
> दिखेगा।
>
> अखबार वालों द्वारा यह गलती प्रचलित होने का एक कारण यह भी है कि पुराने
> नॉन-यूनिकोड फॉण्टों में यह ग्लिफ होता तो है लेकिन वह ऑल्ट कोड के साथ
> प्राप्त होता है इसलिये वे लोग दिखने में इस जैसा श्रृ लिखने लगे।
>
> ई-पण्डित आइऍमई <http://epandit.shrish.in/labs/ePanditIME> में मैंने
> इसकी व्यवस्था की है तथा शृ लिखने पर यह सही रूप में प्रकट होता है।
>
> १२ सितम्बर २०११ ६:५६ अपराह्न को, Kavita Vachaknavee
> <kavita.va...@gmail.com
> <mailto:kavita.va...@gmail.com>> ने लिखा:
फ़ॉण्ट कोई भी इस्तेमाल की जा रही हो, अगर
श ् र = श्र लिखा है, या
श ृ = शृ लिखा है,
तो वो विभिन्न ही दिख पाएँगे। आप कैसे कह रहे हैं फ़ॉण्ट बदलने से श्र शृ दिखने लगेगा, या इसका उल्टा?
--
रावत
On 9/12/2011 7:49 PM India Time, _ePandit | ई-पण्डित_ wrote:
नहीं जी आप चाहें तो ब्राउजर का देवनागरी हेतु ़डिफॉल्ट फॉण्ट भी संस्कृत २००३ कर सकते हैं।
फायरफॉक्स में इसके लिये Options में Content टैब में जायें। वहाँ Font & Colors नामक
फ्रेम में Advanced बटन पर क्लिक करें। अब एक डायलॉग बॉक्स खुलेगा, इसमें सबसे ऊपर
Fonts for नामक ड्रॉपडाउन मैन्यू में Devanagari चुन लें। नीचे जहाँ जहाँ Mangal है
उसकी जगह Sanskrit 2003 चुन लें।
गूगल क्रोम में इसके लिये ऍड्रैस बार में chrome://settings/fonts डालें। यहाँ
Standard Font में Sanskrit 2003 चुन लें। क्रोम में लैंग्वेज स्पैसिफिक डिफॉल्ट फॉण्ट
चुनने की सुविधा नहीं है।
अब आपके ब्राउजर में सभी वेबपन्नों पर हिन्दी इसी फॉण्ट में दिखेगी। हालाँकि मैं डिफॉल्ट
फॉण्ट मंगल ही रखता हूँ, कारण ये है कि मंगल छोटे फॉण्ट साइज में भी स्पष्ट पढ़ा जा
सकता है जबकि अपराजिता, संस्कृत २००३ आदि फॉण्ट ज्यादा छोटे आकार में स्पष्ट नहीं पढ़ने
में आते।
१२ सितम्बर २०११ ७:३६ अपराह्न को, Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com
<mailto:vinodjisharma@gmail.com>> ने लिखा:
पंडितजी संस्कृत 2003 फॉण्ट और जगह तो काम कर जाता है लेकिन यहाँ संदेशों में सीधे
लिखने पर शृ का ही उपयोग करना होगा
क्योंकि लगभग सभी ब्राउजर मंगल और एरियल यूनीकोड का ही समर्थन करते हैं।
2011/9/12 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com
<mailto:sharma.shrish@gmail.com>>
<http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4_%E0%A5%A8%E0%A5%A6%E0%A5%A6%E0%A5%A9>
मित्रों इस पर पहले भी कई बार बात हो चुकी है। शृंगार, शृंखला ही सही शब्द
होता है श्रृंगार, श्रृंखला नहीं। यह हिन्दी में प्रचलित एक आम अशुद्धि है।
यह अशुद्धि शायद इसलिये चली होगी कि श्रृ तथा शृ (सही रूप में) एक जैसे दिखते हैं।
शृंगार का शृ, श के साथ ऋ की मात्रा (ृ) लगाकर ही बनता है यानि शृ = श + ृ
बात यह है कि मंगल सहित विण्डोज़ के यूनिकोड फॉण्ट शृ को सही पारम्परिक रूप
में नहीं दिखाते। इसके लिये आप संस्कृत २००३ नामक यूनिकोड फॉण्ट इंस्टाल करें।
वह शृ को सही रूप में दिखायेगा।
http://hi.wikipedia.org/wiki/संस्कृत_२००३ई-पण्डित आइऍमई <http://epandit.shrish.in/labs/ePanditIME> में मैंने
शृ के सही रूप और श्रृ में अन्तर होता है कि नीचे पैर में र वाला तिरछा डंडा
नहीं होता। आप उपर्युक्त फॉण्ट इंस्टाल करके उसे चुनकर शृ लिखें, वह सही रूप में
दिखेगा।
अखबार वालों द्वारा यह गलती प्रचलित होने का एक कारण यह भी है कि पुराने
नॉन-यूनिकोड फॉण्टों में यह ग्लिफ होता तो है लेकिन वह ऑल्ट कोड के साथ
प्राप्त होता है इसलिये वे लोग दिखने में इस जैसा श्रृ लिखने लगे।
इसकी व्यवस्था की है तथा शृ लिखने पर यह सही रूप में प्रकट होता है।
१२ सितम्बर २०११ ६:५६ अपराह्न को, Kavita Vachaknavee
<kavita.va...@gmail.com
<mailto:kavita.vachaknavee@gmail.com>> ने लिखा:
अजेय जी,
लगता है आप श्र / श्री व शृ ( जिससे लोग श्रिंगार तक लिख कर अशुद्ध
प्रयोग करते हैं ) में गड़बड़ा रहे हैं और मूल प्रश्न को नहीं समझे।
श्रंखला और श्रीनगर की भांति यहाँ में श् + र आदि की नहीं
अपितू (शृंगार में प्रयुक्त होने वाले) श् + ऋ के संयुक्त वर्ण की बात हो
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