ईमानदार - "*निष्ठावान*"
इंतजार - "*प्रतीक्षा*"
इत्तेफाक - "*संयोग*"
सिर्फ - "*केवल*"
शहीद - "*बलिदान*"
यकीन - "*विश्वास,भरोसा*"
इस्तकबाल - "*स्वागत*"
इस्तेमाल - "*उपयोग,प्रयोग*"
किताब - "*पुस्तक*"
मुल्क - "*देश*"
कर्ज - "*ऋण*"
तारीफ - "*प्रशंसा*"
इल्ज़ाम - "*आरोप*"
गुनाह - "*अपराध*"
शुक्रिया - "*धन्यवाद*"
सलाम - "*नमस्कार*"
मशहूर - "*प्रसिद्ध*"
अगर - "*यदि*"
ऐतराज - "*आपत्ति*"
सियासत - "*राजनीति*"
इंतकाम - "*प्रतिशोध*"
इज्जत - "*सम्मान*"
इलाका - "*क्षेत्र*"
एहसान - "*आभार,उपकार*"
अहसानफरामोश - "*कृतघ्न*"
मसला - "*समस्या*"
इश्तेहार - "*विज्ञापन*"
इम्तेहान - "*परीक्षा*"
कुबूल - "*स्वीकार*"
मजबूर - "*विवश,लाचार*"
मंजूरी - "*स्वीकृति*"
इंतकाल - "*मृत्यु*"
बेइज्जती - "*तिरस्कार*"
दस्तखत - "*हस्ताक्षर*"
हैरान - "*आश्चर्य*"
कोशिश - "*प्रयास,चेष्टा*"
किस्मत - "*भाग्य*"
फैसला - "*निर्णय*"
हक - "*अधिकार*"
मुमकिन - "*संभव*"
फर्ज - "*कर्तव्य*"
उम्र - "*आयु*"
साल - "*वर्ष*"
शर्म - "*लज्जा*"
सवाल - "*प्रश्न*"
जबाब - "*उत्तर*"
जिम्मेदार - "*उत्तरदायी*"
फतह - "*विजय*"
धोखा - "*छल*"
काबिल - "*योग्य*"
करीब - "*समीप,निकट*"
जिंदगी - "*जीवन*"
हकीकत - "*सत्य*"
झूठ - "*मिथ्या*"
जल्दी - "*शीघ्र*"
इनाम - "*पुरस्कार*"
तोहफा - "*उपहार*"
इलाज - "*उपचार*"
हुक्म - "*आदेश*"
शक - "*संदेह*"
ख्वाब - "*स्वप्न*"
तब्दील - "*परिवर्तित*"
कसूर - "*दोष*"
बेकसूर - "*निर्दोष*"
कामयाब - "*सफल*"
गुलाम - "*दास*"
वजह - "*कारण*"
अहसास- "*अनुभूति*"
----------------------------इसके अतिरिक्त हम प्रतिदिन अगणित -
उर्दू शब्द का प्रयोग में लेते हैं। ------------------------भाषा बचाइये , संस्कृति बचाइये -------------
जांच करें कि आप कितने उर्दू के शब्द बोलते है।
धन्यवाद !!
10 hrs · Public
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> ईमानदार - "*निष्ठावान*" -
यह पर्यायवाची के तौर पर मुझे अजीब लगा। निष्ठा अलग चीज़ होती है, ईमान अलग होता है।
> शहीद - "*बलिदान*"
शहीद - "*बलिदानी*"
शहादत - "*बलिदान*"
> यकीन - "*विश्वास,भरोसा*"
भरोसा ख़ुद उर्दू शब्द है।
> मसला - "*समस्या*"
मसला - मामला होना चाहिए, तो समस्या कुछ अलग चीज़ है।
> बेइज्जती - "*तिरस्कार*"
आम चलन में अपमान है, वो नहीं जमा क्या?
> हकीकत - "*सत्य*"
वास्तविकता। सत्य तो अलग अर्थ हुआ।
> झूठ - "*मिथ्या*"
असत्य नहीं जमा क्या?
अच्छी सूचि है। शुद्धतावादियों के काम आएगी।
धन्यवाद।
रावत
On 9/21/2018 12:53 AM, Suyash wrote:
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<हिंदी को शुद्ध रखने के लिए अच्छा है कि उसे परदे के पीछे पेटी में संजोकर ताला बंद कर रख दें, वरना बाहर निकलेगी को उर्दू, देसी, विदेशी शब्द अपनी मीठी-मी ठी बातों से इसे बहका लेंगे, बहला-फुसलाकर भ्रष्ट कर देंगे। >
<हाँ, मेहमानों के आने पर अपना संस्कार जाहिर करने के लिए बस थोड़ी देर के लिए निकाल सकते हैं। लेकिन इससे कामकाज तो न हो पाएगा, सो काम के लिए आया रख सकते हैं, जिसे हिंदुस्तानी कहें, जो घर-बाहर दोनों का काम कर सके।>
<इस प्रोसेस में किसी उर्दू या अन्य म्लेच्छ भाषा से छूने पर कोई ऐतराज न हो, जिसके भ्रष्ट होने से संस्कृति खराब न हो।>
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ईमानदार के लिए (मराठी में) महाराष्ट्र में "प्रामाणिक" शब्द प्रयोजा जाता है.
मधुसूदन
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भले ही उर्दू का उद्भव भारत में हुआ हो पर जिस भाषा ने ९० प्रतिशत से भी अधिक शब्द अरबी एवं फारसी से उधार लिये हो वह भाषा स्वदेशी कैसे हो सकती है?
जिस फारसी भाषा को मुगलो ने तलवार के नौक पर जबरदस्ती
फैलाने की कोशिश की उसी फारसी की नाजायज औलाद है उर्दू।
जो भाषा जुल्म और गुलामी की निशानी है, जिस भाषा को स्वदेशी शब्द और लिपी अपनाने में लज्जा आती है वह भाषा है
उर्दू।
ओर सब से जरूरी तथ्य - हिंदी उदारमना हो कर अरबी फारसी शब्द अपना लेती है, तो उर्दू को संस्कृत - प्राकृत शब्द अपनाने में संकोच क्यो? उर्दू के विद्वानों को देवनागरी लिपी अपनाने से कौन रोकता है?
ऐसे अलगाववादी और ओछी सोच रखने वाले उर्दू को मै अपने मिट्टी की भाषा बिल्कुल नही मानता। यह तो जुलमी आक्रमकों की भाषा है - यह तो मेरे देश के टुकडे करनेवालों की भाषा है।
मातृभूमी, भाषा एवं संस्कृति प्रति अभिमान को यदि आप राजनिती कहते है तो मुझे इससे कोई आपत्ती नहीं है।
फिर वही बात दोहराता हूँ - जिस मनुष्य को अपने धरोहर, संस्कृति एवं परंपराओ पर अभिमान नहीं होता उसकी अवस्था - न घर का ना घाट का ऐसे धोबी के कुत्ते जैसी हो जाती है।
धन्यवाद।
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