मानक है क्या - phonetic hindi keyboard layout विकल्प

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Prof. Hemant Joshi

unread,
Jul 3, 2011, 2:33:09 PM7/3/11
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
INSCRIPT is the standard. Only one thing everyone must understand that
in script is the only phonetic keyboard. The one normally called
phonetic is in fact called executive keyboard because it has to be
used by the So called Indian Angrez who do not know how to write Hindi
but have learnt to speak it because it pays…

Inscript keyboard is based on ISCII layout which has been adopted with
minor changes by Unicode too…

Prof. Hemant Joshi

Vinod Sharma

unread,
Jul 3, 2011, 9:43:24 PM7/3/11
to technic...@googlegroups.com
आदरणीय प्रोफेसर साहब आपकी बात से पूर्णतः सहमत.
भस एक ही शिकायत है कि यही बात यदि आपने देवनागरी
में लिखी होती तो अधिक खुशी होती.
सादर,
विनोद शर्मा

2011/7/4 Prof. Hemant Joshi <josh...@gmail.com>

--

narayan prasad

unread,
Jul 4, 2011, 12:23:20 AM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
अंग्रेजी कीबोर्ड भारतीय लिपियों के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि यूनिकोड में प्रदत्त इनके लिए सभी चिह्नों को इस प्रकार के कीबोर्ड से आसानी से टाइप नहीं किया जा सकता ।  इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड में भी बहुत सारे चिह्न पाए नहीं जाते । अतः इतना अधिक समय फालतू चीजों पर बहस करने से कोई फायदा नहीं । पहले भारतीय लिपियों के अनुरूप एक भौतिक कीबोर्ड (physical keyboard) तैयार किया जाना चाहिए जिसमें न्यूनतम लगभग दो सौ कुंजियाँ होनी चाहिए । फिर मानक कीबोर्ड आसानी से बना लिया जा सकता है ।
----नारायण प्रसाद

2011/7/4 Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com>

Anuradha R.

unread,
Jul 4, 2011, 1:31:25 AM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
नारायण प्रसाद जी,
आपके सुझाव में एक आधारभूत व्यावहारिक दिक्कत मुझे यह दिख तरही है कि तब हमें हिंदी के लिए अलग और अंग्रेजी के लिए अलग की-बोर्ड लगाना पड़ेगा, जबकि हम एक ही कंप्यूटर पर दोनों भाषाओं में काम करते हैं। बाकी भारतीय भाषाओ में भी इस की-बोर्ड से यूनिकोड में की-इन करने में ज्यादा दिक्कतें नहीं हैं। मुझे लगता है, iscii द्वारा स्वीकृत मौजूदा की-बोर्ड ही अच्छा है, बस कुछ मिसिंग चिह्नों के लिए अलग जगहों पर या फिर अंग्रेजी की-बोर्ड के मुताबिक ही, कुंजियां तय हो जाएं। यह ज्यादा व्यावहारिक और बिना किसी ज्यादा दिक्कत के हो जाने वाला काम है। इसे पेचीदा बनाने में समय ही बर्बाद होगा, काम नहीं होगा।
-अनुराधा
2011/7/4 narayan prasad <hin...@gmail.com>
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Vinod Sharma

unread,
Jul 4, 2011, 1:43:45 AM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
जी अनुराधाजी, आप बिलकुल सही कह रही हैं, हम लौट कर उसी युग में जाने का प्रयास कर रहे हैं जब सबने अपने-अपने टाइपिंग उपकारण बना रखे थे, कही किसी में कोई सामंजस्य नहीं था. इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड को तैयार होने में काफी समय और प्रयास लगा है. फिर इसे सभी भारतीय भाषाओं के लिए तैयार किया गया है. इसलिए यदि हम इसी को आधार बना कर अपने प्रयासों को केंद्रित करें तो कोई न कोई समाधान निकल सकता है. इस कीबोर्ड में कोई बड़ी समस्या नहीं है, कुछ चिह्नों को समायोजित किया जाना है.
सादर,
विनोद शर्मा 

2011/7/4 Anuradha R. <ranur...@gmail.com>

pks kolkata

unread,
Jul 4, 2011, 1:17:28 PM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
"इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड को तैयार होने में काफी समय और प्रयास लगा है"
 
very true .. but like the qwerty is difficult to master even for the english
speaking people, the inscript needs practice and practice to be mastered
 
if it was intuitive, natural, easy to understand/remember/use, it would
have become the most used .. there would have been no need for
unishusha, uninagari, and so many other alternatives to be explored
(including google's transliteration method)
 
we MUST focus on the 'natural' quality of devanaagarii and other
 indian scripts .. on their grouping into svar, vyanjan, etc
 
we MUST also focus on the method of modifying the form of
vyanjans with maatraas .. which method is lacking in english
(but is present in french, german, and some other european
languages)
 
 
"इसलिए यदि हम इसी को आधार बना कर अपने प्रयासों को केंद्रित करें तो कोई न कोई समाधान निकल सकता है"

with the special nature of our character set, it would be a very
worthwhie investment of our time to discuss a much more
simpler layout
 
inscript began with putting ka on 'k' and kha on 'K' (shift+k)
but it didn't put i, ii on 'i' and 'I' (shift+i) .. strange !
 
it follows certain logic for certain vyanjans and some other
logic for svars/maatraas
 
since it was 'designed' by Govt Dept, and because of the
absence of a better layout, it has become a 'standard'
(in the same way as the qwerty - a typewriter layout which
was desinged to keep the typewriter levers from locking
up when typing fast)
 
in fact, a very learned person, Gunakar Mule, protested
and left the committee in protest. He was very unhappy
with the inscript being developed the way it was being
developed. Sri Mule, a prolific writer in hindi of books
on myriad topics (including 'computer kya hai'  which
talks about super computers also) was even working
on developing new words in hindi for computer lingo
(dvik for binary digit .. bit ..  chakati for hard-disk, etc)
but then, brilliant people are not tolerated by bureacracy,
and other 'brilliant' people :-(
 
if a dvorak can be developed as a standard, maybe
we should also firm up unishusha, uninagari, 'phonetic',
etc layout after discussing the pros/cons and NOT
arguing endlessly to prove the other person wrong
(which doesn't prove oneself as being perfectly right)
 
pls invest some time on this very serious issue .. else
our coming generations will suffer from the same
difficulty in typing indian languages as the english
speaking have to suffer for using the qwerty.
 
pks
 
 
 
 
 
sorry for english .. my hindi speed is still slow (since
i'm not sure which layout i will work on finally .. i
do like the axar layout .. but even that will need a
bit of practice for fast typing)
 
 
 
 
 
2011/7/4 Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com>
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--
 
 
अक्षर keyboard (shift key NOT required ! )  :

्ािीुूेैोौंः      on  1234567890-=
कखगघङ स चछजझञ ह    on  QWERT Y UIOP[]
टठडढण  ष  तथदधन         on  ASDFG  H  JKL;'
यरलव   श  पफबभम         on  ZXCV    B  NM,./


pks kolkata

unread,
Jul 4, 2011, 1:22:46 PM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
"एक भौतिक कीबोर्ड (physical keyboard) तैयार किया जाना चाहिए जिसमें न्यूनतम लगभग दो सौ कुंजियाँ होनी चाहिए "
 
this is an interesting idea .. it would help if you could please
give a bit of guidance on what characters would need to be
put on the 200 keys
 
10 for svars
10 for their maatraas
25 for ka-varga to pa-varga
 8 for ya ra la va sha Sha sa ha
 3 for ksha tra jyan
10 for numbers
?? for ??
?? for ??
?? for ??
---
200 total (approx)
===
 
 
 
2011/7/4 narayan prasad <hin...@gmail.com>
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pks kolkata

unread,
Jul 4, 2011, 1:29:24 PM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
"Inscript keyboard is based on ISCII layout which has been adopted with
minor changes by Unicode too"
 
dear prof. joshi
 
inscript is a layout .. it IS THE STANDARD for now (Govt. of India/Microsoft)
 
ISCII (which is not a keyboard layout) is the equivalent of ASCII
 
Unicode is codepoint allotment by Unicode.Org
       (not a keyboard layout and very different from IISCII standard)
 
pks
 
 
 
(mangal, etc are FONTS not keyboard layouts or input methods for hindi)

2011/7/4 Prof. Hemant Joshi <josh...@gmail.com>
INSCRIPT is the standard. Only one thing everyone must understand that
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Anuradha R.

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Jul 4, 2011, 1:47:15 PM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
"
if it was intuitive, natural, easy to understand/remember/use, it would
have become the most used ..."

नहीं श्रीमान, मैं सहमत नहीं। हिंदी या दूसरी भारतीय भाषाओं में अभी वह समय नहीं आया है, जब उपयोग करने वाले लोग अपनी सुविधा से कीबोर्ड ले-आउट आदि को 'चुन' सकें। चुनने का विकल्प हमारे लिए अभी तक नहीं है। यहां तो थाली में जो आया, वही भोजन है- वाला हाल है। फॉन्ट सबको अलग-अलग क्यों -कैसे मिले, यह कई बार कहा-समझा जा चुका है। अब यह सोचना और करना है, कि जब समान तकनीकी व्यवस्था के इस्तेमाल में, मुश्किल से, यह कुछ बेहतर स्थिति बन रही है, तो फिर इसे अच्छा अवसर माना जाए कि किसी एक ले-आउट का आधिकारिक मानकीकरण हो ही जाए। मौका खोया, देर की तो बहुत पिछड़ जाएंगे हम, जो कि पहले से खासे पिछड़े हुए हैं।
अगर हममें से कोई सी-डैक आदि से जुड़ा है, या वहां संपर्क रखता है, तो कृपया मुझे बताएं। मैं इस बारे में बातें करना चाहती हूं, समझना चाहती हूं कि अगर दिक्कतें हैं, तो वास्तव में क्या दिक्कतें हैं और उन्हें दूर करने के उपाय क्या हैं।
-अनुराधा

2011/7/4 pks kolkata <pksharm...@gmail.com>



--

ePandit | ई-पण्डित

unread,
Jul 4, 2011, 2:08:46 PM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
inscript began with putting ka on 'k' and kha on 'K' (shift+k)
but it didn't put i, ii on 'i' and 'I' (shift+i) .. strange !

समस्या यही है कि लोग कीबोर्ड पर छपे अंग्रेजी अक्षरों के कारण हिन्दी के वर्णों को इससे जोड़ना चाहते हैं। इन्स्क्रिप्ट हो या कोई और हिन्दी कीबोर्ड उसे अंग्रेजी अक्षरों से जोड़ कर नहीं देखना चाहिये।

जब कीबोर्ड की A कुञ्जी दबती है तो अन्दर कोई A का सिग्नल नहीं जाता बल्कि उसके ऑस्की कोड का सिग्नल जाता है। ऐसा इसलिये क्यों कि ऑपरेटिंग सिस्टम के सॉफ्टवेयर कीबोर्ड में उस बटन विशेष के दबने पर उस ऑस्की कोड का प्रावधान किया गया है।

अब जब ऑपरेटिंग सिस्ट्म के इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड में माना L के स्थान वाली कुञ्जी दबती है तो सीधे "त" के यूनिकोड कूट का सिग्नल जाता है, यह नहीं होता कि पहले L का सिग्नल जाय फिर कहीं और जाकर वह "त" के सिग्नल में बदले।

आप कीबोर्ड पर इन्स्क्रिप्ट के स्टीकर लगा दें और फिर एक नजर देखें तो फोनेटिक का भूत अपने आप हट जायेगा। जब सामने होगा कि जिस बटन पर "त" लिखा है उसे दबने से "त" छपेगा तो t --> त का पूर्वाग्रह अपने आप मिट जायेगा।

एक टच टाइपिस्ट जब बिना देखे टाइप करता है तो उसकी अंगुलियाँ टाइप किये जाने वाले अक्षरों को अपने आप सही स्थान पर पहुँच कर टंकित करती हैं, उस समय उसके दिमाग में नहीं होता कि किस अंगुली को कहाँ जाना है।

आप यदि मुझसे पूछो कि इन्स्क्रिप्ट में प किस कुँजी से छपेगा तो मैं यह नहीं कह सकूँगा कि फलाँ अंग्रेजी वर्ण वाले बटन से छपेगा, मुझे याद भी नहीं आयेगा क्योंकि या तो वह मेरी अंगुलियों की मसल मेमोरी में दर्ज है या शायद कहीं मेरे अवचेतन मन में। मैं अपने हाथों को टाइपिंग की मुद्रा में फैला लूँगा और फिर किसी "प" अक्षर वाले शब्द को लिखने का क्रम करुँगा तो अपने आप अंगुली उठेगी और फिर मैं ध्यान करके बता सकूँगा कि "प" किस स्थान पर है।

इन्स्क्रिप्ट एक स्वतन्त्र कीबोर्ड लेआउट है जैसे क्वर्टी है, ड्वोरक है। आप लोग हिन्दी को अंग्रेजी वर्णों से जोड़ कर देखने की क्यों सोचते हैं, क्या किसी ने कभी कहा कि अंग्रेजी टाइप करने के लिये उन्हें फ्रेंच वर्णों/कीबोर्ड के आधार पर कीबोर्ड बनाना चाहिये?

एक बात और क्वर्टी मूलतः टाइपराइटर के लिये बना था, कम्प्यूटर के आने पर प्रचलित होने पर वही अपना लिया गया। लेकिन इन्स्क्रिप्ट बना ही कम्प्यूटर के लिये था, इन्स्क्रिप्ट में वर्णों में जिस सरल क्रम में लगाया गया है उससे ज्यादा सरल नहीं हो सकता, केवल कुछ वर्ण हैं जैसे हर वर्ग के पंचम अक्षर जिन्हें क्रम में नहीं रखा जा सका।

आम तौर पर ये होता है कि लोग इन्स्क्रिप्ट को सीखे बिना ही उसे कठिन बताने पर तुले होते हैं। मुझे आज तक एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जिसने सीखने के बाद इन्स्क्रिप्ट को मुश्किल बताया हो।

दरअसल दो कारण हैं।

1. इन्स्क्रिप्ट के भौतिक कीबोर्ड आम प्रचलित न होना। अगर ये कीबोर्ड आम उपलब्ध होते तो कोई भी कभी न तो इन्स्क्रिप्ट को मुश्किल बताता न हिन्दी टाइपिंग को। अगर हिन्दी वर्ण युक्त कीबोर्ड सामने हो तो कोई भी आम इंसान जिसे संयुक्ताक्षरों का पता हो (जैसे त्र = त +् +र) वह बिना कुछ सीखे हिन्दी लिखना शुरु कर सकता है।

2. इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड की संरचना और टाइपिंग सिखाने के लिये कोई भी "उपयुक्त" औजार अब तक नहीं है। मैं इस दिशा में काम कर रहा हूँ। मेरा परम विश्वास है कि यदि सही तरीके से मार्गदर्शन उपलब्ध हो तो केवल एक सप्ताह में इन्स्क्रिप्ट सीखा जा सकता है।

मैंने किसी जमाने में टाइपराइटर पर रेमिंगटन, फिर कम्प्यूटर पर बहुत समय फोनेटिक और अन्ततः इन्स्क्रिप्ट अपनाया।

४ जुलाई २०११ १०:४७ अपराह्न को, pks kolkata <pksharm...@gmail.com> ने लिखा:



--
Shrish Benjwal Sharma (श्रीश बेंजवाल शर्मा)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
If u can't beat them, join them.

ePandit: http://epandit.shrish.in/

ePandit | ई-पण्डित

unread,
Jul 4, 2011, 2:21:51 PM7/4/11
to technic...@googlegroups.com
इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड में भी बहुत सारे चिह्न पाए नहीं जाते ।
कौन से? यूनिकोड के ५ संस्करण तक के सारे चिह्न इन्स्क्रिप्ट में शामिल हैं। केवल संस्करण ६ में नये आये कुछ चिह्न (जो कि आम तौर पर अन्य भारतीय भाषाओं की ध्वनियों को देवनागरी में व्यक्त करने हेतु जोड़े गये हैं) इसमें नहीं हैं पर उनका आम तौर पर कहीं उपयोग नहीं होता।


पहले भारतीय लिपियों के अनुरूप एक भौतिक कीबोर्ड (physical keyboard) तैयार किया जाना चाहिए जिसमें न्यूनतम लगभग दो सौ कुंजियाँ होनी चाहिए ।

कम्प्यूटर में वर्चुअल कीबोर्ड या इनपुट मैथड ऍडीटर जैसी युक्तियाँ बनाने हेतु कीबोर्ड में मूलतः जो कुञ्जियाँ नियत हैं उन्हीं के आधार पर प्रोग्रामिंग की जा सकती है। 200 कुञ्जियों वाला कीबोर्ड पहले तो कोई कम्पनी बनायेगी नहीं फिर ऐसे कीबोर्ड के लिये ऑपरेटिंग सिस्टम में नये सिरे से कोर स्तर पर बदलाव करने होंगे क्योंकि कीबोर्ड के बटनों के Low level पर प्रतीकात्मक नाम होते हैं। इन्हीं नामों के आधार पर या उन्हें alias नाम देकर प्रोग्रामिंग भाषाओं में IME जैसे टूल बनाये जाते हैं। नये बटनों के लिये उन्हें कोर स्तर पर ऑपरेटिंग सिस्टम में परिभाषित करना होगा। ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम केवल हिन्दी कीबोर्डे के लिये कौन सी कम्पनी बनायेगी।

इसलिये तकनीकी स्तर पर ऐसा कीबोर्ड बनाना मुझे सम्भव नहीं लगता।

४ जुलाई २०११ ९:५३ पूर्वाह्न को, narayan prasad <hin...@gmail.com> ने लिखा:
--
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narayan prasad

unread,
Jul 5, 2011, 2:38:53 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
There are only 26 letters in employed in English and if both capital and small characters are taken into account, this number becomes 52. But the English keyboard contains keys more than double of this number. All these remaining keys will also be required in the physical keyboard meant for Indian scripts. Moreover, there are many symbols other than the alphabet used in Indian languages.
 
----Narayan Prasad 

2011/7/4 pks kolkata <pksharm...@gmail.com>

pks kolkata

unread,
Jul 5, 2011, 4:55:13 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
"...अच्छा अवसर माना जाए कि किसी एक ले-आउट का आधिकारिक मानकीकरण हो ही जाए।"

like i said earlier, there can be many standard layouts .. like
there are in english .. qwerty, azerty, dvorak, fitaly, etc

it is not necessary to have only one standard layout



2011/7/4 Anuradha R. <ranur...@gmail.com>

Anuradha R.

unread,
Jul 5, 2011, 5:26:22 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
Mr. pks kolkata,

I may be wrong, लेकिन जहां तक मैं समझ पाती हूं, स्टैंडर्ड का मतलब है, किसी चीज का एक ही, सर्वमान्य/ सर्वस्वीकृत 
प्रारूप। 

2011/7/5 pks kolkata <pksharm...@gmail.com>

pks kolkata

unread,
Jul 5, 2011, 6:55:04 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
"स्टैंडर्ड का मतलब है, किसी चीज का एक ही, सर्वमान्य/ सर्वस्वीकृत प्रारूप।"

you are not wrong


there is only ONE standard DVORAK layout
there is only ONE standard QWERTY layout
there is only ONE standard AZERTY layout

these are all for english


similaraly
there is only ONE standard INSCRIPT layout for hindi
there is only ONE standard INSCRIPT layout for bengali
there is only ONE standard INSCRIPT layout for oriya
there is only ONE standard INSCRIPT layout for assamese
there is only ONE standard INSCRIPT layout for tamil
there is only ONE standard INSCRIPT layout for gujrati
there is only ONE standard INSCRIPT layout for punjabi
there is only ONE standard INSCRIPT layout for telugu

so
there can be a new standard for unisusha, uninagari, phonetic,  etc
(all different layouts for hindi .. and maybe other languages too ?)



2011/7/5 Anuradha R. <ranur...@gmail.com>

pks kolkata

unread,
Jul 5, 2011, 7:10:20 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
hmm ...

could you pls list ALL the 200 characters needed for writing hindi

getting a keyboard with 200 keys IS possible .. there are
many manufacturers who make such keyboards



2011/7/5 narayan prasad <hin...@gmail.com>
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ePandit | ई-पण्डित

unread,
Jul 5, 2011, 9:40:25 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
अनुराधा जी से सहमत हूँ। स्टैण्डर्ड एक ही होता है, प्रचलित तथा लोकप्रिय कई हो सकते हैं। DVORAK, AZERTY आदि अच्छे लेआउट हैं लेकिन मानक नहीं हैं।

हाँ एक उपविषय के अन्तर्गत मानक हो सकता है। उदाहरण के लिये हिन्दी का मानक कीबोर्ड इन्स्क्रिप्ट है। अब फोनेटिक में कई लेआउट होते हैं, तो फोनेटिक का एक मानक लेआउट हो सकता है। हम ये तो कह सकते हैं कि फलाँ कीबोर्ड फोनेटिक का मानक कीबोर्ड है (यदि बन जाय तो) पर यह नहीं कह सकते कि हिन्दी के दो मानक कीबोर्ड हैं, इन्स्क्रिप्ट और फलाँ नाम वाला।

५ जुलाई २०११ २:५६ अपराह्न को, Anuradha R. <ranur...@gmail.com> ने लिखा:



--

pks kolkata

unread,
Jul 5, 2011, 11:27:51 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
some points have been replied off-list to avoid confusion here ..
the other point where all can provide their opinons/inputs is :
 
 
 
"हम ये तो कह सकते हैं कि फलाँ कीबोर्ड फोनेटिक का मानक कीबोर्ड है (यदि बन जाय तो) "
 
i think that this is a correct assessment of the current situation
 
maybe we could try to act so that फोनेटिक का मानक कीबोर्ड बन जाय
(many letters can be placed on keys with the same sound .. what
would need to be discussed, agreed & decided would be about
what letters, matraas, etc to be placed on keys like Q W Z X F )
2011/7/5 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>

अनुराधा जी से सहमत हूँ। स्टैण्डर्ड एक ही होता है, प्रचलित तथा लोकप्रिय कई हो सकते हैं। DVORAK, AZERTY आदि अच्छे लेआउट हैं लेकिन मानक नहीं हैं।

हाँ एक उपविषय के अन्तर्गत मानक हो सकता है। उदाहरण के लिये हिन्दी का मानक कीबोर्ड इन्स्क्रिप्ट है। अब फोनेटिक में कई लेआउट होते हैं, तो फोनेटिक का एक मानक लेआउट हो सकता है। हम ये तो कह सकते हैं कि फलाँ कीबोर्ड फोनेटिक का मानक कीबोर्ड है (यदि बन जाय तो) पर यह नहीं कह सकते कि हिन्दी के दो मानक कीबोर्ड हैं, इन्स्क्रिप्ट और फलाँ नाम वाला।

५ जुलाई २०११ २:५६ अपराह्न को, Anuradha R. <ranur...@gmail.com> ने लिखा:

Mr. pks kolkata,

I may be wrong, लेकिन जहां तक मैं समझ पाती हूं, स्टैंडर्ड का मतलब है, किसी चीज का एक ही, सर्वमान्य/ सर्वस्वीकृत 
प्रारूप। 

Anuradha R.

unread,
Jul 5, 2011, 11:49:37 AM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
"हम ये तो कह सकते हैं कि फलाँ कीबोर्ड फोनेटिक का मानक कीबोर्ड है (यदि बन जाय तो) "
बात फिर वहीं पहुंच रही है- अंधे मोड़ पर। फोनेटिक अंग्रेजी पर आधारित की-बोर्ड व्यवस्था है और उसमें मानक की तलाश करना रास्ते से भटकना है। बेहतर हो कि हम इनस्क्रिप्ट पर ही टिकें और यूनिकोड को ही स्वीकृत और प्रचलित होने के नाते मानक का दर्जा दें।
-अनुराधा

2011/7/5 pks kolkata <pksharm...@gmail.com>
--
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pks kolkata

unread,
Jul 5, 2011, 2:08:18 PM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
"फोनेटिक अंग्रेजी पर आधारित की-बोर्ड व्यवस्था है "
 
yes, it is .. and as of today, almost all pc users are
very famiiar with the position of the english alphabets
on the pc's keyboard .. for them, typing ka by hitting
'k'  and kha by shift+'k' is an easier option than
learning an entirely different layout ..
 
 
 
"और उसमें मानक की तलाश करना रास्ते से भटकना है।"
oh no .. rather, the need for a standard for a phonetic
layout is important .. otherwise, we will have to keep
facing several 'different' yet 'phonetic' layouts .. each
implemented by accomplished members like raman kaul,
e-pandit, and though most letters will be on the same
keys, several will be arbitrarily put on very different keys
(with 'proper' logic as per each maker of the layout)
 
it is quite ok to have several standards ..
 
just like you can use inch or centimeters to measure distance
 
both can co-exist (and yojan and kosh too .. indian 'standards')
 
..pks

 
2011/7/5 Anuradha R. <ranur...@gmail.com>

"हम ये तो कह सकते हैं कि फलाँ कीबोर्ड फोनेटिक का मानक कीबोर्ड है (यदि बन जाय तो) "
बात फिर वहीं पहुंच रही है- अंधे मोड़ पर। फोनेटिक अंग्रेजी पर आधारित की-बोर्ड व्यवस्था है और उसमें मानक की तलाश करना रास्ते से भटकना है। बेहतर हो कि हम इनस्क्रिप्ट पर ही टिकें और यूनिकोड को ही स्वीकृत और प्रचलित होने के नाते मानक का दर्जा दें।
-अनुराधा
 
 
 
 
  

ePandit | ई-पण्डित

unread,
Jul 5, 2011, 8:58:27 PM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
हम तो मान रहे हैं कि फोनेटिक में भी एक मानक हो परन्तु मैंने कई उदाहरण देकर समझाया कि फोनेटिक में मानक तय करना बहुत कठिन कार्य है क्योंकि सभी हिन्दी वर्णों  को 26 अंग्रेजी वर्णों पर फिट नहीं कर सकते, कहीं न कहीं समझौता करना होगा (वर्णों को बेतरतीब कुञ्जियों पर रखने का) और उन्हीं बातों पर सहमति नहीं बनेगी क्योंकि सबकी अपनी पसन्द है।

मैं अपने शुरुआती दिन याद करता हूँ, फोनेटिक से लिखना शुरु करना तो आसान है पर पूरी तरह सीखने में भी एक हफ्ता या उससे ऊपर ही लग जाता है। संयुक्ताक्षऱ बनाने का तरीका, नुक्ता, पूर्णविराम जैसे कई चिह्न बहुत देर से पता लगते हैं। कुल मिलाकर उतने समय में तो बन्दा इन्स्क्रिप्ट भी सीख ही सकता है (यदि सही तरीका अपनाये)। बात बस ये है कि फोनेटिक के प्रति बन्दे के मन में फोबिया नहीं होता इन्स्क्रिप्ट के प्रति फोबिया होता है।

लेकिन यदि इन्स्क्रिप्ट लेआउट वाले वर्णों युक्त हिन्दी कीबोर्ड (भौतिक या स्टीकर चिपका) हो तो मेरा दावा है कि एक फ्रेशर फोनेटिक से जल्दी इन्स्क्रिप्ट टाइप करेगा और सीखेगा भी जल्दी। अब यह स्थिति जानिये कि कम्प्यूटर पर आरम्भिक उपयोक्ता के लिये क्वर्टी लेआउट कितना मुश्किल होता है, इन्स्क्रिप्ट तो क्वर्टी से बहुत आसान और क्रमयुक्त है। आरम्भिक उपयोक्ता सोचता है कि ये कम्प्यूटर का कीबोर्ड A-Z क्यों नहीं होता, तब उसे वह आसान क्यों नहीं लगता दरअसल यह केवल अभ्यास की बात है। यदि इन्स्क्रिप्ट अंकित कीबोर्ड हो तो कुछ ही समय में वह भी आसान लगेगा।

एक केस स्टडी करने का मेरा इरादा है, दो फ्रेशर (हिन्दी के मामले में) बन्दों को दो तरीके से हिन्दी टाइप करने को कहा जाय। एक तो हो जिसे कोई फोनेटिक टाइपिंग औजार सक्रिय करके दे दिया जाय दूसरे को हिन्दी इन्स्क्रिप्ट स्टीकर युक्त कीबोर्ड दे दिया जाय। फिर देखा जाय कि कौन आसानी से हिन्दी टाइप कर पाता है। फोनेटिक वाला यूजर नुक्ता, अनुनासिक, ज्ञ, त्र आदि बनाने की सोचता रह जायेगा जबकि इन्स्क्रिप्ट वाले के सब सामने होगा, उसे बस केवल यह बता दिया जाय कि हलन्त कुञ्जी से अक्षर आधे होते हैं तो बाकी वह खुद पता कर लेगा। हमारे स्कूल में कम्प्यूटर लैब निर्माणाधीन है, पूरी होने पर बच्चों के साथ मैं यह प्रयोग करूँगा।

५ जुलाई २०११ ११:३८ अपराह्न को, pks kolkata <pksharm...@gmail.com> ने लिखा:
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ePandit | ई-पण्डित

unread,
Jul 5, 2011, 9:12:17 PM7/5/11
to technic...@googlegroups.com
लगता है एक लेख लिखना होगा कि फोनेटिक हिन्दी का मानक कीबोर्ड क्यों नहीं हो सकता। फिलहाल कुछ कारण बताता हूँ जिन पर अब तक बात नहीं हुयी।
  1. इन्स्क्रिप्ट में जहाँ वर्णों को हिन्दी भाषा में उनकी फ्रीक्वेंसी के आधार पर रखा गया है वहीं अंग्रेजी क्वर्टी को आप जानते ही हैं किस हिसाब से बनाया गया था। फोनेटिक में क्वर्टी लेआउट पर आश्रित होने से टाइपिंग में वह फ्रीक्वेंसी वाला गुण नहीं रहता।
  2. फोनेटिक टच टाइपिंग व्यवस्था नहीं है, फोनेटिक से टच टाइपिंग हेतु पहले अंग्रेजी क्वर्टी की टच टाइपिंग सीखनी होगी। मुझे अंग्रेजी क्वर्टी की टच टाइपिंग पहले से आती थी इसलिये मैं फोनेटिक में भी टच टाइपिंग कर लेता था लेकिन तब भी स्पीड बहुत कम आती थी, मैं सोचता था कि टच टाइपिंग कर ही लेता हूँ इन्स्क्रिप्ट पर जाऊँ या नहीं लेकिन इन्स्क्रिप्ट पर आने के बाद मेरी स्पीड बहुत बढ़ी। फ्रीक्वेंसी वाला कारण तो मैं बता ही चुका हूँ दूसरा फोनेटिक के लिये बीच में IME जैसे औजारों की दलाली होती है जिससे कई बार आदमी की स्पीड ज्यादा होने पर IME फोनेटिक के लिये बैकग्राउंड में चल रहे लिप्यन्तरण को उस स्पीड से प्रोसैस नहीं कर पाता परिणामस्वरुप जैसे "hai" का "है" की बजाय "हइ" बन जाता है। इसलिये फोनेटिक टच टाइपिंग के अनुकूल नहीं है।
  3. फोनेटिक प्रोग्रामिंग के हिसाब से सबसे कठिन है। इन्स्क्रिप्ट लेआउट हेतु कोई भी औजार बनाना प्रोग्रामर के लिये सबसे आसान है जबकि फोनेटिक में ट्राँसलिट्रेशन हेतु अलग से को़डिंग करनी पड़ती है। यहाँ तक कि आप जैसे एक बटन से एक वर्ण वाले फोनेटिक लेआउट की बात कर रहे हैं वो भी बिना इस ऍक्स्ट्रा कोडिंग के नहीं होता क्योंकि उसी कुञ्जी से उसी अवस्था में मात्रा भी लगनी है और उसी अवस्था में (बिना शिफ्ट के) स्वर भी छपना है। जबकि इन्स्क्रिप्ट में एक बटन से एक वर्ण छपने से किसी भी प्रोग्रामिंग भाषा में औजार बनाना बहुत सरल है।
और भी बहुत से कारण हैं, फिलहाल इतना ही।

मेरा औजार पूरा हो गया है और मैं फ्री हो चुका हूँ, डाउनलोड साइट पर जमा कराया है कुछ दिनों में पब्लिश हो जायेगा। एक तो इस औजार से आपको इन्स्क्रिप्ट अपनाने का एक और स्ट्रॉंग कारण मिलेगा। दूसरा हमारे स्कूल में कम्प्यूटर लैब बन रही है, वहाँ सारा तामझाम उपलब्ध हो जायेगा। मेरी योजना इन्स्क्रिप्ट पर कई वीडियो ट्यूटोरियल सहित लेखों की शृंखला लिखने की है जिससे आप सब इन्स्क्रिप्ट से अच्छी तरह परिचित हो सकेंगे तथा आपके मन से इन्स्क्रिप्ट फोबिया निकल सकेगा।

५ जुलाई २०११ ९:१९ अपराह्न को, Anuradha R. <ranur...@gmail.com> ने लिखा:



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pks kolkata

unread,
Jul 6, 2011, 11:26:39 AM7/6/11
to technic...@googlegroups.com
"एक केस स्टडी करने का मेरा इरादा है,"
 
good idea ..
 
thanks for your views and inputs
 
pks

2011/7/6 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>

pks kolkata

unread,
Jul 6, 2011, 11:41:00 AM7/6/11
to technic...@googlegroups.com
"सभी हिन्दी वर्णों  को 26 अंग्रेजी वर्णों पर फिट नहीं कर सकते, कहीं न कहीं समझौता करना होगा (वर्णों को बेतरतीब कुञ्जियों पर रखने का) और उन्हीं बातों पर सहमति नहीं बनेगी क्योंकि सबकी अपनी पसन्द है।"
 
what a sad thing .. we are unable to agree as
we place much more importance to our individual
preferences rather than to the need for a standard
which can be acceptable to all and will be good for
present and future users of the qwerty keybaord
 
(i don't see qwerty being replaced in the near future)
 


 
2011/7/6 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>

हम तो मान रहे हैं कि फोनेटिक में भी एक मानक हो परन्तु मैंने कई उदाहरण देकर समझाया कि फोनेटिक में मानक तय करना बहुत कठिन कार्य है क्योंकि सभी हिन्दी वर्णों  को 26 अंग्रेजी वर्णों पर फिट नहीं कर सकते, कहीं न कहीं समझौता करना होगा (वर्णों को बेतरतीब कुञ्जियों पर रखने का) और उन्हीं बातों पर सहमति नहीं बनेगी क्योंकि सबकी अपनी पसन्द है।

 

Anuradha R.

unread,
Jul 6, 2011, 11:56:18 PM7/6/11
to technic...@googlegroups.com
बढ़िया श्रीश जी। काम जारी रखिए। शुभकामनाएं।
-अनुराधा

2011/7/6 ePandit | ई-पण्डित <sharma...@gmail.com>

peekay

unread,
Jul 7, 2011, 1:39:13 PM7/7/11
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
i think this thread needs to be stopped now

many aspects have been discussed

my query about a standard has been answered

the need for a 'standard' for phonetic has been discussed

topic can now be closed

thank you all for such active participation and inputs

pk sharma
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