" ॉ (ऍ)" और "ऑ " इन स्वरों को भी मिले हिन्दी (देवनागरी) वर्णमाला मे स्थान ।

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Suyash

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Mar 9, 2016, 2:22:21 AM3/9/16
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
नमस्कार मित्रो,

         मानक हिन्दी (देवनागरी) वर्णमाला में "अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः"  इन बारा स्वरों का प्रमुखता से उल्लेख किया जाता है।
परंतु दो स्वर ऐसे भी है जो बहुत बार इस्तेमाल होने के बावजूद उन्हे अबतक हिन्दी वर्णमाला मे स्थान नही मिल पाया है । वे स्वर है -
" (ऍ)" और " ऑ "
यह दोनो स्वर प्रमुखता से अंग्रेजी शब्दों को हिन्दी में लिखने तथा उच्चारण के लिए इस्तेमाल किए जाते है ।

भाषा को परिपूर्ण रुप से दर्शाने के लिए यह जरुरी है कि, उसके प्रत्येक वर्ण (अक्षर) को भाषा के वर्णमाला में स्थान दिया जाए । यह बात भाषा विकास तथा मानकीकरण (Standardization) के लिए आवश्यक है ।

यह अनुरोध है कि इस महत्त्वपूर्ण विषय पर विचार करे और सुझाव दे ।

dhaval patel

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Mar 9, 2016, 3:13:29 AM3/9/16
to technic...@googlegroups.com

आवश्यक नहीं है कि हर परदेशी स्वर के लिये मानक वर्णमाला में स्थान बनाया जाए । तमिल भाषा क,ख,ग,घ,ह के लिये एक ही वर्ण रखती है । हिन्दी व्यञ्जनों के लिये मानक व्यवस्था बदलना उन्हें हितावह नहीं लगा । अतः मानक व्यवस्था में फेरबदल की आवश्यकता नहीं है मेरे मन्तव्य में ।

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Suyash

unread,
Mar 9, 2016, 3:57:32 AM3/9/16
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
महाशय,
    ऐसा बिल्कुल नही है कि, " ॉ (ऍ)" और "ऑ " यह विदेशी स्वर है ।
इनका उच्चारण विदेशी भाषा के लिए जरुर है पर यह पूरी तरह भारतीय स्वर है ।
यह पूरी तरह देवनागरी लिपी के ही स्वर है न की किसी लैटीन लिपी के ।
    जैसे कि मैने पहले ही बताया
भाषा को परिपूर्ण रुप से दर्शाने के लिए यह जरुरी है कि, उसके प्रत्येक वर्ण (अक्षर) को भाषा के वर्णमाला में स्थान दिया जाए । यह बात भाषा विकास तथा मानकीकरण (Standardization) के लिए आवश्यक है ।  इस बात को अच्छे से समझना विद्वानोंको आवश्यक है ।
    आधी- अधूरी वर्णमाला रख कर हम यह नही कह सकते की हम हिन्दी के प्रचारक है । अगर हिन्दी को सच में परीपूर्ण बनाना है तो इसकी वर्णमाला भी परीपूर्ण बनानी होगी ।
    हिन्दी तोडने की नही, जोडने की भाषा है। इस मे कई बोलियाँ सम्मिलित है, लोगों के दिलो को यह जोडती है । तो यह कितना उचित है कि हम उसके मूल स्वरो को भी दर्शाने से परहेज करे? इस बात पर जरा सोचे ।
    जहाँ तक तामिल की बात है, उस भाषा के लिपी मे "क,ख,ग,घ"
इन वर्णों को दर्शाने के लिए अलग- अलग अक्षर उपलब्ध नही है इसिलिए वहाँ पर एक ही वर्ण प्रयुक्त किया जाता है । और यह उस भाषा की विशेषता है न की कमजोरी । तामिल और हिन्दी के उच्चारण/ लेखन में भी बहुत भिन्नता है । तो यह उचित नही होगा की हम उनके लिपीयों की तुलना करें ।
   
यह सबसे अनुरोध है की अपने हिन्दी को अधिक परिपूर्ण बनाने की कोशिश करे ।

Hariraam

unread,
Mar 9, 2016, 5:09:49 AM3/9/16
to technic...@googlegroups.com
देवनागरी लिपि के नवीनतम मानक BIS IS 16500:2012 के बिन्दु संख्या-3.3.2.1.1 एवं 3.3.2.2.9 में  उक्त दोनों वर्णों सहित और अनेक वर्णों को भी रखा जा चुका है।

हरिराम
प्रगत भारत <http://hariraama.blogspot.in>

--
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narayan prasad

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Mar 9, 2016, 5:21:43 AM3/9/16
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
<<ऐसा बिल्कुल नही है कि, " ॉ (ऍ)" और "ऑ " यह विदेशी स्वर है ।>>

मैं जानना चाहता हूँ कि हिन्दी की किस उपभाषा या बोली में यह ध्वनि है ।


<< हिन्दी तोडने की नही, जोडने की भाषा है। इस मे कई बोलियाँ सम्मिलित है, लोगों के दिलो को यह जोडती है । तो यह कितना उचित है कि हम उसके मूल स्वरो को भी दर्शाने से परहेज करे? इस बात पर जरा सोचे । >>

आपके कहने का मतलब केवल स्वर से ही है, या किसी भी ध्वनि से ? उपर्युक्त स्वर को तो मानकीकृत विस्तारित (extended) देवनागरी में स्थान दे दिया गया है, लेकिन कुछ ऐसी भी ध्वनि है जिसको कोई स्थान नहीं मिला, अर्थात् अभी तक मुझे उसके लिए कोई चिह्न कहीं नहीं दिखाई दिया । इसके बारे में बहुत पहले ही चर्चा कर चुका हूँ (र् + ह के एक ध्वनि के रूप में, जैसे, ड़् + ह के लिए ढ़) ।

2016-03-09 14:23 GMT+05:30 Suyash <suyas...@gmail.com>:
 महाशय,
    ऐसा बिल्कुल नही है कि,
" ॉ (ऍ)" और "ऑ " यह विदेशी स्वर है । इनका उच्चारण विदेशी भाषा के लिए जरुर है पर यह पूरी तरह भारतीय स्वर है ।
यह पूरी तरह देवनागरी लिपी के ही स्वर है न की किसी लैटीन लिपी के ।
    जैसे कि मैने पहले ही बताया
भाषा को परिपूर्ण रुप से दर्शाने के लिए यह जरुरी है कि, उसके प्रत्येक वर्ण (अक्षर) को भाषा के वर्णमाला में स्थान दिया जाए । यह बात भाषा विकास तथा मानकीकरण (Standardization) के लिए आवश्यक है ।  इस बात को अच्छे से समझना विद्वानोंको आवश्यक है ।
    आधी- अधूरी वर्णमाला रख कर हम यह नही कह सकते की हम हिन्दी के प्रचारक है । अगर हिन्दी को सच में परीपूर्ण बनाना है तो इसकी वर्णमाला भी परीपूर्ण बनानी होगी ।
    हिन्दी तोडने की नही, जोडने की भाषा है। इस मे कई बोलियाँ सम्मिलित है, लोगों के दिलो को यह जोडती है । तो यह कितना उचित है कि हम उसके मूल स्वरो को भी दर्शाने से परहेज करे? इस बात पर जरा सोचे ।
    जहाँ तक तामिल की बात है, उस भाषा के लिपी मे "क,ख,ग,घ"
इन वर्णों को दर्शाने के लिए अलग- अलग अक्षर उपलब्ध नही है इसिलिए वहाँ पर एक ही वर्ण प्रयुक्त किया जाता है । और यह उस भाषा की विशेषता है न की कमजोरी । तामिल और हिन्दी के उच्चारण/ लेखन में भी बहुत भिन्नता है । तो यह उचित नही होगा की हम उनके लिपीयों की तुलना करें ।
   
यह सबसे अनुरोध है की अपने हिन्दी को अधिक परिपूर्ण बनाने की कोशिश करे ।



On Wednesday, March 9, 2016 at 12:52:21 PM UTC+5:30, Suyash wrote:

--

Hariraam

unread,
Mar 9, 2016, 5:42:53 AM3/9/16
to technic...@googlegroups.com
नारायण जी,

देवनागरी लिपि के नवीनतम मानक BIS IS 16500:2012 के बिन्दु संख्या-3.3.2.2.6 में उल्लेख है--

"दक्षिण भारत की भाषाओं के 'र' का कठोर उच्चारण 'र' (इसे र के नीचे underscore लगाकर दर्शाया गया है।)"

लेकिन युनिकोड में केवल 
(1)
0931 ऱ DEVANAGARI LETTER RRA
• for transcribing Dravidian alveolar r
• half form is represented as “Eyelash RA”
≡ 0930 र 093C $


और 

(2)

A8EF - COMBINING DEVANAGARI LETTER RA
= vaidika saamasvara ra


का उल्लेख मिलता है।



हरिराम
प्रगत भारत <http://hariraama.blogspot.in>

Suyash

unread,
Mar 9, 2016, 5:53:04 AM3/9/16
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
Narayan Prasad जी ,

        "ऍ" और "ऑ" हम अंग्रेजी भाषा को हिन्दी देवनागरी मे दर्शित करने के लिए प्रयुक्त करते है । यह किसी हिन्दी बोली का स्वर नही है पर
"ऍ" और "ऑ" यह वर्ण देवनागरी लिपी के ही है ।
      हिन्दी के सभी स्वर तथा व्यंजन उसके वर्ण अक्षरों के साथ वर्णमाला में शामिल हो यह मेरा आग्रह है । इसिलिए जितनी भी हिन्दी वर्णमालाएँ वितरीत की जाती है, विद्यालयो मे बच्चों को सिखायी जाती है,
उन सब मे "ऍ" और "ऑ"  यह वर्ण जरुर शामिल किए जाने चाहिए।
         दुसरी बात, र्+ह के लिए संयुक्त अक्षर उपलब्ध है । वह है - "र्‍ह" । यानि " र्+ह=र्‍ह "




On Wednesday, March 9, 2016 at 12:52:21 PM UTC+5:30, Suyash wrote:

Hariraam

unread,
Mar 9, 2016, 6:03:48 AM3/9/16
to technic...@googlegroups.com
सुयश जी,

आपके कहने का तात्पर्य यह है?--

पहली कक्षा में पढ़ाई जानेवाली "हिन्दी वर्णमाला" पुस्तक में उक्त दोनों वर्ण भी शामिल होने चाहिए

-- हरिराम

2016-03-09 16:23 GMT+05:30 Suyash <suyas...@gmail.com>:
Narayan Prasad जी ,

        "ऍ" और "ऑ" हम अंग्रेजी भाषा को हिन्दी देवनागरी मे दर्शित करने के लिए प्रयुक्त करते है...

Suyash

unread,
Mar 9, 2016, 6:16:03 AM3/9/16
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
Hariram जी,
         आप ने जो कहा वो बिल्कुल सत्य है । पहली कक्षा में पढ़ाई जानेवाली "हिन्दी वर्णमाला" पुस्तक में उक्त दोनों वर्ण भी शामिल होने चाहिए यह मेरा मत है ।
और उसके साथ जो लोग नए से हिन्दी पढ रहे है उन्हे भी यह वर्ण सिखने चाहिए ।

धन्यवाद ।



On Wednesday, March 9, 2016 at 12:52:21 PM UTC+5:30, Suyash wrote:

Hariraam

unread,
Mar 9, 2016, 6:47:09 AM3/9/16
to technic...@googlegroups.com
मेरे विचार:

वर्तमान युनिकोड में देवनागरी लिपि में अनेकानेक वर्ण (परिवर्धित देवनागरी से लेकर वैदिक स्वरों तक)  घिच्च-पिच्च करके शामिल कर दिए गए हैं। देवनागरी लिपि वर्तमान भारत के संविधान में मान्यताप्राप्त 22 भाषाओं में से 11 भाषाओं की अधिकृत लिपि है। यदि सभी अपनी भाषा से संबंधित वर्णों को भी पहली कक्षा की पुस्तक में शामिल करने का जोर डालने लगें तो कैसा होगा? छोटे-छोटे बच्चों के दिमाग पर कितना बोझ पड़ेगा?

अतः मेरे विचार में हिन्दी भाषा के लिए देवनागरी वर्णमाला पुस्तक के पहले पन्ने पर केवल  "मूल स्वर" व "मूल व्यंजन" ही रहने चाहिए। 

अन्य परिवर्धित वर्णों को अलग पृष्ठ पर रख कर उनकी पूरी जानकारी उदाहरण सहित दी जानी चाहिए।

युनिकोड कोन्सोर्टियम से भी मैंने अनेक बार अनुरोध किया था कि जैसे युनिकोड में बेसिक लेटिन लिपि को अलग समूह में और एक्सटेण्डेड लेटिन वर्णों को अलग-अलग समूह के कोड-चार्ट में निम्नवत् रखा  गया है--


उसी प्रकार मूल देवनागरी को अलग समूह में
और परिवर्धित देवनागरी को दूसरे समूह के कोड-चार्ट में अलग से रखा जाना चाहिए।

लेकिन तूती की आवाज कौन सुनता है? वीटो पॉवर के लिए प्रतिवर्ष 12000 डॉलर की मेम्बरशिप फीस मैं कहाँ से दे सकता हूँ?


हरिराम
प्रगत भारत <http://hariraama.blogspot.in>

Suyash

unread,
Mar 9, 2016, 9:08:15 AM3/9/16
to Scientific and Technical Hindi (वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिन्दी)
सुझावों के लिए सबका धन्यवाद ।


On Wednesday, March 9, 2016 at 12:52:21 PM UTC+5:30, Suyash wrote:
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