''मीठे बच्चे - बाप और वर्से को याद करने में तुम्हारी कमाई भी है तो तन्दरूस्ती भी है, तुम अमर बन जाते हो''
प्रश्न: हृदय को शुद्ध बनाने की सहज युक्ति कौन सी है?
उत्तर: कहाँ भी रहो ट्रस्टी होकर रहो। हमेशा समझो हम शिवबाबा के भण्डारे से खाते हैं। शिवबाबा के भण्डारे का भोजन खाने वालों का हृदय शुद्ध होता जाता है। प्रवृत्ति में रहते अगर श्रीमत प्रमाण डायरेक्शन पर ट्रस्टी बनकर रहते तो वह भी शिवबाबा का भण्डारा है, मन से सरेन्डर हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) यह कल्याणकारी संगमयुग है, इसमें हर बात में कल्याण है, कमाई ही कमाई है। बाप और वर्से को याद कर 21
जन्म के लिए जीवन को अमर बनाना है।
2) प्रवृत्ति में रहते मन-बुद्धि से सरेन्डर होना है। श्रीमत पर खर्चा करना है, पूरा ट्रस्टी होकर रहना है। शिवबाबा का भण्डारा भरपूर काल कंटक दूर.....।
वरदान: अनुभव की विल पावर द्वारा माया की पावर का सामना करने वाले अनुभवीमूर्त भव
सबसे पावरफुल स्टेज है अपना अनुभव। अनुभवी आत्मा अपने अनुभव की विल-पावर से माया की कोई भी पावर का, सभी बातों का, सर्व समस्याओं का सहज ही सामना कर सकती है और सभी आत्माओं को सन्तुष्ट भी कर सकती है। सामना करने की शक्ति से सर्व को सन्तुष्ट करने की शक्ति अनुभव के विल पावर से सहज प्राप्त होती है, इसलिए हर खजाने को अनुभव में लाकर अनुभवीमूर्त बनो।
स्लोगन: एक दो को देखने के बजाए स्वयं को देखो और परिवर्तन करो।
मन्सा सेवा के लिए: शुद्ध संकल्पों के सागर के तले में जाकर साइलेन्स स्वरूप हो जाओ। दाता, विधाता और वरदातापन के संस्कार इमर्ज करो। इसी सेवा में बिजी रहो तो समस्याओं का लंगर उठ जायेगा।