कश्मीर के हालात पर एक कविता-----

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Ravinder Sanjay

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Sep 11, 2014, 9:25:28 AM9/11/14
to bharatswabhimantrust, swadeshibharatpeethamtrust

कश्मीर के हालात पर एक कविता-----

ओ जन्नत के वाशिंदों,अब क्यों इतने लाचार हुए,
कहाँ तुम्हारी पत्थर ईंटे,कहाँ सभी हथियार हुए,
कहाँ गया जेहाद तुम्हारा,पाक परस्ती कहाँ गयी,
कहाँ गए वो चाँद सितारे,नूरा कुश्ती कहाँ गयी,
कहाँ गयी बाज़ार की बंदी,दीन के फतवे कहाँ गए,
केसर कहवा,सेब और अखरोटी रुतबे कहाँ गए,
पुन्य हिमालय की छाया में रहकर उसको गाली दी,
तुमने तब तब छेद किये है जब जब हमने थाली दी,
खूब जलाया ध्वजा तिरंगा,झंडा हरा उठाया था,
लाल चौक पर जब जी चाहा तब कोहराम मचाया था,
भारत के फौजी न तुमको फूटी आँख सुहाए थे,
नारे मुर्दाबाद हिन्द के तुमने रोज लगाए थे,
कुदरत कुछ नाराज़ हुयी तो,अल्ला अकबर भूल गए,
दाढ़ी टोपी तकरीरें,लाहौर पिशावर भूल गये,
अब क्यों चढ़े छतों पर घर की,क्यों झोली फैलाए हो,
जिन आँखों में नफरत थी क्यों उनमे आंसू लाये हो,
अरे मोमिनो,क्या अब भी आँखों पर पत्थर छाये है,
देखो,काफिर फौजी तुमको रोटी देने आये हैं,

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Ravinder kumar
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