अगर बीजेपी को पूर्वी भारत में अपने दम पर चुनाव लड़ना है तो पूर्वी भारत में चुनाव की कमान बीजेपी को तपन घोष के हाथो में दे देनी चाहिए और ये जितनी जल्दी हो उतना अच्छा है, जिससे वो अपनी पहुच लोगो तक बना सके, नहीं तो जिस प्रकार दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने में देरी की उसका कुछ नुकसान बीजेपी को जरूर होगा, उसी प्रकार बीजेपी पूर्वी भारत में भी अपना नुकसान कर लेगी. तपन घोष एक प्रभावशाली, निडर, ईमानदार देशभक्त स्वयंसेवक है, और अगर बीजेपी उन्हें ये जिम्मेदारी देती है तो ये निश्चित है की बीजेपी की लोकप्रियता वो बहुत ही कम समय में वहां शिखर पर पहुचा देंगे, बीजेपी अभी ममता के चक्कर में पडी है, लेकिन ममता की मुस्लिम तुस्टीकरण की नीति भविष्य में बीजेपी के लिए मुश्किल खडी कर देगी, और अभी तक उनके किसी वयां से ऐसा नहीं लगता की वो बीजेपी के साथ आयेंगी.
ममता बनर्जी जो मुस्लिमो वोट के सहारे मुख्यमंत्री बनी उसे पता है बीजेपी के साथ जाने से उसके २८% मुस्लिम मतदाता उससे नाराज हो जायेगे, जो बिहार के नीतीश सरकार के मुस्लिम वोटरों से कही ज्यादा है.
वैसे भी मीडिया ने मोदी को इतना बदनाम कर दिया है की बीजेपी कुछ कर ले उसे मोदी के रहते बीजेपी को ३-४% ये ज्यादा मुस्लिम वोट नहीं मिलने वाला, लेकिन हिन्दू वोट में जबरदस्त बढोतरी तो हो रहा है बस इसको और तेजी से बढाने के लिए कुछ देशभक्त हिन्दूवादी नेताओ को आगे लाने की जरूरत है, लेकिन मौकापरस्तो को नहीं. तो फिर मुस्लिम वोट के चक्कर में क्यों पड़ना?आज तक मुझे एक भी मुस्लिम ऐसा नहीं मिला जो बीजेपी को २०१४ में करने के लिए हां बोला हो, मेरे कितने ही मोदी की खूबियाँ बताने के बाद भी. मुझे ऐसा लगता है इस बार अगर मोदी PM बन जाये तो शायद अगली बार उनका वोट पा सकते है, लेकिन इस बार नहीं तो क्यों मुस्लिम वोट के चक्कर में फालतू में बीजेपी को अपना समय बर्बाद करना चाहिए. तपन घोष एक बहुत ही प्रभावशाली वक्ता है, पूर्वी भारत को बहुत अच्छी तरह समझते है, वहां के समस्याओ को जानते है और हिन्दुओ में बहुत लोकप्रिय है और पश्चिम बंगाल में बीजेपी के तरफ से ममता के काट हो सकते है. बस बीजेपी को जल्दी से जल्दी उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए मना लेना चाहिए.
जय हिन्द
संदीप कुमार मौर्य