Dear all,
I wish all of you on behalf of childrens day..
Let us recall our sweet memories in our childhood...
I amsharing herewith a good poem of my friend Bk Mukesh..Bikaner
*हैप्पी चिल्ड्रन डे*
अपना बचपन याद आ गया।
ना कोई शेम्पू होता और ना कोई कंडीशनर
और ना ही कोई बेबी सोप।
हमारी मां ही गर्दन पकड़कर पाटे पर बिठाकर पांच ही मिनट में 555 कपड़े धोने की साबुन से नहला देती थी और अगर हम थोड़ा भी ची ची पी पी करते तो कान के नीचे दो तीन 👋👋 लगाकर नहला देती थी और फिर ठुड्डी पकड़कर हमारे बाल संवार देती थी, आंखों में काजल लगा देती थी,
बिल्कुल टॉप ब्रांड का बच्चा बनाकर कहती
जाओ मेरे शेर खेलो मिट्टी में जाकर
😆😍