[8/26, 13:59] Khajuria I D: मानवता व शांति के पक्ष में
खड़े हो कर ही बिनाशकारी युद्धों व पर्यावरणीय अंसतुलन से बचा जा सकता है ।
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क्या सचमुच हमारे आर्थिक राजनीतिक व विकास करने का ढांचा अति चरित्रहीन व अति भ्रष्ट हो चुका है या प्राकृतिक प्रक्रियाएं तथा अंर्तक्रियाएं इतनी दुषित हो गई हैं और अति अंत की ओर बढ़ रही हैं यहां मानव की समझ में नहीं आ रहा है या प्राकृतिक ढांचे में कोई नया बदलाव आने बाला है।
एक सच्चाई तो हमें समझ आती ही है कि इस प्रक्रिति में कोई भी घटना दिखती हो या न दिखती हो जब घटती है तो समझ में यही आता है कि यह मानव की ग़लती से घंटी या फिर समझने में मुश्किल होती हो तो प्रक्रिति का खेल मान कर चुप हो जाना हमारी आदत बन चुकी है।
परन्तु हम 21वीं शताब्दी में भी अपने ज्ञान के आधार पर न ही सोच रहे हैं और न ही तय कर रहे हैं यह हम भारी अन्याय कर रहे हैं अपनी इस पीढ़ी से और आने बाली अगली पीढ़ी ओं से।
इसी तरह हम अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न तो राजनीतिक विज्ञान को समझते हैं न ही राजनीतिक पार्टियों का ज्ञान व प्लान (योजना ) समझने में अपना योगदान देते हैं।
राजनीतिक पार्टियों के उन नारों और साजिशों का हिस्सा बन जाते हैं जो साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं कभी कभी तो खुनी खेल भी हो जाते हैं या फिर राजनीतिक पार्टियों के आपसी नीतियों को बढ़िया और नीचा दिखाने के खेल का हिस्सा वन जाते हैं और अव तो एक दूसरे के बोट कटाने या बढ़ाने की साजिशों में भागीदारी बनते जा रहे हैं।
और असली फर्ज जो राष्ट्र हित में निभाना होता है या जनता के अधिकारों को (जिसमें जीवन सुरक्षा,हर हाथ को काम, फ्री एजूकेशन, फ्री मैडीकल सर्बिसज नौ जबानों के लिए हर हाथ में काम,हर परिवार को मकान,मुफ्त बिजली,हर गांव में गाड़ी जाने योग्य सड़क , पीने का पानी , खेलों के मैदान आदि । पटबारी, बिजली, पानी के जेई आदि अफसर ढाबों में बैठने चाहिए ताकि जनता को मिलने में आसानी हो।
परंतु जनता की बुनियादी मांगों को लेकर राजनीतिक पार्टियों को कोई ध्यान नहीं होता सिर्फ हैलीकॉप्टर पर आए हुए बी बी आई पी के ईलान का इंतजार होता है उसी का शोर सुनता है और और जनता की सुनबाई कोई नहीं कराता है।
उसके बाद फिर सरकारें बनती हैं तो भी बी आई पी आते हैं दिल्ली से ही कंट्रैक्टर और दिल्ली से ही कंट्रैक्ट साथ लेकर बताते हैं कि आप खेत खाली करो बहुत चौड़ी और बहुत ऊंची सड़क आ रही आप बहुत जल्दी दिल्ली पहुंचेंगे।
फिर एक और बहुत बड़ा कंट्रैक्टर आता है कहता है आप जमीन खाली करो और हमें दो हम बहुत बड़ी बड़ी फैक्ट्रीयां और इंडस्ट्रीज लगा रहे हैं और आप की तरक्की होगी।
परन्तु नौकरी आप को नहीं दे सकते हैं वैसे ही आप की जिंदगी बदल देंगे ।
आप की मिट्टी,रेत,बजजर , पत्थर, छोटे टिले -पहाड़ीयां , पानी के स्रोत,माल मधेशी सब खत्म कर देंगे फिर आप आराम से रह सकते हैं।आपको कोई काम नहीं करना होगा घर में आराम से रह सकोगे आप की
, यू टी, की बड़ी प्रगति होगी ।
बड़ी मशीनें और बड़े बड़े ट्राले और भारी भारी रेत बजरी के लम्बे लम्बे ट्रक चलेंगे तो आप को आने जाने में चार -पांच साल की परेशानी होगी परंतु जम्मू-कश्मीर भारत का पक्का मुकुट बन जाएगा।
हां मानी हुई कड़वी सच्चाई तो यही है कि हमारा राजनीतिक और सामाजिक दर्जा निम्न स्तर तक गिर चुका है आर्थिक स्थिति तो गिरनी लाज़मी है कि जमीन व नौकरी की गारंटी नहीं रही ।इस यू-टी मैं स्थाई शांति की तो कोई आशा नहीं ।
हां पिछले छे सालों में हमारा पर्यावरण बिल्कुल बुरी तरह बदल गया है
पहले तो पढ़ने से ही ज्ञान हुआ कि पर्यावरण बदल रहा है, जमीन औसतन से ज्यादा गर्म हो रही है और मौसम बदल रहे हैं जिसे क्लाइमेट चेंज भी कह रहे हैं और पुरी दुनिया के लोग चिंतित भी हैं और आवाज़ भी बुलंद कर रहे हैं हमारे साथ के दो पहाड़ी राज्यों उत्तराखण्ड और हिमाचल में जब से बिकास का नारा बुलंद किया अंधाधुंध पेड़ों की कटाई शुरू हुई ऊंची ऊंची ईमारतें खड़ी हुई तो जनता को समझ लगी हमारी ज़मीन हमारे खनन पदार्थ लुटने वाले हैं हमारे पेड़ कटने बाले हैं । शांतिपुरण आंदोलन तो चले परन्तु जो कारपोरेट मंसुबे थे वो आहिस्ता आहिस्ता आगे आगे बढ़ते गए।
पिछले कुछ सालों से सुनते हैं बादल फटते हैं बड़ा बड़ा नुक्सान होता है और इन्सानी जाने भी जातीं हैं
इस साल इन दो राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर किश्तवाड़ -चैसोटी में भी जो बादल फटे इस ने तो बरसों पहले के केदारनाथ हादसे के जैसा महसूस करा दिया। उसके बाद तो रोज का खतरा बन गया है उस में जिला कठुआ तो समय समय पर रोज काम्पता है और जनता का जानी -माली नुकसान तो करता है ज़िला कठुआ के राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो पुलों को गिरा दिया जिससे आवागमन बाधित हुआ है जिससे जनता को परेशानी होना सभाबिक है।
अब भी वक्त है संभल जाओ नहीं तो 35500 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का प्लान है सरकार और106 कंपनीयों का किसान से और अपनी चुनी हुई सरकार ही जमीन छीनने के लिए लड़ेगी सबसे पहले हमला किसानों पर ही होगा क्योंकि जमीन लेनी है। फूड सिक्योरिटी आम जनता के हाथों से ले कर कॉरपोरेट को देने के लिए क्यों कि किसान न काबिल हैं।
किसान तो फिर भी कुछ दिन झेल जायेगा लेकिन बाकी तबके तो इतना भी नहीं झेल पायेंगे।निशाना किसान दिखाये जा रहे हैं लेकिन इसका शिकार तमाम आम लोग भी होंगे जैसे छोटे दुकानदार/व्यापारी/कामगार/मजदूर आदि। और ख़ास बात यह है इन तबकों को अहसास ही नहीं है कि आगे क्या होने वाला है।इन तबक़ों को धर्म का और जात-पात का नशा चढ़ा दिया गया है
जब कि मौसम के इस बदलाव ने जम्मू-कश्मीर में हा हा कार मचा दी है चाहे कश्मीर बादी हो या जम्मू क्षेत्र में पीर पंचाल का क्षेत्र हो,चिनाब वैली क्षेत्र हो या फिर जम्मू का मैदानी और कणडी क्षेत्र हो आज 26-8-2025 रात तक सुचना के आधार पर सारी आबादी हिल चुकी है।सारे दरिया पुंछ से लेकर दरिया रवि तक जिस में दरिया चिनाब,तबी,बसंतर,तरनाह,उज,सहार,मघगर सभी के सभी खतरे से उपर पानी से बैह रहे हैं। कठुआ में नेशनल हाईवे पर विजयपुर और जम्मू में बड़े पुल टूट कर बह गये हैं।
बहुत से लोग बेघर हो गए हैं।केई परिवारों ने अपने घरों से बाहर किसी रिस्तेदारों , मित्रों या कम्युनिटी सेंटर में आसरा बनाया है।सरकार ने भी कल से स्कूल व सरकारी दफ्तर या अन्य कारोबार बन्द रखने के हुक्म दिये हैं ।
आज हम सब के लिए सोचने और समझने का भी चैलेंज है कि कहीं मानवजाति से ही तो नहीं कोई बड़ी ग़लती हो रही है कि मानव ने अपने लालच को पुरा करने अपने आप को बड़े दौलतमंद बनाने अपने राज्य बनाने,देश बनाने फिर उसकी रक्षा करने के लिए हथियार बंद पोजीशन बनाना फिर दुसरे राज्यों को जीतने या उसे दबाने या गुलाम बनाने के लिए हमले करने और हमलों में गोला बारूद इस्तेमाल करते करते आज एटम बम्ब , मिज़ाइल और न्यूक्लीयर हथियारों तक पहुंचना और इन्हें आज तक जारी रखना।
जिस के लिए प्रकृति स्रोतों को जिन में जल ,जंगल , जमीन , ऊर्जा और हवा को हद से ज्यादा इस्तेमाल करना और ज़मीन के नीचे से बड़ी बड़ी खाने निकालकर उन में से कोयला, सोना, चांदी, लोहा, लिथियम, पैट्रोलियम पदार्थ आदि बिना लिमिट निकालने का लालच करना जिससे भी हमारी पृथ्वी पर अंसतुलन बनता है जो ऐसे हालात पैदा करते हैं।
जब तक लालच की मानसिकता खत्म नहीं होगी, खासकर कारपोरेट्स की बडे से बडा बनने की मानसिकता का अंत न हो और कारपोरेट्स की बफादार सरकारें और पार्टियों की मानव ब प्रकृति विरोधी नीतियों का खात्मा न हो तब तक मानवता को और सब नस्ली पहचानोंको साथ लेने की राजनीति अपनानी होगी।
जंगों और टकराव की राजनीति का अंत करना होगा मानवता और अंतरनिर्भरता, सहभागिता, सह-अस्तित्व और भिन्नता में एकता का युग लाना होगा।
आई डी खजुरिया।
26-8-2025
[8/27, 02:11] Khajuria I D: हिंदू सिख ईसाई मुसलमान
सबसे पहले हैं इन्सान ।
इन्सानियत सबसे महान है
गर्व से कहो हम इन्सान हैं।