ब्रह्म-सम्‍बन्‍ध

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Neeraj Sharmaa

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Aug 5, 2009, 8:59:49 AM8/5/09
to shrin...@googlegroups.com, susmita sharma
मौलिक यह विशेष तुम्‍हारे लिये है ! Mr. Maulik Shah its specially for you.



ब्रह्म-सम्‍बन्‍ध क्‍या है ?

जीव के स्‍वभावगत समस्‍त दोषों की निवृति के लिए पुष्टिमार्ग में आचार्य द्वारा जीव का ब्रह्म से सम्‍बन्‍ध स्‍थापित करते हुए आत्‍म-निवेदन कराया जाता है, इसी का नाम ब्रह्म  सम्‍बन्‍ध है। श्रीकृष्‍ण जी परब्रह्म है जिन्‍हें वेदो में ब्रह्म, स्‍मृतियों में परमात्‍मा एवं पुराणों में भगवान कहा गया है। श्रीकृष्‍ण के स्‍वरूप-ज्ञान के अभाव में उनसे सम्‍बन्‍ध जोडना संभव नहीं है। श्रीकृष्‍ण का स्‍वरूप रसात्‍मक होने से भावना द्वारा ही उनका वरण संभव है। ब्रह्म-सम्‍बन्‍ध जीव का प्रभु को भावनात्‍मक वरण है। इस वरण में शरणागति, दैन्‍य भाव, अनन्‍य प्रेम एवं सर्वस्‍व समर्पण का भाव आवश्‍यक है। श्रीकृष्‍ण-परायण, परम भगवदीय, आचार्य अथवा गुरू के माध्‍यम से ब्रह्म के साथ भावात्‍मक सम्‍बन्‍ध स्‍थापित कर लेने पर प्रेम भक्ति का मार्ग प्रशस्‍त हो जाता है।

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rgds
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Neeraj Sharmaa

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Aug 5, 2009, 9:01:58 AM8/5/09
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