तो भाई इस आस्था की व्युत्पत्ति को आप कुछ अड़े रहना की भावना से निकला माने..
धार्मिक संकल्प यह भले न हो.. निश्चित ही इस में संशय का निषेध है.. जैसे कोई
अड़ जाय कि सचिन दुनिया का बैस्ट बैट्समैन है.. और पोन्टिंग से तो अच्छा है ही..
वो भी आस्था है..
सेकुलर का अर्थ सिर्फ़ और सिर्फ़ अधार्मिक/ग़ैर-धार्मिक है.. सर्वधर्म समभाव वाली
हमारी धारणा कुछ और ही सेकुलर नहीं.. इस प्रकाश में आस्था सेकुलर हो सकती है..