ऋ का मानक उच्चारण

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Vinod Sharma

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Oct 12, 2012, 11:38:11 PM10/12/12
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गिरिजेश भाई, सुप्रभात!
आप जिस विदेशी वेबसाइट की तलाश में थे, कहीं वह यह तो नहीं है?
इस साइट पर कुछ संस्कृत पाठों के मुरलीकृष्णन रामास्वामी द्वारा 
उच्चारण दिए गए हैं। उन उच्चारणों को सुन कर ऋ के उच्चारण के 
संबंध में आपके द्वारा व्यक्त की गई धारणा पुष्ट होती है। हलन्त
ऋ का उच्चारण र् से मिलता जुलता है। 
इस साइट पर अनेक महत्वपूर्ण लिंक भी उपलब्ध हैं। संस्कृत के क्षेत्र
में मेरे जैसे अज्ञानी के लिए तो इसका कोई महत्व नहीं किंतु आप और 
अजित भाई जैसे भाषा-विज्ञानियों के लिए यह निश्चय ही बहुत काम की
सिद्ध हो सकती है।

अजित वडनेरकर

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Oct 13, 2012, 1:47:57 AM10/13/12
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विनोदजी,
शुक्रिया । ओम्नीग्लॉट का मैं अर्से से लाभ लेता रहा हूँ । खासतौर पर विभिन्न लिपियों और ध्वनियों को समझने के लिए ।


2012/10/13 Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com>



--


अजित

http://shabdavali.blogspot.com/
औरंगाबाद/भोपाल, 07507777230


  


अजित वडनेरकर

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Oct 13, 2012, 1:54:11 AM10/13/12
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पहले संकेत पर हाईपरलिंक हुआ नहीं है विनोदजी

2012/10/13 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

Vinod Sharma

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Oct 13, 2012, 2:45:00 AM10/13/12
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अजितभाई,
एक ही ऑडियो में दोनों उद्धरणों का सस्वर पाठ दिया गया है। 
दोनों ही जगह एक ही लिंक था omniglot.com का

सर्वे मानवाः स्वतन्त्राः समुत्पन्नाः वर्तन्ते अपि च, गौरवदृशा अधिकारदृशा च समानाः एव वर्तन्ते। एते सर्वे चेतना-तर्क-शक्तिभ्यां सुसम्पन्नाः सन्ति। अपि च, सर्वेऽपि बन्धुत्व-भावनया परस्परं व्यवहरन्तु।
सर्वे मानवाः जन्मना स्वतन्त्राः वैयक्तिकगौरवेण अधिकारेण च तुल्याः एव । सर्वेषां विवेकः आत्मसाक्षी च वर्तते । सर्वे परस्परं भ्रातृभावेन व्यवहरेयुः ॥



अजित वडनेरकर

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Oct 13, 2012, 2:49:05 AM10/13/12
to shabdc...@googlegroups.com
ओहो । अच्छा । मुझे पहले वाले संकेत में हाईपर लिंक नहीं मिला इसलिए लगा कि दो लिंक होगें ।
ओम्नीग्लॉट बुकमार्क पसंद है।

2012/10/13 Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com>

Pratik Pandey

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Oct 13, 2012, 7:38:40 AM10/13/12
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"ऋ" को लेकर एक बात और याद आई। संस्कृत में "ऋ" के साथ "ॠ" का भी चलन है। बड़े आकार में देखने के लिए यह चित्र -

Inline image 2
अगर "ऋ" का उच्चारण "रि" या "रु" है, तो "ॠ" का उच्चारण क्या हो सकता है - "रिरि" या "रुरु" या फिर "री" या "रू"? ऐसा संभव है कि आधे र यानी "र्" वाली बात सही हो। क्योंकि अर्द्धाक्षर को आगे जोड़ा जा सकता है और कुछ उच्चारण किया जा सकता है, जबकि मात्रा लगने के बाद (जैसे रि या रु के केस में) फिर कुछ भी आगे जोड़ना मुश्किल है। गुरुजनों की इस बारे में क्या राय है?

2012/10/13 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>
ओहो । अच्छा । मुझे पहले वाले संकेत में हाईपर लिंक नहीं मिला इसलिए लगा कि दो लिंक होगें ।
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Abhay Tiwari

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Oct 13, 2012, 8:06:30 AM10/13/12
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गुरुजन अपनी राय देंगे पर मैंने इस विषय पर अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखी थी.. जिसमें सातोलकर जी के हवाले से इस मुश्किल की चर्चा की थी.. उसी के कुछ अंश यहाँ डाल रहा हूँ- 



"गृहस्थी लोक भाषा में गिरस्थी बन जाती है.. या मातृ बिगड़कर माई होता है.. भातृ भाई बन जाता है.. लेकिन महाराष्ट्र में मातृ माऊ भले ना हुआ हो पर भातृ भाऊ हो गया है.. इस विषय पर संस्कृत के अनेक ग्रंथों के रचयिता और वेदों के भाष्यकार श्रीपाद दामोदर सातवलेकर जी का मत जानने योग्य है..

स्वर उसको कहते हैं, जो एक ही आवाज़ में बहुत देर तक बोला जा सके- जैसे..

अ..आ.. इ..ई.. उ..ऊ.. ऋ..ॠ.. लॄ..लॄ..
(
आखिरी दो स्वरों की चर्चा यहाँ नहीं कर रहा हूँ)


उत्तर भारत के लोग इनका (ऋ का) उच्चारण "री " करते, यह बहुत ही अशुद्ध है। कभी ऐसा उच्चारण नहीं करना चाहिये। "री" में र ई ऐसे दो वर्ण मूर्धा और तालु स्थान के हैं। "ऋ" यह केवल मूर्धा स्थान का शुद्ध स्वर है। केवल मूर्धा स्थान के शुद्ध स्वर का उच्चारण मूर्धा और तालु स्थान दो वर्ण मिलाकर करना अशुद्ध है और उच्चारण की दृष्टि से बड़ी भारी ग़लती है।

ऋ का उच्चारण - धर्म शब्द बहुत लम्बा बोला जाय और ध और म के बीच का रकार बहुत बार बोला जाय तो उसमें से एक रकार के आधे के बराबर है। इस प्रकार जो ऋ बोला जा सकता है, वह एक जैसा लम्बा बोला जा सकता है। छोटे लड़के आनन्द से अपनी जिह्वा को हिला कर इस प्रकार ऋकार बोलते हैं। (स्कूटर या बाइक चलाने का अभिनय करते हुए..vrooom जैसी कुछ ध्वनि)

जो लोग इसका उच्चारण री करते हैं, उनको ध्यान देना चाहिये कि री लम्बी बोलने पर केवल ई लम्बी रहती है। जो कि तालु स्थान की है। इस प्रकार ऋ का यह री उच्चारण सर्वथैव अशुद्ध है। पूर्व स्थान में कहा गया कि जिनका लम्बा उच्चारण हो सकता है, वे स्वर कहलाते हैं। गवैये लोग स्वरों का ही आलाप कर सकते हैं व्यञ्जनों का नहीं, क्योंकि व्यञ्जनों का लम्बा उच्चारण नहीं होता।

सातवलेकर जी की यह शिक्षा उनकी "संस्कृत स्वयं शिक्षक" नामक पुस्तक से उद्धृत है.. "


पोस्ट का लिंक: http://nirmal-anand.blogspot.in/2007/03/blog-post_18.html

अजित वडनेरकर

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Oct 13, 2012, 8:07:55 AM10/13/12
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यही तो कह रहे हैं कि अगर हमे बचपन से 'ऋ" यान "रि" पढ़ाया गया है तब निश्चित ही इसका अभिप्राय "ॠ" था । आजतक अगर समूचा हिन्दी जगत "ऋ" में इ स्वर सुन-समझ रहा है तो इसके पीछे ध्वनिचिह्न भी "ॠ" होना चाहिए था । किस ग़लतफ़हमी के तहत ऐसा हुआ, ये आज़ादी के बाद हिन्दीभवन के स्वामी-मठाधीश जानें । रही बात प्रचलित ऋ में र् ध्वनि स्थापित करने की तो यह बेकार की क़वायद होगी । आधे र् का हिन्दी प्र और र्प की तरह प्रयोग होता है । एक तीसरा प्रकार मराठी में लिखा जाता है जिसका चिह्न मुझे इस कीबोर्ड पर नहीं दिख रहा है मगर इसे यूँ लिखा जाता है वार््या अर्थात यह कुछ यूँ दिखता है वा-या
हम जिन चिह्नों-ध्वनियों पर मगजमारी कर रहे हैं, वह लाहासिल है क्योंकि हिन्दी में इससे कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता । ये वैदिक काल की ध्वनियाँ हैं और यज्ञादि अनुष्टानों, साम आदि से जुड़ी रही होंगी ।  वैदिक काल में भी सामान्य बोलचाल में इनका प्रयोग होता होगा, इसका क्या भरोसा ।
प्रचलित हिन्दी में ऋ के लिए रि स्वर तो सही है मगर सम्भवतया इसके चिह्न में कोई घालमेल हुआ होगा । सम्भवतः "ॠ" होना चाहिए था और "ऋ" प्रचलित हुआ । इस पर जानकार कुछ कह सकते हैं ।
मेरी दो-टूक राय है कि हिन्दी को अनावश्यक वर्ण चिह्नों से मुक्ति पानी होगी । हिन्दी वालों से याज्ञिक का सही उच्चार निकलवाने के लिए एक वरिष्ठ पत्रकार को अपने नाम की वर्तनी बदल कर याग्निक करनी पड़ी क्योंकि हिन्दी वाले इसे याग्यिक की तरह बोलते हैं । हिन्दी में "ज्ञ" अपनी व्यावहारिकता खो चुका है ।  जबकि गुजराती और मराठी में याज्ञिक से कोई दिक्कत नहीं क्यों कि वे सहज ही इसका उच्चार याग्निक की तरह करते हैं । इसीलिए गुजराती मराठा में याज्ञिक ही लिखा -बोला जाता है । आज कितने लोग हैं जो ऋतु और रितु के अन्तर को जानते हैं ?
हमें वर्णमाला में संशोधन करने की आवश्यकता है । खासतौर पर ज्ञ और ऋ के बारे में सोचना चाहिए ।

2012/10/13 Pratik Pandey <pra...@gmail.com>
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अजित वडनेरकर

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Oct 13, 2012, 8:09:45 AM10/13/12
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"यही तो कह रहे हैं"
ये वाक्य आपकी प्रतिक्रिया के लिए नहीं है अभय भाई,
प्रतीक भाई की प्रविष्टि के लिए था:)
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Pratik Pandey

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Oct 13, 2012, 8:34:08 AM10/13/12
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अभय भाई, सातवलेकर जी के उद्धरण के लिए धन्यवाद। बात कुछ-कुछ पल्ले पड़ी। लेकिन ’ऋ’ और ’ॠ’ ध्वनि के लिए ’र’ को कितना खींचा जाए, यह समझना थोड़ा बाक़ी है। कोई बोलकर नेट पर ऑडिओ फ़ाइल अपलोड कर सके, तो मज़ा आ जाए।

हिन्दी में ’ऋ’ और ’ॠ’ वग़ैरह की कोई उपयोगिता हो या न हो, लेकिन काफ़ी वक़्त से इन वर्णों के उच्चारण को लेकर दुविधा थी।

2012/10/13 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>
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Abhay Tiwari

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Oct 13, 2012, 8:48:17 AM10/13/12
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भाई ऐसा है कि अगर बचपन से अभ्यास न हो तो कई ध्वनियाँ टेढ़ी खीर हो जाती हैं.. हिन्दुस्तानी आदमी अरबी के हलक़ से निकलने वाली ध्वनियों का उच्चारण नहीं कर पाता.. अरबी आदमी चीनी ध्वनियों को गले से नहीं निकाल पाता.. सारी दुनिया बुशमेन कबीले की क्लिक ध्वनियों के आगे बेबस है.. और तो और उत्तर प्रदेश और बिहार आदि के लोग ळ ध्वनि नहीं बोल पाते जबकि हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत मजे से बोलता है.. तो बहुत कोशिश के बाद भी अपन सातवलेकर जी द्वारा बताई गई ध्वनि नहीं निकाल पाए.. :(

ये सब शास्त्रीय चर्चा के विषय अच्छे हैं मगर चर्चा के ज़रिये इन पर अन्तिम निर्णय पर पहुँचने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिये... जिसको जो श्रद्धा हो मान ले.. :)  

2012/10/13 Pratik Pandey <pra...@gmail.com>
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अजित वडनेरकर

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Oct 13, 2012, 9:13:06 AM10/13/12
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ओनामासीधम
बाप पढ़े न हम
( संस्कृत के सन्दर्भ में)



2012/10/13 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>
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Sheo S. Jaiswal

unread,
Oct 13, 2012, 12:34:03 PM10/13/12
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"हलन्त ऋ का उच्चारण र् से मिलता जुलता है।" software ki gadabadi ki wazah se Hindi men nahin likh pa raha hoon. asuvidha ke liye kshamaa chahata hoon. Meri jigyasa yah hai ki kya swaron ke bhi halant roop hote hain? Maine jo padha hai, usake anusar sirf vyanjan hi halant hote hain, arthat swar ke bagair likhe-bole ja sakate hain. Doosari bat jo main kahana chahata hoon wah ’ॠ’ ke sambandh men hai. yah vastutah ’ऋ’ ka deergh roop hai. pitri + rin (arthat donon ki sandhi hone par) banega 'pitreen'. Is sambandh men vistrit jaanakari software ki samasya door hone par likh paunga.    

2012/10/13 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>
ओनामासीधम



--
Dr. S S Jaiswal
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Anil Janvijay

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Oct 13, 2012, 5:01:08 PM10/13/12
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रूसी भाषा में र का उच्चारण र्र होता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि  ’ॠ’  का उच्चारण र्रि होना चाहिए।



2012/10/13 Sheo S. Jaiswal <jais...@gmail.com>



--
anil janvijay
कृपया हमारी ये वेबसाइट देखें


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+7 495 422 66 89 ( office)
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Abhay Tiwari

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Oct 13, 2012, 11:17:43 PM10/13/12
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सातवलेकर जी यही बात कह रहे हैं.. जीभ को तालु पर लगा कर बार-बार जो र्र बोला जाता है वही ऋ का सही उच्चारण है.. लेकिन वो उसे र्र बता रहे हैं र्रि नहीं.. ग़ौरतलब है कि रुसी भी एक भारोपीय भाषा है.. और रूसी ही नहीं कुछ पोल फ़िल्मों में भी मैंने र का यही उच्चारण पाया है... और इस पर सन्देह किया है कि शायद ये ऋ का सही उच्चारण है.. 

एक और बात- अरबी के 'रे' का सही उच्चारण भी र्र ही है न कि सीधा सरल - र  

2012/10/14 Anil Janvijay <anilja...@gmail.com>
रूसी भाषा में र का उच्चारण र्र होता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि  ’ॠ’  का उच्चारण होना चाहिए।


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दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Oct 14, 2012, 12:53:46 AM10/14/12
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अब तक की बहस के बाद मुझे भी लगता है कि ऋ का उच्चारण र्र के नजदीक ही होना चाहिए। यह उच्चारण लघु और दीर्घ दोनों ही हो सकता है।  एक तथ्य यह भी है कि र्रररररर... एक सामान्य स्वर है, यह कैसे हो सकता है कि देवनागरी में उस के लिए कोई स्वर ही नहीं हो।

2012/10/14 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>



--
दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
क्लिक करें, ब्लाग पढ़ें ...  अनवरत    तीसरा खंबा

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Sheo S. Jaiswal

unread,
Oct 14, 2012, 1:06:06 AM10/14/12
to shabdc...@googlegroups.com
Dwivedi ji ya kuchh anya bandhu ऋ  ka jo uchcharan sweekarya bata rahe hain, wah angrezi men 'trilled r' kahalata hai. Hindi athawa Sanskrit men wah dhwani sambhawatah nahin hai. Rishi, richa, ritambhara, rin, aadi anek shabda hain jinake uchcharan ko dekha ja sakata hai. Inamen trilled r ka prayog huaa nahin lagata hai. Kyonki yah dhwani in bhashaon men hai nahin, isaliye inamen isake liye koyee alag varna nahin hai.  

2012/10/14 दिनेशराय द्विवेदी <drdwi...@gmail.com>
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अजित वडनेरकर

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Oct 14, 2012, 6:58:33 AM10/14/12
to shabdc...@googlegroups.com
दोस्तों चंद दिनों में सुलझने वाला होता तो बात क्या थी । पूरे कुएँ में भांग पड़ी हुई थी कि हमें ऋ में इ समान स्वर सिखाया गया ? एक दशक या दो दशक नहीं बल्कि सैकड़ों शायद हज़ार साल से भी ज्यादा पुरानी बात होगी जब शृंगार के पेट से सिंगार जन्मा । सिंगार के 'सि' से यह स्पष्ट है कि 'ऋ' में 'इ' स्वर था । हम सबने ऋ में इ स्वर ही पढ़ा भी है । एक विशिष्ट मान्यता के अधीन हम भाषायी पुरातत्व की भी अनदेखी कर देंगे ? सातवलेकरजी मराटी ध्वनि की बात कर रहे हैं ज़ाहिर है वे भी मराठी भाषी थे । वैदिक काल में ’ऋ’ और ’ॠ’ का अस्तित्व था, यह हमें पता है । इनमें से एक स्पष्ट रूप से इ के क़रीब स्वर था, यह भी तय है । हममें से हर एक ने 'ऋ' को 'इ' के रूप में ही पढ़ा है । ’ॠ’ चलन में नहीं है । क्या आज से आधी सदी पहले के शिक्षकों को भी हिन्दी का ज्ञान नहीं था ? ऋ के दोहरे उच्चार वाले समूह में पल कर भी मुझे ऋ का सही ( अर्थात व्यावहारिक ) उच्चारण नहीं पता ? भाषा वैज्ञानिक सबूत शृंगार > सिंगार के बावजूद  भ्रमित रहूँ ?
ऋ के नए उच्चार से हमें क्या हासिल हो जाएगा मित्रों ?

द्विवेदी जी "र्र" को स्वर बता रहे हैं जबकि यह सामान्य ध्वनि है, स्वर नहीं ।  

2012/10/14 Sheo S. Jaiswal <jais...@gmail.com>
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हंसराज सुज्ञ

unread,
Oct 14, 2012, 7:07:32 AM10/14/12
to शब्द चर्चा
मुझे तो इसमेँ  ह र इ  ध्वनि का आभास मात्र का सम्मिश्रण लग रहा है. क्योँ कि इ पर ध्वनि समाप्त होती है अतः वही विशेष सुनायी देती है.


 सविनय,
हंसराज "सुज्ञ"

&#2360;&#2369;&#2332;&#2381;&#2334;


Date: Sun, 14 Oct 2012 16:28:33 +0530
Subject: Re: [शब्द चर्चा] ऋ का मानक उच्चारण
From: wadnerk...@gmail.com
To: shabdc...@googlegroups.com

Pratik Pandey

unread,
Oct 15, 2012, 6:54:08 AM10/15/12
to shabdc...@googlegroups.com
आपकी बात ठीक मालूम होती है। लेकिन फिर भी साफ़ तौर पर सातवलेकर जी मराठी ध्वनि "रु" और हिन्दी ध्वनि "रि" दोनों को ही नकार रहे हैं। वे एक अलग "र्र" या "र्" जैसी ध्वनि की बात कर रहे हैं। ’शृंगार’ से ’सिंगार’ हिन्दी-भाषी क्षेत्र में हुआ लगता है। मराठी-भाषी क्षेत्र में अगर यह रूपान्तरण हुआ होता, तो शायद "सुंगार" होता।

’स्मरण’ बदलकर ’सुमिरन’ और "स्मृति" बदलकर "सुरति" हो गया। लेकिन मेरे ख़याल से इससे यह निष्कर्ष निकालना मुश्किल है कि ’स्’ का उच्चारण उकारान्त रहा होगा। इस तरीक़े के रूपान्तरण शायद हर जगह क्षेत्रिय भाषायी प्रवृत्तियों के हिसाब से होते हैं। फिर भी यह सब महज़ अनुमान ही है। निश्चय से तो कोई जानकार ही बता सकता है।

2012/10/14 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>
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दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Oct 15, 2012, 8:08:55 AM10/15/12
to shabdc...@googlegroups.com
हम देवनागरी के स्वरों में ही ऋ और ऋृ का उच्चारण तलाश करेंगे तो यह गलत होगा। रू और रि दोनों ही एक वर्ण और स्वर की युति हैं। जब कि ऋ ऋृ को बिलकुल अलग प्रकार का स्वर होना चाहिए है। यह खोज अधिक वैज्ञानिक रीति से करने का प्रयत्न करना चाहिए। हम नागरी के वर्तमान उपयोगी स्वरों के अतिरिक्त कौन से स्वर पैदा कर सकते हैं यह देखना होगा। फिर उन स्वरों में ऋ और ऋृ का उच्चारण तलाशना पड़ेगा।

2012/10/15 Pratik Pandey <pra...@gmail.com>
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ritesh tikariha

unread,
Oct 16, 2012, 10:24:27 AM10/16/12
to shabdc...@googlegroups.com
भाई साहब
धनिया बोने का मतलब क्या है
जैसे
मैने तो उसका धनिया बो दिया...

दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Oct 16, 2012, 1:12:16 PM10/16/12
to shabdc...@googlegroups.com
मुझे तो पता नहीं भाई साहब! लेकिन इस जिज्ञासा के लिए अलग से सूत्र चलाएँ।

2012/10/16 ritesh tikariha <ritesht...@gmail.com>

दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Oct 16, 2012, 1:18:54 PM10/16/12
to shabdc...@googlegroups.com
ऊ और ए के बीच में ऐसे कौन से स्वर हैं जिन का हम उपयोग नहीं कर रहे हैं? वहाँ ऋ और ऋृ होने चाहिए। आज मैं ने सुबह स्नान करते हुए अभ्यास कर के इसे खोजने का प्रयत्न किया। तालू से जीभ के दोनों कोनों को सटा कर एक नली बना लेने पर ऋ के रि वाले उच्चारण के नजदीक का स्वर प्राप्त होता है। जिस में र व्यंजन का अभाव है। लेकिन न तो वह स्वर उ ऊ है और न ही इई। र में जिव्हा का अग्रिम भाग तालू से रगड़ खा कर व्यंजन की उत्पत्ति करता है। लेकिन इस में जीभ के अग्रभाग तालू से दूर ही रहता है। र बोलने में जीभ लगभग सपाट रहती है जब कि इस स्वर में जीभ तालु के साथ एक पाइप जैसा बनाती है। क्या यह स्वर ऋ हो सकता है?

2012/10/16 दिनेशराय द्विवेदी <drdwi...@gmail.com>
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