On 8/3/10, ई-स्वामी <esw...@gmail.com> wrote:
> एब्स्लोल्यूट तुक्का मार रहा हूं..
> महिलाएं किसी भी चीज़ को त्यज्य बताते हुए छी: छी: छी: करती हैं.
> छिनाल शायद छि:नार का अपभ्रंश हो गया हो.
>
> बात जब शब्दों की ही हो रही है तो ये कह दूं कि जिस परिपेक्ष्य/घटनाक्रम में यह
> छिनाल शब्द इन दिनों हिन्दी मीडिया में प्रासंगिक हुआ है उस विषय में मुझे बस
> यह कहना है कि नारी मुक्ति के नाम पर स्वछंदता का ताण्डव करती महिलाओं के लिये
> इसके समानन्तर अंग्रेजी में "बिच्च" का खुल कर प्रयोग किया जाता रहा है - और वो
> मनोभाव की स्पष्ट अभिव्यक्ति है. नारीमुक्ति पर खुल कर/स्पष्टत: कुछ भी बोलना
> मतलब बर्र् के छत्ते में हाथ डालना है, लेकिन बिच्च के समानन्तर छिनाल शब्द का
> खडा किया जाना भदेसता की विजय पताका लग रहा है! जय हो! *(याद रहे कि बात मात्र
> मनोभावों की अभिव्यक्ति की और उसके लिये सटीक शब्दों के चुनाव की हो रही है
> उनके सही/गलत/पुरुषप्रधान/स्त्रीविरोधी आदी होने का जजमेंट लिये बिना.) *वैसे
> भारत में ऐसे सांस्कृतिक आसार दिखने वाले हैं ये चेतावनी नाचीज़ नें २००८ में ही
> दे दी थी <http://hindini.com/hindini/archives/149>! सबकुछ आशानुरूप जा रहा है
> - अधोपतन कि दिशा में सीधा.
>
>
> 2010/8/2 Rajendra Swarnkar <swarnkar...@gmail.com>
>
>> छिनाल शब्द को स्त्रीलिंग ही समझते-सुनते आए हैं …
>>
>> राजेन्द्र स्वर्णकार
>> *
>> *स्वागत है
>> <http://goog_832044529>*शस्वरं<http://shabdswarrang.blogspot.com>
>> *पर*
>> *http://shabdswarrang.blogspot.com
अंग्रेज़ी वाली 'बिच्च'(कुतिया), ज़्यादा खुली गाली है और इसके सेक्शुअल अभिप्राय हों, ज़रूरी
नहीं। पीठ-पीछे 'पर-निंदा' को बिचिंग तो कहते ही हैं।
रविकान्त
anil janvijay wrote:
> छिनाल का उपयोग पुरुष ज़्यादा करते हैं और प्राय: घर की बहू-बेटियों पर ही इसका
> उपयोग करने से भी नहीं चूकते। सासें भी अपनी बहुओं को छिनाल कहती हैं । इसलिए छिनाल
> शब्द ज़्यादा सुनाई देता है । लेकिन भोजपुरी आदि भाषाओं में ’छिनार’ भी है जो पुरुष के
> लिए उपयोग में आता है । लेकिन छिनाल शब्द का मतलब तो गन्दी लड़की या ख़राब औरत से
> ही लगता रहा है । किसी भी रूप में इस शब्द का मतलब वेश्या कभी नहीं रहा है । पता
> नहीं, हिन्दी में यह नई प्रवृत्ति कहाँ से आ रही है कि किसी भी शब्द का ग़लत अर्थ
> निकाल कर उसे उछाल दो । छिनाल का भी लगभग वही मतलब है जो मलेच्छ का ।
>
> 2010/8/3 Rangnath Singh <rangna...@gmail.com
> <mailto:rangna...@gmail.com>>
>
> बीमार मस्तिष्कों को जल्द मानसिक स्वास्थ्य लाभ हो इसके लिए हमारी शुभकामनाएं।
>
> On 8/3/10, ई-स्वामी <esw...@gmail.com <mailto:esw...@gmail.com>> wrote:
> > एब्स्लोल्यूट तुक्का मार रहा हूं..
> > महिलाएं किसी भी चीज़ को त्यज्य बताते हुए छी: छी: छी: करती हैं.
> > छिनाल शायद छि:नार का अपभ्रंश हो गया हो.
> >
> > बात जब शब्दों की ही हो रही है तो ये कह दूं कि जिस परिपेक्ष्य/घटनाक्रम में यह
> > छिनाल शब्द इन दिनों हिन्दी मीडिया में प्रासंगिक हुआ है उस विषय में मुझे बस
> > यह कहना है कि नारी मुक्ति के नाम पर स्वछंदता का ताण्डव करती महिलाओं के लिये
> > इसके समानन्तर अंग्रेजी में "बिच्च" का खुल कर प्रयोग किया जाता रहा है - और वो
> > मनोभाव की स्पष्ट अभिव्यक्ति है. नारीमुक्ति पर खुल कर/स्पष्टत: कुछ भी बोलना
> > मतलब बर्र् के छत्ते में हाथ डालना है, लेकिन बिच्च के समानन्तर छिनाल शब्द का
> > खडा किया जाना भदेसता की विजय पताका लग रहा है! जय हो! *(याद रहे कि
> बात मात्र
> > मनोभावों की अभिव्यक्ति की और उसके लिये सटीक शब्दों के चुनाव की हो रही है
> > उनके सही/गलत/पुरुषप्रधान/स्त्रीविरोधी आदी होने का जजमेंट लिये बिना.) *वैसे
> > भारत में ऐसे सांस्कृतिक आसार दिखने वाले हैं ये चेतावनी नाचीज़ नें २००८ में ही
> > दे दी थी <http://hindini.com/hindini/archives/149>! सबकुछ आशानुरूप
> जा रहा है
> > - अधोपतन कि दिशा में सीधा.
> >
> >
> > 2010/8/2 Rajendra Swarnkar <swarnkar...@gmail.com
> <mailto:swarnkar...@gmail.com>>
> >
> >> छिनाल शब्द को स्त्रीलिंग ही समझते-सुनते आए हैं …
> >>
> >> राजेन्द्र स्वर्णकार
> >> *
> >> *स्वागत है
> >> <http://goog_832044529>*शस्वरं<http://shabdswarrang.blogspot.com>
> >> *पर*
> >> *http://shabdswarrang.blogspot.com
> >>
> >> ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
> >>
> >> 2010/8/3 Arvind Mishra <drar...@gmail.com
> <mailto:drar...@gmail.com>>
> >>
> >>
> >>> छिनरा पुरुष भी तो है -जिसका चाल चलन /चरित्र ठीक न हो -गैर वैवाहिक
> >>> सम्बन्ध को लालायित रहता हो वह छिनाल और छिनरा है !
> >>> On Aug 3, 6:17 am, Ashutosh Kumar <ashuvand...@gmail.com
> <mailto:ashuvand...@gmail.com>> wrote:
> >>> > आज कल इस पर खूब बवाल हो रहा है. देखें -
> >>>
> http://mohallalive.com/2010/08/02/textual-violence-by-vibhuti-inaraya...
> >>> > .सवाल है छिनाल केवल औरतें ही क्यों होतीं हैं ?मर्द क्यों नहीं होता ?
> >>> > वह लफंगा , लम्पट और लुच्चा हो सकता है ,जो कोई ख़ास बात नहीं , लेकिन
> >>> > छिनाल कभी नहीं ! इस शब्द की जन्मकुण्डली इस राज को कुछ रौशन कर सकती
> >>> > है.
> >>>
> >>
> >>
> >
> >
> > --
> > http://hindini.com
> > http://hindini.com/eswami
> >
>
>
>
>
> --
> anil janvijay
> कृपया हमारी ये वेबसाइट देखें
> www.kavitakosh.org <http://www.kavitakosh.org>
> www.gadyakosh.org <http://www.gadyakosh.org>
On Aug 3, 11:43 am, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> *साथियों,
> करीब दो साल पहले छिनाल पर
> शब्दों का सफर में पोस्ट लिखी जा चुकी है।
>
> देखें यहां
> **1. छिनाल का जन्म<http://shabdavali.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html>
> इस शब्द की छूटी हुई कड़ियों पर बोधिभाई ने भी एक दिलचस्प पोस्ट अपनी विनय
> पत्रिका में लिखी थी-
>
> 2. कौन बनाता है
> छिनाल<http://vinay-patrika.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html>
> *
>
> 2010/8/3 anil janvijay <aniljanvi...@gmail.com>
>
>
>
> > छिनाल का उपयोग पुरुष ज़्यादा करते हैं और प्राय: घर की बहू-बेटियों पर ही इसका
> > उपयोग करने से भी नहीं चूकते। सासें भी अपनी बहुओं को छिनाल कहती हैं । इसलिए
> > छिनाल शब्द ज़्यादा सुनाई देता है । लेकिन भोजपुरी आदि भाषाओं में ’छिनार’ भी है
> > जो पुरुष के लिए उपयोग में आता है । लेकिन छिनाल शब्द का मतलब तो गन्दी लड़की या
> > ख़राब औरत से ही लगता रहा है । किसी भी रूप में इस शब्द का मतलब वेश्या कभी नहीं
> > रहा है । पता नहीं, हिन्दी में यह नई प्रवृत्ति कहाँ से आ रही है कि किसी भी
> > शब्द का ग़लत अर्थ निकाल कर उसे उछाल दो । छिनाल का भी लगभग वही मतलब है जो
> > मलेच्छ का ।
>
> > 2010/8/3 Rangnath Singh <rangnathsi...@gmail.com>
> >> > 2010/8/2 Rajendra Swarnkar <swarnkarrajen...@gmail.com>
>
> >> >> छिनाल शब्द को स्त्रीलिंग ही समझते-सुनते आए हैं …
>
> >> >> राजेन्द्र स्वर्णकार
> >> >> *
> >> >> *स्वागत है
> >> >> <http://goog_832044529>*शस्वरं<http://shabdswarrang.blogspot.com>
> >> >> *पर*
> >> >> *http://shabdswarrang.blogspot.com
>
> >> >> ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
>
> >> >> 2010/8/3 Arvind Mishra <drarvi...@gmail.com>
On Aug 3, 9:20 pm, अफ़लातून Aflatoon <aflat...@gmail.com> wrote:
> मेरी जानकारी में”छिनरा ’ अथवा ’छिनरो के ’ का प्रयोग छिनाल पुत्र के लिए
> है ,छिनाल के गुण वाले पुरुष के लिए नहीं। ’पुरुष तो कांसे का लोटा
> है,माँज दो,सही हो जाता है ’।
>
> On Aug 3, 11:43 am, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
>
>
>
> > *साथियों,
> > करीब दो साल पहले छिनाल पर
> > शब्दों का सफर में पोस्ट लिखी जा चुकी है।
>
> > देखें यहां
> > **1. छिनाल का जन्म<http://shabdavali.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html>
> > इस शब्द की छूटी हुई कड़ियों पर बोधिभाई ने भी एक दिलचस्प पोस्ट अपनी विनय
> > पत्रिका में लिखी थी-
>
> > 2. कौन बनाता है
> > छिनाल<http://vinay-patrika.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html>
> > *
>
> > 2010/8/3 anil janvijay <aniljanvi...@gmail.com>
>
> > > छिनाल का उपयोग पुरुष ज़्यादा करते हैं और प्राय: घर की बहू-बेटियों पर ही इसका
> > > उपयोग करने से भी नहीं चूकते। सासें भी अपनी बहुओं को छिनाल कहती हैं । इसलिए
> > > छिनाल शब्द ज़्यादा सुनाई देता है । लेकिन भोजपुरी आदि भाषाओं में ’छिनार’ भी है
> > > जो पुरुष के लिए उपयोग में आता है । लेकिन छिनाल शब्द का मतलब तो गन्दी लड़की या
> > > ख़राब औरत से ही लगता रहा है । किसी भी रूप में इस शब्द का मतलब वेश्या कभी नहीं
> > > रहा है । पता नहीं, हिन्दी में यह नई प्रवृत्ति कहाँ से आ रही है कि किसी भी
> > > शब्द का ग़लत अर्थ निकाल कर उसे उछाल दो । छिनाल का भी लगभग वही मतलब है जो
> > > मलेच्छ का ।
>
> > > 2010/8/3 Rangnath Singh <rangnathsi...@gmail.com>
>
> > > बीमार मस्तिष्कों को जल्द मानसिक स्वास्थ्य लाभ हो इसके लिए हमारी शुभकामनाएं।
>
> > >> On 8/3/10, ई-स्वामी <esw...@gmail.com> wrote:
> > >> > एब्स्लोल्यूट तुक्का मार रहा हूं..
> > >> > महिलाएं किसी भी चीज़ को त्यज्य बताते हुए छी: छी: छी: करती हैं.
> > >> > छिनाल शायद छि:नार का अपभ्रंश हो गया हो.
>
> > >> > बात जब शब्दों की ही हो रही है तो ये कह दूं कि जिस परिपेक्ष्य/घटनाक्रम
> > >> में यह
> > >> > छिनाल शब्द इन दिनों हिन्दी मीडिया में प्रासंगिक हुआ है उस विषय में मुझे
> > >> बस
> > >> > यह कहना है कि नारी मुक्ति के नाम पर स्वछंदता का ताण्डव करती महिलाओं के
> > >> लिये
> > >> > इसके समानन्तर अंग्रेजी में "बिच्च" का खुल कर प्रयोग किया जाता रहा है -
> > >> और वो
> > >> > मनोभाव की स्पष्ट अभिव्यक्ति है. नारीमुक्ति पर खुल कर/स्पष्टत: कुछ भी
> > >> बोलना
> > >> > मतलब बर्र् के छत्ते में हाथ डालना है, लेकिन बिच्च के समानन्तर छिनाल शब्द
> > >> का
> > >> > खडा किया जाना भदेसता की विजय पताका लग रहा है! जय हो! *(याद रहे कि बात
> > >> मात्र
> > >> > मनोभावों की अभिव्यक्ति की और उसके लिये सटीक शब्दों के चुनाव की हो रही है
> > >> > उनके सही/गलत/पुरुषप्रधान/स्त्रीविरोधी आदी होने का जजमेंट लिये बिना.)
> > >> *वैसे
> > >> > भारत में ऐसे सांस्कृतिक आसार दिखने वाले हैं ये चेतावनी नाचीज़ नें २००८
2010/8/3 अफ़लातून Aflatoon <afla...@gmail.com>:
--
aabha
mumbai-67
आभा जी,ऐसा न कहे, सारे बनारसी फतून ही नहीं होते :-)
On 8/4/10, Abha Mishra <apna...@gmail.com> wrote:
> बहुत सुन्दर ,यह बात तो एक बनारसी ही कह सकता है -'पुरूष तो कांसे का
> लोटा है, माज दो ,सही हो जाता है'।
>
> 2010/8/3 अफ़लातून Aflatoon <afla...@gmail.com>:
>> मेरी जानकारी में”छिनरा ’ अथवा ’छिनरो के ’ का प्रयोग छिनाल पुत्र के लिए
>> है ,छिनाल के गुण वाले पुरुष के लिए नहीं। ’पुरुष तो कांसे का लोटा
>> है,माँज दो,सही हो जाता है ’।
>>
>> On Aug 3, 11:43 am, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
>>> *साथियों,
>>> करीब दो साल पहले छिनाल पर
>>> शब्दों का सफर में पोस्ट लिखी जा चुकी है।
>>>
>>> देखें यहां
>>> **1. छिनाल का
>>> जन्म<http://shabdavali.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html>
>>> इस शब्द की छूटी हुई कड़ियों पर बोधिभाई ने भी एक दिलचस्प पोस्ट अपनी विनय
>>> पत्रिका में लिखी थी-
>>>
>>> 2. कौन बनाता है
>>> छिनाल<http://vinay-patrika.blogspot.com/2008/06/blog-post_18.html>
>>> *
>>>
>>> 2010/8/3 anil janvijay <aniljanvi...@gmail.com>
>>>
>>>
>>>
>>> > छिनाल का उपयोग पुरुष ज़्यादा करते हैं और प्राय: घर की बहू-बेटियों पर ही
>>> > इसका
>>> > उपयोग करने से भी नहीं चूकते। सासें भी अपनी बहुओं को छिनाल कहती हैं ।
>>> > इसलिए
>>> > छिनाल शब्द ज़्यादा सुनाई देता है । लेकिन भोजपुरी आदि भाषाओं में ’छिनार’
>>> > भी है
>>> > जो पुरुष के लिए उपयोग में आता है । लेकिन छिनाल शब्द का मतलब तो गन्दी
>>> > लड़की या
>>> > ख़राब औरत से ही लगता रहा है । किसी भी रूप में इस शब्द का मतलब वेश्या कभी
>>> > नहीं
>>> > रहा है । पता नहीं, हिन्दी में यह नई प्रवृत्ति कहाँ से आ रही है कि किसी
>>> > भी
>>> > शब्द का ग़लत अर्थ निकाल कर उसे उछाल दो । छिनाल का भी लगभग वही मतलब है जो
>>> > मलेच्छ का ।
>>>
>>> > 2010/8/3 Rangnath Singh <rangnathsi...@gmail.com>
>>>
>>> > बीमार मस्तिष्कों को जल्द मानसिक स्वास्थ्य लाभ हो इसके लिए हमारी
>>> > शुभकामनाएं।
>>>
>>> >> On 8/3/10, ई-स्वामी <esw...@gmail.com> wrote:
>>> >> > एब्स्लोल्यूट तुक्का मार रहा हूं..
>>> >> > महिलाएं किसी भी चीज़ को त्यज्य बताते हुए छी: छी: छी: करती हैं.
>>> >> > भारत में ऐसे सांस्कृतिक आसार दिखने वाले हैं ये चेतावनी नाचीज़ नें
On Aug 4, 9:02 am, Rangnath Singh <rangnathsi...@gmail.com> wrote:
> आभा जी,ऐसा न कहे, सारे बनारसी फतून ही नहीं होते :-)
>
> On 8/4/10, Abha Mishra <apnaag...@gmail.com> wrote:
>
> > बहुत सुन्दर ,यह बात तो एक बनारसी ही कह सकता है -'पुरूष तो कांसे का
> > लोटा है, माज दो ,सही हो जाता है'।
>
> > 2010/8/3 अफ़लातून Aflatoon <aflat...@gmail.com>: