शब्द “ठठेरा” की व्युत्पत्ति

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Vinod Sharma

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Mar 30, 2012, 12:21:00 AM3/30/12
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मित्रगण,
प्राचीन भारत में समाज का वर्गीकरण काम-धंधों के आधार पर होता था।
लोहे का काम करने वाला- लुहार
कुम्भ (घड़े) बनाने वाला -कुम्भकार या कुम्हार
इसी प्रकार सुनार, सुथार, आदि शब्द बने।
लेकिन ठठेरा शब्द कैसे बना? शायद बरतन बनाते समय होने वाली ठक-ठक से?
क्या आप इस पर प्रकाश डालेंगे?
सादर,
विनोद शर्मा 

दिनेशराय द्विवेदी

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Mar 30, 2012, 12:40:24 AM3/30/12
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ठठेरा की उत्पत्ति निर्माण के समय बर्तन को पीटे जाने की आवाज से ही हुई है। कम से कम मैं तो ऐसा ही समझता हूँ।

2012/3/30 Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com>



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दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
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Vinod Sharma

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Mar 30, 2012, 12:45:36 AM3/30/12
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ठठेरा समुदाय स्वयं को चंद्रवंशी राजपूत मानता है जिनकी उत्पत्ति सहस्रबाहु से हुई मानी जाती है। सहस्रबाहु का वध परशुराम द्वारा किया गया था। लेकिन इस शब्द के तार काम से नहीं जुड़ पा रहे थे। अन्य सुधीजनों की सम्मति की प्रतीक्षा है।

दिनेशराय द्विवेदी

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Mar 30, 2012, 12:50:42 AM3/30/12
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ठठेरा कर्मकार जाति रही है। वर्गीकरण के हिसाब से उन्हें शूद्रों में ही रखा जा सकता था। वे ब्राह्मण, वैश्य या क्षत्रीय नहीं हो सकते थे। आज तो अधिकांश शूद्र जातियाँ और अनेक वनवासी जनजातियाँ अपनी उत्पत्ति क्षत्रियों और ब्राह्मणों से बताती हैं। ये सब कथाएँ बाद में गढ़ी गई हैं। इन में सूत्र तलाशना बेमानी है।

Baljit Basi

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Mar 30, 2012, 8:02:38 AM3/30/12
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प्लेट्स इसको 'तस्था' की दुरुक्ति बता रहा है  और इसका धातु 'स्था' है (स्था+कार) . स्था का एक मतलब बनाना, खड़ा करना होता है.
Baljit Basi

शुक्रवार, 30 मार्च 2012 12:50:42 पूर्वाह्न UTC-4 को, दिनेशराय द्विवेदी ने लिखा:

अजित वडनेरकर

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Mar 30, 2012, 10:06:56 AM3/30/12
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ठठेरा की याद दिलाने के लिए आभार विनोदजी । सफ़र के अन्य कई आलेखों की तरह इस पर काफ़ी काम किया हुआ था मगर तरतीब और कुछ सन्दर्भों के लिए अर्से से रुकी हुई थी ।  आपकी वजह से यह काम हो गया । पूरा आलेख यहाँ नहीं दे रहा हूँ । कृपया सफ़र पर पधारें ।
पेश है ठठेरा पर आलेख-

Friday, March 30, 2012

ठठेरा और उड़नतश्तरी

thathera

ड़नतश्तरी इनसान की बेहद दिलचस्प कल्पना है । ख्याली दुनिया में पैदा होकर असली दुनिया में देखी जाती है । एक ऐसी गोल, चपटी, पोली मगर विशाल उड़ने वाली वस्तु जिसमें दूसरी दुनिया के लोग बैठ कर आते हैं । जिन्हें बिरलों ने ही देखा है । जिसे लेकर ईश्वर की ही तरह दुनिया दो ख़ेमों में बँटी नज़र आती है । उड़नतश्तरी होती है और नहीं होती । साइंसदाँ इसे यूएफ़ओ यानी अनआइडेंटीफ़ाई फ्लाइंग ऑब्जेक्ट अर्थात उड़ने वाली अनजान सी चीज़ । हिन्दी में इसके लिए बेहद ख़ूबसूरत सा शब्द उड़नतश्तरी बनाया गया । हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यह आलेख उड़नतश्तरी पर नहीं है । यह सिर्फ़ तश्तरी जिसमें हम खाना खाते हैं और ठठेरा, जो इसे बनाता है , पर है । अलबत्ता खाना पसंद न आने पर हम इस तश्तरी को हवा में उछाल देते तब यह उड़नतश्तरी बन जाती है, मगर इसे साइंसदाओं वाला यूएफ़ओ नहीं कहा जा सकता । तश्तरी फ़ारसी मूल का शब्द है और थाली के अर्थ में हिन्दी में खूब इस्तेमाल होता है । तश्तरी का रिश्ता ठठेरे से है यह कहने में कुछ नया नहीं है क्योंकि बर्तन बनाने वाले को ठठेरा कहते हैं । तश्तरी एक बर्तन है । दरअसल ठठेरा और तश्तरी एक ही मूल से जन्में शब्द हैं ।
अभी और बाकी है। दिलचस्प विवरण पढ़ें आगे...

2012/3/30 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>



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सादर, साभार
अजित

http://shabdavali.blogspot.com/
औरंगाबाद/भोपाल
07507777230


  


Hansraj sugya

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Mar 30, 2012, 10:21:57 AM3/30/12
to शब्द चर्चा
अजित जी,

सटीक सार्थक अर्थबोध!!


 सविनय,
हंसराज "सुज्ञ"

&#2360;&#2369;&#2332;&#2381;&#2334;


Date: Fri, 30 Mar 2012 19:36:56 +0530
Subject: Re: [शब्द चर्चा] शब्द “ठठेरा” की व्युत्पत्ति
From: wadnerk...@gmail.com
To: shabdc...@googlegroups.com

अजित वडनेरकर

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Mar 30, 2012, 3:51:12 PM3/30/12
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बहुत शुक्रिय सुज्ञजी :)


2012/3/30 Hansraj sugya <hansra...@msn.com>
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