ऋभव का अर्थ

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Mayur Dubey

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Feb 21, 2012, 8:56:22 AM2/21/12
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क्या ऋभव भगवन शिव का एक नाम है ?, इसका अर्थ क्या होता है ?

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Laxman Bisht

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Feb 21, 2012, 9:21:16 AM2/21/12
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ऋषभ का शाब्दिक अर्थ तो बैल है, मगर यह शिव के वाहन नंदी का अर्थवाचक  होने के कारण संभव है कहीं शिव के लिए प्रयुक्त हुआ हो.

2012/2/21 Mayur Dubey <mayurdu...@gmail.com>

क्या ऋभव भगवन शिव का एक नाम है ?, इसका अर्थ क्या होता है ?

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L. S Bisht, Batrohi
Former Head of Hindi Dept and Dean, Faculty of Arts, Kumaon University,
Director, Mahadevi Verma Srijan Peeth,
Kumaon University,Ramgarh, Nainital.
Ph# 05942-281283(O), 09412084322(M)




अजित वडनेरकर

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Feb 21, 2012, 9:24:10 AM2/21/12
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ऋभव हिन्दी या संस्कृत में मुझे नहीं मिला । ऋभु या ऋभ्व है ।
नामों में नवीनता लाने के लिए ऋभ्व का ऋभव हो गया होगा ।
सही शब्द ऋभ्व है जिसका अर्थ है -
इन्द्र, अग्नि,
चतुर, बुद्धिमान आदि।
मोनियर विलियम्स के कोष में यह प्रविष्टि है ।

http://www.sanskrit-lexicon.uni-koeln.de/monier/webtc5/serveimg.php?file=/scans/MWScan/MWScanjpg/mw0226-RNajya.jpg


2012/2/21 Mayur Dubey <mayurdu...@gmail.com>

क्या ऋभव भगवन शिव का एक नाम है ?, इसका अर्थ क्या होता है ?

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सादर, साभार
अजित

http://shabdavali.blogspot.com/
औरंगाबाद/भोपाल
07507777230


  


lalit sati

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Feb 21, 2012, 10:01:06 AM2/21/12
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संजय | sanjay

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Feb 21, 2012, 11:21:02 PM2/21/12
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ऋषभ का अर्थ बैल नहीं साँड होना चाहिए. जो शक्ति का प्रतिक है. नंदी बैल था.

दुसरी ओर जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान ऋषभ (भारतीय संस्कृति से द्वैष या अज्ञान जो भी समझे, वाम इतिहासकार जैन धर्म का प्रवर्तक महावीर को बताते रहे है) को खेती व पशुपालन का प्रवर्तक भी माना जाता है. इस हिसाब से बैल के साथ उनकी तुलना या उसी से उनका नाम पड़ा हुआ हो सकता है. इस तरह ऋषभ बैल भी हो सकता है.  

जहाँ तक मुझे याद है पाली भाषा में ऋषभ के लिए उभमं जैसा शब्द है. जो ध्वनी में ऋषभ के आस-पास है.  ऐसे में ऋषि तथा उभम शब्दों को खंगालना चाहिए. यह युति लग रहे हैं.
--
संजय बेंगाणी | sanjay bengani
छवि मीडिया एण्ड कॉम्यूनिकेशन
ए-507, स्मिता टावर, गुरूकुल रोड़,
मेमनगर , अहमदाबाद, गुजरात. 



ई-स्वामी

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Feb 22, 2012, 5:50:11 AM2/22/12
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जनता ऋषभ और ऋभब में कंफ़्यूजिया रही है! मूल प्रश्न  ऋभव के बारे में है. 
भव शिव के अनेकों नामों मे से है. 
ऋत् धातू जहाँ तक मुझे याद् है सत्य से परे आधारभूत यथार्थ से आत्मसाक्षात्कार का द्योतक है - यदि हो सके तो इस बारे में मैं भी सिखाया/सही किया जाना चाहूंगा. 
ऋभव जो है वो शिव के आधारभूत साक्षात्कार का परिचायक होने का भाव देता है! 

फ़िलासाफ़ी झाडने का मूड बन पडा है सो झेलें: भाव यह मिलता है कि एक शब्द है विभव जिसका अर्थ है पोटेंशियल या "क्षेत्र". ऋभव जो है वो "क्षेत्र" के परे है - आत्मकेन्द्रित यथार्थ है इतना, की उसका केन्द्र खो गया है अस्तित्व के परे का अस्तित्व.
 
आगे ज्ञानीजन जानें! 


2012/2/21 संजय | sanjay <sanjay...@gmail.com>

संजय | sanjay

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Feb 22, 2012, 6:04:20 AM2/22/12
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कहाँ ऋभव और कहाँ ऋषभ. भाई लोग माफ करें.
वैसे 'भव' जन्मानतरण को भी कहा जाता है. जैसे पिछले भव में. यानी पिछले जन्म में.  

अजित वडनेरकर

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Feb 22, 2012, 6:35:47 AM2/22/12
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@ईस्वामी
आपकी व्याख्या से सहमत हूँ । यास्क के निरुक्त में यह व्युत्पत्ति दी  है-
"ऋतेन भवन्ति",  जिसका सम्बन्ध वैदिक "ऋभु" से है ।
"ऋभवः" शब्द वैदिक साहित्य में सम्भवतः बहुत कम स्थानों पर आता है । उक्त व्युत्पत्ति "ऋभवः" के सन्दर्भ में ही है ।
फिर भी इसका शिव से सीधा सीधा सम्बन्ध मुझे नहीं मिला । "ऋभु" को वैदिक सूक्तों के देवता जितना महत्व प्राप्त है ।
इन्द्र, अग्नि, आदित्य इसे कहा गया है । वैसे भी शिव का प्रयोग किसी भी देवता के अर्थ में भी हुआ है । अमरकोश भी यही कहता है ।

व्यक्तिनाम के सन्दर्भ में "ऋभव" में तेज, प्रकाश, रोशनी, प्रखरता, सुंदरता, सर्वव्यापी जैसे भाव व्यक्त हो रहे हैं ।




2012/2/22 संजय | sanjay <sanjay...@gmail.com>

lalit sati

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Feb 22, 2012, 6:45:18 AM2/22/12
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"यास्क के निरुक्त ११.१५ में ऋभुओं की निरुक्ति उरु भान्ति या ऋतेन भान्ति या ऋतेन भवन्ति के रूप में की गई है इसी स्थान पर आदित्य रश्मियों को भी ऋभव: कहा गया है इस निरुक्ति से संकेत मिलता है कि ऋभुओं का अधिकार ऋत् पर है, सत्य पर नहीं किसी सत्य का मर्त्य स्तर पर साक्षात्कार करना ऋत् कहलाता है,"....
(http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:-9nlHbWbsXwJ:puranastudy.webng.com/pur_index4b/ribhu1.htm+%E0%A4%8B%E0%A4%AD%E0%A4%B5:&cd=14&hl=en&ct=clnk&gl=in)

lalit sati

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Feb 22, 2012, 6:47:29 AM2/22/12
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अजित वडनेरकर

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Feb 22, 2012, 6:53:49 AM2/22/12
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ललित जी,
मोवि के कोश में इस शृंखला के शब्दों की विस्तृत व्याख्या दी हुई है ।
मैं पहले भी जानना चाहता था, आपकी अपनी धारणा क्या है इस विषय पर ।

2012/2/22 lalit sati <lalit...@gmail.com>

lalit sati

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Feb 22, 2012, 7:14:22 AM2/22/12
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अजित जी,

दरअसल आपने जो संदर्भ प्रदान किया था उसे मैंने देखा था। फिर अचानक ये लिंक दिखा तो लगा कि शेयर कर लूं क्योंकि इसी में आगे लिखा है : वैदिक निघण्टु में ऋभव: की परिगणना पद नामानि तथा ऋभु की परिगणना मेधावि नामों के अन्तर्गत की गई है दोनों ही शब्दों में अनुदात्त और उदात्त है वैदिक मन्त्रों में इसका अपवाद शार्य ही कोई मिले एक अन्य शब्द ऋभुक्षा को वैदिक निघण्टु में महन्नामों में रखा गया है जिसमें तथा अनुदात्त हैं तथा क्ष उदात्त है लेकिन वैदिक मन्त्रों में प्रकट होने वाले एक शब्द ऋभ्व: में उदात्त है
इसके विद्वान लेखक ने क्या लिखा है या उसकी पद्धति क्या है बहुत कुछ तो अपनी समझ में ही नहीं आया...मैंने तो इस लोभ के साथ ये लिंक यहां प्रस्तुत कर दिए कि आपकी नजर इन पर जाए तो ऋभ्व व ऋभव का आपस में कुछ टांका भिड़े, अपन को भी कुछ समझ में आए :)

सादर,
ललित

अजित वडनेरकर

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Feb 22, 2012, 7:25:28 AM2/22/12
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बढ़िया है ।
मैं सिर्फ़ ऋभव की स्वतंत्र सत्ता के प्रति जिज्ञासु हूँ । इस शब्द की कहीं कोई विवेचना-व्याख्या उपलब्ध हो या उस पर कुछ सोचा हो इत्यादि ।
बरास्ता ऋभ्व, ऋभु इसके ऋभव रूप का उल्लेख तो कुछ स्थानों पर है,  विस्तृत और निश्चयतात्मक सन्दर्भ नही मिला । मैने महामहोपाध्याय काणे  का कोश भी देखा ।

2012/2/22 lalit sati <lalit...@gmail.com>

suresh mishra

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Feb 22, 2012, 7:51:14 AM2/22/12
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वाह  वाह  वाह


2012/2/22 ई-स्वामी <esw...@gmail.com>
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