'जर जोरू और जमीन' में यह जर क्या है?घुघूती बासूती
'जर जोरू और जमीन' में यह जर क्या है?घुघूती बासूती
On 6 अग, 08:24, ghughuti basuti <ghughutibas...@gmail.com> wrote:
> आप सब मित्रों ने तो मेरे प्रश्न का बढ़िया उत्तर दे दिया दिया। आभार।
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> 2012/8/4 Anil Singh <anil.ra...@gmail.com>
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> > विद्वानों की जो भी राय हो, हमारे देहात में जर का सीधा मतलब जेवर से होता
> > है। पहले जेवर (गहने या आभूषण), जमीन और जोरू को लेकर ही गांवों में अधिकांश
> > झगड़े होते थे। अब तो जिंदगी इतनी रूखी हो गई है तो लोग किसी भी बात पर उखड़
> > जाते हैं।
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> > 2012/8/3 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>
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> >> ज़र बेहद चमत्कारी है । इंडो-ईरानी शब्द परिवार के बुनियादी ध्वनिसंकेतों
> >> में इसका शुमार है । मूलतः अग्नि, ताप, प्रकाश, कांति, चमक आदि के लिए ज्वल्
> >> ध्वनि है जो ध्वल् में भी बदलती है और ज्वर् में भी । इससे रूप, कांति, चमक
> >> जैसी अर्थवत्ता के कई शब्द बनते हैं और चमकदार वस्तुओं का नामकरण भी होता है ।
> >> और तो और अर्जेंटीना जैसे देश का नाम भी इसी कड़ी में आता है । ज्वल् से ही
> >> ज्वर । ताप भी, चमक भी और बुखार भी । ज्वाला । उज्ज्वल । उजाला । ध्वल । धवल ।
> >> ज्वल । ज्वर । ज़र । ज़र्दी । ज़रखरीद यानी रुपए देकर खरीदा हुआ । रुपया यानी
> >> रौप्य । ज़र में निहित कांति कभी शुभ्र है तो कभी पीली । यह अग्नि के रूप
> >> दर्शाती है । ज्वल् का पीताभ गुण अण्डे की ज़र्दी में दिखाई देता है और सोने
> >> में भी । इसीलिए ज़र यानी सोना अर्थात सम्पत्ति । इस कड़ी के अनेक शब्द खोजने
> >> पर आसपास मिल जाएँगे ।
> >> करीब पाँच साल पहले एक पोस्ट लिखी थी -*अर्जुन, अर्जेंटीना और जरीना<http://shabdavali.blogspot.in/2007/07/blog-post_9377.html>
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