दूर के ढोल सुहाने

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Baljit Basi

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Mar 1, 2015, 4:33:16 PM3/1/15
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एक कहावत है, दूर के ढोल सुहाने। मैने किसी जगह पढ़ा था कि यहाँ असली शब्द टोल है जिसको बाद में ढोल बना दिया गया है। मुख्य दलील यह दी गई थी कि सुहाना शब्द देखने वाली चीज़ यानी दृश्य के लिए इस्तेमाल होता है ना कि ढोल जैसी सुनने वाली चीज़ के लिये मुझे यह तर्क खास  पुख्ता नहीं लगा . लेकिन कुच्छ दिन पहले मेरा ध्यान गुरु ग्रंथ साहिब में पांचवें गुरु के एक पद की ओर गया जिस में एक तुक है, "हभे टोल सुहावणे सहु बैठा अंङणु मलि."  भाव अगर पति परमेशर आंगण में बैठा हो तो सभी "टोल" सुहाने लगते हैं। ध्यान दें, यहाँ टोल और इसके साथ सुहावने (सुहाने ) विशेषण इस्तेमाल किया गया है। मैं जानता हूँ कि टोल का अर्थ पत्थर होता है , शायद पहाड़ भी . इस लिये कहावत का शाब्दिक अर्थ हुआ दूर के पहाड़ अच्छे लगते हैं। गुरु ग्रंथ के टीकाकारों ने टोल का अर्थ अलंकार , पदार्थ आदि किया है।अर्थात सभी अलंकार/गहने/पदार्थ अच्छे लगते हैं अगर पति घर में हो  विद्वान दोस्त रोशनी डाल सकेंगे?
बलजीत बासी 

दिनेशराय द्विवेदी

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Mar 1, 2015, 9:31:13 PM3/1/15
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ढोल नहीं डोल। डोल का अर्थ टीला है।

2015-03-02 3:03 GMT+05:30 'Baljit Basi' via शब्द चर्चा <shabdc...@googlegroups.com>:
एक कहावत है, दूर के ढोल सुहाने। मैने किसी जगह पढ़ा था कि यहाँ असली शब्द टोल है जिसको बाद में ढोल बना दिया गया है। मुख्य दलील यह दी गई थी कि सुहाना शब्द देखने वाली चीज़ यानी दृश्य के लिए इस्तेमाल होता है ना कि ढोल जैसी सुनने वाली चीज़ के लिये मुझे यह तर्क खास  पुख्ता नहीं लगा . लेकिन कुच्छ दिन पहले मेरा ध्यान गुरु ग्रंथ साहिब में पांचवें गुरु के एक पद की ओर गया जिस में एक तुक है, "हभे टोल सुहावणे सहु बैठा अंङणु मलि."  भाव अगर पति परमेशर आंगण में बैठा हो तो सभी "टोल" सुहाने लगते हैं। ध्यान दें, यहाँ टोल और इसके साथ सुहावने (सुहाने ) विशेषण इस्तेमाल किया गया है। मैं जानता हूँ कि टोल का अर्थ पत्थर होता है , शायद पहाड़ भी . इस लिये कहावत का शाब्दिक अर्थ हुआ दूर के पहाड़ अच्छे लगते हैं। गुरु ग्रंथ के टीकाकारों ने टोल का अर्थ अलंकार , पदार्थ आदि किया है।अर्थात सभी अलंकार/गहने/पदार्थ अच्छे लगते हैं अगर पति घर में हो  विद्वान दोस्त रोशनी डाल सकेंगे?
बलजीत बासी 

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Rangnath Singh

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Mar 1, 2015, 9:43:18 PM3/1/15
to शब्द चर्चा

हिन्दी में दूर के ढोल इतना प्रचलित है कि कभी इसका अपवाद भी नहीं सुना था।
ग्रन्थ साहब में अगर पांचवें गुरु का पद है तो इस उदहारण की ऐतिहासिकता भी संदेह से परे है। बलजीत जी का तर्क भी पुष्ट प्रतीत हो रहा है।

हालाँकि मैं इतना ज़रूर जोड़ना चाहूँगा कि सुहावना दृश्य के इतर भोजपुरी या अवधी में सुहाना शब्द प्रचलित है जिसका अर्थ हुआ, "भला या अच्छा लगना।" जैसे, कड़वे बोल किसी को नहीं सुहाते।

Thangam Pushpa

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Mar 1, 2015, 9:54:05 PM3/1/15
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टीले से जुड़ी एक कहावत तेलुगू भाषा में भी प्रचलित है "दूरपु कोंडलु नुनुपू" अर्थात् दूर के टीले सपाट नज़र आते हैं।

Rahul Singh

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Mar 1, 2015, 11:41:54 PM3/1/15
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-ठकुर सुहाती' का सुहाती भी, सुहाना, अच्‍छा, सुखद (शब्‍द, श्रवण) का अर्थ देता है. मौसम का सुहावना होना ध्‍वनि या दृश्‍य नहीं महसूसियत है.
राहुल कुमार सिंह
छत्‍तीसगढ
+919425227484
http://akaltara.blogspot.com

Madhusudan H Jhaveri

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Mar 2, 2015, 2:55:10 AM3/2/15
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जी --गुजराती में है==> दूरथी (दूरसे) डुंगर (डुंग) रलीयामणां (रलीयारे)  
और ---मराठी में==> दूरून (दूरसे) डोंगर (डुंग=पर्वत) साजरे ( सजे हुए)

मधुसूदन

Anil Janvijay

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Mar 2, 2015, 7:57:03 AM3/2/15
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हिन्दी में दूर के ढोल ही प्रचलित है। वैसे भी ढोल के पास खड़े होकर ढोल सुनने में कानों में दर्द होने लगता है और कान फटने लगते हैं और ढोल की आवाज़ दूर से ही सुहानी लगती है। टोल सुहाने लगने की बात कुछ समझ में नहीं आई क्योंकि टोल का मतलब रोड़ा, पत्थर, गिट्टी, सिल आदि ही होता है, पहाड़ नहीं होता। हाँ टोल का एक मतलब  मौहल्ला, बस्ती, क़स्बा या नगर भी होता है। कहीं इसी अर्थ में तो इस्तेमाल नहीं किया गया है टोल शब्द। वैसे यह जानना भी दिलचस्प होगा कि ’ढोल’ शब्द का पंजाबी में उच्चारण कहीं ’टोल’ तो नहीं होता है।
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Baljit Basi

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Mar 2, 2015, 4:21:59 PM3/2/15
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दिनेश जी,तो क्या कहावत "दूर के डोल सुहाने होगी? 

Baljit Basi

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Mar 2, 2015, 4:25:18 PM3/2/15
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धन्यवाद पुष्पा जी , कुच्छ कुच्छ पुष्टि हो रही है.


On Sunday, March 1, 2015 at 4:33:16 PM UTC-5, Baljit Basi wrote:

Baljit Basi

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Mar 2, 2015, 4:27:38 PM3/2/15
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रंगनाथ जी , यह तो मैं भी मानता हूँ इसी लिये पहले टोल वाली बात को गंभीरता से नहीं लिया था।


On Sunday, March 1, 2015 at 4:33:16 PM UTC-5, Baljit Basi wrote:

Baljit Basi

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Mar 2, 2015, 4:30:34 PM3/2/15
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मधुसूदन जी भी पुष्टी कर रहे हैं।क्यों ना पहले टोल शब्द पर ही चर्चा हो जाये?


On Sunday, March 1, 2015 at 4:33:16 PM UTC-5, Baljit Basi wrote:

अजित वडनेरकर

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Mar 3, 2015, 8:04:08 AM3/3/15
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टीला, पहाड़, पर्वत, पाषाण, टोल, टोबा, टिब्बा, टीबा, ठूहा, डुंगर, डोंगर आदि शब्द-शृंखला पर काम चल रहा है। इसी सन्दर्भ में डो-ढोल के शिफ़्ट पर भी काम चल रहा था कि बलजीत प्राजी प्रगट्या। हिन्दी में डोल का ढोल हो गया और खूब बज रहा है।
मराठी में कहावत है दूरून डोंगर साजरे यानी दूर के डोल सुहावने। अर्थात पहाड़ दूर से जितने आकर्षक, शोभायमान प्रतीत होते हैं उन पर चढ़ना अत्यन्त श्रमसाध्य और कष्टप्रद होता है। भाव यह कि दूर से लुभाने वाली शै की हकीक़त कुछ और हो सकती है।









  


संजय | sanjay

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Mar 3, 2015, 8:15:34 AM3/3/15
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किसी को भूल वश 'दूर के "ढोर" सुहावने' कहते भी सुना है. :)  
--
संजय बेंगाणी | sanjay bengani । 9601430808

डॉ एम एल गुप्ता (Dr. M.L. Gupta)

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Mar 3, 2015, 12:14:35 PM3/3/15
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होली की बधाई अंग्रेजी में नही, अपनी भाषा में दें...।
सब को दें संदेश

3 मार्च 2015 को 6:45 pm को, संजय | sanjay <sanjay...@gmail.com> ने लिखा:

अजित वडनेरकर

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Mar 3, 2015, 12:25:23 PM3/3/15
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वाह

दिनेशराय द्विवेदी

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Mar 3, 2015, 1:24:14 PM3/3/15
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अजित भाई! निकलनी तो आह! चाहिए थी।

अजित वडनेरकर

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Mar 3, 2015, 3:13:01 PM3/3/15
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आह कहते तो वो अभयभाई के कलेजे चीर देती। मने त्यौहार का मौका पे मूड खराब। अब प्रचार मंच ही समझ आया तो क्या करे? वाह में ही आह समझें!

Baljit Basi

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Mar 3, 2015, 6:44:14 PM3/3/15
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अजित जी, आप की प्रतीक्षा थी , आप आ गये, धन्यवाद। आप. जिन शब्दों का जिक्र कर रहे हैं उनका थोड़ा मोटा अध्ययन मैने भी किया है। लेकिन हम लिखते हैं लघु-कविता और और आप हैं महाकाव्य लिखने वाले! खैर, बात कुच्छ आगे बड़ी लेकिन पूरी तरह साफ नहीं हुई। मेरे लिये मसला यह है कि क्या इसका पूर्ववर्ती रूप टोल था? कम-से-कम पंजाबी में मुझे *टोल शब्द पहाड़ के अर्थों में नहीं मिला। हाँ टिल्‍ला (टीला) जरूर है। यह संस्कृत तोलिक से बना माना जाता है लेकिन तोलिक से टोल के अर्थ परिवर्तन की छलांग बहुत लम्बी लगती है। कया हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि दूर के ढोल ... का पहला रूप दूर के टोल है? 
बलजीत बासी 
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