कीचड़ (लिंग)

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Himanshu

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Jul 6, 2014, 9:36:43 PM7/6/14
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दुष्यंत कुमार की कविता ’मत कहो आकाश में कोहरा घना है...’ में एक पंक्ति है  "इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछी है, हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है।" 

ला ट्रोबे (LaTrobe) विश्वविद्यालय में हिन्दी के व्याख्याता ’इयान वूलफोर्ड’ (@iawoolford) ने ट्विटर पर पूछा है-  
"कीचड़"-मक्ग्रेगोर के शब्दकोश में पुलिंग है. बृहत् हिंदी कोश में स्त्रिलिंग है. क्या करें?

शब्द चर्चा समूह से उन्हें समाधान मिलेगा ही।
साभार।

Rahul Singh

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Jul 7, 2014, 12:22:39 AM7/7/14
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स्त्रिलिंग या स्‍त्रीलिंग.


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राहुल कुमार सिंह
छत्‍तीसगढ
+919425227484
http://akaltara.blogspot.com

अजित वडनेरकर

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Jul 7, 2014, 3:20:17 AM7/7/14
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दुनियाभर की भाषाओं में लिंग का कुछ ठिकाना नहीं। जब " लिंग बरामद हुई" जैसे प्रयोग शिव की नगरी काशी के पत्रकार कर सकते हैं तो कुछ भी हो सकता है। हिमांशु जी तो पूर्वांचल के हैं। उन्हें भी हिन्दी के बदलते लिंग-बोध का अनुभव होगा। इन दिनों लिंग-परिवर्तन ज़रा तेज़ है। कुछ लोग पंजाबी को इसके लिए कोसते नजर आते है मगर ऐसा  नहीं है। आज की पत्रकारिता भी इसके लिए दोषी है। भाषा के अधिकांश मुद्रित रूप पत्रकारिता के चलते ही प्रचलित हो रहे हैं। हिन्दी, अंग्रेजी के शब्दों के लिंग बदल रहे हैं। दो दशक पहले तक डोज अर्थात खुराक का लिंग पुरुषवाची था। आज यह स्त्रीवाची हो गया है। जैसे- महँगाई की तीसरी डोज। मैं इसे लिखूँगा- महँगाई का तीसरा डोज़।
एक पत्रकार ने कहा कि वे इसके हिन्दी अनुवाद यानी खुराक के लिंग के आधार पर डोज़ का लिंग स्त्रीवाची मानते हैं। यह कुतर्क है। कीचड़ मूलतः  पुरुषवाची है। मैं ऐसे ही लिखता हूँ। बिहारियों का लिंगबोध भ्रामक है।
किन्तु ये व्यक्तियों पर छोड़ें। हमें तो सही लिखना है, लिखें।
 

narayan prasad

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Jul 7, 2014, 4:39:36 AM7/7/14
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<<बिहारियों का लिंगबोध भ्रामक है। >>

क्या मतलब ?
--- नारायण प्रसाद

संजय | sanjay

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Jul 7, 2014, 4:54:58 AM7/7/14
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अजितजी, आपने लिखा है हमें तो सही लिखना है, लिखें। 

और पिछली चर्चा में कहा गया जो प्रचलन में उसे लिखो :) 

हम जैसे प्रशिक्षुओं का ध्यान रखें. क्या मानें क्या न मानें? 


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संजय बेंगाणी | sanjay bengani । 9601430808

ashutosh kumar

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Jul 7, 2014, 6:07:35 AM7/7/14
to शब्द चर्चा
 उर्दू में कीचड बिछी होती है , जबकि हिन्दी में उसे हमेशा उछाला जाता है .
उर्दू में स्त्रीलिंग , हिंदी में पुल्लिंग.
यहाँ  हिंदी में चर्चा हो रही है , लेकिन उर्दू की चौदवीं की रातों में शब भर चर्चा रहता है .
हिंदी में स्त्रीलिंग , उर्दू में पुल्लिंग .. 

अजित वडनेरकर

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Jul 7, 2014, 7:21:59 AM7/7/14
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<बिहारियों का लिंगबोध भ्रामक है। >>क्या मतलब ?

एकदम स्पष्ट है नारायणजी।  कृपया इसे सहजता से लें। यहाँ बनारस में रहते हुए भी यही अनुभव हुआ है। इस पर ज्यादा कुछ कहना विषय से भटकाव होगा।
संजयजी,
अगर हमें सही उच्चार पता है तब अपरिचय वाला तथाकथित लोकप्रिय उच्चार कैसे लिख सकते हैं ?
हाँ, कीचड़ को स्त्रीवाची लिखें या पुरुषवाची, अर्थ का अनर्थ नहीं होता। तब जिसकी जैसी गति वैसा प्रयोग करे। हिन्दी में कीचड़ पुल्लिंग है तो मैं पुल्लिंग ही लिखूँगा। अज्ञानतावश किसी को नहीं पता और उसकी रफ़त में स्त्रीवाची प्रयोग है तो वह भी सही।
वैसे जो उदाहरण हिमांशु जी ने दिया है वह कविता में है। वहाँ छूट होती है। चाहे हिन्दी ग़ज़ल हो, पर मिज़ाज तो दुश्यंत जी का शायराना ही था सो उन्होंने कीचड़ को बतौर स्त्रीवाची बरता। जैसा कि आशुभाई ने भी लिखा।

narayan prasad

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Jul 7, 2014, 7:38:08 AM7/7/14
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<<एकदम स्पष्ट है नारायणजी।  कृपया इसे सहजता से लें। यहाँ बनारस में रहते हुए भी यही अनुभव हुआ है। इस पर ज्यादा कुछ कहना विषय से भटकाव होगा। >>

मैं इसे सहजता से नहीं ले सकता । अच्छा होगा कि आगे से व्यक्तिगत आक्षेपों से बचें । गलत-सलत निष्कर्ष न निकाला करें । कोई भी निष्कर्ष तथ्य पर आधारित होना चाहिए । जिस परिस्थिति में और जिस प्रकार के व्यक्तियों का चयन करके आपने ऐसा निष्कर्ष निकाला है, ठीक उसी परिस्थिति और उसी प्रकार के अन्य राज्यों के व्यक्तियों के बारे में आपकी जो भी सांख्यिकी है, उसे प्रस्तुत करें, तब तो आपकी बात मान सकता हूँ, अन्यथा नहीं ।

--- नारायण प्रसाद

अजित वडनेरकर

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Jul 7, 2014, 8:52:01 AM7/7/14
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नारायणजी,

विनम्रता से कहना चाहूँगा कि मैने ऐसा कुछ नहीं कहा जिसे आप "अच्छा होगा कि आगे से व्यक्तिगत आक्षेपों से बचें "।

मुझे पता था कि मूल विषय की बजाय आप गलत सिरा पकड़ रहे हैं सो पहले ही सहजता से लेने का अनुरोध कर दिया। आप नहीं ले सकते तो न लें। इसमें मैं क्या कर सकता हूँ।
मैने एक सामान्य बात कही उस पर सन्ताप करने का कोई अर्थ नहीं। आपके सन्तोष के लिए इसी वाक्य को दूसरे ढंग से कहता हूँ- बिहारियों की हिन्दी में लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ होती हैं।
मैं धारणा के आधार पर नहीं, अनुभव के आधार पर बात कर रहा हूँ।

ठीक उसी परिस्थिति और उसी प्रकार के अन्य राज्यों के व्यक्तियों के बारे में आपकी जो भी सांख्यिकी है, उसे प्रस्तुत करें, तब तो आपकी बात मान सकता हूँ, अन्यथा नहीं ।

जनसांख्यिकीय आधार वाली बात आपने खूब कही। मज़ाक कर रहे हैं ? किस बात के आँकड़े ? आप जो कह रहे हैं वह मूल विषय से विचलन होगा। पहले भी कह चुका हूँ। मेरी कतई कोई मंशा नहीं कि आप मेरी बात मानें। मैने ऐसी कोई चेष्टा नहीं की है।

सादर,
अजित


Anil Janvijay

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Jul 7, 2014, 9:59:34 AM7/7/14
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नारायण जी,
अजित जी की सभी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ। यहाँ तक कि बिहारियों वाली उक्त उक्ति से भी।
सादर,
अनिल
anil janvijay
कृपया हमारी ये वेबसाइट देखें
www.rachnakosh.com

Moscow, Russia
+7 916 611 48 64 ( mobile)

Himanshu Kumar Pandey

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Jul 7, 2014, 7:23:49 PM7/7/14
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बिहारियों में सामान्य प्रयोग में लिंग संबंधी अशुद्धियाँ हुआ करती हैं..अजित जी की इस बात से सहमत हूँ। अपनी लोकभाषा में स्वयं को अभिव्यक्त करते इस क्षेत्र के लोग सामान्यतः प्रचलित (यद्यपि अशुद्ध) शब्दावली का प्रयोग सहजता से कर देते हैं। कई जानकार लोगों को भी जानबूझ कर ऐसा प्रयोग बोलचाल में करते मैंने देखा है। यद्यपि इस तरह का मेरा कोई अध्ययन नहीं, और न ही बहुत से उदाहरण मुझे स्मरण हैं।

कुल मिलाकर ’इआन वूलफोर्ड’ इस चर्चा से अपने काम की चीज पा चुके होंगे-
१- कीचड़ वस्तुतः पुल्लिंग शब्द है हिन्दी में।
२- दुष्यंत कुमार ने अपनी कविता में इसे स्त्रीलिंग के रूप में प्रयोग किया है....कविताई की छूट के तहत।
३- बिहारियों के लिंगबोध संबंधी इस चर्चा के एक और आयाम से ’वूलफोर्ड’ परिचित हो गए होंगे, उनके अपने अनुभव भी इसकी पुष्टि/अपुष्टि में मददगार होंगे। (क्योंकि ’रेणु’ पर अपने शोध के दौरान बिहार के बहुत सारे हिस्से से वह परिचित हैं।)

आप सभी का आभार।

ashutosh kumar

unread,
Jul 7, 2014, 8:39:16 PM7/7/14
to शब्द चर्चा
माफी के साथ दुहराने दीजिये कि दुष्यंत कुमार ने कविताई की छूट नहीं ली है , बल्कि यहाँ उर्दू या हिन्दुस्तानी  के व्याकरण का अनुसरण किया है .
John Shakespear के कोश में यह प्रविष्टि मिलती है -
s. f. Dirt, mud, slime, mire. کيچڙ kīchaṛ
दुष्यंतप्रेमी जानते हैं कि वे अपने को हिन्दुस्तानी का शायर कहना पसंद करते थे !

जहां तक बिहारियों के लिंग -बोध की बात है , यह ध्यान रखना चाहिए कि जब वे बिहारी हिंदी के व्याकरण का अनुसरण करते हैं , तब मानक हिंदी व्याकरण के अनुसार उनका लिंग- बोध गड़बड़ जान पड़ता है , जैसे कि उनके अपने  व्याकरण के हिसाब से मानक हिंदी के लिंग व्यवस्था गड़बड़ जान पड़ेगी. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मानक हिंदी एक संपर्क भाषा है , जबकि बिहारी या पहाड़ी या मुम्बइया हिंदी ख़ास इलाकों की जीवित जनभाषाएँ हैं .
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