On 6/18/12, सृजन शिल्पी Srijan Shilpi <srijan...@gmail.com> wrote:
> इसमें कतई संदेह नहीं कि इस शब्द चर्चा-मंच से लोग जुड़े हैं, वे वाकई संत ही
> हैं, जन्म-जन्मांतर से संत, पर शब्दों की कर्म-कुंडली बांचते समय हमें उस सत्य
> का साक्षात्कार जरूर होना चाहिए जिनका संकेत करने के लिए उन शब्दों को गढ़ा और
> मढ़ा जाता रहा था उनके द्वारा।
>
> 2012/6/18 हंसराज सुज्ञ <hansra...@msn.com>
>
>> सृजन शिल्पी जी, संत जन जुट तो चुके हैं किन्तु इन्हें सत्संग योग्य तराशना
>> सृजन शिल्पी का काम है :)
>> और संतजन बनने से पूर्व उन्हें ज्ञात तो हो कि जिस संत संज्ञा को वे धारण
>> करने जा रहे है उसका अर्थ क्या है?
>> इस जिज्ञासा के उद्भव का एक कारण यह भी है कि मैने, हमारे इस शब्द-चर्चा मंच
>> पर ज्ञानीजनों द्वारा 'शब्द-शास्त्रियों' के लिए 'संतजन' उपमा का प्रयोग करते
>> देखा है। :)
>>
>>
>>
>> सविनय,*
>> हंसराज "सुज्ञ" <http://shrut-sugya.blogspot.in/>*
>> <http://shrut-sugya.blogspot.in/>
>>
>> ------------------------------
>> सविनय,*
>> हंसराज "सुज्ञ" <http://shrut-sugya.blogspot.in/>*
>> <http://shrut-sugya.blogspot.in/>
>>
>> ------------------------------
>> Date: Sun, 17 Jun 2012 08:47:56 +0530
>> Subject: Re: [शब्द चर्चा] संत
>> From: jais...@gmail.com
>> To: shabdc...@googlegroups.com
>>
>> लेकिन स+अंत से संत तो नहीं बनता, सांत बनता है. संत का जो अर्थ निकाला जा
>> रहा है, वह भी जैसे उस पर थोपा जा रहा हो.
>>
>> 2012/6/16 हंसराज सुज्ञ <hansra...@msn.com>
>>
>> क्या इसका सम्बंध "स + अंत" = संत से हो सकता है? अर्थ :- जो अपनी
>> तृष्णाओं दुखों का अंत करने में संघर्षरत हो?
>>
>>
>> सविनय,*
>> हंसराज "सुज्ञ" <http://shrut-sugya.blogspot.in/>*
>> <http://shrut-sugya.blogspot.in/>
>>
>> ------------------------------
>> Date: Fri, 15 Jun 2012 14:08:42 -0700
>> From: balji...@yahoo.com
>> To: shabdc...@googlegroups.com
>> Subject: Re: [शब्द चर्चा] संत
>>
>>
>> शायद 'सद' (बैठना) से इसका नाता है.
>>
>> शुक्रवार, 15 जून 2012 2:25:18 pm UTC-4 को, अभय तिवारी ने लिखा:
>>
>> इसका सम्बन्ध सन् धातु से लगता है .. इसी सन् से सनत् , सनन्दन और
>> सनत्कुमार भी बने हैं.. अर्थ है पूजा करना, प्रेम करना, सम्मान करना आदि..
>>
>> 2012/6/15 Madhusudan H Jhaveri <mjha...@umassd.edu>
>>
>> हंसराज जी
>> इसका निर्णय कुछ कठिन प्रतीत होता है। शायद इसी लिए आपने पूछा है।
>> (१)
>> मुझे इसकी धातु सान्त्व् --सान्त्वयति और (उभयपदी) होने के कारण सान्त्वयते
>> भी प्रतीत हो रही है।
>> इसमें शान्त करना, सान्त्वना देना, चिन्तामुक्त करना, ढाढस बँधाना, खुश करना
>> ---ऐसे और भी इसके अर्थ स्तर हो सकते हैं।
>>
>>
>> ==============================****==============================****
>> =========
>> पर
>> (२) सन्त:= का अर्थ(संस्कृत के) कोश में अंजलि (दो हाथ जोडकर)ऐसा दिया गया
>> है।
>> ==============================****==============================****=====
>> (३) हिन्दी का रूढ अर्थ अलग ही,==> (भार्गव) संत=साधु, महात्मा, धर्मात्मा
>> ऐसा दिया हुआ है।
>>
>> भार्गव भी संस्कृत से ही अपने अर्थ को पुष्ट करते हैं।
>> ==============================****==============================****===
>> कुछ जटिल लग रहा है।
>>
>> मधुसूदन
>>
>>
>>
>>
>>
>> ------------------------------
>> *From: *"हंसराज सुज्ञ" <hansra...@msn.com>
>> *To: *"शब्द चर्चा" <shabdc...@googlegroups.com****>
>> *Sent: *Friday, June 15, 2012 8:38:04 AM
>> *Subject: *[शब्द चर्चा] संत
>>
>>
>> ज्ञानीजन व्याख्या करें… "संत" शब्द की धातु और व्युत्पत्ति की!!
>>
>>
>> सविनय,*
>> हंसराज "सुज्ञ" <http://shrut-sugya.blogspot.in/>*
>> <http://shrut-sugya.blogspot.in/>
जहाँ-जहाँ भीड़ पडी संतन की, तहाँ-तहाँ बंटाधार।
'भीड़ पडी' से आशय 'कमी हुई' से था :)
Forgive, using Roman script.(On travel)
I Remember Nirukt & quote by memory.
(1)THERE CAN BE MORE THAN ONE VYUTPATTIs.
EVEN 3.
(2) Vyutpattis do not ==>always follow PERFECT VAKARAN<== (again by my memory)
(3)Yet I am open for suggestions.
Nirukt says--MEANING IS THE MOST IMPORTANT ELEMENT---IN CONNECTING.
Vyakaran --is "Gaun"---less important.
madhu sudan jhaveri