लौंडा

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Baljit Basi

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Feb 28, 2013, 8:53:11 AM2/28/13
to शब्द चर्चा
क्या लौंडा शब्द का संबंध लड़का से है?

Abhay Tiwari

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Feb 28, 2013, 8:59:41 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
निसंदेह यही अर्थ है! 

On Thu, Feb 28, 2013 at 7:23 PM, Baljit Basi <balji...@yahoo.com> wrote:
क्या लौंडा शब्द का संबंध लड़का से है?

--
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Anil Janvijay

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Feb 28, 2013, 9:09:19 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
बचपन में तो हम सभी बालकों को लौंडा और बालिकाओं को लौंडिया कहा करते थे। लेकिन लौंडा कहने में एक उपेक्षा का भाव भी है, मानो हम उस लड़के को नीचा दिखाना चाहते हों या कमतर बताना चाहते हों। 
हिन्दी में लौंडा किशोर या युवा नौकर  के लिए भी इस्तेमाल होता है। वैसे भोजपुरी संस्कृति में लौंडा नृत्य के बारे में तो सभी जानते हैं। जिसमें लड़का लड़की के कपड़े पहनकर नाचता है।  

--
anil janvijay
कृपया हमारी ये वेबसाइट देखें
www.rachnakosh.com

Moscow, Russia
+7 916 611 48 64 ( mobile)

अजित वडनेरकर

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Feb 28, 2013, 9:10:55 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
आप तो पंजाबी हैं:)
मेरे पास एक दिलचस्प किताब है जिसमें आर्य-अनार्य संस्कृति पर काफ़ी दिलचस्प ढंग से तब्सरा किया गया है। लौंडा, लड़का, लड़की की व्युत्पत्तियों की
अलग नज़रिये से व्याख्या की गई है। लड़का, लड़की, लौंडा आदि शब्दों का रिश्ता लिंग और उससे बने परवर्ती देशज रूपों से जोड़ा गया है।
--


अजित

http://shabdavali.blogspot.com/
औरंगाबाद/भोपाल, 07507777230


  

ashutosh kumar

unread,
Feb 28, 2013, 9:21:29 AM2/28/13
to शब्द चर्चा
वैसे परवर्ती देशज रूप हैं या संस्कृत रूप ? क्या हम निश्चित रूप से कुछ कह सकते हैं ?


2013/2/28 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Feb 28, 2013, 9:27:53 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
लिंग > लंड ? (संभावित परवर्ती देशज विकास।. संस्कृत में यह नहीं है)
लण्ड (संस्कृत-मोवि) = मल excrement ( हिन्दी वाला अर्थ नहीं, लिंग वाली भाव नहीं)

2013/2/28 ashutosh kumar <ashuv...@gmail.com>

ashutosh kumar

unread,
Feb 28, 2013, 9:37:51 AM2/28/13
to शब्द चर्चा
ओह ,' लंड' अलग अर्थ में संस्कृतमें मौजूद है तो लड़के के अर्थ में लौंडा शब्द की व्युत्पत्ति की पंजाबी किताब में दी गयी व्यख्या ही फिलहाल सही जान पडती है . 





  


अजित वडनेरकर

unread,
Feb 28, 2013, 9:43:02 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
ये पंजाबी किताब नहीं बल्कि हिन्दी की है। लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किन्हीं डॉ. निर्मोही की है। यहाँ औरंगाबाद में नहीं है, भोपाल में है। पूरा नाम याद नहीं आ रहा।


2013/2/28 ashutosh kumar <ashuv...@gmail.com>
ओह ,' लंड' अलग अर्थ में संस्कृतमें मौजूद है तो लड़के के अर्थ में लौंडा शब्द की व्युत्पत्ति की पंजाबी किताब में दी गयी व्यख्या ही फिलहाल सही जान पडती है . 





  


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Mukesh Tyagi

unread,
Feb 28, 2013, 9:43:04 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com

To better understand the meaning of "LAUNDA (लौंडा)", certain examples of its usage in Hindi are presented.

Examples from famous Hindi prose on the use of the word "LAUNDA (लौंडा)" वाक्यांश का उपयोग आलेख/ गद्य में

1.            "लौंडा चाहता है, मैं चाहे जिस राह जाऊँ, सुन्‍नी मेरी पूरा करती रहे।"
 -   लौंडा शब्द का उपयोग प्रेमचंद ने अपनी कहानी शांति में इस प्रकार किया है.

2.            "गहकी यह सोचकर कि अभी लौंडा है, काम बिगाड़ देगा उसके पास न आते।"
 -   लौंडा शब्द का उपयोग हरी भटनागर ने अपनी कहानी सग़ीर और उसकी बस्ती के लोग में इस प्रकार किया है.

Thesaurus and related words

Synonym words for "LAUNDA (लौंडा)"

1.            नगण्य व्यक्ति

(Cortesy: http://shabdkosh.raftaar.in/Meaning-of-LAUNDA-in-Hindi)



2013/2/28 ashutosh kumar <ashuv...@gmail.com>



--

(¨`•.•´¨)Always           
`•.¸(¨`•.•´¨)Keep
(¨`•.•´¨)¸.•´smiling!
`•.¸.•´
A smiling face doesn’t mean there is no sorrow.
It rather means that they have the courage to deal with it.
So wear a smile always.

 Please don't print this e-mail unless you really need to. SAVE PAPER TO SAVE TREES

Baljit Basi

unread,
Feb 28, 2013, 9:43:44 AM2/28/13
to शब्द चर्चा
संस्कृत 'लोल' से भी इसका संबंध हो सकता है? ऐसे भी संकेत मिलते हैं।
बलजीत बासी

On 28 फरवरी, 09:27, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> लिंग > लंड ? (संभावित परवर्ती देशज विकास।. संस्कृत में यह नहीं है)
> लण्ड (संस्कृत-मोवि) = मल excrement ( हिन्दी वाला अर्थ नहीं, लिंग वाली भाव
> नहीं)
>

> 2013/2/28 ashutosh kumar <ashuvand...@gmail.com>


>
>
>
>
>
> > वैसे परवर्ती देशज रूप हैं या संस्कृत रूप ? क्या हम निश्चित रूप से कुछ कह
> > सकते हैं ?
>

> > 2013/2/28 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>


>
> >> आप तो पंजाबी हैं:)
> >> मेरे पास एक दिलचस्प किताब है जिसमें आर्य-अनार्य संस्कृति पर काफ़ी दिलचस्प
> >> ढंग से तब्सरा किया गया है। लौंडा, लड़का, लड़की की व्युत्पत्तियों की
> >> अलग नज़रिये से व्याख्या की गई है। लड़का, लड़की, लौंडा आदि शब्दों का
> >> रिश्ता लिंग और उससे बने परवर्ती देशज रूपों से जोड़ा गया है।
>

> >> On Thu, Feb 28, 2013 at 7:29 PM, Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com> wrote:
>
> >>> निसंदेह यही अर्थ है!
>

> >>> On Thu, Feb 28, 2013 at 7:23 PM, Baljit Basi <baljit_b...@yahoo.com>wrote:
>
> >>>> क्या लौंडा शब्द का संबंध लड़का से है?
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अजित वडनेरकर

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Feb 28, 2013, 9:46:39 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
'लोला', 'लुल्ली', 'लुल्ल' शब्द तो लटकने के सम्बन्ध में देशज बोलियों में लिंग के लिए बोले जाते रहे हैं।
'लोला' का अर्थ अंडकोश भी है और लिंग भी।
पर लौडा  में जो 'ड' है वह अनायास नहीं आएगा।




2013/2/28 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>
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अजित

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अजित वडनेरकर

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Feb 28, 2013, 9:49:33 AM2/28/13
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संस्कृत के लण्ड का रिश्ता 'मल' पिण्ड के तौर पर बरते जाने वाले लेंडा, लेंडी शब्दों से है।

2013/2/28 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

Baljit Basi

unread,
Feb 28, 2013, 10:03:02 AM2/28/13
to शब्द चर्चा
लौंडा असल में लड़कियों जैसा लड़का है। यह passive gay भी हो सकता है।
इसका अर्थ नौकर भी है। ग्रन्थ साहिब में इसका रूप लौडा/'लउडा' भी है
यहाँ इसका अर्थ सेवक या नौकर है। पंजाबी में एक शब्द 'लौढा वेला' है। यह
दुपहर और शाम के बीच का समय है। मैं समझता हूँ कि यह 'लघु' से बना है।
अर्थात छोटा वेला, दिन बीतने में थोडा समय रह गया . ( बड़े तडके को
पंजाबी में वड्डा वेला कहते हैं) कुछ जगह लौडा/'लउडा' का लड़के और नौकर
वाला अर्थ इस भाव से लिया गया है अर्थात जो छोटा है।

बलजीत बासी


On 28 फरवरी, 09:49, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> संस्कृत के *लण्ड* का रिश्ता 'मल' पिण्ड के तौर पर बरते जाने वाले *लेंडा,
> लेंडी *शब्दों से है।
>
> 2013/2/28 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>


>
>
>
>
>
> > 'लोला', 'लुल्ली', 'लुल्ल' शब्द तो लटकने के सम्बन्ध में देशज बोलियों में
> > लिंग के लिए बोले जाते रहे हैं।
> > 'लोला' का अर्थ अंडकोश भी है और लिंग भी।
> > पर लौडा  में जो 'ड' है वह अनायास नहीं आएगा।
>

> > 2013/2/28 Baljit Basi <baljit_b...@yahoo.com>

अजित वडनेरकर

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Feb 28, 2013, 10:09:21 AM2/28/13
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यह भी सम्भावना हो सकती है, पर लौढ़ा या जो भी उच्चारण हो, की व्यु्त्पत्ति लघु से होने पर संदेह है।
हिन्दी शब्द सागर इसका रिश्ता लावण्य से जोड़ता है। पर वे भी पक्का तौर पर नहीं कह रहे हैं।
लौंडा संज्ञा पुं० [सं० लावण्य या लावण्यक या लुण्टक अथवा देशी] [स्त्री० लौंडी, लौंडिया] १. छोकरा । बालक । लड़का । २. खूवसूरत और नमकीन लड़का । यौ०सौंडेवाज । लौंडेवाजी

मैंने इस शब्द के बारे में लिखना अर्से से मुल्तवी किया हुआ है, फ़ाइल बनाए हुए कई साल हो गए:)

2013/2/28 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>
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अजित

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अजित वडनेरकर

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Feb 28, 2013, 10:09:50 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
ਇਹ ਕੰਮ ਮੇਰੇ ਲਈ ਖਾਸਾ ਮੁਸ਼ਕਲ ਸਾਬਤ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਹੈ

2013/2/28 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

Baljit Basi

unread,
Feb 28, 2013, 10:14:28 AM2/28/13
to शब्द चर्चा
ਖਾਸੀ ਵਧੀਆ ਪੰਜਾਬੀ ਲਿਖੀ ਹੈ।

ਬਲਜੀਤ ਬਾਸੀ


On 28 फरवरी, 10:09, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> ਇਹ ਕੰਮ ਮੇਰੇ ਲਈ ਖਾਸਾ ਮੁਸ਼ਕਲ ਸਾਬਤ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਹੈ
>

> 2013/2/28 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>


>
>
>
>
>
> > यह भी सम्भावना हो सकती है, पर लौढ़ा या जो भी उच्चारण हो, की व्यु्त्पत्ति
> > लघु से होने पर संदेह है।
> > हिन्दी शब्द सागर इसका रिश्ता लावण्य से जोड़ता है। पर वे भी पक्का तौर पर
> > नहीं कह रहे हैं।

> > लौंडा १ संज्ञा पुं० [सं० *लावण्य या लावण्यक या लुण्टक अथवा देशी*]
> > [स्त्री० *लौंडी, लौंडिया*] १. छोकरा । बालक । लड़का । २. खूवसूरत और नमकीन
> > लड़का । *यौ०*— *सौंडेवाज । लौंडेवाजी* ।


>
> > मैंने इस शब्द के बारे में लिखना अर्से से मुल्तवी किया हुआ है, फ़ाइल बनाए
> > हुए कई साल हो गए:)
>

> > 2013/2/28 Baljit Basi <baljit_b...@yahoo.com>

अजित वडनेरकर

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Feb 28, 2013, 10:24:17 AM2/28/13
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अजी क्यों बच्चे बहला रहे हो। मज़े मज़े में मशीन चला रहे हैं:)

2013/2/28 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>
ਖਾਸੀ ਵਧੀਆ ਪੰਜਾਬੀ ਲਿਖੀ ਹੈ।
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अजित

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Baljit Basi

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Feb 28, 2013, 10:26:19 AM2/28/13
to शब्द चर्चा
मैंने 'लौढा' को 'लघु' से जोड़ा है। क्या 'घ' ध्वनि 'ढ' में बदल नहीं
सकती ? वैसे पंजाबी में शब्द की अन्तम स्थिति में 'घ' 'ग' की तरह और
'ढ' 'ड' की तरह बोला जाता है। 'ल' की टोन बदल कर निम्न हो जाती है।
खैर, यह पंजाबी का विशेष ध्वनि-विज्ञानं है। यह भी सही है कि मुझे ढ का घ
में बदलने की और मिसालें नहीं मिलीं हालाँकि मैं और ढून्ढ रहा हूँ।

On 28 फरवरी, 10:09, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> यह भी सम्भावना हो सकती है, पर लौढ़ा या जो भी उच्चारण हो, की व्यु्त्पत्ति
> लघु से होने पर संदेह है।
> हिन्दी शब्द सागर इसका रिश्ता लावण्य से जोड़ता है। पर वे भी पक्का तौर पर
> नहीं कह रहे हैं।

> लौंडा १ संज्ञा पुं० [सं० *लावण्य या लावण्यक या लुण्टक अथवा देशी*]

> [स्त्री० *लौंडी,
> लौंडिया*] १. छोकरा । बालक । लड़का । २. खूवसूरत और नमकीन लड़का । *यौ०*—
> *सौंडेवाज
> । लौंडेवाजी* ।


>
> मैंने इस शब्द के बारे में लिखना अर्से से मुल्तवी किया हुआ है, फ़ाइल बनाए
> हुए कई साल हो गए:)
>

> 2013/2/28 Baljit Basi <baljit_b...@yahoo.com>

Sheo S. Jaiswal

unread,
Feb 28, 2013, 10:37:07 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
बलजीत बासी जी लौंडा का जो अर्थ बता रहे हैं, हमारे भोजपुरी क्षेत्र में वह उसी अर्थ में प्रयोग में आता है--"लड़कियों जैसा (स्त्रैण)   लड़का या passive gay." उसमें उपेक्षा/अपमान का भाव भी है. नौकरानी के लिए लौंडी का इस्तेमाल होता है, लेकिन लौंडा वहां नौकर के लिए नहीं आता. लौंडे-लपारे अपरिपक्व या ऊल-जुलूल लड़कों को लिए प्रयुक्त होता है. किसी लड़की को लौंडिया कहना तो भोजपुरी में बहुत अपमानजनक माना जायेगा, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह आम बोल-चाल में खूब सुनने में आता है.       

इसका अर्थ  नौकर भी है। 

2013/2/28 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>



--
Dr. S. S. Jaiswal

Abhay Tiwari

unread,
Feb 28, 2013, 10:49:37 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
शब्दसागर में लौंडा को लावण्य से जोड़ा गया है.. सेवक के अर्थ में भी ये प्रयोग होता रहा है पर इसका मूल अर्थ किशोर ही है.. जैसे लौंडी/लौंडिया का अर्थ किशोरी।

2013/2/28 Sheo S. Jaiswal <jais...@gmail.com>

Anil Janvijay

unread,
Feb 28, 2013, 11:59:42 AM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
पंजाबी का एक शब्द है -- लंडूरा । बलजीत जी, क्या इसका भी कोई सम्बन्ध लौंडा या संस्कृत के 'लण्ड' से  हो सकता है?

2013/2/28 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>



--

अजित वडनेरकर

unread,
Feb 28, 2013, 12:03:10 PM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
लंडूरा हिन्दी व अन्य बोलियों में भी चलता है। इस पर शब्दों का सफ़र में लिखा था-
लिंगम् आलिंगन और लंडूरा
इसमें सुधार की गुंजाइश है।

2013/2/28 Anil Janvijay <anilja...@gmail.com>



--


अजित

http://shabdavali.blogspot.com/
औरंगाबाद/भोपाल, 07507777230


  

nandkishore arya

unread,
Feb 28, 2013, 10:09:05 PM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
कहीं ये अरबी से आया शब्द तो नहीं है मुसलमानों में इसका प्रचलन होता रहा है 


28 फरवरी 2013 10:33 pm को, अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com> ने लिखा:



--
नन्द किशोर आर्य 

ashutosh kumar

unread,
Feb 28, 2013, 10:21:14 PM2/28/13
to शब्द चर्चा
भोजपुरी में लौंडा एक नकारात्मक टोन भले ही रखता हो , बृजभाषा या पश्चिमी बोलियों में ऐसा नहीं है .शब्दों के भाव जगह और समय के हिसाब से यत्किंचित बदल जाते हैं . 


2013/3/1 nandkishore arya <nandg...@gmail.com>

Abhay Tiwari

unread,
Feb 28, 2013, 10:31:07 PM2/28/13
to shabdc...@googlegroups.com
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के घर-परिवार में लड़के-लड़की को लौंडा-लौंडिया ही बोलते हैं.. और अरब से इसका कोई सम्बंध नहीं.. निहायत 'आर्य-द्रविड़ परम्परा' का खालिस शब्द है ये! :)

2013/3/1 ashutosh kumar <ashuv...@gmail.com>

Ashok Jaiswal

unread,
Mar 1, 2013, 1:36:36 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com


2013/3/1 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>
 इसका मूल अर्थ किशोर ही है, जैसे लौंडी/लौंडिया का अर्थ किशोरी हुआ लेकिन लौंडी का अर्थ बांदी अथवा दासी के लिए प्रयुक्त होता रहा है .... जैसे कि किशोर वयस के पुरुष को पंजाबी में लमडे कहकर भी संबोधित करते देखा जाता है पर मूल अर्थ तो वाही है यानी -- लौंडा का मतलब है किशोर .... !!
 
Ashok Kumar Jaiswal !!

eg

unread,
Mar 1, 2013, 3:29:44 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर। एक गाने की शुरुआत पर बरबस  ही ध्यान चला गया - लौंडा बदनाम हुआ नसीबन तेरे लिये! 
'नसीबन' का क्या अर्थ? 'भाग्य से' या कोई नाम है?
 

2013/3/1 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

Anil Janvijay

unread,
Mar 1, 2013, 4:38:06 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
उर्दू में नसीब भाग्य को कहते हैं। नसीबन एक पुराना नाम है, जिसका मतलब है - अच्छे भागों वाली (अच्छे भाग्य वाली) पंजाबी में और हिन्दी की बोलियों में भाग का बहुवचन भागों भी इस्तेमाल किया जाता है।

2013/3/1 eg <girij...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 5:19:22 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
गिरिजेश भाई...आप एक चर्चा पूरी नहीं होने देते और नया सूत्र पुरानी चर्चा में घुसा देते हैं।
कैसे माने कि आप गंभीर हैं ?

2013/3/1 Anil Janvijay <anilja...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 5:21:36 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
"लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर"

इसका स्पष्टीकरण भी दें कि इस वाक्य से आपका अभिप्राय क्या है।
मुझे इस पर आपत्ति है।

2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

chandra bhushan

unread,
Mar 1, 2013, 7:51:17 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
फारूकी साहब के उपन्यास कई चांद थे सरे आसमां में मिर्जा साहब गली में जा रहे दाग देहलवी और उनके दो दोस्तों से कहते हैं- ऐ लमडो, कहां जा रहे हो। कृपया पता करें कि रवां उर्दू में यह शब्द कहां से आया है। क्या इसकी कोई फारसी व्युत्पत्ति है। मुझे तो यह लगभग तय लगता है कि लौंडा शब्द इस फारसी मूल के लमडा से ही आया है- संस्कृत शब्द लिंग के देशज प्रयोग से नहीं।

chandra bhushan

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Mar 1, 2013, 7:53:20 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
पुनश्च- मिर्जा गालिब कहना चाहता था, गलती से मिर्जा साहब लखा गया। माफी चाहता हूं।

2013/3/1 chandra bhushan <patra...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 7:54:03 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
लिंग से लौंडा दूर की कौड़ी है।
आप सही हैं। 'ड' का आगम कहाँ से हुआ होगा यह ध्यान रखना ज़रूरी है ।

2013/3/1 chandra bhushan <patra...@gmail.com>
फारूकी साहब के उपन्यास कई चांद थे सरे आसमां में मिर्जा साहब गली में जा रहे दाग देहलवी और उनके दो दोस्तों से कहते हैं- ऐ लमडो, कहां जा रहे हो। कृपया पता करें कि रवां उर्दू में यह शब्द कहां से आया है। क्या इसकी कोई फारसी व्युत्पत्ति है। मुझे तो यह लगभग तय लगता है कि लौंडा शब्द इस फारसी मूल के लमडा से ही आया है- संस्कृत शब्द लिंग के देशज प्रयोग से नहीं।

Abhay Tiwari

unread,
Mar 1, 2013, 7:54:31 AM3/1/13
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चन्दू भाई! फारसी में मूर्धन्य ध्वनियाँ-ट ठ ड ढ नहीं हैं.. 

2013/3/1 chandra bhushan <patra...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 7:58:06 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com

Abhay Tiwari

unread,
Mar 1, 2013, 8:00:00 AM3/1/13
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फ़ैलन में लौंडा हिन्दी मूल का दिया हुआ है.. और रवां उर्दू में बहुतेरे घिसे हुए देशज शब्द मिलते हैं.. या तो घिसे हुए देशज या फिर फ़ारसी.. दोनों की मुलायमियत से ही निकलता है उर्दू का मुखसुख!  

2013/3/1 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 8:02:06 AM3/1/13
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"दोनों की मुलायमियत से ही निकलता है उर्दू का मुखसुख!"
क्या बात कही है अभय भाई:)

On 3/1/13, Abhay Tiwari <abha...@gmail.com> wrote:
> फ़ैलन में लौंडा हिन्दी मूल का दिया हुआ है.. और रवां उर्दू में बहुतेरे घिसे
> हुए देशज शब्द मिलते हैं.. या तो घिसे हुए देशज या फिर फ़ारसी.. दोनों की
> मुलायमियत से ही निकलता है उर्दू का मुखसुख!
>
> 2013/3/1 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>
>
>> चन्दू भाई! फारसी में मूर्धन्य ध्वनियाँ-ट ठ ड ढ नहीं हैं..
>>
>>
>> 2013/3/1 chandra bhushan <patra...@gmail.com>
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Abhay Tiwari

unread,
Mar 1, 2013, 8:01:57 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
लौंडा की कठोरता को उर्दू वालों ने लमडा करके मुलायम बना लिया.. ये है उनका स्वभाव! 

2013/3/1 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

eg

unread,
Mar 1, 2013, 8:53:01 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
अजित जी, 
मैंने कुछ भी नया नहीं घुसेड़ा, बस प्रचलित पर पूछा भर जिसे अनिल जी ने बता दिया। बात खत्म, चर्चा तो अपनी पटरी पर जारी ही है। यदि इस पर गम्भीरता पर प्रश्न लगता है तो यही कहूँगा कि ऐसा इस मंच पर पहली बार नहीं हुआ है। इसमें कोई अगम्भीरता नहीं है। 

@"लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर"
एक ही शब्द के प्रयोग अर्थ में पूर्व पश्चिम के अंतर और मित्रजनों के बीच अनौपचारिक guys, boys, jokers, जवानों आदि जैसे प्रयोगों के समान इसे रखते हुये सम्मिलित हास्यप्रयोग है यह जिसमें पड़ने वाले प्रभाव की ओर संकेत है।  रही बात आपत्ति की तो आप ने स्पष्ट नहीं किया कि क्यों है इसलिये उस पर कुछ नहीं कहना।      

2013/3/1 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

ashish Maharishi

unread,
Mar 1, 2013, 8:56:16 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
sharmnak 


Regards,

 

Ashish Maharishi
cell -8860366622

Save Money, Live Better.

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2013/3/1 eg <girij...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 9:00:55 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
आप अपनी जिद बनाए रखिए।
 कम से कम मैं तो
"लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर"

जैसी प्रतिक्रिया में मित्रता के दायरे से बाहर ही रहना चाहूँगा। मित्रता में भी खुद के लिए लंडा शब्द चाहे सामूहिक तौर पर कहा हो, नहीं सुनना चाहूँगा।
मैने "घुसा देते हैं' कहा है। इसेैसे ही आप "घुसेड़ा" में तब्दील करते हैं, मेरी गंभीर प्रतिक्रिया के प्रति आपकी चिढ़ भी उजागर होती है।

वैसे शब्दों का सफ़र में एक बार आप कबूल कर चुके हैं कि आप पर मसखरी हमेशा हावी रहती है। आपकी समझ पर यहाँ हास-परिहास और दूसरी चीज़े तय होनी हैं तब मेरे विदा होने का वक्त आ गया है।
नमस्कार।

2013/3/1 eg <girij...@gmail.com>
अजित जी, 
मैंने कुछ भी नया नहीं घुसेड़ा, बस प्रचलित पर पूछा भर जिसे अनिल जी ने बता दिया। बात खत्म, चर्चा तो अपनी पटरी पर जारी ही है। यदि इस पर गम्भीरता पर प्रश्न लगता है तो यही कहूँगा कि ऐसा इस मंच पर पहली बार नहीं हुआ है। इसमें कोई अगम्भीरता नहीं है। 

@

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 9:04:43 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
गिरिजेश भाई,

eg

unread,
Mar 1, 2013, 9:10:48 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
@ वैसे शब्दों का सफ़र में एक बार आप कबूल कर चुके हैं कि आप पर मसखरी हमेशा हावी रहती है। 

 विदा होने या न होने की बात  

चिढ़ किसे है यह तो स्पष्ट ही है। 'घुसा देते' और 'घुसेड़ा' के अंतर-बोध में भी वही दिख रही है। यदि आप को इतनी सी बात पर इतनी चिढ़ है तो मुझे भी 'मसखरी' प्रयोग पर भी उतनी ही चिढ़ है। 
प्रणाम।   

Abhay Tiwari

unread,
Mar 1, 2013, 9:12:04 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
सभी सदस्यों से, विशेषकर गिरजेश भाई से अनुरोध है कि चर्चा में अपेक्षित संजीदगी बनाए रखें.. विशेषकर जब इस तरह के शब्दों की चर्चा हो रही है जो अश्लील भाषा के सीमान्त पर हैं.. यारों में याराना अच्छा लगता है मगर सभा में/ सामूहिक मंच पर यार को भी याराना नागवार लग सकता है.. तो मित्रों, किसी की गरिमा को ठेस पहुँचे, ऐसी भाषा का प्रयोग न करें.. 

अजित भाई, आप गुस्सा थूक दें.. आप के बिना ये मंच श्रीहीन हो जाएगा.. समूह छोड़ने की बात न करें.. 

   

2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>
गिरिजेश भाई,
--

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 9:13:58 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
महामना, ये मेरे नहीं आपके ही शब्द हैं। अपनी तरफ़ से मैं हमेसा सावधानी से शब्दों का प्रयोग करता हूँ। आपने ही खुद के लिए मसखरी शब्द का प्रयोग किया था।

2013/3/1 eg <girij...@gmail.com>

Baljit Basi

unread,
Mar 1, 2013, 9:19:51 AM3/1/13
to शब्द चर्चा
टर्नर ने पंजाबी 'लहुडा' का संबंध लघु से दर्शाया है। देखिये:
laghú 10896 laghú ʻ light ʼ AV., ʻ slight, quick ʼ Mn. [raghú -- RV.
-- √raṁh]
Pa. lahu -- ʻ light, quick ʼ, °uka -- ʻ trifling ʼ; Aś.top. lahu ʻ
trifling ʼ, shah.gir. lahuka -- , NiDoc. lahu, °u&gacute;a; Pk. lahu
-- , °ua -- ʻ light, small ʼ; Paš.lauṛ. lahū lahū ʻ slowly, gently ʼ;
Sv. lau ʻ small ʼ; K. lah ʻ lightly, gently ʼ; L. (Ju.) lavā ʻ young
ʼ, OG. lahu; M. lahu -- lahān (< ślakṣṇá -- ) ʻ small and gentle ʼ;
Si. luhu ʻ light, small, quick ʼ; Md. lui, lū ʻ light ʼ; -- ext. -- ḍ
-- : Sv. layéṛo ʻ younger ʼ; P.bhaṭ. lauhṛā ʻ small, young ʼ; Bi.
lahūrī ʻ younger wife ʼ; Aw.lakh. lahurā ʻ younger ʼ, H. lauhṛā,
lauhrā; OG. lahuḍaü ʻ small, young ʼ; -- -- ḍḍ -- : P. lauhḍā ʻ small,
young ʼ; <-> -- ll -- : Bi. nahlā ʻ smallest trowel used by masons ʼ;
-- -- kk -- : Gy. eur. loko, wel. l̬okō ʻ light, small ʼ; Ḍ. lauka,
lōka ʻ light, quick ʼ; Ash. l&omacrtodtod;ukəstēi ʻ light ʼ, Kt. luk,
Paš.lauṛ. lahūˊk, ar. lamuk ( -- m -- unexpl.), Shum. lamuk; Bshk. lōk
ʻ light, younger ʼ; Phal. lohṓko ʻ small, young ʼ, lhokḗro ʻ younger
ʼ; Sh. lōkṷ ʻ light, quick, active ʼ; K. lūku ʻ small, trifling ʼ; L.
lôhkā ʻ light ʼ, awāṇ. laùkā; P. lauhkā ʻ small, young ʼ, kgr. lahukā
ʻ small ʼ; Or. lahakā, na(h)akā ʻ slender, weak ʼ; -- metath.: S.
hariṛo ʻ light ʼ, L. hôla, (Shahpur) haulā; P. haulā ʻ light, gentle
ʼ;

-- 631 --
Ku.gng. haü ʻ light ʼ, N. halũ, °laũ, °luṅo; OAw. haruā ʻ light,
worthless ʼ, H. harū, haruā; OG. halūu ʻ small ʼ, G. haḷu ʻ softly,
gently ʼ, haḷvũ ʻ light, slow, soft ʼ; M. haḷū ʻ light ʼ, haḷvā ʻ
ripening quickly ʼ; Ko. haḷu ʻ slow ʼ; -- ext. -- kk -- with metath.:
S. halko ʻ light ʼ (← P. H.), P. WPah.cam. halkā, Ku. halko, N.
haluko, B. hā̆lkā, Or. hāḷukā, Mth. Bhoj. haluk, H. halukā, halkā (→
G. halkũ, M. halkā), M. haḷkā. -- Kal. lihoċ ʻ light ʼ, Kho. lhoċ
(+?). -- See Add.

> > > >> > >> For more options, visithttps://groups.google.com/groups/opt_out.


>
> > > >> > >  --
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> > > >> Groups
> > > >> > > "शब्द चर्चा " group.
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eg

unread,
Mar 1, 2013, 9:20:18 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
पता नहीं आप के शब्दों का सफर पर किस सन्दर्भ में किया था! वह भी मसखरी हमेशा हाबी रहने का प्रयोग!!  
मुझे तो यही लगता है कि 'शब्दों का सफर' पर मैं एक गम्भीर टिप्पणी कर्ता था। हो सकता है कि मैं ग़लत होऊँ, ब्लॉग आप का, बात आप की; हम तो बस ऐसे ही।   
वैसे बात शब्द चर्चा प्लेटफार्म पर हो रही है, 'शब्दों का सफर' पर नहीं। 

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 9:22:56 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
ये रही आपकी वो टिप्पणी-

 "गिरिजेश राव said...आज मैं स्तब्ध हूँ, मसखरी दिमाग से फरार है। इतनी स्पष्ट दृष्टि ! भाऊ क़ोट करने लगूँ तो पूरा लेख ही टिप्पणी में लिख जाऊँगा। लोग छोटों को कहते हैं लेकिन मैं एक बड़े को कह रहा हूँ - जीय बबुआ जीय।"

इससे साफ़ है कि आप यही कहना चाहते हैं कि आप पर हमेशा मसखरी हावी रहती है। मैने क्या ग़लत कहा? अपने कहे शब्द से अगर चिढ़ है तो इस मंच पर सबके लिए प्रयुक्त "लौडों" शब्द पर भी चिढ़ औरअफ़सोस ज़ाहिर करिये। आप तो बहस को न्योता दे रहे हैं, जिसका कोई अर्थ नहीं है।

ज़िद, चिढ़ जैसे तमाम शब्दों का प्रयोग बच्चों की तरह उलट कर मुझ पर करने की शैली पुरानी पड़ चुकी है मित्र। आगे बढ़ो, बड़प्पन दिखाओ, उदार बनो:)

eg

unread,
Mar 1, 2013, 9:23:26 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
अभय जी, 
मैं संजीदा ही था। यदि आप को भी ऐसा लगता है कि मेरी कही बातें आपत्तिजनक है तो हटा दीजिये। आप इस मंच के प्रशासक हैं।  

2013/3/1 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

Sandeep kumar

unread,
Mar 1, 2013, 9:24:31 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
मेरा तो खूब ज्ञान वर्धन हुआ इस पोस्ट से। वर्षों से लंडूरा शब्दा का प्रयोग करता रहा इस अपराधबोध के साथ कि यह अश्लील है लेकिन आज इसका वास्तविक अर्थ पता चला तो वह भी जाता रहा। मैं भी पुरबिया हूं और वहां भी लौडा शब्द का इस्तेमाल स्त्रियोचित लड़कों तथा शादी समारोह में लड़की स्वांग रचकर नाचने वाले लड़कों के लिए ही किया जाता है। हां, हमारे यहां समलैंगिकों को लौंडेबाज कहने का चलन भी है।
Sandeep

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 9:26:07 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
ये रही आपकी वो टिप्पणी-

 "गिरिजेश राव said...आज मैं स्तब्ध हूँ, मसखरी दिमाग से फरार है। इतनी स्पष्ट दृष्टि ! भाऊ क़ोट करने लगूँ तो पूरा लेख ही टिप्पणी में लिख जाऊँगा। लोग छोटों को कहते हैं लेकिन मैं एक बड़े को कह रहा हूँ - जीय बबुआ जीय।"

इससे साफ़ है कि आप य





eg

unread,
Mar 1, 2013, 9:28:48 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
हा, हा, हा आप नहीं समझ पाये उस टिप्पणी के प्रशंसा भाव को, बड़प्पन और उदारता क्या समझेंगे? प्लेटफार्म अलग होने की बात कह ही चुका हूँ, आप की इस बात ने और निराश कर दिया। इस मंच के प्रशासक अभय जी को स्पष्टीकरण दे चुका हूँ, आगे जैसी उनकी मर्जी। 

Baljit Basi

unread,
Mar 1, 2013, 9:34:54 AM3/1/13
to शब्द चर्चा
अजित भाई जान, अब जाने दो . आप जानते हैं, ऐसी गुस्ताखी कबी कबी मेरे से
भी हो जाती है। कई बार लिखते लिखते पता नहीं लगता यार लोग किसी प्रयोग को
कैसे लेंगे। वैसे मन में कोई दुर्भावना नहीं होती .

बलजीत बासी


On 1 मार्च, 09:13, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> महामना, ये मेरे नहीं आपके ही शब्द हैं। अपनी तरफ़ से मैं हमेसा सावधानी से
> शब्दों का प्रयोग करता हूँ। आपने ही खुद के लिए मसखरी शब्द का प्रयोग किया था।
>

> 2013/3/1 eg <girijesh...@gmail.com>


>
>
>
> > @ वैसे शब्दों का सफ़र में एक बार आप कबूल कर चुके हैं कि आप पर मसखरी हमेशा
> > हावी रहती है।
> > &
> >  विदा होने या न होने की बात
>
> > चिढ़ किसे है यह तो स्पष्ट ही है। 'घुसा देते' और 'घुसेड़ा' के अंतर-बोध में भी
> > वही दिख रही है। यदि आप को इतनी सी बात पर इतनी चिढ़ है तो मुझे भी 'मसखरी'
> > प्रयोग पर भी उतनी ही चिढ़ है।
> > प्रणाम।
>

> > 2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>


>
> >> आप अपनी जिद बनाए रखिए।
> >>  कम से कम मैं तो
> >> "लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर"
> >> जैसी प्रतिक्रिया में मित्रता के दायरे से बाहर ही रहना चाहूँगा। मित्रता
> >> में भी खुद के लिए लौंडा शब्द चाहे सामूहिक तौर पर कहा हो, नहीं सुनना
> >> चाहूँगा।
> >> मैने "घुसा देते हैं' कहा है। इसे जैसे ही आप "घुसेड़ा" में तब्दील करते
> >> हैं, मेरी गंभीर प्रतिक्रिया के प्रति आपकी चिढ़ भी उजागर होती है।
> >> वैसे शब्दों का सफ़र में एक बार आप कबूल कर चुके हैं कि आप पर मसखरी हमेशा
> >> हावी रहती है। आपकी समझ पर यहाँ हास-परिहास और दूसरी चीज़े तय होनी हैं तब
> >> मेरे विदा होने का वक्त आ गया है।
> >> नमस्कार।
>

> >> 2013/3/1 eg <girijesh...@gmail.com>


>
> >>> अजित जी,
> >>> मैंने कुछ भी नया नहीं घुसेड़ा, बस प्रचलित पर पूछा भर जिसे अनिल जी ने बता
> >>> दिया। बात खत्म, चर्चा तो अपनी पटरी पर जारी ही है। यदि इस पर गम्भीरता पर
> >>> प्रश्न लगता है तो यही कहूँगा कि ऐसा इस मंच पर पहली बार नहीं हुआ है। इसमें
> >>> कोई अगम्भीरता नहीं है।
>
> >>> @
> >>> एक ही शब्द के प्रयोग अर्थ में पूर्व पश्चिम के अंतर और मित्रजनों के बीच
> >>> अनौपचारिक guys, boys, jokers, जवानों आदि जैसे प्रयोगों के समान इसे रखते
> >>> हुये सम्मिलित हास्यप्रयोग है यह जिसमें पड़ने वाले प्रभाव की ओर संकेत
> >>> है।  रही बात आपत्ति की तो आप ने स्पष्ट नहीं किया कि क्यों है इसलिये उस पर
> >>> कुछ नहीं कहना।
>

> >>> 2013/3/1 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
> >>>> लौंडा की कठोरता को उर्दू वालों ने लमडा करके मुलायम बना लिया.. ये है
> >>>> उनका स्वभाव!
>

> >>>> 2013/3/1 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
> >>>>> फ़ैलन में लौंडा हिन्दी मूल का दिया हुआ है.. और रवां उर्दू में बहुतेरे
> >>>>> घिसे हुए देशज शब्द मिलते हैं.. या तो घिसे हुए देशज या फिर फ़ारसी.. दोनों की
> >>>>> मुलायमियत से ही निकलता है उर्दू का मुखसुख!
>

> >>>>> 2013/3/1 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
> >>>>>> चन्दू भाई! फारसी में मूर्धन्य ध्वनियाँ-ट ठ ड ढ नहीं हैं..
>

> >>>>>> 2013/3/1 chandra bhushan <patraka...@gmail.com>
>
> >>>>>>> फारूकी साहब के उपन्यास *कई चांद थे सरे आसमां* में मिर्जा साहब गली


> >>>>>>> में जा रहे दाग देहलवी और उनके दो दोस्तों से कहते हैं- ऐ लमडो, कहां जा रहे
> >>>>>>> हो। कृपया पता करें कि रवां उर्दू में यह शब्द कहां से आया है। क्या इसकी कोई
> >>>>>>> फारसी व्युत्पत्ति है। मुझे तो यह लगभग तय लगता है कि लौंडा शब्द इस फारसी मूल
> >>>>>>> के लमडा से ही आया है- संस्कृत शब्द लिंग के देशज प्रयोग से नहीं।
>

> >>>>>>> 2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>


>
> >>>>>>>> "लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर"
>
> >>>>>>>> इसका स्पष्टीकरण भी दें कि इस वाक्य से आपका अभिप्राय क्या है।
> >>>>>>>> मुझे इस पर आपत्ति है।
>

> >>>>>>>> 2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>


>
> >>>>>>>>> गिरिजेश भाई...आप एक चर्चा पूरी नहीं होने देते और नया सूत्र पुरानी
> >>>>>>>>> चर्चा में घुसा देते हैं।
> >>>>>>>>> कैसे माने कि आप गंभीर हैं ?
>

> >>>>>>>>> 2013/3/1 Anil Janvijay <aniljanvi...@gmail.com>


>
> >>>>>>>>>> उर्दू में नसीब भाग्य को कहते हैं। नसीबन एक पुराना नाम है, जिसका
> >>>>>>>>>> मतलब है - अच्छे भागों वाली (अच्छे भाग्य वाली) पंजाबी में और हिन्दी की
> >>>>>>>>>> बोलियों में भाग का बहुवचन भागों भी इस्तेमाल किया जाता है।
>

> >>>>>>>>>> 2013/3/1 eg <girijesh...@gmail.com>


>
> >>>>>>>>>>> लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर। एक गाने की शुरुआत पर
> >>>>>>>>>>> बरबस  ही ध्यान चला गया - लौंडा बदनाम हुआ नसीबन तेरे लिये!
> >>>>>>>>>>> 'नसीबन' का क्या अर्थ? 'भाग्य से' या कोई नाम है?
>

> >>>>>>>>>>> 2013/3/1 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
> >>>>>>>>>>>> पश्चिमी उत्तर प्रदेश के घर-परिवार में लड़के-लड़की को
> >>>>>>>>>>>> लौंडा-लौंडिया ही बोलते हैं.. और अरब से इसका कोई सम्बंध नहीं.. निहायत
> >>>>>>>>>>>> 'आर्य-द्रविड़ परम्परा' का खालिस शब्द है ये! :)
>

> >>>>>>>>>>>> 2013/3/1 ashutosh kumar <ashuvand...@gmail.com>


>
> >>>>>>>>>>>>> भोजपुरी में लौंडा एक नकारात्मक टोन भले ही रखता हो , बृजभाषा या
> >>>>>>>>>>>>> पश्चिमी बोलियों में ऐसा नहीं है .शब्दों के भाव जगह और समय के हिसाब से
> >>>>>>>>>>>>> यत्किंचित बदल जाते हैं .
>

> >>>>>>>>>>>>> 2013/3/1 nandkishore arya <nandguru...@gmail.com>


>
> >>>>>>>>>>>>>> कहीं ये अरबी से आया शब्द तो नहीं है मुसलमानों में इसका प्रचलन
> >>>>>>>>>>>>>> होता रहा है
>
> >>>>>>>>>>>>>> 28 फरवरी 2013 10:33 pm को, अजित वडनेरकर <

> >>>>>>>>>>>>>> wadnerkar.a...@gmail.com> ने लिखा:
>
> ...
>
> और पढ़ें »- उद्धृत पाठ छिपाएँ -

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 10:02:05 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
बलजीत भाई,
सार्वजनिक मंच पर ज़रूरी नहीं कि कब, कहाँ क्या बुरा लगा, सब उजागर किया जाए। बहुत सी बातें टाली जाती हैं...जैसा आपने कहा। इसके बाद जब कोई सदस्य किसी बात पर ऐतराज करे रवैया आपत्ति को स्वीकार करने वाला होना चाहिए। तब इन बातों की सार्थकता होती है कि "जाने दीजिए, छोड़िए" वगैरह...
आपत्ति को मेरे नज़रिये से स्वीकार करना दूर...बात अगर बढ़ाई जाएगी तो कैसे निभेगी? रही बात आपकी तो आपसे कभी शिकायत नहीं रही। मेरे आपके बीच सालों से संवाद है और वह इस मंच पर भी व्यक्तिगत श्रेणी का वार्तालाप होता है। आपका बड़प्पन है कि प्रस्तुत प्रसंग में भी आप अपनी बात रख रहे हैं।
गिरिजेश भाई ने सामूहिक तौर पर एक ऐसे शब्द का प्रयोग किया था जिसकी अर्थवत्ता अलग अलग समाजों में स्वीकारणीय और नाकाबिले बर्दाश्त के स्तर की है। कुल मिलाकर परिनिष्ठित और सभ्य बोली में इसका प्रयोग नहीं होता। शब्दविलास के तौर पर तो गालियों पर भी चर्चा होती रही है। वर्जित शब्दों पर भी। क्या उसका प्रयोग संवाद के तौर पर करना ज़रूरी है ?
मेरी आपत्ति ग़लत थी ?
प्रस्तुत चर्चा में "नसीबन" शब्द आते ही मैने टोका न होता तो सम्भव है नसीबन पर भी चर्चा इसी सूत्र में चलती रहती। अनिल जी के बाद कोई और नसीब पर कुछ कहता, मैं कहता, आप कहते या कोई और कहता। यह भी हो सकता था कि अलग चर्चा सूत्र की बात भी कोई याद दिलाता। हमने समूह के नियम का हवाला देकर अगर याद दिलाया तो उस पर बहस छेड़ी जाएगी? कितनी बार?  गिरिजेश जी आदतन जिस तरह इसे भी बहुत हलका लेते हुए "बात खत्म, चर्चा तो अपनी पटरी पर जारी ही है" कह रहे हैं, क्या आप भी सहमत हैं ?

साथीगण मुझे बता दें कि क्या मुझे गिरिजेश भाई से क्षमायाचना करनी है?
या कभी भी इस तरह की बातों पर प्रतिक्रिया नहीं देनी है ? कोई भी, कुछ भी कहता रहे। बहस किसी भी दिशा में जाए। हमें अपनी शंका, आशंका, कुशंका का उल्लेख नहीं करना है।
"अतीत में भी ऐसा होता आया है" इसे ब्रह्मवाक्य मान लिया जाए और भविष्य सुरक्षित कर लिया जाए?
कृपया मार्गदर्शन करें।

अजित
 

2013/3/1 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>
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अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 10:17:32 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
कमाल कर दिया बलजीत भाई।
टर्नर के हवाले से आपने बात सिरे तक पहुँचा दी। बहुत खूब।
शुक्रिया।

2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

Anil Janvijay

unread,
Mar 1, 2013, 10:21:27 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
अजित जी,
'लौंडा' सम्बोधन पर आपत्ति मुझे भी है। ख़ासकर जिस ढंग से बात कही गई थी। पहले मैंने भी सोचा था कि आपत्ति करूँ। फिर मैंने सोचा कि हम मूल बात से भटक जाएँगे। बस, यही सोचकर चुप रह गया। फिर जब आपने आपत्ति कर दी तो मैंने आगे कुछ कहना ठीक न समझा। लेकिन बात बहुत आगे बढ़ गई है। इसे यहीं विराम दिया जाना चाहिए। जो हुआ, सो हुआ।

2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>



--

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 10:27:55 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
मुझे पता है अनिलभाई,
कई लोगों को वह खराब लगा होगा, मगर अनदेखा कर गए।
ज्यादातर अनदेखी का स्वभाव बनाना भी खराब है। और अनदेखी के चलते लोगों की संवेदना भी कम होती जाती है। यही सोच कर मैं एक सीमा के बाद
बोलता, टोकता हूँ तो लोग बहस पर उतारू हो जाते हैं। अपनी कही बातों के संदर्भ याद नहीं आते। जब याद दिलाए जाते हैं तो वहाँ भी मनमानी व्याख्या जारी रहती है, इशारों के व्यंग्यबाण जारी रहते हैं। क्या कहें।

2013/3/1 Anil Janvijay <anilja...@gmail.com>

abhishek singhal

unread,
Mar 1, 2013, 11:01:02 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
आदरणीय
इस मंच पर होने वाली चर्चाओं से सदैव लाभांवित होता रहा हूं। आज भी इस शब्द का इतना विशद विवेचन जान कर बहुत अच्छा लगा। थोड़ा हास परिहास ठीक हो सकता है पर कहते हैं न कि अति सर्वत्र वर्जयते... सो आग्रह और अनुरोध सभी लोग किसी भी मामले की अति से बचें,,, यहां इस समूह से जुड़ कर बहुत अच्छा लग रहा है, इतना ही कहते हुए कि यह भूल चूक लेनी देनी की परंपरा रही है,, इसी नाते यह कह दिया जाना ही उचित रहता है कि किसी को किसी बात से ठेस पहुंची हो तो ऐसा करना उद्देश्य नहीं था और उसे उसी रूप में लिया जाए,,,, अतः मेरा आग्रह तो यही है कि इस प्रकरण में भी यही कहा जाना चाहिए।
 सादर
अभिषेक 
abhishek singhal
jaipur
09829266068
skype name: abhishek1970
www.abhishek-singhal.blogspot.com


Vinod Sharma

unread,
Mar 1, 2013, 11:09:45 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
अजित भाई और अनिलजी, आप दोनों की बात से सहमत हूँ।
विद्वानों के शास्त्रार्थ के बीच हम जैसे अल्पज्ञ केवल पाठक बन कर रह जाते हैं।
कई बार लगता है कि कहीं कुछ अतिरेक, सीमा से परे, अवांछनीय हो रहा है, लेकिन
बड़े लोगों के बीच बोलना उचित प्रतीत नहीं होता। यह माना जा सकता है कि ज्ञानी
लोग थोड़े अलग स्वभाव के होते हैं, फिर भी फलदार वृक्ष तनता नहीं झुकता ही है
यह याद रखा जाए तो अप्रिय अवसरों से बचना अधिक आसान होगा।
सादर,
विनोद शर्मा  

2013/3/1 abhishek singhal <abhi19...@gmail.com>



--
bestregards.gif
विनोद शर्मा

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 11:18:38 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com

गिरिजेश भाई, 
"लौंडों" वाले संदर्भ में आपको जब "मसखरी" याद दिलाई तो आप नसीहत दे रहे हैं कि ये सार्वजनिक मंच है, शब्दों का सफ़र नहीं। इस संदर्भ में मैं भी आपके ब्लॉग पर वो पंक्ति याद दिलाना चाहूँगा जो आपने खुद के परिचय में लिखी है।

"Introduction- पास बैठो कि मेरी बकबक में नायाब बातें होती हैं, तफसील पूछोगे तो कह दूँगा - मुझे कुछ नहीं पता"

अनुरोध है कि इस मंच पर ब्लॉग प्रोफ़ाइल वाले व्यक्तित्व का परिचय न दें। ख़ासतौर पर यहाँ यहाँ बकबक नहीं चलती। सारे मामले तफ़सील में ही समझे और समझाए जाते हैं।
अजित







2013/3/1 abhishek singhal <abhi19...@gmail.com>

eg

unread,
Mar 1, 2013, 11:27:37 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
भाऊ! 
आप ... अब क्या कहूँ? मैंने 'सार्वजनिक' नहीं कहा। फिर से पढ़िये। आप का ब्लॉग भी सार्वजनिक ही है। रही बात मेरे ब्लॉग के उस परिचय की तो उसका आयाम अलग है।
आप इधर उधर से बटोर कर क्यों किसी एडवोकेट की तरह अपराधी साबित करने पर तुले हुये हैं? कोई आवश्यक नहीं कि हर भेद का हल ही निकले। अब छोड़िये! कल पुन: पढ़ियेगा अपनी बातों को, समझ पायेंगे। इस विषय पर अब और मुझे सम्बोधित कर के न लिखें, निरर्थक बहस है। 
सादर, 
गिरिजेश   

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 11:53:43 AM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
गिरिजेश भाई,
साथियों के अनुरोध पर इस चर्चा सूत्र में ये मेरे अंतिम शब्द हैं। जब आप किसी का अनुरोध नहीं मानते तो मैं क्यों मानूं? इसीलिए आपको सम्बोधित कर रहा हूँ । ये झमेला आपने पैदा किया है तो पलायन क्यों कर रहे हैं? इसकी नौबत ही न आती अगर आपने "लौंडों ने अच्छी चर्चा की 'लौंडा' शब्द पर" जैसा वह ग़ैरज़रूरी वाक्य न लिखा होता। लिखने से पहले सोचा होता। आपकी बात से संतुष्ट नहीं हुआ हूँ। जैसा कि आपने स्पष्टीकरण दिया कि "guys, boys, jokers, जवानों" आदि जैसे प्रयोगों के समान इसे रखते हुये सम्मिलित हास्यप्रयोग है यह जिसमें पड़ने वाले प्रभाव की ओर संकेत है" यह बात गले नहीं उतरी। इस मंच के सदस्य जिस आयुवर्ग और परिवेश में हैं वहाँ आपस में भी गाइज़, बॉयज, जोकर आदि नहीं बोला जाता। आपने तो हास्यप्रयोग के नाम पर सबको लौंडा कह डाला। किंचित अफ़सोस भी नहीं इसके लिए? क्या ये आपके तथाकथित भाषायी अध्ययन में नहीं आता कि एक शब्द जिसे आप इतना सामान्य समझ रहे हैं, कैसी प्रतिक्रिया हो सकती है ? मेरी प्रतिक्रिया इस भाषा मंच पर इतनी विचित्र क्यों समझी जा रही है ? क्या ये अर्थशक्ति, शब्दशक्ति से जुड़े मामले नहीं हैं ? एक शब्द उछालो और आगे बढ़ लो, बस यही होना है ?
मेरे लिए ये गंभीर मामला है।



2013/3/1 eg <girij...@gmail.com>

Uday Prakash

unread,
Mar 1, 2013, 12:47:58 PM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
यह सचमुच बहुत गंभीर शब्द-विमर्श था ....और है भी। इसे जारी रखना चाहिए। अजित जी और कुछ अन्य मित्रों ने इस शब्द की व्युत्पत्ति और व्यावहारिक प्रयोग तथा अर्थ-परिवर्तनों के कारकों की खोज की है, वह सीखने लायक है। हलके-फुल्के अंदाज़ में इस पर पूर्णविराम न लगाया जाये , यही अनुरोध है। 

eg

unread,
Mar 1, 2013, 12:51:25 PM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
मैंने झमेला पैदा नहीं किया, आप ने गढ़ा है। निज गढ़े का अफसोस आप करिये। तथाकथित गाइज, बॉयज या जोकर बोलने वाला कोई इस मंच पर है तो अच्छा ही है। रही बात शब्दशक्ति और अर्थशक्ति की तो समझिये उन्हें! चाहे आप के द्वारा आप के ब्लॉग पर की गयी मेरी टिप्पणी का उद्धरण हो या मेरे ब्लॉग परिचय का, आप या तो उन्हें समझ नहीं पाये या जान बूझ कर उन्हें यहाँ सन्दर्भ से एकदम अलग असंपृक्त उद्धृत किये। किस लिये? एक ऐसा अपराध सिद्ध करने के लिये जो है ही नहीं! इसे बौद्धिक छ्ल कहा जाता है।   
 ऐसी स्थिति में आगे बात करनी निरर्थक है। इसीलिये अनुरोध किया कि आगे संवाद वृथा है, पलायन जैसी कोई बात नहीं। 

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 1, 2013, 1:09:53 PM3/1/13
to shabdc...@googlegroups.com
जी, अफ़सोस है। क्षमा करें। आगे ध्यान रखूँगा।

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 2, 2013, 7:41:36 AM3/2/13
to shabdc...@googlegroups.com
मीर क्या सादा मिज़ाज हैं, बीमार हुए जिस के सबब
उसी अत्तार के लौंडे से दवा मांगते हैं

2013/3/1 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

जी, अफ़सोस है। क्षमा करें। आगे ध्यान रखूँगा।

Abhay Tiwari

unread,
Mar 2, 2013, 7:45:08 AM3/2/13
to shabdc...@googlegroups.com

मेरे विचार से सही शएर ये है: 
मीर क्या सादे हैं बीमार हुए जिसके सबब
उसी अत्तार के लड़के से दवा लेते हैं

एक ये भी है: 
कैफ़ियत अत्तार के लौंडे में बहुत हैं
इस नुस्खे की कोई न रही हमको दवा याद

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 2, 2013, 7:58:25 AM3/2/13
to shabdc...@googlegroups.com
अत्तार के लौंडे में जो बालापन, नादाँपन है दरअसल वो बात लड़का कहने में नहीं उभरती।
मीर साहब की तबीयत नासाज़ हो और ज़बाँ तब भी शीरीं रहे...मुमकिन है?


मीर क्या सादे हैं बीमार हुए जिसके सबब
उसी अत्तार के लड़के से दवा लेते हैं

मेरे ख्याल से इसी शेर में लौंडे शब्द का प्रयोग मैने अक्सर सुना है। मेरे एक मित्र कुल्लियाते मीर की दूसरी ज़िल्द का हवाला देते हैं।



2013/3/2 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

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अजित वडनेरकर

unread,
Mar 2, 2013, 8:00:43 AM3/2/13
to shabdc...@googlegroups.com
वो कहते हैं कि देख कर बताएँगे। मीर के कई अशआर अलग अलग रूपों में मिलते हैं।

2013/3/2 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

Abhay Tiwari

unread,
Mar 12, 2013, 2:42:57 AM3/12/13
to shabdc...@googlegroups.com
लड़के की निरुक्ति लड धातु से भगवान सिंह ने बताई है.. हालांकि आप्टे के कोष में लड् धातु नहीं मिलती.. क्योंकि कुल लगभग २००० संस्कृत धातुओं में से लगभग १००० की पुष्टि संस्कृत साहित्य से नहीं होती.. लड् भी उन्ही में से एक है.. भगवान सिंह ने ऐसे कुछ उदाहरण दिए हैं इन अपुष्ट धातुओं के जिनके उदाहरण हिन्दी आदि भाषाओं में मिलते हैं..  

धातु पाठ में 'लड् उपसेवने' दिया हुआ है.. उपसेवन का अर्थ है आराधना करना, लिप्त होना, उपभोग करना.. इस अर्थ को थोड़ा उदारता से देखना चाहिये.. एक तिहाई से अधिक धातुओं को अर्थ चलना, हिलना-डुलना आदि मिलता है.. 

अब ग़ौरतलब है कि हिन्दी में लाड़ भी है.. और लड़का भी.. और कुछ बदले हुए रूप में लौंडा भी.. लंड भी और लौंड़ा भी.. 

लिंग के विषय में एक बात और जोड़ना चाहूँगा.. कई संस्कृतियों में लिंग को अपने जूनियर रूप से बुलाने का चलन है.. जैसे जूनियर जॉन या जूनियर बॉबी.. एक तरह से अपने पुत्र रूप में.. इससे लौंडा और लौंड़ा का रिश्ता कुछ खुलता है क्या? 

कई सवाल है संतगण परीक्षा करें..     

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 12, 2013, 2:51:29 AM3/12/13
to shabdc...@googlegroups.com
ये लड् और लाड़ वाली बात की ही तरफ़ मैने शुरुआत में इशारा किया था। इसका कोई तार्किक आधार नज़र नहीं आता। डॉ. निर्मोही भी भगवानसिंह की विचारधारा के हैं और वही सारी बातें कहते हैं जो भगवानसिंह ने कही हैं। मैं बहुत गंभीरता से इस पर बीते दो-तीन सालों से विचार करता रहा हूँ।
निश्चयात्मक कहने की स्थिति में नहीं हूँ। भगवानसिंह की बहुत सी मान्यताएँ रूढ़ हैं यानी मनोरंजक व्युत्पत्ति आधार से उठी हुई जिसे वे और ठोस बनाने की कोशिश करते हैं। इस पर भी कभी। बड़े लोग हैं। हमारे मुँह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती।

2013/3/12 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

Abhay Tiwari

unread,
Mar 12, 2013, 3:03:36 AM3/12/13
to shabdc...@googlegroups.com
मेरी मति से भगवान सिंह बहुत ही मूर्धन्य विचारक और शोधकर्ता हैं.. उनकी कही हुई किसी भी बात को मैं बेहद गम्भीरता से लेता हूँ.. वे उन व्यक्तियों में से है जिन्हे चापलूस और भाईभतीजावादी हिन्दी समाज ने हाशिये पर रख छोड़ा है.. 

उनका सन्दर्भ केवल बाई द वे है.. बात को उसकी मेरिट पर परखा जाय.. 

2013/3/12 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 12, 2013, 3:15:27 AM3/12/13
to shabdc...@googlegroups.com
अभयभाई,
डॉक्ट्साब के बारे में मैने सिर्फ़ यही कहा है कि "भगवानसिंह की बहुत सी मान्यताएँ रूढ़ हैं"। इस विषय का जिज्ञासु पाठक होने के नाते इतनी साफ़ बात तो कह ही सकता हूँ। ज़ाहिर है कुछ मिसालें भी होंगी ही। ख़ास तौर पर शब्दों का सफ़र के संदर्भ में उन्होंने जो बिन्दु मुझे भेजे हैं, उन्ही के आधार पर मैं यह कह रहा हूँ। इसमें उनके प्रति अनादर व्यक्त करने या उन्हें कमतर मानने जैसी कोई बात नहीं है। उनका शोध और विचारदृष्टि ज्ञान के आयाम सामने लाती है। किन्हीं लोगों की रूढ़ मान्यता को रेखांकित करना, उनका अनादर या कम आँकना नहीं होता। मैने फिर गौर किया, मेरे लिखे से ऐसा तो ध्वनित हुआ नहीं। आप तो जानते हैं, चूँकि मुझे उनके बिन्दुओं को स्पष्ट करना है, सो उनकी मान्यता को परखने का मुझे अवसर भी मिला। उसी आधार पर मैने वह बात लिखी।
डॉक्टसाब हिन्दी के मूर्धन्य शोधकर्ता और प्रामाणिक विद्वान हैं, इसमें क्या शक है।
सस्नेह
अजित वडनेरकर

2013/3/12 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 12, 2013, 3:29:17 AM3/12/13
to shabdc...@googlegroups.com
हाँ, बहुत सी मान्यताएँ  के स्थान पर कुछ मान्यताएँ कहना ठीक रहेगा।

ePandit | ई-पण्डित

unread,
Mar 12, 2013, 9:06:05 AM3/12/13
to shabdc...@googlegroups.com
एक शब्द के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग अर्थ होने से कैसी विचित्र परिस्थिति हो सकती है देखिये।

गढ़वाली में लड़का को 'लोड़ा' कहा जाता है जो कि लौंडा की तरह ही इसका अपभ्रंश है। गढ़वाली में यह सामान्य शब्द है तथा लौंडा की तरह नकारात्मक अर्थ लिये नहीं होता। अब कई बार गढ़वाली लोग आपस में बातचीत में इसे बोलते हों और कोई भिन्न भाषी सुने तो उसे लगता है कितना अश्लील बोल रहे हैं ये। एक प्रसंग याद आया। अपने रिश्तेदारों के साथ एक कार में जा रहे थे तो पीछे बैठे बातचीत में उपर्युक्त शब्द का कई बार प्रयोग हुआ। कुछ देर बाद मुझे ड्राइवर का ध्यान आया उसे भाषा भले समझ न आ रही हो पर यह शब्द सुनकर वो सोच रहा होगा कितना वल्गर बोल रहे हैं। तो मैंने उसे बताया कि गढ़वाली में इस शब्द का क्या अर्थ है। :)

12 मार्च 2013 12:59 pm को, अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com> ने लिखा:



--
Shrish Benjwal Sharma (श्रीश बेंजवाल शर्मा)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
If u can't beat them, join them.

ePandit: http://epandit.shrish.in/

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 13, 2013, 11:10:42 AM3/13/13
to shabdc...@googlegroups.com
संदर्भः मीर के अत्तार का लौंडा
अभय भाई,
मेरे मित्र आज ही दुबई से दिल्ली पहुँचे हैं और आते ही उन्हें मेरी बात ध्यान आई। आपकी बात सही है। सही शेर वही है जिसका हवाला आपने दिया।
वे लिखते हैं-

"मीर क्या सादे हैं बीमार हुए जिसके सबब

उसी अत्तार के लड़के से दवा लेते हैं ।

शे'र तो यही सही है। 'लौंडे' शब्द लोगों ने बदल दिया होगा। कदाचित लाहौर के किसी नुस्ख़े में 'लौंडे' ही लिखा है। लेकिन कुल्लियात-ए-मीर जिल्द अव्वल, दीवान-ए-चहारुम में 'लड़के' लिखा है। यही प्रामाणिक है। दूसरा शे'र कुल्लियात-ए-मीर जिल्द अव्वल, दीवान-ए-दोम में यूं है:

कैफ़ियतें अत्तार के लौंडे में बहुत थीं
उस नुस्ख़े की कोई न रही हैफ़ दवा याद

इस वाले में लौंडे ही लिखा है।"

Abhay Tiwari

unread,
Mar 19, 2013, 11:25:37 AM3/19/13
to shabdc...@googlegroups.com
धातु पाठ में दो लड धातु मिलती हैं.. लड उपसेवायाम् जिसका ज़िक्र ऊपर के संदेश में कर चुका हूँ और दूसरी है लड विलासे.. यानी लड धातु का सीधा रिश्ता विलास से बताया गया है.. अब लीजिये.. इसके अलावा एक लोडृ धातु भी है.. लोडृ उन्मादे.. यानी वो उन्माद के अर्थ में है.. 

धातुओ के बारे में एक स्पष्टीकरण- धातु का अर्थ ये नहीं कि पहले धातु बनी है और बाद में शब्द.. पाणिनि के धातुपाठ के बहुत पहले भारतीय भाषाएं बहुत विकसित अवस्था में पहुँच चुकी थी.. पाणिनि ने भारतीय भाषाओं में प्रचलित एक जैसे शब्दों को निचोड़ कर धातु की कल्पना की है.. मगर जिसे निरी कल्पना न समझा जाय.. उनका पुख्ता वैज्ञानिक आधार है.. 


2013/3/13 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

--

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 19, 2013, 11:30:08 AM3/19/13
to shabdc...@googlegroups.com
बिल्कुल सही। धातुओं को लेकर मैं शुरु से स्पष्ट हूँ। शब्दों के प्राकृत रूप अयस्क हैं। धातु संधारित-संशोधित रूप होता है। इससे मूल की कल्पना और समरूप, समस्वभावी शब्दों की खोज आसान होती है।
व्युत्पत्ति में नई नई रुचि वाले पत्रकारिता के छात्रों को इसी तरीके से समझाता हूँ।

2013/3/19 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>
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