गाड़ी

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Prashant

unread,
Mar 8, 2011, 2:40:01 AM3/8/11
to शब्द चर्चा
गाड़ी शब्द के बारे में जानने की उत्सुकता है !

सधन्यवाद !

प्रशांत

Abhay Tiwari

unread,
Mar 8, 2011, 7:04:54 AM3/8/11
to shabdc...@googlegroups.com

यह संस्कृत शब्द शकट से निकला है..

शकट > हक > ख़ > खड>   >गड्डी >गाडी



2011/3/8 Prashant <prashant...@gmail.com>

kamal swaroop

unread,
Mar 8, 2011, 7:15:38 AM3/8/11
to shabdc...@googlegroups.com
tumne jo daadi khareedi thi kya vah inhi dhaatuvo se bani thi

2011/3/8 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Mar 8, 2011, 10:23:24 AM3/8/11
to shabdc...@googlegroups.com
अभय भाई,

गाड़ी की व्युत्पत्ति के पीछे कुछ और बातें महत्वपूर्ण हैं। अभी जयपुर में हूँ इसलिए संक्षेप में इतना  ही कि इसके
पीछे भी ऋ धातु में निहित घूमने, भ्रमण करने की क्रिया महत्वपूर्ण है। इसके बारे में सफ़र के कई आलेखों में उल्लेख है।
गर, घर, वर्त, गर्त, ऋत् इसके प्रमाण हैं। भ्रमण, घूर्णन से भी यह स्पष्ट है। विद्वानों का कहना है कि गाड़ी गार्त से बना है जिसके मूल में गर्त है। गर्त का प्राचीन अर्थ रथ होता था। गार्त यानी गड्ढा। मार्ग के दोनों और रथ के पहियों से बने गड्ढो की वजह से इन्हें गार्त कहते थे। डॉ रामविलास शर्मा लिखते है कि संस्कृत के गर्त यानी रथ  में गर क्रिया जिस चक्र गति की ओर संकेत करती है वह दरअसल पहिये की गति  है। गर्त-गर्द-गड्ड-गड्डि का विकास दरअसल बाँगरू-पंजाबी की गड्डी और मानक हिन्दी की गाड़ी के रूप में हुआ।
शकट से छकड़ा तो बनता है, गाड़ी वाली बात गर्त-गर्द-गड्ड से ही सुलझती है।


सस्नेह,
अजित



2011/3/8 kamal swaroop <thirdpol...@gmail.com>



--
शुभकामनाओं सहित
अजित
http://shabdavali.blogspot.com/

अभय तिवारी

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Apr 21, 2011, 11:42:02 AM4/21/11
to शब्द चर्चा
अजित भाई,
कल सब्ज़ी लेके घर लौटते हुए अचानक कार को देखकर कार्ट याद आया और फिर
गाड़ी का गार्त याद आया। कार और कार्ट के अर्थ में कोई अन्तर नहीं है
हालांकि कार और कार्ट के बीच कई दूसरे रूप मौजूद बताए जाते हैं। वो
दरकिनार मगर कार्ट और गार्त के बन्धु होने में तो कोई शक नहीं। :)


On Mar 8, 8:23 pm, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> अभय भाई,
>
> गाड़ी की व्युत्पत्ति के पीछे कुछ और बातें महत्वपूर्ण हैं। अभी जयपुर में हूँ
> इसलिए संक्षेप में इतना  ही कि इसके
> पीछे भी ऋ धातु में निहित घूमने, भ्रमण करने की क्रिया महत्वपूर्ण है। इसके
> बारे में सफ़र के कई आलेखों में उल्लेख है।
> गर, घर, वर्त, गर्त, ऋत् इसके प्रमाण हैं। भ्रमण, घूर्णन से भी यह स्पष्ट है।
> विद्वानों का कहना है कि गाड़ी गार्त से बना है जिसके मूल में गर्त है। गर्त का
> प्राचीन अर्थ रथ होता था। गार्त यानी गड्ढा। मार्ग के दोनों और रथ के पहियों से
> बने गड्ढो की वजह से इन्हें गार्त कहते थे। डॉ रामविलास शर्मा लिखते है कि
> संस्कृत के गर्त यानी रथ  में गर क्रिया जिस चक्र गति की ओर संकेत करती है वह
> दरअसल पहिये की गति  है। गर्त-गर्द-गड्ड-गड्डि का विकास दरअसल बाँगरू-पंजाबी की
> गड्डी और मानक हिन्दी की गाड़ी के रूप में हुआ।
> शकट से छकड़ा तो बनता है, गाड़ी वाली बात गर्त-गर्द-गड्ड से ही सुलझती है।
>
> सस्नेह,
> अजित
>

> 2011/3/8 kamal swaroop <thirdpoliceman...@gmail.com>


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> > tumne jo daadi khareedi thi kya vah inhi dhaatuvo se bani thi
>

> > 2011/3/8 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
> >> यह संस्कृत शब्द शकट से निकला है..
>
> >> शकट > हकट > ख़ट > खड>  गड >गड्डी >गाडी
>

> >> 2011/3/8 Prashant <prashant.r.jo...@gmail.com>
>
> >>> गाड़ी शब्द के बारे में जानने की उत्सुकता है !


>
> >>> सधन्यवाद !
>
> >>> प्रशांत
>
> --
> शुभकामनाओं सहित

> *अजित*http://shabdavali.blogspot.com/

दिनेशराय द्विवेदी

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Apr 21, 2011, 12:01:15 PM4/21/11
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अजित भाई जयपुर में हैं? 
बैलगाड़ी के चलने से रास्ते में  दो लंबी समानान्तर नालियों जैसे गड्ढे बनते हैं, ऐसे मार्ग को गडार कहते हैं। गडार कहते हैं, संस्कृत मैं भी ऐसा कोई समानार्थक शब्द अवश्य होना चाहिए।

2011/4/21 अभय तिवारी <abha...@gmail.com>



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Vinod Sharma

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Apr 21, 2011, 1:48:10 PM4/21/11
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अजित भाई जयपुर में कहाँ हैँ और कब तक हैं कुछ तो बताएँ.

2011/4/21 दिनेशराय द्विवेदी <drdwi...@gmail.com>



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अजित वडनेरकर

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Apr 21, 2011, 1:49:58 PM4/21/11
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दिनेशजी,
मैं औरगाबाद में ही हूँ। यह चर्चा तब की है जब मैं जयपुर में था।
अभयजी की इस चिट्ठी को भी अभी देख पाया हूँ।
आप ठीक कह रहे हैं अभयजी, यह इसी शब्द शृंखला का शब्द है और गतिवाचक  भाव इसमें भी मौजूद हैं।

2011/4/21 दिनेशराय द्विवेदी <drdwi...@gmail.com>



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अजित

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मोबाइल-09425012329

meenakshi dhanwantri

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Apr 21, 2011, 3:33:17 PM4/21/11
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आप सबकी शब्द चर्चा एक अच्छे शिष्य की तरह पढती रहती हूँ लेकिन आज गाड़ी शब्द की विस्तृत चर्चा पढ़ कर लगा कि अभयजी, अजितजी और दिनेशजी के साथ साथ सभी मित्रों का धन्यवाद कहना ज़रूरी होगा.... बिना गुरु को दक्षिणा दिए ज्ञान अधूरा रह जाता है...  मीनाक्षी

2011/4/21 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

ghughuti basuti

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Apr 24, 2011, 3:05:42 PM4/24/11
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मीनाक्षी जी जो कह रही हैं वह मेरा कहा भी समझा जा सकता है.

2011/4/22 meenakshi dhanwantri <meenudh...@gmail.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Jun 23, 2011, 10:11:01 AM6/23/11
to shabdc...@googlegroups.com
शब्दों का सफ़र बेहद दिलचस्प होता है, इसमें शक नहीं। प्रकृति की विभिन्न अवस्थाओं के स्थायी भाव की ओर मनुष्य का ध्यान सर्वाधिक आकर्षित हुआ और जब भाषारूपी एक महत्वपूर्ण उपकरण का विकास हुआ तो सर्वाधिक आज़माईश प्राकृतिक अवस्थाओं और क्रियाओं के लिए शब्द रचना में हुई। पिछली चर्चा में यह बात आ चुकी है कि में घूमने, फिरने और चक्रगति का जो भाव है उससे ही इंडो यूरोपीय भाषाओं में विभिन्न शब्द बने हैं। यही नहीं, भाषा विज्ञानियों ने भारोपीय भाषाओँ और द्रविड़ भाषाओं के अंतर्संबंधों को भी प्रमाणित किया है। प्रस्तुत चर्चा का संबंध घूमने, चक्कर खाने और गति से है। डॉ रामविलास शर्मा अरघट्ट, रहँट, गरारी, घिरनी, घुराना जैसे शब्दों के मूल में घर् और गर् जैसी प्राचीन धातुए देखते हैं। गौर करें इनमें की उपस्थिति पर। गुजराती का गरबा, फ़ारसी का ग़ोल, हिन्दी का गोल और कन्नड़ गॉलि यानी पहिया इसी मूल के हैं और इनमें अंतर्संबंध पहचाना जा सकता है। 
 
संस्कृत में गर्त, रथ भी है। विकासक्रम में ध्वनि का लोप होने पर रथ का शेष रहना स्पष्ट है। रथ की गोलाई रोटिका या रोटी से भी जुड़़ रही है। गर्त-गर्द-गड्ड से गड्डी और गाड़ी का चलन सहजता से हुआ है। कन्नड़ में गाड़ी के लिए गालि शब्द है जिसे इसी क्रम - गाड़ी-गाळी-गालि  से समझा जा सकता है। तमिल में काल् धातु है जिसका अर्थ है पहिया और गाड़ी। यह तय है कि अंग्रेजी का कार और हिन्दी की गाड़ी का गोत्र एक ही है हालाँकि डॉ शर्मा  हिन्दी गाड़ी और अंग्रेजी कार में बड़ा फ़ासला भी देखते है।  गर्, घर में भी गोलाई है। तमिल काल् में भी गोलाई है। लैटिन में कर्रुस के मायने रथ है। अंग्रेजी में कर्ल यानी छल्ला अर्थात गोलाई यहाँ भी है। संस्कृत के कुरल शब्द में भी छल्ले का भाव है। मराठी में कुरळ है जिसका अर्थ है घुंघरालापन। ये सभी अंग्रेजी के कर्ल के सगोत्रीय प्रतीत होते हैं। तमिल के काल् का सादृश्य संस्कृत के काल् अर्थात समय से भी करना चाहिए। विभिन्न भाषाओं में समयसूचक मूल शब्दों में भी चक्रगति का भाव है। से बने ऋतु का अर्थ मौसम होता है और हर ऋतु एक निश्चित अवधि के बाद अपना चक्र पूरा करती है। हिन्दी का कोल्हू उपकरण भी मूलतः चक्का ही है। लैटिन के कर्रुस् दरअसल दो पहियो वाला रथ था। इसके लिए कुर्रुस और कर्रुक दोनों ही शब्द है जिसका अर्थ रथ है। यहीं से यह अंग्रेजी में पहुंच कर कार हुआ।
 
 
 
 
2011/4/25 ghughuti basuti <ghughut...@gmail.com>



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अजित

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    भोपाल- 09425012329


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