मियां

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अभय तिवारी

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Feb 10, 2011, 10:42:55 AM2/10/11
to शब्द चर्चा
किसी से पूछिये मियां का मतलब?तो जवाब होगा मुसलमान।
कहाँ से आ रहा है यह शब्द?
अरबी से? अरबी के लुग़त में नहीं है।
फ़ारसी.. ना!
तो फिर?
मित्र से बिगड़ बना हैं मियां।
पंजाबी से उर्दू में आया और मुसलमान का पर्याय हो गया..

तो असल में है मियां मतलब मित्र!

Rajendra Swarnkar

unread,
Feb 10, 2011, 11:13:52 AM2/10/11
to shabdc...@googlegroups.com
अच्छी जानकारी है यह तो …

हां, फ़ारसी में मियांजी  ज़रूर है , जिसका अर्थ दूत , एलची , तथा दूतकर्म , दौत्य और एलचीगरी बताया गया है ।




2011/2/10 अभय तिवारी <abha...@gmail.com>

Abhay Tiwari

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Feb 10, 2011, 11:45:54 AM2/10/11
to shabdc...@googlegroups.com
दूत चूंकि बिचौलिया होता है इसीलिए। मियान का फ़ारसी में अर्थ है बीच का भाग।
याद कीजिये मियानी.. और दरमियान..

Uma Gupta

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Feb 10, 2011, 11:46:09 AM2/10/11
to shabdc...@googlegroups.com
acha laga!

2011/2/10 अभय तिवारी <abha...@gmail.com>
किसी से पूछिये मियां का मतलब?तो जवाब होगा मुसलमान।



--
uma

अजित वडनेरकर

unread,
Feb 10, 2011, 1:02:16 PM2/10/11
to shabdc...@googlegroups.com

Abhay Tiwari

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Feb 10, 2011, 1:26:57 PM2/10/11
to shabdc...@googlegroups.com
ये मियाँ अलग है.. जब हम अल्लाह मियाँ कहते हैं.. तो उसमें दलाल नहीं.. मित्र वाला भाव ही होता है। और म्याँ.. केसे हो? उसमें भी दलाली की बू नहीं है। और ज़रा सोचिये बीबी के साथ मियाँ का अगर दलाल वाला अर्थ डालेंगे तो गज़ब ही हो जाएगा! :)
 
मित्र> मितर> मितअ> मिअअ> मिआ> मिआँ> मियाँ
 
ऐसी कुछ यात्रा की ही तरफ़ जौन प्लैट्स ने भी संकेत दिया है..
----- Original Message -----
Sent: Thursday, February 10, 2011 11:32 PM
Subject: Re: [शब्द चर्चा] मियां

अजित वडनेरकर

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Feb 11, 2011, 2:06:21 AM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
अभय भाई,

मियाँ के संदर्भ में दलाल वाले अर्थ को आप ज्यादा तूल दे रहे हैं जबकि मुख्य रूप से सिर्फ़ मियाँ की व्युत्पत्तिवाली जो पोस्ट है उसमें मियाँ के संदर्भ में दलाल शब्द का प्रयोग नहीं किया है। दलाल एक अलग शब्द है और उसकी व्युत्पत्ति वाली पोस्ट दूसरे लिंक में है। मैं शब्द व्युत्पत्ति तलाशते वक्त कई संदर्भों को देखता हूँ। प्लैट्स का संदर्भ भी देखा हुआ है। मियाँ के विकास में मध्यस्थ यानी पंच की भूमिका को तार्किक रूप से देखता हूँ। मध्यस्थ और पंच समाज में आदरणीय दर्जा रखते हैं। दलाल शब्द की अवनति विशुद्ध भाषाई और सामाजिक विकास का मामला है और दलाल एक अलग शब्द है। मैने सिर्फ़ इन सभी आलेखों को एक कतार में रखा है, अन्यथा ये सभी अलग अलग शब्द हैं। मियाँ की व्युत्पत्ति अवेस्ता के मदिया से उचित मानता हूँ जिसका समरूप संस्कृत का मध्य है।

मैने उक्त पोस्ट में स्पष्ट विवेचना की है कि-
'आमतौर पर पंच या प्रमुख व्यक्ति आदरणीय ही होता है और वह लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनता है, झगड़ों में बीचबचाव करता है और उन्हें सुलझाता है। किसी मामले में अनचाही दखलंदाजी के लिए भी जबर्दस्ती पंच बनना जैसा मुहावरेदार वाक्य बोला जाता है। जाहिर है पंच का काम मध्यस्थता ही है। स्वामी, पीर, औलिया आदि प्रसिद्व व्यक्तियों के नामों के साथ भी मियां शब्द जोड़ा जाता रहा है।
'

आप सिर्फ़़ दलाली की बात कर रहे हैं जबकि वह अलग पोस्ट है। मियाँ से दलाली का कोई रिश्ता नहीं है, यहाँ आप सही है। मगर मैने भी ऐसा कहाँ लिखा है?
 
सस्नेह, साभार
अजित

2011/2/10 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

Abhay Tiwari

unread,
Feb 11, 2011, 2:42:04 AM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
अजित भाई, दलाल से मेरी मुराद मध्यस्थ से ही है.. मेरा मतलब यही है कि इस मियाँ में मध्यस्थ वाला भाव है ही नहीं। आप को ये जानकर अचरज होगा कि मियाँ नाम का कोई शब्द मद्दाह के कोष में भी नहीं है। अगर मियाँ सचमुच फ़ारसी के मियाँजी से आ रहा है तो उर्दू वाले ऐसे गाफ़िल हो जाएंगे कि ये उल्लेख करना भी भूल जायें कि मियाँ का एक अर्थ शौहर या जनाब वगैरह भी होता है?
 
ऐसा मेरा मत है.. बाक़ी एक शब्द की दो व्युत्पत्तियों हो ही सकती हैं.. 

Vinod Sharma

unread,
Feb 11, 2011, 2:46:53 AM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
भाई वाह! मजा आ गया, बहुत ही रोचक जानकारी है.
आप सभी विद्वानों का शुक्रिया. 

2011/2/10 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>



--
Vinod Sharma
gtalk: vinodjisharma
skype:vinodjisharma

अजित वडनेरकर

unread,
Feb 11, 2011, 4:11:27 AM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
अभय भाई,

शौहर के लिए मियाँ का प्रयोग उसकी अर्थवत्ता का विकास है। ठीक वैसे ही जैसे पुरुषवादी समाज में पति को गुरु, परमेश्वर, पालक या भरतार का भाव भी स्थापित हो गया। अब भरतार तो परमेश्वर भी है। पत्नी का भरणपोषण करता है, वही भरतार। सो मदिया में मध्य का भाव विस्तृत होता है। मध्यस्थ की गुरुता ने एक आदरणीय संबोधन का रूप लिया। अब मियाँ मित्र, जनाब, पति अथवा गुरु (मदरसे के मियाँजी) जैसे भाव भी रखता है। मध्यस्थता में सचमुच मध्यस्थतावाला नहीं बल्कि प्रमुख व्यक्ति, रसूखदार और हाकिमवाला भाव है। गुरुतावाले ज्यादातर शब्दों का अर्थविकास इसी तरह हुआ है। सिर्फ़ मित्र में मियाँ की तलाश करनेपर मुझे ये तमाम अर्थछायाएं नजर नहीं आईं, इसीलिए मेरा मत मदिया / मध्य के साथ है। गुरू का विकास देखें। यहाँ गुरुता प्रमुख है जिसमें गुरुत्व यानी खिंचाव है। इसी मूल का शब्द ग्रेविटी भी है। मूल खिंचाव है जो किसी संज्ञा को महत्व प्रदान करता है। चाहे भौतिक खिंचाव में चाहे व्यक्तित्व के स्तर पर। आध्यात्मिक-बौद्धिक वरीयता के आधार पर ही बाद में प्रमुख व्यक्ति जो शिक्षक, अध्यापक भी हो सकता है, का अर्थ गुरु में रूढ़ हुआ।

निश्चित ही दो व्युत्पत्तियों के सहारे भी शब्द की विवेचना हो सकती है, मगर मूल तो कोई एक ही होगा न?

सस्नेह
अजित



2011/2/11 Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com>

Abhay Tiwari

unread,
Feb 11, 2011, 5:35:33 AM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
अजित भाई, मदिया से मियान का विकास ज़रूर हुआ है; मगर फ़ारसी मियान का जिसका अर्थ है मध्य। उसी मियान से मियान्जी बना है जिसका अर्थ है बिचौलिया।
लेकिन हमारे देशज मियाँ का विकास अगर अगर फ़ारसी मियान से होता तो उसके इस अर्थविकास के निशान आपको उर्दू और फ़ारसी के शब्दकोश में मिलते। जो कि नहीं है। इसीलिए मैं प्लैट्स के तर्क से सहमत हूँ कि शौहर और जनाब वाले मियाँ का विकास मित्र से हुआ है।
----- Original Message -----
Sent: Friday, February 11, 2011 2:41 PM
Subject: Re: [शब्द चर्चा] मियां

अजित वडनेरकर

unread,
Feb 11, 2011, 7:16:18 AM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
अभी इस चर्चा को विराम देते हैं अभय भाई।
इतना ही कहना चाहूँगा कि ऐसे कई शब्द हैं जो हिन्दी में पहले से प्रचलित हैं मगर प्लैट्स उनके बारे में नहीं लिखते या मद्दाह, ज्ञानमंडल या अन्य कोश उनके बारे में मौन हैं। अलबत्ता प्लैट्स वाले मित्र से मियाँ का हवाला मुझे प्लैट्स के अलावा और कहीं नहीं मिला था, इसीलिए मेरा मत मदिया के साथ हुआ। इस चर्चा का इतना लाभ तो मिला कि सफ़र की मियाँ वाली पोस्ट को प्लैट्स का हवाला देकर भी समृद्ध कर दिया जाए, जोकि तब रह गया था।

सस्नेह
अजित

2011/2/11 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>

Baljit Basi

unread,
Feb 11, 2011, 5:07:44 PM2/11/11
to शब्द चर्चा
सिख धर्म के एक encyclopaedia 'महान कोष' में मियां की व्य्त्पति एक ऐसे
शब्द से बताई है जो मेरी समझ से बाहर है. गुरमुखी से सीधा देवनागरी में
लिपियंत्र करूं तो वह मीहयमान बनता है जिस का मतलब पूजायोग्य, श्रेष्ट
बताया गया है. क्या ऐसा या इसके आस पास का कोई शब्द संस्कृत में है?
गुरबानी में 'मीआ' शब्द तीन चार बार आया है और इनके अर्थ बनते हैं, पति,
खसम; मुखिया; पिता.
दिलचस्प बात है कि गुरु नानक इस शब्द के प्रचलन होने की बात निशेधात्मिक
रूप से करते हैं:
घरि घरि मीआ सभनां जीआं बोली अवर तुमारी
अर्थात लोगों की बोली बदल रही है, लोग अब अपनी भाषा का शब्द पिता छोड़ कर
मीआ कहने लगे हैं. जो लोग अपनी भाषा छोड़ कर दूसरों की भाषा में बात करने
में फखर महसूस करते हैं उनको गुरु नानक के यह शब्द आम ही सुनाये जाते
हैं.

On 11 फरवरी, 07:16, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> अभी इस चर्चा को विराम देते हैं अभय भाई।
> इतना ही कहना चाहूँगा कि ऐसे कई शब्द हैं जो हिन्दी में पहले से प्रचलित हैं
> मगर प्लैट्स उनके बारे में नहीं लिखते या मद्दाह, ज्ञानमंडल या अन्य कोश उनके
> बारे में मौन हैं। अलबत्ता प्लैट्स वाले मित्र से मियाँ का हवाला मुझे प्लैट्स
> के अलावा और कहीं नहीं मिला था, इसीलिए मेरा मत मदिया के साथ हुआ। इस चर्चा का
> इतना लाभ तो मिला कि सफ़र की मियाँ वाली पोस्ट को प्लैट्स का हवाला देकर भी
> समृद्ध कर दिया जाए, जोकि तब रह गया था।
>
> सस्नेह
> अजित
>

> 2011/2/11 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
>
>
>
>
> >  अजित भाई, मदिया से मियान का विकास ज़रूर हुआ है; मगर फ़ारसी मियान का जिसका
> > अर्थ है मध्य। उसी मियान से मियान्जी बना है जिसका अर्थ है बिचौलिया।
> > लेकिन हमारे देशज मियाँ का विकास अगर अगर फ़ारसी मियान से होता तो उसके इस
> > अर्थविकास के निशान आपको उर्दू और फ़ारसी के शब्दकोश में मिलते। जो कि नहीं है।
> > इसीलिए मैं प्लैट्स के तर्क से सहमत हूँ कि शौहर और जनाब वाले मियाँ का विकास
> > मित्र से हुआ है।
>
> > ----- Original Message -----

> >  *From:* अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>
> > *To:* shabdc...@googlegroups.com
> > *Sent:* Friday, February 11, 2011 2:41 PM
> > *Subject:* Re: [शब्द चर्चा] मियां


>
> > अभय भाई,
>
> > शौहर के लिए मियाँ का प्रयोग उसकी अर्थवत्ता का विकास है। ठीक वैसे ही जैसे
> > पुरुषवादी समाज में पति को गुरु, परमेश्वर, पालक या भरतार का भाव भी स्थापित हो
> > गया। अब भरतार तो परमेश्वर भी है। पत्नी का भरणपोषण करता है, वही भरतार। सो
> > मदिया में मध्य का भाव विस्तृत होता है। मध्यस्थ की गुरुता ने एक आदरणीय संबोधन
> > का रूप लिया। अब मियाँ मित्र, जनाब, पति अथवा गुरु (मदरसे के मियाँजी) जैसे भाव
> > भी रखता है। मध्यस्थता में सचमुच मध्यस्थतावाला नहीं बल्कि प्रमुख व्यक्ति,
> > रसूखदार और हाकिमवाला भाव है। गुरुतावाले ज्यादातर शब्दों का अर्थविकास इसी तरह
> > हुआ है। सिर्फ़ मित्र में मियाँ की तलाश करनेपर मुझे ये तमाम अर्थछायाएं नजर
> > नहीं आईं, इसीलिए मेरा मत मदिया / मध्य के साथ है। गुरू का विकास देखें। यहाँ
> > गुरुता प्रमुख है जिसमें गुरुत्व यानी खिंचाव है। इसी मूल का शब्द ग्रेविटी भी
> > है। मूल खिंचाव है जो किसी संज्ञा को महत्व प्रदान करता है। चाहे भौतिक खिंचाव
> > में चाहे व्यक्तित्व के स्तर पर। आध्यात्मिक-बौद्धिक वरीयता के आधार पर ही बाद
> > में प्रमुख व्यक्ति जो शिक्षक, अध्यापक भी हो सकता है, का अर्थ गुरु में रूढ़
> > हुआ।
>
> > निश्चित ही दो व्युत्पत्तियों के सहारे भी शब्द की विवेचना हो सकती है, मगर
> > मूल तो कोई एक ही होगा न?
>
> > सस्नेह
> > अजित
>

> > 2011/2/11 Vinod Sharma <vinodjisha...@gmail.com>


>
> >>  भाई वाह! मजा आ गया, बहुत ही रोचक जानकारी है.
> >> आप सभी विद्वानों का शुक्रिया.
>

> >> 2011/2/10 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>


>
> >> मियां पर विस्तार से यहाँ भी देखा जाए-

> >>> 1.मियांगीरी मत करो *मियां* [मध्यस्थ-1]<http://shabdavali.blogspot.com/2009/11/16.html>
> >>> 2.*मियां* करे दलाली, ऊपर से दलील!![मध्यस्थ-2]<http://shabdavali.blogspot.com/2009/11/blog-post_14.html>
> >>> 3.*मियां* बराक, ब्रोकर और डीलर [मध्यस्थ-3]<http://shabdavali.blogspot.com/2009/11/blog-post_15.html>
>
> >>> 2011/2/10 Uma Gupta <umagupta.de...@gmail.com>
>
> >>> acha laga!
>
> >>>> 2011/2/10 अभय तिवारी <abhay...@gmail.com>


>
> >>>>> किसी से पूछिये मियां का मतलब?तो जवाब होगा मुसलमान।
> >>>>> कहाँ से आ रहा है यह शब्द?
> >>>>> अरबी से? अरबी के लुग़त में नहीं है।
> >>>>> फ़ारसी.. ना!
> >>>>> तो फिर?
> >>>>> मित्र से बिगड़ बना हैं मियां।
> >>>>> पंजाबी से उर्दू में आया और मुसलमान का पर्याय हो गया..
>
> >>>>> तो असल में है मियां मतलब मित्र!
>
> >>>> --
> >>>> uma
>
> >>> --
> >>> शुभकामनाओं सहित

> >>> *अजित*


> >>>http://shabdavali.blogspot.com/
>
> >> --
> >>  Vinod Sharma
> >> +919413394205
> >> +911412247205
> >> Fax: +911412360808
> >> gtalk: vinodjisharma
> >> skype:vinodjisharma
> >>http://www.proz.com/profile/778738
>
> > --
> > शुभकामनाओं सहित

> > *अजित*


> >http://shabdavali.blogspot.com/
>
> --
> शुभकामनाओं सहित

> *अजित*http://shabdavali.blogspot.com/- उद्धृत पाठ छिपाएँ -
>
> उद्धृत पाठ दिखाए

ashutosh kumar

unread,
Feb 11, 2011, 7:21:19 PM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com


इस नानकवाणी से अभय की प्लेट्स- सम्मत  थीसिस का मुकम्मल खंडन हो जाता हो जाता है.  

Abhay Tiwari

unread,
Feb 11, 2011, 9:05:02 PM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
ਘਰਿ ਘਰਿ ਮੀਆ ਸਭਨਾਂ ਜੀਆਂ ਬੋਲੀ ਅਵਰ ਤੁਮਾਰੀ ॥੬॥
घरि घरि मीआ सभनां जीआं बोली अवर तुमारी ॥६॥
Gẖar gẖar mī▫ā sabẖnāʼn jī▫āʼn bolī avar ṯumārī. ||6||
In each and every home, everyone uses Muslim greetings; your speech has
changed, O people. ||6||

नेट पर एक पेज पर इस पंक्ति का यह अनुवाद मिला है। बासी जी ने जो अनुवाद बताया
और ये जो कह रहा है.. कुछ असमंजस है..

Abhay Tiwari

unread,
Feb 11, 2011, 9:39:58 PM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
ਮੀਆ - mīā - मीआ
(੧) ਪਤੀ, ਖਾਵੰਦ_'ਕੂੜੁ ਮੀਆ ਕੂੜੁ ਬੀਬੀ ਖਪਿ ਹੋਏ ਖਾਰੁ।'_- ਆਸਾ ੧, ਵਾਰ ੧੦ਸ, ੧, ੧:੫
(੪੬੮)_(੨) ਸਰਦਾਰ, ਚੌਧਰੀ_'ਤੂ ਸੁਲਤਾਨੁ ਕਹਾ ਹਉ ਮੀਆ ਤੇਰੀ ਕਵਨ ਵਡਾਈ।'_- ਬਿਲਾ ੧, ੧,
੧:੧ (੭੯੫)_(੩) ਪਿਤਾ_'ਘਰਿ ਘਰਿ ਮੀਆ ਸਭਨਾਂ ਜੀਆਂ ਬੋਲੀ ਅਵਰ ਤੁਮਾਰੀ।'_- ਬਸੰ ੧, ਅਸ ੮,
੬:੨ (੧੧੯੧)
(१) पती, खावंद_'कूड़ु मीआ कूड़ु बीबी खपि होए खारु।'_- आसा १, वार १०स, १, १:५
(४६८)_(२) सरदार, चौधरी_'तू सुलतानु कहा हउ मीआ तेरी कवन वडाई।'_- बिला १, १,
१:१ (७९५)_(३) पिता_'घरि घरि मीआ सभनां जीआं बोली अवर तुमारी।'_- बसं १, अस ८,
६:२ (११९१)

बासी जी की बात की पुष्टि यह पृष्ठ करता है.. यहाँ पर मीआ के तीन अलग तीन अर्थ
दिए हैं : पति, सरदार, और पिता..

अगर बासी जी वाले रस्ते पर क़दम बढ़ाएं तो मीहयमान जैसा एक शब्द है महिमावान..
जिसमें ये तीनों अर्थ पूरे हो सकते हैं। लेकिन फिर यहाँ उल्लिखित तीसरे श्लोक
का क्या? जिसकी बासी जी द्वारा की व्याख्या के अनुसार मीआ शब्द बाहरी हो जाता
है? संस्कृत शब्द बाहरी कैसे कहला सकता है..?

यहाँ उल्लिखित पहले श्लोक में पति का अर्थ साफ़ निकल रहा हओ। दूसरे श्लोक में जो
मीआ का अर्थ सरदार कर दिया गया है वह संशयपूर्ण है.. इसी बात को कोई ऐसे भी कह
सकता है " तू सुल्तान कहा हउ भैया तेरी कवन बड़ाई" । तीसरे श्लोक में कहा ये जा
रहा है 'लोगों तुम्हारी बोली बदल रही है'.. ये नहीं कहा जा रहा कि तुम लोग
फ़ारसी-अरबी बोल रहे हो.. और काबा तक जा कर हज करने वाले और इस्लाम में
श्रद्धा रखने वाले नानक ख़ुद ज़ेनोफ़ोबिक बातें करेंगे, ऐसा मुझे नहीं लगता। मुझे
ऐसा लगता है कि गुरु का मतलब है कि तुम लोग बाप को यार कहने लगे हो..

या अगर नानक भाषा में शुद्धतावादी थे तो बासी जी मुझे सुधारें!


----- Original Message -----
From: "Baljit Basi" <balji...@yahoo.com>
To: "शब्द चर्चा" <shabdc...@googlegroups.com>
Sent: Saturday, February 12, 2011 3:37 AM
Subject: [शब्द चर्चा] Re: मियां

Abhay Tiwari

unread,
Feb 11, 2011, 10:13:17 PM2/11/11
to shabdc...@googlegroups.com
http://www.srigranth.org/servlet/gurbani.gurbani?Action=KeertanPage&K=1190&L=17&id=51421

इस लिंक में वह पूरा सबद है जिसके एक श्लोक में मीआ शब्द आता है.. सन्दर्भ
मुस्लिम संस्कृति के बढ़ते प्रभाव का लगता है.. लेकिन इस लिंक में मीआ का अर्थ
मुस्लिम किया गया है..


----- Original Message -----
From: "Baljit Basi" <balji...@yahoo.com>
To: "शब्द चर्चा" <shabdc...@googlegroups.com>
Sent: Saturday, February 12, 2011 3:37 AM
Subject: [शब्द चर्चा] Re: मियां

अजित वडनेरकर

unread,
Feb 12, 2011, 8:11:58 AM2/12/11
to shabdc...@googlegroups.com
बलजीतभाई का स्वागत है।
मीहयमान शब्द महिमावान का रूपान्तर हो सकता है, जैसा अभय कह रहे हैं, पर मीहयमान से मियाँ की व्युत्पत्ति संदिग्ध इसलिए लग रही है क्योंकि इस शब्द का ओरछोर समझ से परे है। गुरुमुखी और पंजाबी के ज्ञाता होने के बावजूद जब बासी जी इस शब्द के कभी प्रचलित होने  को लेकर शंकित हैं तब और शोध की ज़रूरत है। इस संदर्भ में मुझे मेहमान शब्द, जो फ़ारसी से आया है, याद आ रहा है। मेहमान की व्युत्पत्ति भी संदिग्ध है किन्तु मेरा अनुमान है कि इसमें मह् धातु में निहित बड़प्पन, गुरुता, महानता जैसे भाव प्रमुख हैं, जिनका उल्लेख बासीजी ने मीहयमान की अर्थवत्ता बताते हुए किया है। हमारे एक मित्र ने मेहमान को मेघमान का रूपान्तर बताते हुए दिलचस्प शब्द विलास किया है। उन्होंने मेघ की यायावरी से तज्किरा उठाकर अतिथि की घुमक्कड़ी से रिश्ता जोड़ा है। मैं सीधे सीधे इससे सहमत नहीं हूँ, पर यह दिलचस्प है। अलबत्ता मेघ शब्द का रिश्ता उसी भारोपीय मह् से है जिसमें महानता, उच्चता, श्रेष्ठता जैसे भाव हैं। याद रहे अतिथि क सभी संस्कृतियों में प्राचीनकाल से ही पूजनीय, बड़ा, आदरणीय और विशिष्ट दर्जा रहा है।

सादर, साभार
अजित

2011/2/12 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>
अजित
http://shabdavali.blogspot.com/

Baljit Basi

unread,
Feb 12, 2011, 12:31:51 PM2/12/11
to शब्द चर्चा
अभय जी आप ठीक जगह पर पहुंच कर फिर गलत जगह आ गए. इस साईट में गुरू
ग्रन्थ का अंगरेजी अनुवाद मोटा सा ही है जो उन अंगरेजी पाठकों के लिए
है जिन्हों ने मिया जैसे शब्दों की बारीकी से क्या लेना. इस साईट में इसी
शब्द का डाक्टर गोपाल सिंह जी द्वारा किया टीका पढ़िये, जो गुमुखी/पंजाबी
में है. वहां साफ़ लिखा है कि यहाँ मिया का संकेत पिता की ओर है. गुरु
नानक देव, जैसे आप जानते ही हैं, सम्प्रदायकता से बहुत ऊपर थे और यह
हमारी बहस का विषय नहीं है. गुरु नानक उस कुलीन वर्ग की बात कह रहे हैं
जो लोगों से टूटे हुए थे. तब इस्लाम चढ़त पर था, इस लिए क्या हिन्दू क्या
मुस्लिम, इस्लाम के तौर तरीके अपना रहे थे जिस में भाषा भी आती है. कुछ
भी हो मैं तो इस तथ्य की ओर ध्यान दिला रहा था कि यह शब्द गुरु नानक के
ज़माने में प्रचलन में आ रहा था. मीहयमान शब्द संदिग्ध ही है. छपने की
गलती भी हो सकती है.... फारसी में महमान का एक अर्थ प्राहुना की तरह
जमाई भी है.


On 12 फरवरी, 08:11, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> बलजीतभाई का स्वागत है।
> मीहयमान शब्द महिमावान का रूपान्तर हो सकता है, जैसा अभय कह रहे हैं, पर
> मीहयमान से मियाँ की व्युत्पत्ति संदिग्ध इसलिए लग रही है क्योंकि इस शब्द का
> ओरछोर समझ से परे है। गुरुमुखी और पंजाबी के ज्ञाता होने के बावजूद जब बासी जी
> इस शब्द के कभी प्रचलित होने  को लेकर शंकित हैं तब और शोध की ज़रूरत है। इस
> संदर्भ में मुझे मेहमान शब्द, जो फ़ारसी से आया है, याद आ रहा है। मेहमान की
> व्युत्पत्ति भी संदिग्ध है किन्तु मेरा अनुमान है कि इसमें मह् धातु में निहित
> बड़प्पन, गुरुता, महानता जैसे भाव प्रमुख हैं, जिनका उल्लेख बासीजी ने मीहयमान
> की अर्थवत्ता बताते हुए किया है। हमारे एक मित्र ने मेहमान को मेघमान का
> रूपान्तर बताते हुए दिलचस्प शब्द विलास किया है। उन्होंने मेघ की यायावरी से
> तज्किरा उठाकर अतिथि की घुमक्कड़ी से रिश्ता जोड़ा है। मैं सीधे सीधे इससे सहमत
> नहीं हूँ, पर यह दिलचस्प है। अलबत्ता मेघ शब्द का रिश्ता उसी भारोपीय मह् से है
> जिसमें महानता, उच्चता, श्रेष्ठता जैसे भाव हैं। याद रहे अतिथि क सभी
> संस्कृतियों में प्राचीनकाल से ही पूजनीय, बड़ा, आदरणीय और विशिष्ट दर्जा रहा
> है।
>
> सादर, साभार
> अजित
>

> 2011/2/12 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>
>
>
>
>
>
> >http://www.srigranth.org/servlet/gurbani.gurbani?Action=KeertanPage&K...


>
> > इस लिंक में  वह पूरा सबद है जिसके एक श्लोक में मीआ शब्द आता है.. सन्दर्भ
> > मुस्लिम संस्कृति के बढ़ते प्रभाव का लगता है.. लेकिन इस लिंक में मीआ का अर्थ
> > मुस्लिम किया गया है..
>

> > ----- Original Message ----- From: "Baljit Basi" <baljit_b...@yahoo.com>

> ...
>
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Baljit Basi

unread,
Feb 12, 2011, 3:13:12 PM2/12/11
to शब्द चर्चा
एक भूल की दुरुस्ती चाहता हूँ, गोपाल सिंह की जगह साहिब सिंह पढ़िये.
वैसे गोपाल सिंह ने भी गुरु ग्रन्थ का अंगरेजी में अनुवाद किया था.
मियां शब्द आदरसूचक भी है जो बड़े छोटे दोनों के लिए चलता है. गुरु नानक
की उक्ती में हम इस शब्द का ऐसा अर्थ भी ले सकते हैं. मानों वे कह रहे
हैं कि इस नए तबके के लोग तो घर में मियां मियां की ही रट लगाये रखते
हैं. निश्चय ही उस ज़माने में यह शब्द आम लोगों में भी मजाक का विषय रहा
होगा.

Abhay Tiwari

unread,
Feb 12, 2011, 8:16:57 PM2/12/11
to shabdc...@googlegroups.com
अब यह अर्थ अधिक ग्राह्य लग रहा है। क्योंकि 'घरि घरि मीआ सभनां जीआं बोली अवर
तुमारी' में मीआ का अर्थ पिता कैसे हो गया मेरी समझ में नहीं आ रहा था। घरि घरि
तो घर घर ही है। सभनां सब या सब को है। जीआं एक पंजाबी स्रोत के अनुसार परिवार
के सदस्यों के लिए प्रयोग होता है। और बोली अवर तुमारी का अर्थ तो स्पष्ट ही
है। तो अब जो आपने अर्थ किया कि घर-घर लोग एक दूसरे को मीआ कहने लगे हैं, लोगों
तुम्हारी बोली बदल रही है- ने मेरा संशय शांत कर दिया है।

इस सबद का जो सन्दर्भ है उसमें मुस्लिम प्रभाव की बात हो रही है। तो मीआ शब्द
का उल्लेख भी मुस्लिम सन्दर्भ में ही हुआ है, यह बात ठीक है। लेकिन इस शब्द की
फ़ारसी या अरबी जड़ नहीं है क्योंकि मुसलमान फ़ारसी और अरबी शब्दों को जहाँ तक हो
सके शुद्धता से बोलते रहते हैं। ये ज़रूर होता है कि अर्थ संकोच या अर्थ विस्तार
हो जाय मगर शब्द लिखने में नहीं बदलता। अगर मियाँ में अर्थ विस्तार का मामला
होता तो उर्दू शब्दकोषों में इसको रखने में क्या संकोच होना चाहिये था? फ़ारसी
के शब्दकोष में भी नहीं है.. लिहाज़ा इसकी उत्पत्ति देशज ही है। ये ज़रूर सम्भव
है कि मुसलमानों ने जब देशज शब्दों को अपनाया तो अपने रंग में ढाल के जैसे
ब्राह्मण को बिरहमन किया.. वर्ण को बरन किया तो हो सकता है कि उन्होने मित्र से
उपजे मीता को मीआ करके ऐसा अपनाया कि वो मुसलमानी रंगत का ही बन के रह गया।

एक दूसरी मिस्ल कमण्डल की याद आती है.. एक ज़माने में ऋषि-मुनियों के हाथ की
पहचान होता था। लेकिन अब टोंटी वाले लोटे मुसलमान घरों की पहचान हैं..

मेरे लिए अभी भी प्लैट्स की निरुक्ति सबसे तार्किक है।

Baljit Basi

unread,
Feb 13, 2011, 6:12:54 PM2/13/11
to शब्द चर्चा
जबरदस्ती बनाने वाले पंच को पंजाबी में खड़पंच कहा जाता है.

On Feb 11, 2:06 am, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> अभय भाई,
>
> मियाँ के संदर्भ में दलाल वाले अर्थ को आप ज्यादा तूल दे रहे हैं जबकि मुख्य
> रूप से सिर्फ़ मियाँ की व्युत्पत्तिवाली जो पोस्ट है उसमें मियाँ के संदर्भ में
> दलाल शब्द का प्रयोग नहीं किया है। दलाल एक अलग शब्द है और उसकी व्युत्पत्ति
> वाली पोस्ट दूसरे लिंक में है। मैं शब्द व्युत्पत्ति तलाशते वक्त कई संदर्भों
> को देखता हूँ। प्लैट्स का संदर्भ भी देखा हुआ है। मियाँ के विकास में मध्यस्थ
> यानी पंच की भूमिका को तार्किक रूप से देखता हूँ। मध्यस्थ और पंच समाज में
> आदरणीय दर्जा रखते हैं। दलाल शब्द की अवनति विशुद्ध भाषाई और सामाजिक विकास का
> मामला है और दलाल एक अलग शब्द है। मैने सिर्फ़ इन सभी आलेखों को एक कतार में
> रखा है, अन्यथा ये सभी अलग अलग शब्द हैं। मियाँ की व्युत्पत्ति अवेस्ता के
> मदिया से उचित मानता हूँ जिसका समरूप संस्कृत का मध्य है।
>
> मैने उक्त पोस्ट में स्पष्ट विवेचना की है कि-
> 'आमतौर पर पंच या प्रमुख व्यक्ति आदरणीय ही होता है और वह लोगों के बीच जाकर
> उनकी समस्याओं को सुनता है, झगड़ों में बीचबचाव करता है और उन्हें सुलझाता है।
> किसी मामले में अनचाही दखलंदाजी के लिए भी जबर्दस्ती पंच बनना जैसा मुहावरेदार
> वाक्य बोला जाता है। जाहिर है पंच का काम मध्यस्थता ही है। स्वामी, पीर,

> *औलिया<http://shabdavali.blogspot.com/2009/04/12.html>
> * आदि प्रसिद्व व्यक्तियों के नामों के साथ भी *मियां* शब्द जोड़ा जाता रहा है।


> '
>
> आप सिर्फ़़ दलाली की बात कर रहे हैं जबकि वह अलग पोस्ट है। मियाँ से दलाली का
> कोई रिश्ता नहीं है, यहाँ आप सही है। मगर मैने भी ऐसा कहाँ लिखा है?
>
> सस्नेह, साभार
> अजित
>

> 2011/2/10 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
>
>
>
>
> >  ये मियाँ अलग है.. जब हम अल्लाह मियाँ कहते हैं.. तो उसमें दलाल नहीं..
> > मित्र वाला भाव ही होता है। और म्याँ.. केसे हो? उसमें भी दलाली की बू नहीं है।
> > और ज़रा सोचिये बीबी के साथ मियाँ का अगर दलाल वाला अर्थ डालेंगे तो गज़ब ही हो
> > जाएगा! :)
>
> > मित्र> मितर> मितअ> मिअअ> मिआ> मिआँ> मियाँ
>
> > ऐसी कुछ यात्रा की ही तरफ़ जौन प्लैट्स ने भी संकेत दिया है..

> >http://dsal.uchicago.edu/cgi-bin/philologic/getobject.pl?c.8:1:3104.p...


>
> > ----- Original Message -----
> > *From:* अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>
> > *To:* shabdc...@googlegroups.com

> > *Sent:* Thursday, February 10, 2011 11:32 PM
> > *Subject:* Re: [शब्द चर्चा] मियां


>
> > मियां पर विस्तार से यहाँ भी देखा जाए-

> > 1.मियांगीरी मत करो *मियां* [मध्यस्थ-1]<http://shabdavali.blogspot.com/2009/11/16.html>
> > 2.*मियां* करे दलाली, ऊपर से दलील!![मध्यस्थ-2]<http://shabdavali.blogspot.com/2009/11/blog-post_14.html>
> > 3.*मियां* बराक, ब्रोकर और डीलर [मध्यस्थ-3]<http://shabdavali.blogspot.com/2009/11/blog-post_15.html>
>
> > 2011/2/10 Uma Gupta <umagupta.de...@gmail.com>
>

> >> acha laga!
>
> >> 2011/2/10 अभय तिवारी <abhay...@gmail.com>


>
> >>> किसी से पूछिये मियां का मतलब?तो जवाब होगा मुसलमान।
> >>> कहाँ से आ रहा है यह शब्द?
> >>> अरबी से? अरबी के लुग़त में नहीं है।
> >>> फ़ारसी.. ना!
> >>> तो फिर?
> >>> मित्र से बिगड़ बना हैं मियां।
> >>> पंजाबी से उर्दू में आया और मुसलमान का पर्याय हो गया..
>
> >>> तो असल में है मियां मतलब मित्र!
>
> >> --
> >> uma
>
> > --
> > शुभकामनाओं सहित

> > *अजित*


> >http://shabdavali.blogspot.com/
>
> --
> शुभकामनाओं सहित

> *अजित*http://shabdavali.blogspot.com/- Hide quoted text -
>
> - Show quoted text -

Baljit Basi

unread,
Feb 15, 2011, 5:29:19 PM2/15/11
to शब्द चर्चा
नेट से एक दिलचस्प पेज मिला. बिना किसी टिप्पणी से संतों के सामने पेश
करता हूँ:

By MIAN CHAUDHARY on Wednesday, October 06, 2004 - 1:40 pm:
WORD FOR WORD: Call me Mian, I�m Arain! �Khaled Ahmed

Where does the word �mian� come from? My Persian dictionary says it is
an honorific but lists it under �mian� meaning �middle�. I suppose the
honoured person must be seated in the middle of his people. A mediator
is a �middle� man

We in Lahore generally agree that all Arains can carry a prefix of
Mian with their name. If you are more fashionable you can use it as a
suffix. Then you can become Mr Mian. The Arains have a strong vote in
Punjab. Mian Muhammad Azhar is their leader in Lahore.

But Mian Nawaz Sharif was a Kashmiri. It develops that that some
Kashmiris too carry Mian with their names. The Mians of Baroodkhana of
Lahore are also Kashmiri. A Kashmiri Allama Iqbal�s daughter was
married into the Mian of Baroodkhana.

Up in the NWFP some Pushtuns are Mian too. It is thought that there
the Mians are usually spiritual people and belong in the Syed
category. Some famous Pushtun families are Mians. There were some Mian
Syeds even in pre-partition Jullundar!

A number of Rajputs in Lahore have called themselves Mian. Sir Fazli
Hussain was a Bhatti Rajput but he was addressed often as Mian Fazli
Hussain. The Mians of Baghbanpura were Arain. Mian Iftikharuddin was
their great representative.

If you are in doubt go to Toba Tek Singh. Most of the population there
is settler Arain, many from Jullundar and Hoshiarpur. Some authors
have called the area Arainistan. General Zia was an Arain from
Jullundar. His son Ijazul Haq has been winning his National Assembly
seat unfailingly from Toba Tek Singh, barring the last election.

Mian is no doubt an honorific. It means owner. We add Mian to Allah to
attain a kind of intimacy with Him. In Urdu husband too is called
mian. One city in Punjab is called Mianwali because of its association
with a saint.

It is clear that our mystics used mian to address their patron saints.
It is quite possible that Lahore�s historical graveyard Miani Sahib
actually points to the burial there of some great saints. It can also
mean middle ground.

Let�s see how the major claimants of mian, the Arains, have coped with
the origins. Some of them would say they are Arabs and their name
comes from the Arabic word ra�ee, meaning goatherd. Rayyi means grass
in Arabic.

But a more honourable origin would be the name of the invading Aryans.
We don�t know where the Aryans got their name but it began to imply
superiority of race. If the Aryans came from Anatolia and had their
links with Mesopotamia, where farming was first discovered, then they
were probably proud farmers. In Greek aristos means the best.

We have the Latin verb aro meaning �I till the land�, from arare. From
this we derive the English word arable, land which can be cultivated.
The �ar� root also gives many Indo-European languages their word for
plough. We have our har in Sindh and hal in Punjab. We call our
tillers hali; the Sindhis call theirs hari.

Coming back to mian, where does the word come from? My Persian
dictionary says it is an honorific but lists it under mian meaning
middle. I suppose the honoured person must be seated in the middle of
his people. A mediator is a middle man.

Urdu has a Persian-derived word darmian meaning middle. The French
have the word moyen which means middle. From this French word English
has derived its mean implying average or means implying
instrumentality: things that fall helpfully in the middle.

My Persian dictionary also has a verb mianji kardan meaning to
arbitrate or mediate. No doubt a mediator had to be a respected man. A
city lying in the middle of the country was called Miana, which was
actually a city in old Azerbaijan.

Sanskrit has another version of the root: manjh meaning middle. Urdu
word manjh-dhar (mid-river) comes from there. Middle Punjab is called
Majha by dropping the nasal �n�. In Punjabi, a lungi has two meanings:
head-cover or loin-cover. To differentiate the cloth worn around the
loins is called majh-longi. *

> > *अजित*http://shabdavali.blogspot.com/-Hide quoted text -
>
> > - Show quoted text -- उद्धृत पाठ छिपाएँ -

ashutosh kumar

unread,
Feb 17, 2011, 4:12:11 AM2/17/11
to shabdc...@googlegroups.com


देख हमारे माथे पर ये दश्त-ए-तलब की धूल मियां
हम से है तेरा दर्द का नाता, देख हमें मत भूल मियां

अहल-ए-वफ़ा से बात न करना होगा तेरा उसूल मियां
हम क्यों छोड़ें इन गलियों के फेरों का मामूल मियां

ये तो कहो कभी इश्क़ किया है, जग में हुए हो रुसवा भी
इस के सिवा हम कुछ भी न पूछें, बाक़ी बात फ़िज़ूल मियां
(इब्ने  इंशा  )

Baljit Basi

unread,
Feb 17, 2011, 7:26:58 AM2/17/11
to शब्द चर्चा
ਰਾਂਝਾ ਸੁਟ ਖੂੰਡੀ ਉਤੋਂ ਲਾਹ ਭੂਰਾ ਛਡ ਚਲਿਆ ਸਭ ਮੰਗਵਾੜ ਮੀਆਂ
हीर वारिस शाह से:

ਜੇਹਾ ਚੋਰ ਨੂੰ ਬੜੇ ਦਾ ਖੜਕ ਪਹੁੰਚੇ ਛੱਡ ਟੁਰੋ ਹੈ ਸਨ੍ਹ ਦਾ ਪਾੜ ਮੀਆਂ
ਦਿਲ ਚਾਇਆ ਦੇਸ ਤੇ ਮੁਲਕ ਉਤੋਂ ਉਸ ਦੇ ਭਾ ਦਾ ਬੋਲਿਆ ਹਾੜ ਮੀਆਂ
ਤੇਰੀਆਂ ਖੋਲੀਆਂ ਕਟਕ ਤੇ ਮਿਲਣ ਸਭੇ ਖੜ੍ਹੇ ਕੱਟੀਆਂ ਨੂੰ ਕਾਈ ਧਾੜ ਮੀਆਂ
ਮੈਨੂੰ ਮਝੀਂ ਦੀ ਕੁੱਝ ਪਰਵਾਹ ਨਾਹੀਂ ਨਢੀ ਪਈ ਸੀ ਇੱਤ ਰਹਾੜ ਮੀਆਂ
ਤੋਰੀ ਧੀਉ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਨੇ ਹਾਂ ਤੈਨੂੰ ਆਉਂਦੀ ਨਜ਼ਰ ਪਹਾੜ ਮੀਆਂ
ਤੇਰੀਆਂ ਮੱਝਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨੇ ਰਾਧ ਅੱਤੀ ਫਿਰਾਂ ਭੰਨਦਾ ਕਹਿਰ ਦੇ ਝਾੜ ਮੀਆਂ
ਮੰਗੂ ਮਗਰ ਮੇਰੇ ਸਭੋ ਆਵੰਦਾ ਈ ਮਝੀਂ ਆਪਣੀਆਂ ਮਹਿਰ ਜਾ ਤਾੜ ਮੀਆਂ
ਘੁਟ ਬਹੇਂ ਚਰਾਈ ਤੂੰ ਮਾਹੀਆਂ ਦੀ ਸਹੀ ਕੀਤਾਈ ਕੋਈ ਕਰਾੜ ਮੀਆਂ
ਮਹੀਂ ਚਾਰਦੇ ਨੂੰ ਗਏ ਬਰਸ ਬਾਰਾਂ ਅੱਜ ਉਠਿਆ ਅੰਦਰੋਂ ਸਾੜ ਮੀਆਂ
ਵਹੀ ਖਤਰੀ ਦੀ ਰਹੀ ਖਤੜੇ ਬੇ ਲੇਖਾ ਗਿਆਈ ਹੋ ਪਹਾੜ ਮੀਆਂ
ਤੇਰੀ ਧਿਉ ਰਹੀ ਤੇਰੇ ਘਰੇ ਬੈਠੀ ਝਾੜਾ ਮੁਫਤ ਦਾ ਲਿਆ ਈ ਝਾੜ ਮੀਆਂ
ਹਟ ਭਰੇ ਬਹੁਗੁਣੇ ਨੂੰ ਸਾਂਭ ਲਿਉ ਕੱਢ ਛੱਡਿਉ ਨੰਗ ਕਰਾੜ ਮੀਆਂ
ਵਾਰਸ ਸ਼ਾਹ ਅੱਗੋਂ ਪੂਰੀ ਨਾ ਪਈ ਆ ਪਿੱਛੋਂ ਆਇਐ ਸੈਂ ਪੜਤਣੇ ਪਾੜ ਮੀਆਂ

अजित वडनेरकर

unread,
Feb 17, 2011, 10:26:25 PM2/17/11
to shabdc...@googlegroups.com
हम दीवाने इंशा के
जो दीवाने चांद के

2011/2/17 ashutosh kumar <ashuv...@gmail.com>

--
शुभकामनाओं सहित
अजित
http://shabdavali.blogspot.com/
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