सुधीजन कृपया अर्थ बताएँ और यह भी कि दूब और हल्दी की गाँठ क्यों बाँधी जाती है।
दूब और हल्दी की पहली गाँठ
तुम्हारे जन्म के ठीक बाद
लिखी यह कविता
तुम्हारे जन्म के साथ की है
और जुड़वाँ है
परन्तु तुम बड़े हो
मनुष्य का जन्म बड़ा है
किसी भी कविता के जन्म से
और यद्यपि कविता मनुष्य को बड़ा बनाती है
और तुमको बड़ा होते देखने की यही कविता है
और इसीलिए कल ही जन्मे हो
और अभी से एक वर्ष बड़ा होने के इंतज़ार में
सत्तर का हो रहा हूँ चिरंजीव
तुम्हारी बसकठ के धागे में
दूब और हल्दी की पहली गाँठ
देखने की जल्दी है
और यह वर्षों की गाँठ
इतनी लम्बी हो चिरंजीव
यह मैं अन्तस से कह रहा हूँ
कि तुम्हारे पीछे दौड़ते-दौड़ते
यह समय थक जाएगा।
विनोद कुमार शुक्ल
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