उचित प्रयोग

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seema agrawal

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Jun 3, 2020, 6:35:08 AM6/3/20
to शब्द चर्चा
किसी के अभिवादन हेतु नमस्कार शब्द प्रयोग होना चाहिए अथवा नमस्ते का। दोनो में क्या अंतर है

दिनेशराय द्विवेदी

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Jun 3, 2020, 7:44:33 AM6/3/20
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नमस्ते के उच्चारण को नमस्कार कहते हैं। बाकी आप तय कर लीजिए।

On Wed, 3 Jun 2020 at 16:05, seema agrawal <thinkpos...@gmail.com> wrote:
किसी के अभिवादन हेतु नमस्कार शब्द  प्रयोग होना चाहिए अथवा नमस्ते का।  दोनो में क्या अंतर है

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दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
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Anil Janvijay

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Jun 4, 2020, 4:30:45 AM6/4/20
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नमस्ते या नमस्कार (और लगे हाथ नमाज भी)

संस्कृत में एक धातु है-नम्। इसका अर्थ होता है, झुकना/सम्मान प्रदर्शित करना। इसी धातु में ‘ते’ जुड़ने से नमस्ते या नमस्कार शब्द बना है। नम् से ही नम्र, विनम्र, नमन, नत, विनत, उन्नत, अवनत, नमामि, प्रणाम जैसे शब्द बने हैं। जानकर थोड़ा विस्मय हो सकता है कि उर्दू के शब्द नमाज के मूल में भी नम् है। चूंकि आपने संस्कृत शब्द नमस्ते का अर्थ पूछा है, इसलिए पहले इसी के संदर्भ में बात करते हैं। किसी भी शब्द का अर्थ या व्युत्पत्ति जानने के लिए तुरत उसका संधि विच्छेद करें, सब सामने आ जाएगा। इसी सिद्धांत पर चलते हुए नमस्ते का संधि विच्छेद करते हैं-

नमः$ते=नमस्ते

जैसा हम ऊपर जान चुके हैं कि नम् का मतलब होता है-झुकना/सम्मान दिखाना

और ते संबोधन का शब्द है, जो सामनेवाले के लिए प्रयुक्त होता है। आपने संस्कृत में त्वम् शब्द पढ़ा होगा, जिसका अर्थ होता है तुम या आप। इसी त्वम से हिंदी का शब्द बना है तुम और तू। इसी का ही एक रूप है ते। भोजपुरी भाषा में भी लोग कई हिस्सों में तुम के लिए ते शब्द का इस्तेमाल करते हैं-ते अभी गइले ना (तुम अभी गये नहीं)। इस तरह नमस्ते का अर्थ हुआ-मैं आपके सम्मान में नत हूं। झुका हुआ हूं।

आप जिसके सामने नमस्ते बोलते हैं, उसके प्रति आप सम्मान ही तो दिखा रहे होते हैं। वैसे भी नमस्ते या नमस्कार बोलते समय व्यक्ति के लिए झुकना अनिवार्य होता है। आपने गौर किया होगा नमस्ते बोलते वक्त व्यक्ति का सिर झुक जाता है। बहुत लोग तो कमर के पास से शरीर को झुकाकर नमस्ते बोलते हैं और यही सही तरीका भी है किसी के प्रति अपनी श्रद्धा, अपना सम्मान प्रकट करने का। सामनेवाले के सामने नत हो जाना। झुक जाना। अन्यथा, किसी को नमस्ते करने का औचित्य ही क्या? उम्मीद करता हूं कि नमस्ते शब्द की उत्पत्ति और उसका अर्थ समझ में आ गया होगा।

लगे हाथ उर्दू शब्द नमाज को भी देख लेते हैं। इस्लाम में खुदा की इबादत का तरीका है नमाज। इस नमाज में भी नम् है-झुकना। आखिर झुककर ही तो नमाज पढ़ने की क्रिया होती है। मुस्लिम भाई लोग नमाज में सिजदा करते हैं-यह खुदा के सामने झुकने या सिर नवाने की क्रिया है। शायद आपको पता हो कि संस्कृत और फारसी एक-दूसरे के काफी करीब हैं। विद्वान इन्हें सगी बहनें कहते थे। नम् से संस्कृत में जिस तरह नमस्ते या नमस्कार बना, उसी तरह फारसी में एक शब्द ने आकार लिया-नमास, जो बाद में नमाज के रूप में तब्दील हो गया। सच पूछिए तो हमारी भाषाएं, संस्कृतियां एक-दूसरे के काफी नजदीक रही हैं। कुछ और उचित शब्दों में कहें तो हिली-मिली रही हैं। बदनसीबी हमारी कि वक्त के थपेड़ों और सियासी तूफानों ने इनके बीच दीवार खड़ी कर दी। खैर, जिन्हें समझ है, वे सब समझ रहे हैं।




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CS Pawan Baid

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Jun 5, 2020, 2:00:38 AM6/5/20
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Anil Ji

Wonderful explanation.

Thanks for sharing the knowledge.





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CS Pawan Kumar Baid
Company Secretaries

B-52, Trade House, Near Rushabh Petrol
Ring Road, Surat - 395002
Ph - 0261-2302365

Richa Kulshrestha

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Jun 5, 2020, 2:15:39 AM6/5/20
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दिवाली सही है या दीवाली?
दीपावली ठीक है, ये तो पता है, लेकिन दिवाली और दीवाली में काफी मत भिन्नता है।
मेरा मानना है कि दीपक से बना है तो दीवाली होना चाहिए।
इस बारे में बताएंगे?



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Richa Kulshrestha
Editor, iDiva Hindi
Times InternetUdyog Vihar, Gurugram

    

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संजय | sanjay

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Jun 8, 2020, 3:06:26 AM6/8/20
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लम्बे जवाब के बाद भी नमस्ते और नमस्कार के भेद पर प्रकाश नहीं पड़ा. 

मुझे लगता है सामने एक व्यक्ति हो तब नमस्ते कहें और समूह हो तब नमस्कार कहें. 

On Wed, 3 Jun 2020 at 16:05, seema agrawal <thinkpos...@gmail.com> wrote:
किसी के अभिवादन हेतु नमस्कार शब्द  प्रयोग होना चाहिए अथवा नमस्ते का।  दोनो में क्या अंतर है

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SANJAY BENGANI | संजय बेंगाणी    

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Pratik Pandey

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Jun 8, 2020, 4:54:52 AM6/8/20
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मेरे सीमित संस्कृत-ज्ञान के अनुसार -

१. नमः + ते = नमस्ते
२. नमः + कार = नमस्कार

"ते" बहुवचन है। इस हिसाब से नमस्ते कहेंगे एकाधिक लोगों को - मैं आप लोगों के आगे शीश नवाता हूँ। "कार" प्रत्यय क्रिया या करने के अर्थ में भी उपयोग में लाया जाता है। अतः नमस्कार का अर्थ हुआ - मैं शीश नवा रहा हूँ। नमस्कार में एकवचन, बहुवचन आदि की समस्या नहीं है।

lalit sati

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Jun 8, 2020, 5:01:13 AM6/8/20
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बीबीसी हिंदी में कभी छपा था:
"दोनों तत्सम शब्द हैं. सही मायने में देखा जाए तो एक शब्द है और एक वाक्य है. नमस्कार बना है नम: कार से और नमस्ते में दो शब्द हैं नम: ते. ते का अर्थ है आपको और नम: मेरा नमस्कार. नमस्कार संज्ञा है जबकि नमस्ते पूरा वाक्य है. लेकिन नमस्कार कहने से भी पूरे वाक्य का ही बोध होता है. जब कोई नमस्कार करता है तो इससे बोध होता है कि मैं आपको नमस्कार करता हूं या आपको मेरा नमस्कार."

Sujan Singh

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Jun 8, 2020, 6:24:25 AM6/8/20
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१) नमस्ते का अर्थ है, मैं नमन करता हूँ, अर्थात अहम नमः अस्ति। 
२) नमस्कार का अर्थ है, मेरा नमन स्वीकार करो। 

Narayan Prasad

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Jun 8, 2020, 12:42:42 PM6/8/20
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नमस्कार - संज्ञा पुं॰ किसी के प्रति विनय सूचित करने के लिए सिर झुकाना, हाथ जोड़ना, आदि।

नमस्ते [ = नमस् (अव्यय) + ते] - एक पूरा वाक्य जिसका अर्थ है - "आपको नमस्कार है।"

"ते" - यह युष्मद् शब्द के एकवचन में चतुर्थी (और षष्ठी) विभक्ति का रूप है और "तुभ्यम्" का ही विकल्प है।
"नमस्ते" में "ते" का प्रयोग चतुर्थी में है। 

पाणिनि सूत्र "नमः-स्वस्ति-स्वाहा-स्वधा-अलं-वषट्-योगाच्च" (2.3.16) से नमस् (या नमः) से चतुर्थी विभक्ति होती है।

जैसे, "श्रीगणेशाय नमः" में गणेश शब्द के चतुर्थी एकवचन का रूप "गणेशाय"।

--- नारायण प्रसाद


संजय | sanjay

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Jun 11, 2020, 5:42:26 AM6/11/20
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ऐसे में  "आपको नमस्कार है" कहना ही सही लगता है, यानी "नमस्ते". 

दिनेशराय द्विवेदी

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Jun 11, 2020, 8:19:04 AM6/11/20
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यदि आप आमने सामने मिल रहे हैं या लाइव हैं तो नमस्ते कहना उचित है। पत्र आदि में लिखित रूप से कहें तो फिर दोनों सही होंगे।


संजय | sanjay

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Jun 22, 2020, 6:12:35 AM6/22/20
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जी धन्यवाद 

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