विजित

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अभय तिवारी

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Dec 15, 2010, 2:52:36 AM12/15/10
to शब्द चर्चा
"11 दिसंबर को गोवा में एक भव्य समारोह के बीच एक अत्याधुनिक तट रक्षक
पोत समुद्र में उतारा गया । इसे नाम दिया गया है 'विजित' (VIJIT)।
शब्दकोश में 'विजित' का अर्थ दिया गया है-पराजित,उपनिवेशित, अधीनित,पद
दलित, सहमत। लेकिन कहीं कोई सवाल नहीं उठा। हिंदी के संपादक और
साहित्यकार चुप हैं कि कहीं उन्हें आउटडेटेड हिंदीवाला न मान लिया जाए।
जय हो।"

ये फ़ेसबुक पर पंकज श्रीवास्तव का सन्देश है। आप की क्या राय है?

Abhay Tiwari

unread,
Dec 15, 2010, 2:55:03 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
हालांकि पहली नज़र में मैं पंकज से सहमत हुआ मगर बाद में सोचने पर ये लगा:

विजय व पराजय विलोम हैं। पराजित का अर्थ है जिसके सन्दर्भ में कहा जा रहा है वह
हारा है। तो विजित का अर्थ क्या हुआ? जिसके सन्दर्भ में कहा जा रहा है - वह
जीता है।

अगर इस नज़रिये से देखें तो अर्थ ठीक बैठता है..

Vinod Sharma

unread,
Dec 15, 2010, 2:55:28 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
मेरा भारत महान

2010/12/15 अभय तिवारी <abha...@gmail.com>



--
Vinod Sharma
gtalk: vinodjisharma
skype:vinodjisharma

Abhay Tiwari

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Dec 15, 2010, 3:02:06 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
इन्द्रजित में जित का क्या अर्थ हुआ? जीत लिया हो जिसने..
इसी तर्ज़ पर सोचें कि विजित का क्या अर्थ हुआ?


----- Original Message -----
From: "अभय तिवारी" <abha...@gmail.com>
To: "शब्द चर्चा" <shabdc...@googlegroups.com>
Sent: Wednesday, December 15, 2010 1:22 PM
Subject: [शब्द चर्चा] विजित

Pritish Barahath

unread,
Dec 15, 2010, 3:06:13 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
अभय जी से सहमत। लेकिन  जिसके संदर्भ में कहा जा रहा है - उसे (वस्तु को न कि योद्धा को) जीता गया है। पराजित का विलोम शायद विजयी है।
2010/12/15 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>
--
Pritish Barahath
Jaipur

lalit sati

unread,
Dec 15, 2010, 3:19:24 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
बात तो पंकज श्रीवास्तव की सही लग रही है। जिसे जीत लिया गया हो वही विजित है।

2010/12/15 Pritish Barahath <priti...@gmail.com>

Vinod Sharma

unread,
Dec 15, 2010, 3:24:58 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
कई शब्दकोश खंगालने के बाद भी एक ही अर्थ पा सका हूँ
विजित- जीता हुआ, conquered
अब भले ही इसका पेस्टमॉर्टम करके इसे विजय में बदल दिया जाए

2010/12/15 lalit sati <lalit...@gmail.com>

narayan prasad

unread,
Dec 15, 2010, 3:39:35 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
देखिए ऑनलाइन मोनियर-विलियम्स का संस्कृत अंग्रेजी कोश, पृष्ठ 960, col.3 -

http://www.sanskrit-lexicon.uni-koeln.de/cgi-bin/monier/serveimg.pl?file=/scans/MWScan/MWScanjpg/mw0960-vijAvan.jpg

विजित =  (1) conquered , subdued , defeated , won , gained (2) a conquered country (3) any country or district (4) conquest , victory

विजितवान् (विजितवत्) = one who has conquered, victorious

---नारायण प्रसाद

2010/12/15 Vinod Sharma <vinodj...@gmail.com>

ghughuti basuti

unread,
Dec 15, 2010, 4:41:56 AM12/15/10
to शब्द चर्चा
विजित शब्द सही नहीं लग रहा। विजयी व विजेता शब्द का यह विलोम ही लग रहा
है। वैसे सोचा जाए तो
क्रोध क्रोधित
लज्जा लज्जित
प्रयोजन प्रयोजित
उदय उदित
कूज ध्वनि कूजित
ध्वनि ध्वनित
मुद्रण मुद्रित
कसुम कुसुमित
प्रफुल्ल प्रफुल्लित
पुलक पुलकित
फल फलित
विजय विजित
जिसे क्रोध आया हो वह क्रोधित, जिसे लज्जा आए वह लज्जित, जो उदय हुआ हो
उदित, जिस पर फल लगा हो या फल मिला हो फलित, तो क्या जिसे विजय किया गया
हो या जिसने विजय पाई हो वह विजित?
घुघूती बासूती

On Dec 15, 1:39 pm, narayan prasad <hin...@gmail.com> wrote:
> देखिए ऑनलाइन मोनियर-विलियम्स का संस्कृत अंग्रेजी कोश, पृष्ठ 960, col.3 -
>

> http://www.sanskrit-lexicon.uni-koeln.de/cgi-bin/monier/serveimg.pl?f...


>
> विजित =  (1) conquered , subdued , defeated , won , gained (2) a conquered
> country (3) any country or district (4) conquest , victory
>
> विजितवान् (विजितवत्) = one who has conquered, victorious
>
> ---नारायण प्रसाद
>

> 2010/12/15 Vinod Sharma <vinodjisha...@gmail.com>

दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Dec 15, 2010, 5:13:24 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
पोत के लिए विजित बिलकुल सही शब्द नहीं है। विजित का एक ही अर्थ है जो किसी और का था और आप ने जिसे जीत लिया। अब हम अपनी ही किसी वस्तु को विजित कहें यह तो किसी भी तरह दुरुस्त नहीं है। हाँ इस का नाम  विजेता या वीर रखा जाता तो ठीक था।

2010/12/15 ghughuti basuti <ghughut...@gmail.com>



--
दिनेशराय द्विवेदी, कोटा, राजस्थान, भारत
Dineshrai Dwivedi, Kota, Rajasthan,
क्लिक करें, ब्लाग पढ़ें ...  अनवरत    तीसरा खंबा

lalit sati

unread,
Dec 15, 2010, 5:46:48 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
जय से विजय, जित से विजित, पराजित

2010/12/15 ghughuti basuti <ghughut...@gmail.com>

narayan prasad

unread,
Dec 15, 2010, 5:51:50 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
<<जिसे क्रोध आया हो वह क्रोधित, जिसे लज्जा आए वह लज्जित, जो उदय हुआ हो
उदित, जिस पर फल लगा हो या फल मिला हो फलित, तो क्या .......जिसने विजय पाई हो वह विजित?>>

यदि यह तर्क या नियम सही हो तो -
जिसने पढ़ा हो वह पठित ।
जिसने रचा हो वह रचित ।
जिसने लिखा हो वह लिखित ।

परन्तु सब को मालूम है कि उपर्युक्त अर्थ सही नहीं है ।

पाणिनि व्याकरण के अनुसार -
पा॰3.4.70 - तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः ।

इस नियम के अनुसार सकर्मक क्रिया में क्त (= त) प्रत्यय कर्ता में नहीं, बल्कि कर्म में होता है ।

अतः विजित [उपसर्ग "वि"+धातु "जि" (=जीतना)+प्रत्यय क्त (=त)] का अर्थ होगा - जिसको जीत लिया गया हो, या जिसपर विजय पाई गई हो ।

इसका अर्थ कर्ता में अर्थात् जिसने जीत लिया हो, या जिसने विजय पाई हो - ऐसा कभी नहीं होगा ।


---नारायण प्रसाद

2010/12/15 ghughuti basuti <ghughut...@gmail.com>
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Baljit Basi

unread,
Dec 15, 2010, 8:39:02 AM12/15/10
to शब्द चर्चा
विजित का अर्थ 'जिस को जीता गया हो, जिस पर फतह पा ली गई हो" ऐसा पंजाबी
कोश कहते हैं. सहज बोध भी यही बता रहा है. यह बात अख़बारों में नशर
करनी चाहिए .

On 15 दिस., 05:51, narayan prasad <hin...@gmail.com> wrote:
> <<जिसे क्रोध आया हो वह क्रोधित, जिसे लज्जा आए वह लज्जित, जो उदय हुआ हो
> उदित, जिस पर फल लगा हो या फल मिला हो फलित, तो क्या .......जिसने विजय पाई हो
> वह विजित?>>
>
> यदि यह तर्क या नियम सही हो तो -
> जिसने पढ़ा हो वह पठित ।
> जिसने रचा हो वह रचित ।
> जिसने लिखा हो वह लिखित ।
>
> परन्तु सब को मालूम है कि उपर्युक्त अर्थ सही नहीं है ।
>
> पाणिनि व्याकरण के अनुसार -
> पा॰3.4.70 - तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः ।
>
> इस नियम के अनुसार सकर्मक क्रिया में क्त (= त) प्रत्यय कर्ता में नहीं, बल्कि
> कर्म में होता है ।
>
> अतः विजित [उपसर्ग "वि"+धातु "जि" (=जीतना)+प्रत्यय क्त (=त)] का अर्थ होगा -
> जिसको जीत लिया गया हो, या जिसपर विजय पाई गई हो ।
>
> इसका अर्थ कर्ता में अर्थात् जिसने जीत लिया हो, या जिसने विजय पाई हो - ऐसा
> कभी नहीं होगा ।
>
> ---नारायण प्रसाद
>

> 2010/12/15 ghughuti basuti <ghughutibas...@gmail.com>


>
>
>
> > विजित शब्द सही नहीं लग रहा। विजयी व विजेता शब्द का यह विलोम ही लग रहा
> > है। वैसे सोचा जाए तो
> > क्रोध   क्रोधित
> > लज्जा    लज्जित
> > प्रयोजन प्रयोजित
> > उदय      उदित
> > कूज  ध्वनि      कूजित
> > ध्वनि    ध्वनित
> > मुद्रण  मुद्रित
> > कसुम     कुसुमित
> > प्रफुल्ल        प्रफुल्लित
> > पुलक     पुलकित
> > फल      फलित
> > विजय    विजित
> > जिसे क्रोध आया हो वह क्रोधित, जिसे लज्जा आए वह लज्जित, जो उदय हुआ हो
> > उदित, जिस पर फल लगा हो या फल मिला हो फलित, तो क्या जिसे विजय किया गया
> > हो या जिसने विजय पाई हो वह विजित?

> > घुघूती बासूती- उद्धृत पाठ छिपाएँ -
>
> उद्धृत पाठ दिखाए

Abhay Tiwari

unread,
Dec 15, 2010, 9:20:19 AM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
नारायण जी, आपके उत्तर से संशय छँट गया। शुक्रिया!

anil janvijay

unread,
Dec 15, 2010, 2:37:05 PM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
संतो! भारत सरकार के हिन्दी अधिकारी शायद अविजित कहना चाहते थे। लेकिन हिन्दी का ज्ञान सीनित रह गया।

2010/12/15 Abhay Tiwari <abha...@gmail.com>



--
anil janvijay
कृपया हमारी ये वेबसाइट देखें
www.kavitakosh.org
www.gadyakosh.org



Moscow, Russia
+7 495 422 66 89 ( office)
+7 916 611 48 64 ( mobile)

anil janvijay

unread,
Dec 15, 2010, 2:37:31 PM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
संतो! भारत सरकार के हिन्दी अधिकारी शायद अविजित कहना चाहते थे। लेकिन हिन्दी का ज्ञान सीमित रह गया।

2010/12/15 anil janvijay <anilja...@gmail.com>

Baljit Basi

unread,
Dec 15, 2010, 4:24:13 PM12/15/10
to शब्द चर्चा
अजित भाई की टिप्पणी की इंतजार है , मैंने तो अपनी अख़बार के लिए पीस
तयार कर लिया.

On 15 दिस., 14:37, anil janvijay <aniljanvi...@gmail.com> wrote:
> संतो! भारत सरकार के हिन्दी अधिकारी शायद अविजित कहना चाहते थे। लेकिन हिन्दी
> का ज्ञान सीमित रह गया।
>

> 2010/12/15 anil janvijay <aniljanvi...@gmail.com>


>
>
>
>
>
> > संतो! भारत सरकार के हिन्दी अधिकारी शायद अविजित कहना चाहते थे। लेकिन हिन्दी
> > का ज्ञान सीनित रह गया।
>

> >  2010/12/15 Abhay Tiwari <abhay...@gmail.com>


>
> >>  नारायण जी, आपके उत्तर से संशय छँट गया। शुक्रिया!
>
> >> ----- Original Message -----

> >> *From:* narayan prasad <hin...@gmail.com>
> >> *To:* shabdc...@googlegroups.com
> >> *Sent:* Wednesday, December 15, 2010 4:21 PM
> >> *Subject:* Re: [शब्द चर्चा] Re: विजित


>
> >> <<जिसे क्रोध आया हो वह क्रोधित, जिसे लज्जा आए वह लज्जित, जो उदय हुआ हो
> >> उदित, जिस पर फल लगा हो या फल मिला हो फलित, तो क्या .......जिसने विजय पाई
> >> हो वह विजित?>>
>
> >> यदि यह तर्क या नियम सही हो तो -
> >> जिसने पढ़ा हो वह पठित ।
> >> जिसने रचा हो वह रचित ।
> >> जिसने लिखा हो वह लिखित ।
>
> >> परन्तु सब को मालूम है कि उपर्युक्त अर्थ सही नहीं है ।
>
> >> पाणिनि व्याकरण के अनुसार -
> >> पा॰3.4.70 - तयोरेव कृत्यक्तखलर्थाः ।
>
> >> इस नियम के अनुसार सकर्मक क्रिया में क्त (= त) प्रत्यय कर्ता में नहीं,
> >> बल्कि कर्म में होता है ।
>
> >> अतः विजित [उपसर्ग "वि"+धातु "जि" (=जीतना)+प्रत्यय क्त (=त)] का अर्थ होगा -
> >> जिसको जीत लिया गया हो, या जिसपर विजय पाई गई हो ।
>
> >> इसका अर्थ कर्ता में अर्थात् जिसने जीत लिया हो, या जिसने विजय पाई हो - ऐसा
> >> कभी नहीं होगा ।
>
> >> ---नारायण प्रसाद
>

> >> 2010/12/15 ghughuti basuti <ghughutibas...@gmail.com>

> +7 916 611 48 64 ( mobile)- उद्धृत पाठ छिपाएँ -

दिनेशराय द्विवेदी

unread,
Dec 15, 2010, 10:14:37 PM12/15/10
to shabdc...@googlegroups.com
अविजित की अपेक्षा भी अजेय शब्द अधिक उपयुक्त होता।
मुझे लगता है इस नामकरण में कोई ज्योतिषीय पंगा भी रहा होगा। जैसे वि अक्षर से नाम का आरंभ।

2010/12/16 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>

अजित वडनेरकर

unread,
Dec 16, 2010, 2:53:19 AM12/16/10
to shabdc...@googlegroups.com
बलजीत भाई,

यहाँ सब कुछ प्रारम्भ से ही स्पष्ट था। गर्वबोध और शौर्य के प्रतीक के तौर पर एक पोत का विजित नामकरण शुरू से ही अटपटा है। नकारात्मक अर्थबोध है इसमें।
संभव है किसी खास समूह से संबंधित लोगों ने यह नामकरण किया हो। कभी कभी मराठी के किन्हीं समूहों में विजित का प्रयोग अजित या अजय की तरह मैने सुना है। ज़रूरी नहीं के मराठी के नाते भी वे सही बोल रहे हों। और फिर बात यहाँ राष्ट्रीय धरोहर के नामकरण की हो रही है जो हिन्दी में रखा गया है।

वि उपसर्ग में निषेध, अभाव की अर्थवत्ता है। विजित का अर्थ विजेता लगाना ठीक वैसा ही है मानो अजय या अजित का अर्थ पराजित और परास्त से लगाएं। यह मानते हुए कि अ उपसर्ग में भी निषेध या अभाव है:)

2010/12/16 दिनेशराय द्विवेदी <drdwi...@gmail.com>



--
शुभकामनाओं सहित
अजित
http://shabdavali.blogspot.com/

ई-स्वामी

unread,
Dec 16, 2010, 2:58:11 AM12/16/10
to shabdc...@googlegroups.com
आदर्श अपार्टमेंट्स काण्ड की याद में रख दिया नाम.. हाय राम!


2010/12/15 दिनेशराय द्विवेदी <drdwi...@gmail.com>



--
http://hindini.com
http://hindini.com/eswami

Baljit Basi

unread,
Dec 16, 2010, 9:38:10 AM12/16/10
to शब्द चर्चा
क्या कोई इस बात पर रौशनी डाल सकता है कि भारत में फौजी साजो-सामान के
नामकरण की विधी क्या है, जैसे ब्रह्मोस, अग्नी वगैरा ?
और अजित भाई, यहाँ मौका है आप अपने नाम और 'अजीत' का फरक समझाएं. आप के
ब्लॉग से बात इतनी स्पष्ट नहीं होती.

On 16 दिस., 02:53, अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com> wrote:
> बलजीत भाई,
>
> यहाँ सब कुछ प्रारम्भ से ही स्पष्ट था। गर्वबोध और शौर्य के प्रतीक के तौर पर
> एक पोत का विजित नामकरण शुरू से ही अटपटा है। नकारात्मक अर्थबोध है इसमें।
> संभव है किसी खास समूह से संबंधित लोगों ने यह नामकरण किया हो। कभी कभी मराठी
> के किन्हीं समूहों में विजित का प्रयोग अजित या अजय की तरह मैने सुना है।
> ज़रूरी नहीं के मराठी के नाते भी वे सही बोल रहे हों। और फिर बात यहाँ
> राष्ट्रीय धरोहर के नामकरण की हो रही है जो हिन्दी में रखा गया है।
>
> वि उपसर्ग में निषेध, अभाव की अर्थवत्ता है। विजित का अर्थ विजेता लगाना ठीक
> वैसा ही है मानो अजय या अजित का अर्थ पराजित और परास्त से लगाएं। यह मानते हुए
> कि अ उपसर्ग में भी निषेध या अभाव है:)
>

> 2010/12/16 दिनेशराय द्विवेदी <drdwive...@gmail.com>


>
>
>
>
>
> > अविजित की अपेक्षा भी अजेय शब्द अधिक उपयुक्त होता।
> > मुझे लगता है इस नामकरण में कोई ज्योतिषीय पंगा भी रहा होगा। जैसे वि अक्षर से
> > नाम का आरंभ।
>

> > 2010/12/16 Baljit Basi <baljit_b...@yahoo.com>

> > *क्लिक करें, ब्लाग पढ़ें ...  अनवरत <http://anvarat.blogspot.com/>    तीसरा
> > खंबा <http://teesarakhamba.blogspot.com/>*


>
> --
> शुभकामनाओं सहित

> *अजित*http://shabdavali.blogspot.com/- उद्धृत पाठ छिपाएँ -

अजित वडनेरकर

unread,
Dec 16, 2010, 9:53:50 AM12/16/10
to shabdc...@googlegroups.com
बलजीत भाई,

अजित अजीत का फ़र्क़ मैं सफ़र में (  अजीत वह, जो पराजित होता रहे ) स्पष्ट कर चुका  हूं। आप भी उसे देख चुके हैं। वहाँ समाधान का प्रयास भी कर चुका हूँ। इससे ज्यादा गुंजाइश है नहीं इसमें।

अजीत शब्द चूंकि गलत है इसलिए शब्दकोशों में भी दीर्घ वाला अजीत ढूंढे से नहीं मिलेगा। संभव है अपनी पोस्ट में मैं बात स्पष्ट न कर सका हूं, नारायणजी शायद मेरी बात को ज्यादा बेहतर ढंग से समझा सकें। नारायणजी से आग्रह है कि एक बार उक्त नन्ही पोस्ट पढ़ लें तो मेरा और बलजीत भाई की शंका का समाधान भी हो जाएगा।

सादर, साभार


2010/12/16 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>
अजित
http://shabdavali.blogspot.com/

anil janvijay

unread,
Dec 16, 2010, 10:53:47 AM12/16/10
to shabdc...@googlegroups.com
लम्बी दूरी की भारतीय मिसाइल ब्रह्मोस का नाम तो 'ब्रह्मा'  और 'मोस्क्वा' Mockva  (रूसी उच्चारण मस्क्वा है)  नामक भारतीय और रूसी नदियों के नाम पर रखा गया है।
 

=======================
2010/12/16 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>

narayan prasad

unread,
Dec 18, 2010, 9:48:46 PM12/18/10
to shabdc...@googlegroups.com
 सन्दर्भ: अजीत वह, जो पराजित होता रहे

जीत का अर्थ विजय है । उसमें अ उपसर्ग लगाने से उसका विपरीतार्थक अर्थ ही निकलेगा अर्थात् पराजय, हार ।

<< जीत शब्द संस्कृत में नहीं है बल्कि यह जित् से बना देशज रूप है। >>

हो सकता है । परन्तु जीत भाववाचक संज्ञा है, जबकि (समास के अन्त में प्रयुक्त) जित् (उदाहरणस्वरूप "इन्द्रजित्" ) का अर्थ जीतनेवाला ।
जित् शब्द जि धातु में कृत् प्रत्यय क्विप् लगाने से बनता है । क्विप् प्रत्यय का कुछ भी अंश शेष नहीं बचता अर्थात् इसका सर्वापहारी लोप हो जाता है । अतः जि+क्विप् = जि ।
अब यहाँ पाणिनि सूत्र "ह्रस्वस्य पिति कृति तुक्" (पा॰6.1.71)  से "जि" के ह्रस्व स्वरान्त होने से अन्त में तकार का आगम हो जाता है और बनता है "जित्" ।
उसी तरह कृ (= करना) धातु से निर्मित कृत और  (समास के अन्त में प्रयुक्त) कृत् में अन्तर है ।
कृत् = करनेवाला अर्थात् कर्ता ।
कृत = किया हुआ ।
अतः कृत् प्रत्ययान्त शब्द कर्ता में प्रयुक्त होते हैं (कुछ इने-गिने अपवादों को छोड़कर) ।

---नारायण प्रसाद

 

2010/12/16 अजित वडनेरकर <wadnerk...@gmail.com>
बलजीत भाई,

Baljit Basi

unread,
Dec 20, 2010, 6:06:58 AM12/20/10
to शब्द चर्चा
मेरी सम्सयाएँ दो हैं:
१. वडनेरकर साहिब कहते हैं *अजीत शब्द *अजित में स्वर के दीर्घीकरण
से हुआ. ऐसे में हम *अ को जीत का उपसर्ग नहीं मानेंगे क्योंकि यह समुचे
शब्द का अंदरूनी बदलाव है.
२.*जीत की तरह पंजाबी में *जित पंजाबी में भाववाचक संज्ञा है; पंजाबी
जित = जीत; ऐसे में *जित में अ उपसर्ग लगाने से बने अजित का विपरीतार्थक
अर्थ निकलेगा अर्थात् पराजय, हार ।

On 18 दिस., 21:48, narayan prasad <hin...@gmail.com> wrote:
>  सन्दर्भ: अजीत वह, जो पराजित होता

> रहे<http://shabdavali.blogspot.com/2010/02/blog-post_12.html>


>
> जीत का अर्थ विजय है । उसमें अ उपसर्ग लगाने से उसका विपरीतार्थक अर्थ ही
> निकलेगा अर्थात् पराजय, हार ।
>

> << *जीत *शब्द संस्कृत में नहीं है बल्कि यह *जित्* से बना देशज रूप है। >>


>
> हो सकता है । परन्तु जीत भाववाचक संज्ञा है, जबकि (समास के अन्त में प्रयुक्त)
> जित् (उदाहरणस्वरूप "इन्द्रजित्" ) का अर्थ जीतनेवाला ।
> जित् शब्द जि धातु में कृत् प्रत्यय क्विप् लगाने से बनता है । क्विप् प्रत्यय
> का कुछ भी अंश शेष नहीं बचता अर्थात् इसका सर्वापहारी लोप हो जाता है । अतः
> जि+क्विप् = जि ।
> अब यहाँ पाणिनि सूत्र "ह्रस्वस्य पिति कृति तुक्" (पा॰6.1.71)  से "जि" के
> ह्रस्व स्वरान्त होने से अन्त में तकार का आगम हो जाता है और बनता है "जित्" ।
> उसी तरह कृ (= करना) धातु से निर्मित कृत और  (समास के अन्त में प्रयुक्त) कृत्
> में अन्तर है ।
> कृत् = करनेवाला अर्थात् कर्ता ।
> कृत = किया हुआ ।
> अतः कृत् प्रत्ययान्त शब्द कर्ता में प्रयुक्त होते हैं (कुछ इने-गिने अपवादों
> को छोड़कर) ।
> ---नारायण प्रसाद
>

> 2010/12/16 अजित वडनेरकर <wadnerkar.a...@gmail.com>
>
>
>
> > बलजीत भाई,
>
> > अजित अजीत का फ़र्क़ मैं सफ़र में (  अजीत वह, जो पराजित होता रहे<http://shabdavali.blogspot.com/2010/02/blog-post_12.html>) स्पष्ट कर चुका  हूं। आप भी उसे देख चुके हैं। वहाँ समाधान का प्रयास भी कर


> > चुका हूँ। इससे ज्यादा गुंजाइश है नहीं इसमें।
>
> > अजीत शब्द चूंकि गलत है इसलिए शब्दकोशों में भी दीर्घ ई वाला अजीत ढूंढे से
> > नहीं मिलेगा। संभव है अपनी पोस्ट में मैं बात स्पष्ट न कर सका हूं, नारायणजी
> > शायद मेरी बात को ज्यादा बेहतर ढंग से समझा सकें। नारायणजी से आग्रह है कि एक
> > बार उक्त नन्ही पोस्ट पढ़ लें तो मेरा और बलजीत भाई की शंका का समाधान भी हो
> > जाएगा।
>

> > सादर, साभार- उद्धृत पाठ छिपाएँ -

anil janvijay

unread,
Dec 20, 2010, 8:48:52 AM12/20/10
to shabdc...@googlegroups.com


 
2010/12/20 Baljit Basi <balji...@yahoo.com>

Baljit Basi

unread,
Dec 20, 2010, 10:56:15 AM12/20/10
to शब्द चर्चा
कृपया बताये यहाँ मेरे काम की बातें कहाँ हैं .

On 20 दिस., 08:48, anil janvijay <aniljanvi...@gmail.com> wrote:
> 2010/12/20 Baljit Basi <baljit_b...@yahoo.com>

> +7 916 611 48 64 ( mobile)- उद्धृत पाठ छिपाएँ -

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