Fwd: मौकापरस्त, राजनाथ (जातिवादी) के दोस्त

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MahanDeshBharat

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Nov 15, 2013, 10:02:42 AM11/15/13
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From: Sandeep Kumar Maurya <skmw...@gmail.com>
Date: 2013/11/15
Subject: मौकापरस्त, राजनाथ (जातिवादी) के दोस्त
To: bharatswab...@googlegroups.com
Cc: swadeshibhara...@googlegroups.com


यहाँ मेरा किसी जाती से विरोध नहीं है, मै तो मानता हु की अच्छे लोग आये जिनकी कोई कमी नहीं है. मेरा विरोध उस स्वार्थी राजनीति से है जिसमे अपना स्वार्थ सिद्ध हो चाहे कैसे भी लोग पार्टी में आये.

आजकल बीजेपी में एक विशेष किस्म के नेताओ का  recruitment चल रहा है, और इस सीधी भर्ती की जिम्मेदारी है जनाधारहीन नेता राजनाथ सिंह के हाथो में, इसके लिए योग्यता इस नेता ने क्रमशः इस प्रकार निर्धारित की है, १. आप एक विशेष जाति के हों, २.माफियाओं की दुनिया में आप का नाम हो, मतलब चोरी, हत्या, बलात्कार, अपहरण, वसूली के साथ-२ अगर दो चार महिलाओ की जिन्दगी बरबाद की हो कोई बात नहीं, बस पहली सर्त पुरी होनी चाहिए. ३ सपा बसपा कांग्रेस की सत्ता के समय लुट में सहयोग कर चुके हो. ४. पुरानी पार्टी कब छोड़नी है और नई पार्टी कब पकड़नी है इसका भरपूर अनुभव हो.अगर आकड़ो में बात करे तो लगभग ३ दर्जन सपा बसपा कांग्रेस और कुछ अन्य  इसी category के MP,MLA बीजेपी में आ चुके है या कतार में है. यहाँ मै किसी का नाम तो नही लेना चाहता फिर भी आपके सुविधा के लिए कुछ संकेत कर रहा हु जो इस लिस्ट में आ रहे है, 

एक पूर्व प्रधानमंत्री के  पुत्र  जो ५ साल का अपना पूरा कार्यकाल सपा के विचारधारा से मिलते हुए उसके टिकेट पर पूरा किया और जब अंतिम दौर चल रहा है तो एकाएक इनका बीजेपी के प्रति स्वाभिमान जाग गया और बाकी राजनाथ जी जिंदाबाद. दूसरी एक नेता है सुल्तानपुर के जो हमेसा कांग्रेस में रहे लेकिन उन्हें महसूस हुआ की इस बार मोदी की लहर उनकी जहाज को डुबो देगी तो राजनाथ के पास पहुच चुके है, बाकी राजनाथ जी है . एक बसपा के सांसद है जिनको आपने टीवी पर मोदी की बड़ाई करते हुए सुना होगा और बहन जी ने उन्हें निकल दिया तो राजनाथ है ना, लिस्ट बहुत लम्बी होगी बस इन्तजार करिए, अगर किसी दूसरी जाती का है तो अध्यक्ष जी को जरूर उसके चरित्र पर संका हो सकती है, जो जरुर होना चाहिए.

अब यहाँ मै राजनाथ के स्वार्थ को बताना चाहता हु. क्या राजनाथ इन लोगो को पिछले लोकसभा या विधान सभा चुनाव में पार्टी में नहीं ला सकते थे अगर इन्ही नेताओं के आने से बीजेपी में आ जाने कुछ इज्जत बच जाती. क्यों ये लोकसभा चुनाव में १० सीट और विधान सभा चुनाव में ४०३ में सिर्फ ३८ सीटें ला सके वो भी लगातार सत्ता से दूर रहने के वावजूद लोगो की सहानभूति न जीत सके, तो इस बार ये नाटक क्यों??

अरे जिन नेताओ की विचारधारा हवा के रुख के हिसाब से बदलती हो वो बीजेपी का भला क्या करेगे? 
यूपी जहाँ के ३९% MP वंशानुगत है, युवा सांसद के नाम का दिडोरा पीटने वाले नेता ये नहीं बताते की ज्यादातर युवा नेता, नेता पुत्र है, वरना आजकल पुरी जिन्दगी खपा देने वाले समर्पित कार्यकर्ताओ की सुनवाई नहीं है और वहा एक इमानदार युवा को टिकेट मिल जाये ये असंभव है, आप आकडे देख लीजिये ये युवा नेता किस वंश के है. वहां अगर ये सब होने लगे तो फिर क्या होगा??

नेता का  मतलब एक विचारधारा को आगे बढ़ाना होता है जो समाज के कल्याण के लिए हो उसमे बदलाव तभी होता है जब कलिंग जैसा कोई मोड़ आ जाए अन्यथा पुरी जिन्दगी चली जाती है, और यहाँ जब चुनाव आने वाला होता है तो नेताओ को ज्ञान प्राप्त होने लगता है.  

मै आपको बता दू जब बाबु सिंह जिनके ऊपर भ्रस्टाचार के आरोप है, को बीजेपी में लिया गया था, तब आदित्यनाथ, वरुण कितने ही नेता छाती पीटकर रो रहे थे, लेकिन आज जिनके ऊपर हत्या के आरोप है उन पर कोई चूं तक नहीं कर रहा है, तब मुझे लगा था अब बीजेपी में सुधार शुरू हो चूका है लेकिन अब फिर वही ढाक के तीन पात.

अब प्रशन उठता है ये सब हो क्यों रहा है, अगर गहराई से सोचे तो चीजे बहुत स्पष्ट तो जाती है बीजेपी उ.प्र. के जो बड़े नेता है उनमे राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, वरुण गाँधी, मुरली मनोहर आदि है, ये नेता मोदी विरोधी है (आप इनके बयान देख लीजिये), राजनाथ के मजबूरी समझिये.इस ग्रुप की सोच ये है की अगर किसी कारण बस मोदी प्रधानमंत्री न बन सके तो राजनाथ के लिए ये ग्रुप लॉबिंग करे सके और पार्टी पर दबाव बना सके. और यदि मोदी बन भी गए तो बिना इनके वो सपोर्ट के वो कौन सा तीर मार देंगे. अब ४०० सीते तो मिलाने वाली नहीं ऊपर से राजनाथ ग्रुप में ऐसे नेता जिनके शराब व्यापर के साथ साथ उन सब व्यापर में सहयोगी हो जो भारत स्वाभिमान का सपनो के विरुद्ध है तो क्या होगा वही होगा तो मुरारजी देशाई के साथ १९७७ में हुआ था. २ साल में हे सरकार गिर गई. अरे जब जिस शक्ति के खिलाफ आप को लड़ना है वही आपके सिपाही बन जायेगे तो क्या होगा. मोदी को टिकेट किसको मिले इसपर नजर रखने के जरूरत है. राजीव भाई हमेशा जिस के खिलाफ रहे, अगर उन्ही का संगठन मोदी का सपोर्ट कर रहा है तो भारत स्वाभिमान भी बीजेपी पर दबाव दाल सकता है. 

राजनाथ से यही उम्मीद करता हु की आप उन कार्यकर्ताओ को आगे बढ़ाये जिन्होंने अपनी पुरी जिन्दगी बीजेपी में लगा दी क्या बीजेपी में इमानदार चरित्रवान कार्यकर्ताओ की कमी है जो इन दल बदलुओ को महत्त्व दिया जा रहा है, अगर ऐसे कार्यकर्ता नहीं है तो इसकी जिम्मेदारी आप जैसे लोगो की है जो उन्हें बढ़ने नहीं  देते और हमेशा दल बदलुओ से अपने स्वार्थ के लिए उम्मीद करते है. दया शंकर सिंह जैसे लोगो को क्यों दर किनार कर दिया जाता है? क्या इसलिए की वो सच बोलते है की आपका बेटा माफियाओ का दोस्त और बिना किसी अनुभव के उसे उच्च पद दे दिया गया आप भाई भतीजावाद करते है ??   

इन्ही नेताओं ने जातिवाद का जहर समाज में घोल रखा है और उससे समाज को निकलने ही नहीं देते, आज पार्टिया जाति की राजनीति,  भीमराव अम्मेद्कर, लोहिया, महात्मा गाँधी, जयप्रकाश का नाम लेकर करती है लेकिन लोगो को ये नहीं बताते की उनकी समाज रचना की क्या विचारधारा थी.


जय हिन्द,
संदीप कुमार मौर्य

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राजीव भाई की पहली बरसी पर 28, 29, 30 नवंबर 2011 को सेवाग्राम, वर्धा में आयोजित स्वदेशी दिवस समारोह एवं स्वदेशी मेले में अवश्य पधारें| इस समारोह में स्वदेशी विषय के ऊपर व्याख्यान, आगे के कार्यक्रमों की रणनीति, स्वदेशी आंदोलन और स्वदेशी के विभिन्न पहलुओं पर दिशा तय होगी|
आर्थिक सहयोग के लिए ट्रस्ट का बैंक खाता निम्न लिखित है State Bank of India, Sevagram Branch, Account Name: Swadeshi Bharat Peetham (Trust), A/C No.: 30843976773, IFS Code: SBIN0012756
 
आन्दोलन एवं राजीव भाई के व्याख्यानों की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया www.RajivDixit.com एवं www.SwadeshiBharatPeetham.Blogspot.com देखें| ईमेल: Pradeep...@gmail.com
 
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(नोट : यदि आपको मेरे मेल पसंद नहीं हैं / मेल नहीं चाहिये, तो कृपया उत्तर देकर अवश्य सूचित करें) 

--संजय कुमार मौर्य, अयोध्या, फैजाबाद, उ.प्र.

(सामाजिक और प्राकृतिक अर्थशाश्त्र विश्लेषक : भारत को युवाओ के नैतिक-विकास के साथ पशुधन-कृषि-योग-आयुर्वेद-सूर्यशक्ति-जलसंरक्षण-भूसंपदा के विवेकपूर्ण  उपयोग से विश्वशक्ति बनाया जा सकता है) 

आपने स्वयं और अपने परिवार के लिए सब कुछ किया, देश के लिए भी कुछ करिये,

क्या यह देश सिर्फ उन्ही लोगो का है जो सीमाओं पर मर जाते हैं??? सोचिये...... 

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