राष्ट्र और राष्ट्रहित - In context with Shri Arvind Kejriwal

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Oct 12, 2011, 7:04:28 AM10/12/11
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From: Ravi Verma <ravisve...@gmail.com>
Date: 2011/10/11



आदरणीय दोस्तों 

अभी मैं श्री अरविन्द केजरीवाल जी का बयान देख रहा था जिसमे उन्होंने कहा कि "RSS हमारे आन्दोलन का श्रेय न ले " | आपके अगस्त आन्दोलन के समय RSS के समर्थन की बातें जब विभिन्न समाचार चैनलों पर आ रहे थे तो क्यों नहीं आपने उस समय उस समर्थन को नकार दिया था, आप की हर बात को मीडिया कवर कर रहा था, आप संवाददाता सम्मलेन कर के कह देते कि हमें RSS, गायत्री परिवार, श्री श्री रविशंकर के संगठन, स्वामी रामदेव के संगठन का समर्थन नहीं चाहिए तो कोई भी संगठन आपके साथ नहीं आता, आपके आन्दोलन की सफलता में इन संगठनों का हाथ भी था लेकिन कभी आपने इनका धन्यवाद् ज्ञापन किया ? आपके आन्दोलन में भारत स्वाभिमान से जुडा एक युवक ओड़िसा में मर गया, कभी आपने झूठे मुह भी अफ़सोस जताया ? मैंने आपका लोकपाल बिल भी देखा था उसमे आपने लिखा है कि लोकपाल के पद पर मैग्सेसे पुरस्कार विजेता भी बैठ सकते हैं, आप पांच लोगों में से तीन लोग मैग्सेसे पुरस्कार विजेता हैं, जब मैग्सेसे पुरस्कार विजेता बैठ सकते हैं तो ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता क्यों नहीं ? नोबेल पुरस्कार विजेता क्यों नहीं ? परमवीर चक्र विजेता क्यों नहीं ? आप राष्ट्र की बातें करते हैं और आप दूसरों को अछूत भी मान रहे हैं, कैसे चलेगा? आप राष्ट्र नहीं संप्रदाय बनाने निकले हैं, जब संप्रदाय बनता है तो भीड़ की चिंता होती है, और जब संप्रदाय बनता है तो राष्ट्र और राष्ट्रहित कहीं पीछे रह जाता है, वहां व्यक्तिगत स्वार्थ घुस जाता है, आप तो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, नेताओं की भाषा बोल रहे हैं, जब आप राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे हैं तो ये मान के चलिए कि कोई अछूत नहीं होता, आपको हर किसी के समर्थन की आवश्यकता होती है और आपको भी हर उस व्यक्ति का समर्थन करना होगा जो राष्ट्र निर्माण में लगा है | आपके अच्छे नियत (ऐसा प्रतीत हो रहा था) की वजह से लोग आपसे जुड़े थे, आपको लोग नेताओं से अलग मानते थे और आज आप नेताओं की भाषा बोलने लगे, लोगों की भीड़ देख के आप कुछ और समझने लगे, है न ?  और प्रशांत भूषण जी का कश्मीर के बारे में जो उदगार था वो काफी निराशाजनक था, देश की भावनाओं के विरुद्ध था | मैं कभी किसी संगठन से नहीं जुडा, क्योंकि मैं खुद को बांध के नहीं रखना चाहता, लेकिन हर उस व्यक्ति का समर्थन करता हूँ जो राष्ट्रहित और राष्ट्र निर्माण की बाते करता है लेकिन मुझे अफ़सोस है कि मैंने आप लोगों को समर्थन दिया था |  


एक भारत स्वाभिमानी

रवि



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धन्यवाद एवं हार्दिक शुभेच्छा,

राकेश चन्द्र

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