![]() महर्षि कपिल भारतीय दर्शन के महान तत्ववेत्तामाने जाते हैं। ग्रंथों के अनुसार, उनके पिता कर्दम ऋषि और माता दक्ष पुत्री देवहूतिथीं। उनके विषय में विशेष वर्णन श्रीमद्भागवत में मिलता है। श्री कृष्ण ने गीता में कपिल को चिंतकों में सर्वोपरि बताया है। उनके विषय में प्रसिद्ध कथा है। महर्षि कपिल ने अयोध्या के इक्ष्वाकु कुल [जिसमें राम का भी जन्म हुआ था] के राजा सगरके साठ हजार पुत्रों को भस्म कर दिया था। सगरके पुत्रों ने अपने पिता के अश्वमेध यज्ञ का घोडा कपिल मुनि के आश्रम में बंधा पाया था। वास्तव में इंद्र ने सगरके नौवें अश्वमेध यज्ञ को विफल बनाने के लिए ध्यानस्थ मुनि के आश्रम में धोखे से बांध दिया था। बाद में सगरके पौत्र अंशुमान के अनुरोध पर उनकी मुक्ति का उपाय बताया। उपाय था गंगा को वहां तक लाना। कहा जाता है कि गंगा सागर में कपिल मुनि का आश्रम था। वहां फरवरी के
महीने में आज भी मेला लगता है। कहावत है कि सारे तीर्थ बार-बार, गंगा सागर
एक बार। शायद कपिल मुनि के महान चिंतन के मद्देनजर ही ऐसा कहा जाता है। कई
विद्वान मानते हैं कि उनके सिद्धांतों का वैज्ञानिक अध्ययन होना चाहिए,
क्योंकि भौतिकी के क्वांटमसिद्धांत से उनका बहुत मेल है। |