पुस्तक का नाम
श्रीमद्विश्वनाथकविराजप्रणीत:
साहित्यदर्पण:
गङ्गाधरविद्यालज्ररभट्टाचार्यात्मजेन महामहोपाध्याय-महाकवि-भारताचार्य–
श्रीयुक्तहरिदाससिद्धान्तवागीशभट्टाचार्येण
प्रणीतया कुसुमप्रतिमा-समाख्यया टीकया समेत:
(साहित्यदर्पण: पुस्तक का कवर पेज का डिजाइन, इस मेल के साथ अटैच है।)
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ISBN - अजिल्द - 978-81-951790-2-2 | सजिल्द - 978-81-951790-1-5
मूल्य - अजिल्द - 695/- | सजिल्द - 2495/-
पृष्ठ - 864
प्रकाशन वर्ष - 2021
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पुस्तक परिचय
साहित्यदर्पण, भारतीय अलज्ररशास्त्र की परम्परा में एक अद्वितीय ग्रन्थ है जो कि साहित्य के प्राय: सभी पक्षों का प्रतिपादन करता है। दृश्य और श्रव्य काव्यो के भेद-प्रभेद, काव्य का स्वरूप, शब्दार्थ का काव्योचित विवेक काव्य के प्रमुख घटक तत्त्व रस गुण-अलज्रर और अनपेक्षित दोष आदि का निरूपण इस ग्रन्थ में आचार्य विश्वनाथ ने किया है। संस्कृत साहित्य शास्त्र के समग्र अध्ययन के लिए गुरु-शिष्यपरम्परा में इस ग्रन्थ की लोकप्रियता सुविदित है। आचार्य विश्वनाथ संस्कृत साहित्य शास्त्र को पूर्णतया जिज्ञासु तक सरल और सम्यव्â रूप से सम्प्रेषित करना चाहते हैं, यह इस ग्रन्थ की अपनी विशेषता है।
साहित्य-दर्पण की कतिपय टीकाएँ ही उपलब्ध हैं, इनमें प्रकृत टीका ``कुसुमप्रतिमा'' अन्यतम है। शास्त्र की ग्रन्थियों को टीका ग्रन्थ ही सुलझाते हैं, इस प्रकार की जो विद्वज्जन में श्रवण परम्परा है, उसका साक्षात् प्रमाण कुसुमप्रतिमा टीका है। मुझे साहित्यदर्पण के अध्ययन काल में यही टीका प्राप्त हुई थी और आज भी मेरे पास यह पुस्तक सुरक्षित है। इसकी छपाई कलकत्ता में जब हुई थी, तो उस समय छपाई के साधन बहुत विकसित नहीं थे। छपाई विशेषज्ञों के अनुसार इस साहित्य दर्पण और इसमें अनुस्यूत टीकाग्रन्थ ``कुसुमप्रतिमा'' की छपाई भी ऐसे ही पत्थर के अक्षरों से हुई थी जो कि कठिनाई से पढ़े जाने योग्य और दुर्बोध है। अनेक संस्करणों में तो अब पढ़े जाने योग्य भी नहीं है। किन्हीं लोगों ने इस टीका को साहित्यदर्पण के साथ प्रकाशित किया है, किन्तु उसमें अनेक स्थानों पर टीका का पाठ ही नहीं छप सका है, कारण चाहे जो भी रहे हों। प्रस्तुत संस्करण में इन सब बातों का ध्यान रखा गया है कि पूर्ण एवं शुद्ध पाठ प्राप्त हो सके।
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संपादक परिचय -
प्रो० डॉ० कौशलेन्द्र पाण्डेय
आचार्य एवं निवर्तमान अध्यक्ष साहित्य विभाग
संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
जन्म – १७.०८.१९५९
शिक्षा – आचार्य (साहित्य, स्वर्णपदक), एम०ए० (संस्कृत), पी-एच०डी (संस्कृत)
सम्मान, पुरस्कार –
१. संस्कृतसाहित्यपुरस्कार, उत्तरप्रदेश संस्कृतअकादमी, लखनऊ।
२. विक्रमपुरस्कार, विक्रमविश्वविद्यालय, उज्जैन, म०प्र०।
३. सर्टिफिकेट ऑफ ऑनर, विश्व संस्कृत सम्मेलन, १९९७ ई० बेंगलोर, कर्नाटक।
४. `कविसम्मानम्' श्रीचन्द्रशेखरसरस्वतीविश्वविद्यालय, कांची, तमिलनाडु।
५. `काशीविद्वद्भूषणम्' बी०ए०पी०एस० स्वामिनारायणशोधसंस्थानम्, नई दिल्ली एवं अन्य अनेक सम्मान।
मौलिक कृतियाँ –
१. प्राभातिकी वेला (संस्कृतकवितासंग्रह:)
२. विश्वसंवर्धनकाव्यम् (खण्डकाव्यम्)
३. वृद्धरक्षणम् (लघुनाटकम्)
४. कियत्काव्यम् (संस्कृतकाव्यसंग्रह:)
५. काशीपञ्चाशिका
६. पिचण्डभाण्डप्रहसनम्
७. कालिदास का अभिनयदर्शन
८. परिवर्तन (हिन्दी कविता सङ्ग्रह)
अनुवाद, व्याख्या एवं सम्पादन – नाट्य, नाट्यशास्त्रीय, काव्य, काव्यशास्त्रीय, कोष, शिल्पशास्त्रीय, प्रभृति विषयक अनेक ग्रन्थ। ७० से अधिक प्रकाशित एवं अप्रकाशित शोधनिबन्ध।
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