भारतीय समाज यह मानता है कि बेटे से नाम चलता है, बेटे ही पितरों का
उद्धार करने वाला होता है और बेटा ही कमाकर घर चलाने वाला तथा
वृद्धावस्था में देखभाल करने वाला है। लेकिन गहराई से जाँचने स ये सभी
धारणाएँ भ्रांत सिद्ध हो जाती है।
आगे देखें - बहस : भ्रूण हत्या
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