[श्री साँई रसोईं छत्तरपुर ] श्री साईं लीलाएं - माँ का चुम्बन लेने में क्या दोष है?

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Anchal Chawla

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Sep 5, 2014, 2:30:02 PM9/5/14
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ॐ सांई राम





कल हमने पढ़ा था.. सब कुछ गुरु को अर्पण करता चल     

श्री साईं लीलाएं

माँ का चुम्बन लेने में क्या दोष है?

साईं बाबा के एक भक्त थे दामोदर घनश्याम बावरेलोग उन्हें 'अण्णा चिंचणीकरके नाम से जानते थेसाईं बाबा पर उनकी इतनी आस्था था कि वे कई वर्ष तक शिरडी में आकर रहेअण्णा स्वभाव से सीधेनिर्भीक और व्यवहार में रूखे थेकोई भी बात उन्हें सहन न होती थीपर मन में कोई कपट नहीं थाजो कुछ भी कहना होता थादो टूक कह देते थेअंदर से एकदम कोमल दिल और प्यार करने वाले थेउनके इसी स्वभाव के कारण ही बाबा भी उन्हें विशेष प्रेम करते थे|
एक बार दोपहर के समय बाबा अपना बायां हाथ कट्टे पर रखकर आराम कर रहे थेसभी भक्त स्वेच्छानुसार बाबा के अंग दबा रहे थेबाबा के दायीं ओर वेणुबाई कौजलगी नाम की एक विधवा भी बाबा की सेवा कर रही थीसाईं बाबा उन्हें माँ कहकर पुकारते थेजबकि अन्य सभी भक्त उन्हें 'मौसीबाईकहा करते थेमौसीबाई बड़े सरल स्वभाव की थीउसे भी हँसी-मजाक करने की आदत थीउस समय वे अपने दोनों हाथों की उंगलियां मिलाकर बाबा का पेट दबा रही थींजब वे जोर लगाकर पेट दबातीं तो पेट व कमर एक हो जाते थेदबाव के कारण बाबा भी इधर-उधर हो जाते थेअण्णा चिंचणीकर भी बाबा की दूसरी ओर बैठे सेवा कर रहे थेहाथों को चलाने से मौसीबाई का सिर ऊपर से नीचे हो रहा थादोनों ही सेवा करने में व्यस्त थेइतने में अचानक मौसीबाई का हाथ फिसला और वह आगे की तरफ झुक गयी और उनका मुंह अण्णा के मुंह के सामने हो गया|
मौसीबाई मजाकिया स्वभाव की तो थी हीवह एकदम से बोली - "अण्णा तुम मेरे से पप्पी (चुम्बन) मांगते होअपने सफेद बालों का ख्याल तो किया होतातुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती?" इतना सुनते ही अण्णा गुस्से के मारे आगबबूला हो गये और अनाप-शनाप बकने लगे - "क्या मैं मुर्ख हूंतुम खुद ही मुझसे छेड़छाड़ कर झगड़ा कर रही हो|" अब मौसी का भी दिमाग गरम हो गयादोनों में तू-तूमैं-मैं बढ़ गयीवहां उपस्थित अन्य भक्त इस विवाद का आनंद ले रहे थेबाबा दोनों से बराबर का प्रेम करते थेकुछ देर तक तो बाबा इस तमाशे को खामोशी से देखते रहेफिर इस विवाद को शांत करते हुए बाबा अण्णा से बोले - "अण्णा ! क्यों इतना बिगड़ता हैअरेअपनी माँ की पप्पी लेने में क्या दोष है?"
बाबा का ऐसा कहते ही दोनों एकदम से चुप हो गये और फिर आपस में हँसने लगे तथा बाबा के भक्तजन भी ठहाका हँसी में शामिल हो गये|


कल चर्चा करेंगे..बाबा के सेवक को कुछ न कहना, बाबा गुस्सा होंगे        

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।


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Posted By Anchal Chawla to श्री साँई रसोईं छत्तरपुर on 9/06/2014 12:00:00 am
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